हमारे देश में वन कितना संरक्षित है। यह प्रश्न मन में तब उठता है जब हम बदलते मौसम, जलवायु परिवर्तन से आहत हो जाते हैं। इस वर्ष हम भीषण गर्मी झेल रहे हैं। पेड़ों की अंधाधुंध कटाई अर्थात वनों को संरक्षित न किया जाना हमारे पर्यायवरण केा प्रभावित कर रहा है। पेड़ों और अन्य वनस्पतियों के नष्ट होने से जलवायु परिवर्तन, मरुस्थलीकरण, बाढ़, वातावरण में ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि जैसी कई समस्याएं हो सकती हैं।पर्यावरण प्रेमियांे ने कई दशक पहले ही चिपको आंदोलन द्वारा हमें चेता दिया था कि इस तरह वनों की कटाई होती रही तो जीवों को पृथ्वी पर जीना दूभर हो जाएगा।व्यावसायिक कटाई और वनों की कटाई पर सरकार की नीतियों का विरोध करते हुए, 1970 के दशक में प्रदर्शनकारियों ने पेड़ों को गले लगाने , पेड़ों के चारों ओर अपनी बाहें लपेटने का काम किया ताकि उन्हें काटा न जा सके।
वनों की कटाई संभवतः आग के उपयोग से शुरू हुई, और अनुमान है कि पृथ्वी के मूल वन क्षेत्र का लगभग 50 फीसदी हिस्सा नष्ट हो गया है। वनों की कटाई का प्रमुख कारण कृषि है, खराब नियोजित बुनियादी ढाँचा वैश्विक वनों की कटाई में एक और महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है। 2023 वन घोषणा आकलन के अनुसार, 2022 में, दुनिया ने 16 मिलियन एकड़ से अधिक जंगल खो दिया । लकड़ी और लकड़ी की बढ़ती मांग दुनिया के जंगलों के लिए भी एक बड़ा खतरा है। लेकिन उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों में, वनों की कटाई का 73 फीसदी कारण कृषि का होना है। हाल के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में वनों की कटाई (वनोन्मूलन) की उच्चतम दर वाले कुछ देशों में ब्राजील, इंडोनेशिया और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य शामिल हैं।
आइए , अब हम अपने देश के सरकारी आंकड़े केा जान लें जो हमें बताता है कि हम वन संरक्षण में अन्य देशों की तुलना में काफी अच्छे हैं। भारत ने इस वर्ष 6 मई से 10 मई तक न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र (यूएन) मुख्यालय में आयोजित वनों पर संयुक्त राष्ट्र फोरम (यूएनएफएफ) के 19वें सत्र में बताया कि हमारे यहां पिछले 15 वर्षों में वन क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी हुई है। वैश्विक स्तर पर भारत साल 2010 और 2020 के बीच औसत वार्षिक वन क्षेत्र में शुद्ध वृद्धि के मामले में तीसरे स्थान पर रहा है। भारत ने जैव विविधता और वन्यजीव संरक्षण को उच्च प्राथमिकता दी है। इसके कारण संरक्षित क्षेत्रों का नेटवर्क 1,000 से अधिक वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों, बाघ अभयारण्यों, बायोस्फीयर रिजर्व और अन्य वन्यजीव आवासों तक विस्तारित हुआ है।
इसके अलावा भारत ने ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम की शुरुआत को भी साझा किया, जिसे वृक्षारोपण और खराब वन भूमि की बहाली के लिए संस्थाओं को प्रोत्साहित करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य जलवायु कार्रवाई पहल को और अधिक मजबूत करना है।
इससे पहले अक्टूबर, 2023 में भारत ने देहरादून में यूएनएफएफ के तहत देश के नेतृत्व वाली पहल की मेजबानी की थी। इसमें 40 देशों और 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और वन अग्नि प्रबंधन व वन प्रमाणन पर चर्चा की थी।
भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 12.20 हिस्से में सघन वनावरण फैला हुआ है। वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 के अनुसार, भारत में कुल वन और वृक्षों का आवरण 80.9 मिलियन हेक्टेयर है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 24.62 प्रतिशत है। भारत का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग किमी है और 80,20,88 वर्ग किमी क्षेत्र में वन फैले हुए है। भारत में वन क्षेत्र का सबसे बड़ा क्षेत्र वाला राज्य मध्य प्रदेश है। 2021 की अद्यतन रिपोर्ट के अनुसार, मध्य प्रदेश राज्य में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश , छत्तीसगढ़ , ओडिशा , महाराष्ट्र का नंबर आता है।
(लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार और टिप्पणीकार हैं)
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