बुधवार, 22 नवंबर 2023

भारत को विश्व गुरु बनाने पर फोकस अधिवेशन

 अवधेश कुमार

हमारे देश का स्वभाव ऐसा हो गया है कि बहुत बड़े , प्रभावी और भविष्य के लिए दिशा देने की संभावनाओं वाले कार्यक्रमों में भी राजनीति का अंश नहीं हो तो इसकी व्यापक चर्चा नहीं होती। राजधानी दिल्ली में 7 दिसंबर से 10 दिसंबर तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन इसी श्रेणी का कार्यक्रम है।  परिषद 75 वां वर्षगांठ पूरा कर चुका है, इसलिए अमृत महोत्सव वर्ष के राष्ट्रीय अधिवेशन का अपना महत्व है। यह देश का सबसे बड़ा छात्र संगठन है जिसकी इकाई भारत के प्रत्येक जिले में है। अध्ययन का कोई क्षेत्र नहीं जहां विद्यार्थी परिषद सक्रिय नहीं हो चाहे वह सरकार द्वारा संचालित हो या निजी संस्थान। पिछले दिनों परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री प्रफुल्ल आकांत ने अधिवेशन के पूर्व के कार्यक्रमों, तैयारियों, योजनाओं आदि के बारे में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में जो जानकारियां दीं उनमें कई बातें आश्चर्य में डालने वालीं थीं।  ज्यादातर छात्र संगठनों के अधिवेशनों का स्वर राजनीतिक होता है। सरकारों की आलोचनाएं होती हैं कुछ मांग होतीं हैं। इस अधिवेशन में राजनीति के स्वर का अंश मात्र भी नहीं है।

अधिवेशन का मुख्य फोकस इस पर है कि भारत विश्व गुरु यानी विश्व को दिशा देनेवाले देश के रूप में किस तरह आगे बढ़ रहा है। एक राष्ट्र के रूप में भारत का इतिहास, इस दिशा में भारत और विश्व भर में क्या हुआ है, हो रहा है और भविष्य के क्या संकेत हैं आदि से संबंधित विमर्श के साथ अलग-अलग प्रदर्शनियां भी शामिल हैं। चूंकि अधिवेशन दिल्ली में है, इसलिए इंद्रप्रस्थ के वास्तविक इतिहास का विवरण होगा जिनमें मुगल और सल्तनत काल नाम देकर हाशिए में फेंक दिए गए महानायकों की गाथाएं होंगी। छात्रों और युवाओं के प्रेरणा के दो मुख्य कारक होते हैं, विचार और व्यक्तित्व। भारत की विचारधारा ने कैसे इसे इतिहास में विश्व गुरु का स्थान दिया और किस तरह षडयंत्रपूर्वक महानायकों  तथा आध्यात्मिक और भौतिक उपलब्धियों को हटा दिया गया इसका अवलोकन अधिवेशन में होगा। छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक का 350 वां वर्ष है। एक-एक भारतीय के लिए वो प्रेरणा के स्रोत हैं और आम परिवार से निकलकर विकट परिस्थितियों में सतत संघर्ष करते हुए भी आदर्श और मानक राज व्यवस्था स्थापित करने वाले वैश्विक व्यक्तित्व भी। शिवाजी की तरह और कुछ व्यक्तित्वों को भी प्रेरणा और भविष्य में काम करने की दिशा स्रोत के रूप में अधिवेशन में लिया गया है। स्वाभाविक ही 75 वर्ष पूरे करने पर संगठन ने अब तक क्या कुछ किया है उसे भी रखा जाएगा। इसका उद्देश्य भविष्य के कार्य के लिए दिशा देना है। वास्तव में एक छात्र संगठन के बारे में आमधारणा यही होती है कि यह विश्वविद्यालयों , महाविद्यालयों के मुद्दों और समस्याओं तक सीमित होगा तथा इसकी मूल ध्वनि राजनीतिक होगी। अधिकतर साथ संगठन किसी राजनीतिक पार्टी की शाखा हैं।

परिषद के कार्यों के विवरण को देखें तो स्पष्ट हो जाएगा कि छात्र संगठन होने के बावजूद गतिविधियां शिक्षा और शिक्षालियों तक सीमित नहीं है। इसके आयाम के विवरण में थिंक इंडिया, मीडियाविजन, एग्री विज़न ,फार्मा विजन ,जिज्ञासा ,विकासार्थ विद्यार्थी विश्व विद्यार्थी युवा संघ, अंतरराज्य छात्र जीवन दर्शन शोध-कार्य, सेवार्थ विद्यार्थी, राष्ट्रीय कला मंच, सविष्कार, खेलो भारत, इंडि जीनियस आदि के साथ मिशन साहसी, ऋतुमति अभियान, सामाजिक अनुभूति जैसे अभियान शामिल हैं। इन नामों से इनके हेतु का संकेत मिलता है। एक उदाहरण लीजिए। परिषद ने अमरकंटक से भुज तक नर्मदा यात्रा की और उससे संबंधित रिपोर्ट बनाई, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण में गए। नर्मदा नदी की सफाई व पर्यावरण से संबंधित पहलुओं सहित उनकी योजनाओं में परिषद की भूमिका अधिकृत रूप से संबंधित सरकारों में स्वीकृत है। इसी तरह समाज के वंचित तबकों के बीच सहयोग, सहायता व विकास के अनेक कार्यक्रम परिषद चलाता है। 

ये ऐसी बातें हैं जिनके बारे में आम भारतीय को पता नहीं। राजनीतिक दलो, नेताओं, बुद्धिजीवियों ,एक्टिविस्टों के बड़े समूह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उससे जुड़े संगठनों के बारे में सतत दुष्प्रचार अभियान चलाया है, इसलिए जो प्रत्यक्ष नहीं जानते उनके अंदर कई गलतफहमियां होतीं हैं। विरोधियों की समस्या है कि बहुत कुछ देखते जानते हुए भी सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं कर सकते , क्योंकि इससे उनका दुष्प्रचार ध्वस्त हो जाएगा। सच कहा जाए तो इस तरह की गतिविधियां संगठन के व्यापक लक्ष्य को प्रमाणित करते हैं। संगठन की विचारधारा अगर भारत को सशक्त कर विश्व का श्रेष्ठतम देश बनना हो तो छात्रों को भी उस रूप में विचारधारा के साथ कार्य करने के लिए तैयार किया जाएगा। इसीलिए इसका आयाम व्यापक है। विचारधारा पर मतभेद होते हुए भी राजनीतिक दल, बुद्धिजीवी, एक्टिविस्ट, पत्रकार आदि स्वीकार करें तो छात्रों और नौजवानों को सकारात्मक दिशा मिलेगी। वैसे भी परिषद की ओर से भारत के सभी प्रमुख छात्र संगठनों के साथ विश्व स्तर के छात्र संगठनों को भी आमंत्रित किया जा रहा है। यह अच्छी पहल है जिसका सभी संगठनों को स्वागत करना चाहिए। पूरे कार्यक्रम का माहौल शत-प्रतिशत सकारात्मक बनाए रखने की कोशिश है। कोई नकारात्मकता नहीं।

सकारात्मक माहौल से आप कठिन परिस्थितियों पर भी विजय का आधार बना सकते हैं। युवाओं के बीच आशाओं और उम्मीदों से भरे सकारात्मक माहौल निर्मित करना कितना आवश्यक है यह बताने की आवश्यकता नहीं। अधिवेशन से संबंधित दो यात्राएं हैं। एक पूर्वोत्तर की यात्रा है जो 20 नवंबर को समाप्त हो गई। दूसरी यात्रा शिवाजी के केंद्र रायगढ़ से लेकर दिल्ली तक चल रही है, जो 2 नवंबर को खत्म होगी। समझा जा सकता है कि इन यात्राओं में होने वाले संवादों से समाज के बीच क्या संदेश दिया जा रहा होगा। इसी तरह पिछले कई महीनों से अलग-अलग कला संस्थानों के छात्र -छात्राएं प्रदर्शनियों के लिए सामग्रियां तैयार कर रहे हैं। तत्काल जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में जाकर इन्हें देखा जा सकता है। इस तरह के ऐसे अनेक पहलू बताते हैं कि कैसे यह अधिवेशन आम संगठनों के अधिवेशनों से गुणात्मक रूप से बिल्कुल अलग है। आप संघ परिवार के विरोधी हों या समर्थक, जरा सोचिए कौन संगठन अपने राष्ट्रीय अधिवेशन के लिए इस प्रकार की गहरी तैयारियां करता है, इसके लिए इतने कार्यक्रम आयोजित करता है? विषयों की प्रस्तुतियां, प्रस्ताव आदि के लिए सभी  संगठन अपनी सोच के अनुरूप आवश्यक तैयारी करते हैं, कई बार कुछ विषयों पर भारी लोगों को भी बोलने के लिए आमंत्रित करते हैं , संगठन विस्तार से लेकर कुछ कार्यक्रमों अभियानों की भी घोषणाएं होती हैं पर इससे आगे कुछ नहीं। कोई छात्र संगठन इतने व्यापक और दूरगामी सोच के साथ ऐसे बहुआयामी कार्यक्रमों, अभियानों और प्रस्तुतियों के साथ कार्यक्रम नहीं करता। ज्यादातर राजनीतिक दलों के अधिवेशन तो अपनी प्रशंसा और विरोधियों की आलोचनाओं तक सीमित हो गए हैं। इसका कारण संगठनों की सीमाओं के बाहर तथा देश और समाज को लेकर दूरगामी व्यापक लक्ष्य नहीं होना है। संघ भी शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहा है जिसका ध्यान रखते हुए जैसा अधिवेशन की जानकारी में बताया गया विद्यार्थी परिषद ने अपनी सदस्यता एक करोड़ तक पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है। किंतु जैसा हम कह सकते हैं यह संगठन की केवल एक तात्कालिक योजना है न कि संपूर्ण लक्ष्य। संपूर्ण लक्ष्य की व्यापकता में व्यक्ति समाज और देश के उत्तरोत्तर विकास के सभी बातें समाहित हैं। विश्वविद्यालयों या व्यावसायिक व तकनीकी संस्थानों में एक छात्र केवल कुछ वर्ष व्यतीत करता है। कोई संगठन वही तक सीमित हो तो फिर वहां से निकलने के बाद जीवन में आगे उनके सामने दिशाहीनता होती है। यदि छात्र जीवन में ही उन्हें व्यापक आयाम वाली दिशा मिल गई तो फिर उनमें संपूर्ण जीवन काम करने की संभावनाएं समाहित होती हैं। तो कुल मिलाकर भारत को विश्व गुरु बनाने के लक्ष्य वाला यह अधिवेशन ज्यादातर राजनीतिक दलों के अधिवेशनों से कई गुणा ज्यादा महत्व का है और हम सबका दायित्व है कि इसी रूप में इसकी चर्चा करें।

अवधेश कुमार, ई-30, गणेश नगर, पांडव नगर कंपलेक्स, दिल्ली 110092, मोबाइल - 98110 27208

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