शुक्रवार, 5 जुलाई 2024

संसद से लेकर उच्च न्यायालय तक हिंदू-मुसलमान की चर्चा

बसंत कुमार

18वीं लोकसभा के पहले ही सत्र में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हिंदू सहिष्णु या हिंसक का विवाद थमा ही नहीं था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने देश में धार्मिक सभाओं में बड़े पैमाने पर दलित व आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। अगर धर्मांतरण नहीं रुका तो देश की बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगी। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल एक धर्म परिवर्तन कराने वाले आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह बात सामने आई है कि धार्मिक समाग़मों के जरिये दलितों और गरीब लोगों को गुमराह करके ईसाई बनाया जा रहा है। कोर्ट ने कहा कि किसी धर्म के प्रचार शब्द का अर्थ बढ़ावा देना है लेकिन इसका अर्थ एक व्यक्ति को एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित करना नहीं है। ऐसे आयोजन से संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन होता है। यह अनुच्छेद किसी को भी धर्म मानने, पूजा करने और किसी को भी अपने धर्म का प्रचार करने की इजाजत देता है।" पर यह धर्म किसी को डरा-धमकाकर या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं देता। अब प्रश्न यह उठता है कि देश के किसी नागरिक को अपनी पसंद का धर्म चुनने की आजादी नहीं होनी चाहिए, या जो व्यक्ति जिस धर्म को मानने वाले परिवार में जन्म ले लिया है उसे जीवन पर्यन्त वही धर्म अपनाना होगा जैसा कि भारत में जन्मा कोई व्यक्ति जीते जी अपनी जाति नहीं बदल सकता।

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए राहुल गांधी ने कहा कि सभी सभी धर्मों और हमारे सभी महापुरुषों ने अहिंसा और निडरता की बात की है। शिव जी कहते हैं डरो मत डराओ मत, वह अहिंसा की बात करते हैं। लेकिन जो लोग अपने आपको हिंदू कहते हैं वो लोग 24 घंटे नफरत की बात, हिंसा की बात करते हैं। राहुल गांधी के दिए भाषा को लेकर भाजपा बेहद आक्रामक रही और उनसे माफी मांगने की बात कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा आज हिंदुओं पर झूठा आरोप लगाने की साजिश हो रही है, और कहा जा है कि हिंदू हिंसक होते है और देश इसे शताब्दियों तक नहीं भूलेगा। ये यही लोग है जिन्होंने हिंदू आतंकवाद जैसे शब्द गढ़ने की कोशिश की, यह देश इसे माफ नहीं करेगा। सदन में यह दृश्य देखकर अब हिंदू समाज को सोचना पड़ेगा कि क्या यह अपमानजनक बयान कोई संयोग है या बड़े प्रयोग की तैयारी है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को उद्धरित करते हुए कहा "मैं उस धर्म से आता हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और वैश्विक स्वीकृति सिखाई परंतु यह कितना दुर्भाग्य पूर्ण है कि उसी सहिष्णु और वैश्विक स्वीकृति वाले देश में प्रधानमंत्री और नेता प्रतिपक्ष हिंदू धर्म को हिंसक कहने और सहिष्णु कहने पर आमने-सामने खड़े हैं।

लगभग दो वर्ष पूर्व जब दिल्ली के शाहीन बाग में सीएए के विरोध में मुसलमानों ने करीब 6 माह तक सड़क जाम किए रखा तब किसी राजनीतिक दल के नेता ने मुसलमानों को हिंसक कहने का साहस नहीं दिखाया। यह सही है कि कुछ अंधभक्त हिंदू राम के नाम पर हिंसा फैला रहे हैं और अपने ही धर्म के दलितों और आदिवासियों को मन्दिर में प्रवेश की अनुमति नहीं देते क्योंकि वे उन्हें हिंदू धर्म का हिस्सा नहीं मानते, पर क्या धर्म के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने वालों के कारण हिंदू धर्म की सहिष्णुता और स्विकारिता पर प्रश्न खड़ा कर सकते है, कैसा दुर्भाग्य है कि जिन लोगों को हमारे देश की आर्थिक प्रगति, किसानो की समस्या, युवाओ की बेरोजगारी कि समस्या को सुलझाने के उपायों पर चर्चा करनी चाहिए वे आपस में नकली और असली हिंदू की बहस पर लड़ रहे है। पर इस देश की जनता सब समझती है और आगे आने वाले चुनावों में किसी भी दल को अब जाति और धर्म के नाम पर वोट नहीं मिलने वाले है अब लोग हिंदू मुस्लिम नहीं बल्कि रोजी, रोटी और विकास के नाम पर मिलेगा।

संभवत :पूरे विश्व में भारत ही ऐसा देश है जहां संसद से लेकर उच्च न्यायपालिका में गरीब, बेरोजगारी, दशकों से न्यायालयों में करोड़ों लंबित मुकदमे और विकास पर विचार करने और उनके सुलझाने हेतु आवश्यक कदम उठाने के बजाय सत्ता पक्ष और विपक्ष धर्म विशेष के सहिष्णु या आक्रमक होने के मुद्दे पर बहस करते हैं और उच्च न्यायालय भी दशकों से लंबित मुकदमो को निपटाने और करोड़ों परिवारों को न्याय दिलाने के बजाय धर्मांतरण जैसे सामाजिक मुद्दों पर अपना फैसला देते है जबकि यह प्रकृति का नियम है कि कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद का धर्म अपना सकता है। आवश्यकता इस बात की है कि देश के सभी लोग पर्याप्त रूप से शिक्षित हो जिससे स्वेच्छा से अपने धर्म का चयन कर सकें, हां जिस दिन देश में व्यक्ति को अपनी इच्छा से अपने कर्म और जाति चुनने की आजादी मिल जाएगी तब देश में सही लोकतंत्र होगा।

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