श्याम कुमार
कल्याण सिंह का बड़ा कमरा आगन्तुकों से भरा हुआ था। अधिकांशतः
विभिन्न जनपदों से आए वे लोग थे, जो 2014 के टिकटार्थी थे। वे अपने
परिचय-विवरण की प्रति साथ लाए थे। कल्याण सिंह उन्हें परामर्ष दे रहे थे कि वे
भाजपा के अन्य नेताओं से मिल लें। जमीनी नेता होने के कारण कल्याण सिंह की विषेशता
है कि वह सभी आगन्तुकों से उनके क्षेत्र की सारी बातों की जानकारी ले लिया करते
हैं। इसी बीच ऐसे क्षण भी आते हैं, जब हंसी-ठहाके गूंज उठते हैं। एक सज्जन अपनी
उम्मीदवारी लेकर आए थे, लेकिन शायद पहले कभी भाजपा में रहे थे, पर अभी पुनः भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं। कल्याण सिंह ने उनसे कहा-‘‘पहले
भाजपा में शामिल तो हो लो, अभी तो मेरे जैसे ही बाहर हो’’। एक पत्रकार बोले
उठे-‘‘उत्तर प्रदेश में भाजपा को षिखर पर आपने ही पहुंचाया, इसलिए आप तो स्वयं भाजपा के पर्याय हैं’’। कुछ समय से कल्याण सिंह बहुत मंद
स्वर में बोलने लगे हैं, जिससे दूर बैठे लोगों को उनकी बात समझने में
कठिनाई होती है।
आजकल कोई भी स्थान हो, कोई भी महफिल हो, मोदी की चर्चा आ ही जाती है। यहां भी मोदी के ‘पहले षौचालय, फिर देवालय’ वाले वाक्य की चर्चा उठी। कल्याण सिंह ने कहा कि मोदी ने वह वाक्य
अलंकारिक ढंग से कहा है, जिसका आशय यह है कि देवालयों की स्थापना तो होनी
चाहिए, लेकिन देश की बहुत बड़ी आबादी को, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल हैं, खुले में षौच जाना पड़ता है, इसलिए हमें पहले षौचालयों की कमी को पूरा कर
लेना चाहिए। एक पत्रकार ने टिप्पणी की-‘‘अलंकारपूर्ण भाशा में सबसे ऊपर तो आप ही
हैं और आप के बाद वेंकैया नायडू कहे जा सकते हैं’’। इस क्रम में कल्याण सिंह ने
कहा-‘‘जो दिमाग से बात कहे, वह ‘डिबेटर’ (वक्ता) होता है और जो दिल से बात
कहे, वह ‘ओरेटर’ (सुवक्ता) होता है’’।
मैंने कल्याण सिंह से पूछा कि उनके भाशणों में अलंकारों का सौंदर्य-बाहुल्य कब
से शुरू हुआ तो उन्होंने बताया कि जब वह इंटर में पढ़ते थे, उस समय उनका
अलंकारों की ओर रुझान बहुत बढ़ा और धीरे-धीरे वह उनके भाशणों का अभिन्न अंग बन गया।
अनुप्रास उनका सबसे प्रिय अलंकार हो गया। अच्छा वक्ता होने के लिए भाशा पर पूर्ण
अधिकार व दिल से बात कहने का गुण आवष्यक है। उन्होंने कहा कि आडवाणी जी महान नेता
हैं और लाखों लोगों की सभाओं को सम्बोधित करते आए हैं। यदि भाशण-कला में उन्हें
अटल जी वाला गुण मिल जाता तो वह और अधिक चमत्कारिक हो जाते। नरेन्द्र मोदी अपनी
तर्कपूर्ण बातें दिल की गहराई से कहते हैं, इसीलिए उनका देशभर
में असर हो रहा है और युवा पीढ़ी उनसे विषेश प्रभावित हो रही है।
मूड में होने पर कल्याण सिंह अपने बारे में रोचक बातें बताते हैं। उन्होंने
बताया कि वह हमेशा पर्याप्त गरम पानी से स्नान करते हैं। यहां तक कि मई-जून की
भीशण गरमी में भी वह ऐसे ही गरम पानी से नहाते हैं। एक और बात उन्होंने यह बताई कि
कई-कई घण्टे भाशण करने के बाद भी उनका गला कभी नहीं बैठता है। एक आष्चर्यजनक बात
यह बताई कि देर तक भाशण करने के तुरंत बाद वह खूब ठंडा पानी पीते हैं तथा इससे
उन्हें कोई नुकसान नहीं होता। सुविधा के लिए वह थरमस में ठण्डा पानी या बरफ साथ ले
जाया करते हैं।
(श्याम कुमार)
सम्पादक, समाचारवार्ता
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