शनिवार, 2 अप्रैल 2016

नवाज शरीफ ने यूं ही रद्द नहीं की अमेरिका यात्रा

 

अवधेश कुमार

तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपनी अमेरिका यात्रा रद्द कर दिया। पाकिस्तान में जब भी कोई आतंकवादी हमला होता है लोगों की सामान्य प्रतिक्रिया यही होती है कि अरे वहां तो ऐसा होता रहता है। लेकिन लाहौर में हुए विस्फोट को आप इस श्रेणी का नहीं मान सकते। स्वयं पाकिस्तान ने इसे किस तरह लिया है इसका प्रमाण है, प्रधानमंत्री शरीफ द्वारा अपनी अमेरिका यात्रा को रद्द करना। ध्यान रखिए वाशिंगटन में परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में भाग लेने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वयं शरीफ को आमंत्रित किया था। इसमें 72 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है तथा 200 से ज्यादा लोगों के घायल होने की। एक तो इतनी संख्या में लोगों का हताहत होना ही इसे बड़ा आतंकवादी विस्फोट साबित कर देता है।  16 दिसंबर 2014 को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने पेशावर के सैनिक स्कूल पर हमला किया था। इसमें 126 बच्चों की मौत हो गई थी। इस हमले के बाद पाकिस्तान ने जिस तरह आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चलाया है उसमें यह हमला साबित करता है कि उस देश के लिए आतंकवाद से निकलना लगभग नामुमकिन जैसा हो गया है। सैनिक स्कूल पर हमले के 13 महीने बाद 20 जनवरी 2016 को पेशावर के पास चरसद्दा की बाचा खान यूनिवर्सिटी में तहरीक-ए-तालिबान ने हमला किया। इस हमले में 21 छात्रोें-शिक्षकों की जान चली गई। वास्तव में बाचा खान विश्वविद्यालय में हमला करके भी आतंकवादियों ने यही संदेश दिया था कि हमारे खिलाफ आपके ऑपरेशन से हमारा अंत नहीं हो सकता। हम ताकतवर थे, हैं और रहेंगे। हालांकि यह सच है जर्ब ए अज्म नामक औपरेशन से वजीरीस्तान में तहरीक ए तालिबान को काफी क्षति पहुंची है। उसके लड़ाके भारी संख्या में मारे गए हैं एवं उसकी आधारभूत संरचनाएं भी नष्ट हुईं हैं, पर वह शक्तिहीन नहीं हुआ है।

 लाहौर का हमला इसलिए ज्यादा चिंता का विषय है कि सामान्यतः पंजाब को तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान के खूनी पंजे से मुक्त माना जाता रहा है। इस हमले की जिम्मेवारी तहरीक ए तालिबान के ही एक उप समूह जमातुल अहरार ने ही लिया है। तालिबान ने पाकिस्तान सरकार को चेतावनी देते हुए जिस तरह प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का मजाक उड़ाया है वह उनके लिए सीधी चुनौती है। पंजाब उनका गृह प्रदेश है तथा वहां उनके भाई मुख्यमंत्री हैं। जमातुल अहरार ने कहा है कि लाहौर में हमला कर उसने सरकार को पंजाब पहुंचने का संदेश दे दिया है। अहरार के प्रवक्ता ने ट्वीट कर कहा है कि नवाज शरीफ को जानना चाहिए कि लड़ाई उनके दरवाजे तक पहुंच चुकी है। अल्लाह की इच्छा है कि इस युद्ध में मुजाहिदीन की जीत हो। इस प्रकार की चुनौती अगर आतंकवादी संगठन ने दिया है तो फिर प्रधानमंत्री और पूरे सत्ता प्रतिष्ठान को इसे गंभीरता से लेना ही चाहिए। अगर नहीं लेंगे तो माना जाएगा उन्होंने आतंकवाद के सामने घुटने टेक दिए। उसने फेसबुक पर उर्दू में एक पोस्ट करते हुए आत्मघाती हमलावर की तस्वीर भी जारी की है। उसकी पहचान सलाहुद्दीन खोरसानी के तौर पर की गई है। वास्तव में जमातुल अहरार ने साफ तौर शरीफ को संदेश दिया कि हम आपके दरवाजे पर पहुंच गए हैं। इस तरह पूरी सरकार को चुनौती है कि हम पंजाब में खून खराबा करने आ गए हैं आप रोक सकें तो रोक लीजिए।

हालांकि यह हमला ईस्टर का त्योहार मनाने जुटे ईसाइयों पर हुआ। लाहौर शहर के बीचों-बीच गुलशन-ए-इकबाल पार्क के अंदर झूले के पास 20 वर्षीय खोरसानी ने खुद को उड़ा लिया था। इस धमाके में कम से कम 10 से 15 किलोग्राम विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ है। मरने वालों में इन्हीं की तादाद अधिक है। गुलशन-ए-इकबाल लाहौर का सबसे बड़ा पार्क है। इसमें बोटिंग भी होती है। पार्क के पांच गेट हैं। आतंकी गेट नंबर 2 से घुसा। इस गेट के पास ज्यादातर झूले हैं, इसलिए महिलाएं और बच्चे काफी तादाद में मौजूद थे। ईस्टर का मौका होने के कारण पार्क में सामान्य से ज्यादा लोग जमा हुए थे। हमले के वक्त 3 से 5 हजार लोग मौजूद थे। इनमें से अधिकतर ईसाई समुदाय के लोग थे। पार्क के अंदर और आसपास कोई सुरक्षाकर्मी मौजूद नहीं था। हमले के बाद बचाव अधिकारी और पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे। देखा जाए तो इस हमले को पाकिस्तान में ईस्टर मनाने के विरुद्ध माना जा सकता है। दूसरे शब्दों में यह ईसाइयों पर हमला कहा जा सकता है। वहां के आतंकवादी संगठन अल्पसंख्यकों को कई प्रकार से उत्पीड़ित करते हैं। इनमें ईसाई, हिन्दू और सिख ही नहीं मुसलमानों मंे भी अहमदिया, शिया आदि शामिल हैं।

ये जिस तरह के जेहाद की कल्पना करते हैं उनमें इस्लाम का केवल एक ही स्वरुप सब पर लागू होता है। उसके अलावा कोई भी विचार, उपासना पद्धत्ति......ही नहीं, रहन-सहन, बोलचाल, खानपान तक इन्हें स्वीकार नहीं। इन सबको वो इस्लाम विरोधी मानते हैं। इसलिए ईसाइयों के पवित्र त्यौहार के अवसर पर उनका हमला हमें चौंकाता नहीं हैं। वे शत-प्रतिशत शरिया के अनुसार शासन चाहते हैं। नवाज शरीफ की चिंता इसलिए है, क्योंकि कुछ दूसरे संगठन तो यहां सक्रिय थे जिनमें से अधिकांश का निशाना पाकिस्तान नहीं था। पाकिस्तान में दो तरह के आतंकवादी गुट हैं। एक वो हैं जो भारत में हमले करते हैं और उनकी पूरी तैयारी भारत केन्द्रित हैं। इनमें लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और ऐसे दूसरे संगठन है। लेकिन तहरीके ए तालिबान पाकिस्तान और उसके बनाए गए दूसरे समूह पाकिस्तान में ही हमला करते हैं और वहां की पुलिस, सेना और अन्य सरकारी संस्थाओं को ज्यादा निशाना बनाते हैं।हालांकि राजनीतिक हत्याएं वहां हुईं हैं जिनकी जिम्मेवारी लश्कर ए झांगवी जैसे संगठन ने लिया। कुछ हमले भी हुए। खासकर 2 नवंबर 2014 को बाघा सीमा पर बहुत बड़ा आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 50 से ज्यादा लोग मारे गए थे। यह उस समय तक का सबसे बड़ा हमला था। इसकी जिम्मेवारी जुनदुल्लाह और जमातुल अहरार नामक संगठन ने लिया था।  तो जमातुल अहरार पहले से वहां सक्रिय है। शायद उस समय यह साफ नहीं था कि वह तहरीक ए तालिबान से जुड़ा हुआ है। जो भी हो लगातार हमलों से शरीफ पंजाब को बनाए रखने में सफल रहे थे।

अगर तहरीक ए तालिबान पंजाब में प्रवेश कर गया है और यहां सीधे सुरक्षा बलों से लड़ने की जगह वह इस तरह आत्मघाती हमलावरांे से हमले करवाएगा तो फिर पाकिस्तान नष्ट हो जाएगा। केवल लोग ही हताहत नहीं होंगे, इससे पाकिस्तान की पूरी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। जो कुछ आर्थिक गतिविधयां पाकिस्तान को बचाए हुए है उसका बड़ा अंश पंजाब में ही सीमित है। वजीरिस्तान क्षेत्र में कोई आर्थिक गतिविधि नहीं। बलूचिस्तान में विद्रोह चल रहा है। सिंध जल रहा है। तो कुल मिलाकर पंजाब ही वह क्षेत्र है जो पाकिस्तान की आर्थिक गतिविधियों का आधार है। अगर यहां तहरीके को आतंकवादी हमलों से रोका नहीं गया तो फिर पाकिस्तान को बचाना मुश्किल होगा। इसलिए तीन दिनों की शोक के साथ नवाज शरीफ ने अपनी अमेरिका यात्रा रद्द कर पाकिस्तान में ही रहना मुनासिब समझा ताकि वो स्वयं सुरक्षा कार्रवाई की मौनिटरिंग कर सकें।

निस्संदेह, यह कहना गलत नहीं है कि पाकिस्तान तो अपने बनाए जाल में फंस गया है। यह सच है कि उसने एक ओर कश्मीर में आग लगाने तथा दूसरी ओर अफगानिस्तान पर अपना वर्चस्व बनाए रखने के लिए मुजाहिद्दीन तैयार किए, उनको हर संभव मदद की, उन्हें हीरो बनाया .....आज वही ंउसके लिए भस्मासुर बन गए हैं। लेकिन अगर पाकिस्तान को आतंकवादियों ने पराजित कर दिया तो कल्पना करिए हमारे आपके लिए क्या स्थिति होगी। हमारे पड़ोस का एक देश जहां भारत विरोधी जेहाद के बीच ही नहीं पेड़ पौधे तक मौजूद हैं, अगर पूरी तरह आतंकवाद के शिकंजे में आ गया तो हमारे लिए भी सामान्य सिरदर्द नहीं होगा। पंजाब वैसे भी हमारी सीमा से सीधे लगता है। इसलिए पाकिस्तान में आतंकवाद की पराजय हमारे लिए, पूरे क्षेत्र और फिर पूरी दुनिया के लिए आवश्यक है। यह देखना है शरीफ वहां रुककर क्या रणनीति अपनाते हैं। अमेरिका भी पाकिस्तान की स्थिति को समझता है और आतंकवाद का शमन उसके हित में भी है। इसलिए नवाज शरीफ के वहां न जाने को अन्यथा नहीं ले सकता।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027028

 

 

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