नई दिल्ली। सोमवार के दिल्ली के लाल किले के पास
हुए कार विस्फोट ने कई जिंदगियों को तबाह कर दिया है। इन्हीं में से एक कहानी बुलंद मस्जिद, शास्त्री पार्क
निवासी 35 वर्ष के मोहम्मद जुम्मन की, जो ई-रिक्शा चलाते थे और
सोमवार शाम से गायब थे। इनके परिवार ने उन्हें हर जगह तलाशा और अंत में उनकी
पहचान क्षत-विक्षत शव के रूप में हुई।
शास्त्री पार्क इलाके में रहने वाला जुम्मन
लाल किले के आसपास ई-रिक्शा चलाता था। हादसे वाले दिन वह भी
ब्लास्ट हुई कार के पास मौजूद थे, जिस कारण उनका शव टुकड़ों में सड़क पर फैल गया।
जुम्मन के परिजन रो-रोकर LNJP के बाहर उसे खोज रहे थे, लेकिन काफी समय
तक उसे कुछ पता नहीं चला। इस बीच नीले कलर की जैकेट से उसकी पहचान हुई। शव की
हालत देख परिजनों के होश उड़ गए। शव कई टुकड़ों में था।
मोहम्मद चांद और नजमा खातून को अपने भाई मोहम्मद जुम्मन की बेचैनी से तलाश करते हुए रहे पर उनको किसी भी तरह से उनकी खबर नहीं मिल रही थी। 12 घंटे से ज्यादा
बीत चुके था। उनकी चिंता जायज़ है: जुम्मन की आखिरी
लोकेशन वही जगह है जहां लाल किले के पास कार ब्लास्ट हुआ।
ई-रिक्शा चालक जुम्मन के भाई
मोहम्मद चांद ने बताया कि जब विस्फोट स्थल पर उसके रिक्शे का जीपीएस बंद हो गया,
तो परिवार चिंता में पड़ गया।
उन्होंने रात भर
अस्पतालों में खोजबीन की और पुलिस द्वारा उनकी मौत की पुष्टि होने से पहले
गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई। परिवार को उनका शव इतनी बुरी तरह क्षत-विक्षत
अवस्था में मिला कि उनकी पहचान करना मुश्किल था।
जुम्मन की पत्नी शारीरिक
रूप से अक्षम हैं, वे अपने परिवार
और तीन बच्चों का पालन-पोषण अपनी मेहनत की दिहाड़ी से कर रहे थे। परिवार वालों का कहना
है कि सरकार उनकी पत्नी व परिवार की मदद करे क्योंकि वे परिवार की आय का एकमात्र
स्रोत थे, जो अब इस दुनिया को
अलविदा कह चुके हैं।
