शुक्रवार, 2 अगस्त 2024

क्या संसद में जाति और धर्म के नाम पर तू -तू 'मैं-मैं उचित है

बसंत कुमार
अपने आप को विश्व गुरु मानने वाले देश मे, जहाँ अर्थशास्त्र के जानकार इसे विश्व की पांचवी आर्थिक महाशक्ति के रूप मे देखते है और और आने वाले समय मे हम अपने आप को विश्व की आर्थिक महाशक्ति के रूप मे स्थापित करने मे सफल होंगे पर इस सप्ताह देश की संसद मे देश के पूर्व सूचना प्रसारण मंत्री और राज्यसभा के सभापति और एक सांसद घनश्याम तिवारी ने अपनी अपनी जाति के कसीदे पढ़े उससे तो ऐसा लगता है कि यह देश एक आर्थिक महाशक्ति बनने के बजाय विभिन्न जातियों और धर्मो मे बटा एक जमीन का टुकडा रह जायेगा और इसकी देश के लिए मर मिटने की भावना और इसकी सांस्कृतिक विरासत बीते जमाने की बात हो जायेगी! 
 पहली घटना यह हुई कि इसी सप्ताह राज्य सभा की कार्यवाही का संचालन करते हुए देश के उप राष्ट्रपति और राज्य सभा के  सभापति जगदीप धनकड़ को यह टिप्पड़ी करनी पड़ी कि मुझे अपने जाट होने पर गर्व है और जाट राजस्थान और केंद्रीय सूची मे ओ बी सी सूची मे आते है! सदन मे यह वाकया तब हुआ जब बजट पर चर्चा करते हुए भाजपा के सांसद घनश्याम तिवारी ने दूसरे दलों द्वारा जाति पर आधारित जनगडना की मांग पर एक उदाहरण पेश किया और कहा कि जब संसद का संयुक्त अधिवेशन करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जो एक आदिवासी है, सबसे आगे चल रही थी और उप राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ जो जाट (OBC) समुदाय से आते है, उनके पीछे पीछे चल रहे थे और मै एक कुलीन ब्राह्मण उनकी आरती उतार रहा था!
आखिर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद जिसके संचालन मे प्रति मिनट लाखो रुपये का खर्च आता है वहा देश के विकास, बढ़ती हुई रोजगारी और बढ़ती हुई महगाई पर चर्चा होने के बजाय जाति और किसकी जाति ऊँची और किसकी जाति नीची की चर्चा होती रहती है और यह चर्चा संसद के उच्च सदन राज्यसभा मे हो रही थी जिसे उन बुद्धिजीवियों का सदन कहा जाता था जो चुनाव नही लड़ना चाहते , पर यदि वहा भी उची जाति और नीची जाति की चर्चा होती है तो इस सदन को समाप्त करना ही बेहतर होगा!

जब बुद्धिजीवियों का सदन कहे जाने वाले राज्यसभा मे इस स्तर की चर्चा हो रही है तो लोकसभा मे चर्चा का स्तर क्या हो सकता है! मोदी 3 सरकार मे सूचना और प्रसारण मंत्री के पद से ड्रॉप किये गये अनुराग ठाकुर ने नेता विपक्ष राहुल गाँधी पर तंज कसते हुए कहा कि आज कल कुछ लोगो को जाति गत जनगड़ना का भूत सवार है जबकि उनको अपनी ही जाति का ही नही पता है, अब प्रश्न यह उठता है कि क्या सदन के अंदर किसी की जाति के बारे मे नही पूछा जाना चाहिए! वैसे भी सदन के बाहर उनका नारा "देश के इन गद्दारो को- गोली मारो---को बड़ा विवादित हुआ था और शायद उनको मोदीजी के मन्त्रिमंडल मे उन्हे जगह न मिलने का कारण बना था, एक अन्य चर्चा मे उन्होंने विपक्ष से यह पूछा था कि ये बताये कि संविधान मे कितने पन्ने है, तो उन्हे याद दिलाया जाना चाहिए कि यदि उन्होंने भारतीय संविधान को स्वयम पढ़ा होता तो बी सी सी आई के अध्यक्ष के रूप मे सर्वोच्च न्यायालय मे गलत हलफनामा देने के कारण सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उन्हे पद से हटाया नही गया होता, वे माननीय प्रेम कुमार धूमल जी के सुपुत्र होने के साथ साथ भाजपा के युवा मोर्चा के दो बार अध्यक्ष रहे है तो उनसे सदन मे और सदन के बाहर अच्छे आचरण की उम्मीद की जानी चाहिए! भाजपा अटलजी, अडवाणी जी द्वारा पुष्पित व पल्लवित पार्टी है और उनके जमाने मे विपक्षियों के लिए भी  संयमित और मर्यादित भाषा का प्रयोग होता था!
वैसे भी श्री ठाकुर को प्राचीन भारत की वैदिक संस्कृति का ज्ञान होता तो शायद ही वो किसी व्यक्ति की जाति के बारे मे सार्वजनिक रूप से न पूछते! वैदिक काल मे लोगो का कर्म उनकी जाति तय करता था तो फिर प जवाहर लाल नेहरू के नवासे और इंदिरा गाँधी के पुत्र राजीव गाँधी का पुत्र हिंदू क्यो नही हो सकता और वैसे भी वैदिक संस्कृति की मान्यता के अनुसार सिंधु ( हिंद) क्षेत्र मे जन्म लेने वाला हर व्यक्ति हिंदू है और देश मे प्रचिलित अनेक पूजा पद्धतियों मे से वह जिसे अपनाता है उससे उसके पंथ का निर्धारण होता है!
इस देश का दुर्भाग्य है कि मीडिया मे उच्च वर्ग के लोगो का एकाधिकार है और ये लोग पिछड़ी एवम वंचित (महा दलित) समुदाय के लोगो के प्रति विशेष प्रकार का पूर्वाग्रह रखते है, ऐसा ही पूर्वाग्रह प्रधानमन्त्री जी के मंत्रिमंडल के गठन के दिन देखने को मिला! लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के पश्चात् मंत्रिमंडल के गठन हेतु प्रधानमन्त्री जी के यहा से संभावित मन्त्रियो को बुलावा आया और इन लोगो मे बिहार के पूर्व मुख्यमन्त्री जीतन राम मांझी भी थे जो बिहार निवास से तैयार होकर प्रधानमन्त्री आवास की ओर जा रहे थे, मीडिया पर  उनको करते हुए एक नामी गिरामी चैनल के रिपोर्टर ने कहा कि आज मांझी जी नया कुर्ता पहने है, उस मनुवादी पूर्वाग्रही पत्रकार को यह नही पता था कि मुसहर समुदाय मे जन्मे जीतन राम मांझी ने 1966 मे स्नातक की परीक्षा पास की थी और 1980 से लगातार विधायक, मंत्री और मुख्यमन्त्री रहे है तो क्या उनके पास एक अच्छा कुर्ता नही होता जो प्रधानमन्त्री जी से मिलने के लिए एक नया कुर्ता सिलवाते!  क्या वो पत्रकार महोदय नये कुर्ते की बात श्री राजनाथ सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत अन्य सवर्ण नेताओ के बारे मे कह सकते थे! पर यह भारत देश है जहा जाति के नाम पर कुछ भि कह दिया जाए वह क्षम्य है! इसी कारण राजवाड़े परिवार मे जन्मे अनुराग ठाकुर उस व्यक्ति को उसकी जाति के बारे मे याद दिला रहे थे जो 15 वर्षो से सांसद है और नेता विपक्ष है और जो ठाकुर की तरह मनुवादी जाति व्यवस्था मे विश्वास नही करते और खुले विचारों के साथ भिन्न जातियों और धर्मो के लोगो से शादी और विवाह का रिश्ता रखते है!
यह सही है कि जाति और गोत्र हमारी सनातनी संस्कृति की अभिन्न अंग है और शादी या अन्य संसकारो मे अपनी जाति व गोत्र के अनुसार सब कुछ करने की स्वतंत्रता है और हम किसी से मिलने पर उसकी जाति जानने के इक्षुक रहते है और जाति हमारे लिए इतनी आवश्यक् है कि व्यक्ति के जन्म से लेकर मरण तक की सभी क्रियाएँ बगैर जाति की जानकारी के पूरी नही हो पाती, यहाँ तक कि मुर्दा घरों मे मुर्दो का विवरण तैयार करते समय मुर्दे की जाति का कालम भरना आवश्यक होता है! यदि लोगो की जाति का जानना इतना ही आवश्यक है तो फिर जातिगत जनगडना करा लेने मे बुराई ही क्या है, जब देश मे जातिगत जनगड़ना हो जायेगी तो सबकी जाति खुली होगी और किसी ढाबे वाले, होटल वाले या ठेले वाले को अपनी दुकान पर अपनी नाम और जाति का नेम प्लेट नही लगाना पड़ेगा! अब हम 21 वी शदी मे प्रवेश कर चुके है और पुरे विश्व से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार है तो कम से कम सदन मे जाति और धर्म की बाते नही की जानी चाहिए और और राष्ट्र प्रमुख को महामहिम की तरह सम्मान दे और न कि राज्य सभा सांसद घनश्याम तिवारी की तरह उन्हे आदिवासी नेता की तरह समझे!
देश मे कुछ लोगो को अपने उच्च जाति मे जन्म लेने पर विशेष गर्व होता है जब कि इस घमंड के कारण मे इनका कोई और निम्न जाति या वर्ग मे पैदा हुए लोगो को सदैव हेय दृष्टि  से देखा जाता है ऐसे मे एक समृद्ध राष्ट्र की कल्पना करना व्यर्थ है और देश को धर्म और जाति के आधार पर बिखरने से कोई नहीं रोक सकता और इसे तभी रोका जा सकता हैं जब सत्ता मे बैठे लोग वोट के लिए धर्म और जाति के आधार पर समाज को बांटने की जगह एक विकसित और समृद्ध राष्ट्र का निर्माण करे!
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