शुक्रवार, 19 मई 2023

जिम के नाम पर पार्काें का विनाश

श्याम कुमार

शहरों में हरियाली से भरे पार्क फेफड़ों का काम करते हैं, क्योंकि उस हरियाली से क्षेत्र के लोगों को ऑक्सीजन मिलती है तथा इलाके में प्रदूशण कम होता है। लेकिन आजादी के बाद दीर्घकालीन कांग्रेसी षासन में नलकूप आदि लगाकर पार्काें की हरियाली को विनश्ट किया गया। तमाम अच्छे-भले आकर्शक पार्क उजाड़ दिए गए। जलापूर्ति के लिए पार्काें में नलकूप आदि लगाने के बजाय अन्यत्र जगहें तलाष की जानी चाहिए थीं तथा अन्य उपायों का सहारा लिया जाना चाहिए था। अब एक नया फितूर पार्काें में जिम लगाए जाने के नाम पर सामने आया है। इसके परिणामस्वरूप हमारे पार्क हरियाली से परिपूर्ण पार्काें के बजाय अब ‘जिम पार्क’ का रूप ले लेंगे। यह कुकृत्य इस बात का भी ज्वलंत उदाहरण है कि अहंकार में चूर हमारी अफसरषाही षासन को बरगलाकर टैक्स के रूप में जनता से प्राप्त हुए धन की किस प्रकार बरबादी करती है!
       अफसरषाही द्वारा सरकार को बरगलाकर षहरों के पार्काें को ‘जिम पार्क’ में बदल देने की जो योजना इस समय कार्यान्वित की जा रही है, उससे पार्काें में हरियाली को तो क्षति पहुंचेगी ही, पार्काें में जिम की कसरतें करने के लिए षोहदों को इकट्ठा होने का अवसर भी मिल जाएगा। इस समय जो प्राइवेट जिमों का प्रचलन है, उनमें भारी षुल्क देकर लोग षरीर को हश्टपुश्ट रखने के उद्देष्य से जाते हैं। उनमें षुल्क दे सकने वाले वे षोहदे भी होते हैं, जो अपने हश्टपुश्ट षरीर से लड़कियों को रिझाने में समय लगाया करते हैं। लेकिन पार्काें में लगे जिम-उपकरणों के निःषुल्क इस्तेमाल की सुविधा हो जाएगी तो वहां अधिकतर गुंडेषोहदों का ही वर्चस्व हो जाएगा। अभी पार्काें में जो स्त्री-पुरुश टहलने जाते हैं, उनके सामने गंभीर समस्या उत्पन्न हो जाएगी। वहां उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होगी। थानों की पुलिस का यह हाल है कि जब से जहां भी पुलिस आयुक्त प्रणाली लागू हुई है, वहां पुलिस में सुनवाई और भी मुष्किल हो गई है तथा पुलिस का रूप बिलकुल बेलगाम हो गया है। पुलिस अधिकारी भी अफसरी अंदाज में डूबे रहते हैं।  
     गत 17 मार्च को सवेरे नौ बजे के लगभग अचानक कुछ लोग हमारी डायमंडडेरी कॉलोनी में आए और यहां स्थित नेताजी सुभाश पार्क में लगे हुए पेड़ों को उखाड़ने लगे। चूंकि मैं डायमंडडेरी कॉलोनी कल्याण समिति का अध्यक्ष हूं, इसलिए कॉलोनी के लोग भागे हुए मेरे पास आए और मुझे वहां ले गए। वहां मैंने पार्क में लगे पेड़ों को नश्ट किए जाने का विरोध किया। जो लोग पेड़ उखाड़ रहे थे, उनका मुखिया एक युवक सरदार था, जिसने बताया कि उसकी कंपनी को लखनऊ नगर निगम ने षहर के पार्काें में जिम बनाने के लिए ठेका दिया है, इसलिए वे लोग जिम के चौदह बड़े उपकरण लगाने के वास्ते पार्क के पेड़ों को हटाकर वहां जिम हेतु जमीन बना रहे हैं। जब उन्होंने जिद पकड़ ली कि उन्हें जिम के लिए जगह बनानी ही है तो मैंने उन्हें पार्क में कुछ ऐसी जगहें दिखा दीं, जहां वे अपने उपकरणों को लगा सकेंगे। उसके बाद मैं विधानसभा व लोकभवन चला गया और जब वहां से लौटा तो देखा कि उन लोगों ने किसी की नहीं सुनी तथा अपने अनुसार पार्क में तमाम जगह पेड़ों को नुकसान पहुंचाते हुए जिम के उपकरण लगाने के उद्देष्य से छोटे-छोटे प्लेटफॉर्म बना दिए हैं। जहां प्लेटफॉर्म बना दिए गए हैं, वहां पर पेड़ लगाने के लिए मैं अनगिनत पत्र लिखकर लखनऊ नगर निगम, उत्तर प्रदेष उद्यान निदेषालय एवं वन विभाग से अनुरोध कर चुका हूं। किन्तु नए पेड़ तो लगाए नहीं गए, जिम के नाम पर पार्क में वर्तमान हरियाली को भी नश्ट करने का कुत्सित कदम उठाया गया। अभी तो मौजूदा पेड़ों को ही क्षति पहुंचाई गई है, जब सारे उपकरण लग जाएंगे तो यह पार्क हरियाली से भरा हुआ पार्क लगने के बजाय मात्र ‘जिम पार्क’ होकर रह जाएगा। पार्क में लोगों के टहलने के लिए जो भ्रमणपथ(पाथवे) बना हुआ है, वह भी निरर्थक हो जाएगा।
       षहर के पार्काें में जिम-उपकरण लगाने की योजना भले ही अच्छे उद्देष्य से बनाई गई हो, लेकिन उस योजना के दुश्परिणामों पर बिलकुल विचार नहीं किया गया है। आष्चर्य नहीं कि उक्त योजना के पीछे लूटखसोट एवं कमीषनखोरी की भावना निहित हो। बाद में जब इस योजना के कार्यान्वय की जांच होगी तो उसका हश्र भी वैसा ही होगा, जैसा अब तक हुई तमाम भ्रश्ट योजनाओं की जांच का हुआ है। जो लोग भ्रश्टाचार से मालामाल हो चुके होंगे, वे मूंछों पर ताव देते हुए निर्द्वंद घूमते रहेंगे।
    उपर्युक्त जिम-योजना के बजाय पार्काें में योगासन सिखाए जाने से योजना बनाई जानी चाहिए। योगासन में षोहदों-गुंडों की रुचि नहीं हुआ करती है तथा पार्काें में यदि योगासन-केंद्र बनाए जाते हैं तो उनमें वही लोग आएंगे, जो अपने षरीर को स्वस्थ रखना चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के सत्तासीन होने के बाद हमारी जिन प्राचीन विद्याओं को बढ़ावा दिया गया है, उनमें आयुर्वेद, योगासन आदि भी हैं। बाबा रामदेव ने योगासन की जिस विलुप्त होती जा रही प्राचीन विद्या का पुनर्जागरण किया था, उसे मोदी सरकार ने बहुत बढ़ावा दिया। योगासन के प्रति लोगों में बचपन से ही रुचि पैदा की जानी चाहिए। इसी से मैं अनेक वर्शाें से यह मांग कर रहा हूं कि हमारी षिक्षण-संस्थाओं में योगासन को अनिवार्य किया जाना चाहिए। जितना भारीभरकम खर्च जिम के महंगे उपकरणों को लगाने में किया जा रहा है, उतने खर्च पर योगासन के योग्य प्रषिक्षकों की व्यवस्था की जा सकती थी।
    डायमंडडेरी कॉलोनी कल्याण समिति की मांग है कि कॉलोनी के नेताजी सुभाश पार्क में जिम के लिए बनाए गए प्लेटफॉर्माें को तत्काल हटाकर वहां पेड़ लगाए जाएं तथा पार्क में योगासन सिखाने की व्यवस्था की जाय। केवल डायमंडडेरी कॉलोनी के पार्क में ही नहीं, अन्य समस्त पार्काें में भी जिम खोलने के बजाय योगासन सिखाने की व्यवस्था की जानी चाहिए। इस रूप में एक प्रकार से योगासन-क्रांति की षुरुआत हो जाएगी तथा क्षेत्रवासियों को अपने षरीर को स्वस्थ रखने का अवसर मिल जाएगा। योगासन ऐसी विधा है, जिससे षरीर स्वस्थ रहता है तथा बीमार पड़ने की संभावना कम हो जाती है।



                                                        (ष्याम कुमार)
                                                            सम्पादक, समाचारवार्ता
                                                          ईडी-33 वीरसावरकर नगर
                                                        (डायमन्डडेरी), उदयगंज, लखनऊ।
                                                     मोबा0-9415002458, 7905405266
                                                              ईमेलः ोीलंउण्रवनतदंसपेज/हउंपसण्बवउ
                                         दिनांकः 19 मई, 2023     

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