बुधवार, 20 मई 2020

डेसू मजदूर संघ ने श्रम कानून में बदलाव का विरोध किया

संवाददाता

नई दिल्ली। हाल ही कई राज्यों की सरकारों ने श्रम कानून में बदलाव किए हैं।  इनमें मजदूरों के काम के घंटों को बढ़ाया गया है। इसी को लेकर डेसू मजदूर संघ ने इस नए कानून का विरोध किया।
क्या है नया कानून-नए श्रम कानून संशोधन-2020 में हुए संशोधन के बाद अब यूपी समेत 7 बीजेपी शासित राज्यों में यह कानून लागू कर दिया जाएगा। इस कानून में काम करने के घंटों को 8 की जगह 12 घंटे कर दिया गया है लेकिन यहां सरकार ने कहा है कि 12 घंटे का काम किसी भी वर्कर की उसकी खुद की इच्छा पर निर्भर करेगा। 
इसके अलावा इस कानून के बाद नौकरी पर रखने वाले लोगों को हटाने, काम के दौरान हादसे का शिकार होने और समय पर पगार देने जैसे नियमों को छोड़ कर बाकी सभी नियमों को तीन साल के लिए आगे बढ़ा दिया गया है।
डेसू मजदूर संघ के अध्यक्ष किशन यादव का कहना है कि यह श्रमिकों के मौलिक अधिकारों का हनन है और इस नए संशोधन द्वारा श्रमिक कानून को कमजोर बना दिया गया है।
उन्होंने आगे कहा है कि कोरोना संकट के बीच जहां मजदूरों के लिए सरकार को काम करना चाहिए था तो वहीं नया श्रमिक कानून बना कर मजदूरों की जिंदगी को खतरे में डाला जा रहा है। लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों की दशा पहले ही दयनीय है उसे और दुखद बनाया जा रहा है।
इस कानून का डेसू मजदूर संघ के अध्यक्ष किशन यादव, महामंत्री सुभाष चंद्र, अब्दुल रज्जाक, ऋषि पाल, सुभाष, शक्ति, सभाजीत पाल आदि मजदूरों ने इस कानून का विरोध किया।
 









 

 

 
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