शनिवार, 25 मई 2019

जातीय- सांप्रदायिक अनैतिक गठबंधनकों का नकार

 अवधेश कुमार

चुनाव परिणाम में विपक्ष की पराजय केवल उनके लिए हैरतभरा है जिन्हें जमीनी वास्तविकता का अहसास नहीं था। चुनाव की घोषणा के समय से ही साफ था कि विपक्ष नेतृत्व और उसकी विश्वसनीयता, अंकगणित, चुनाव के दौरान निर्मित माहौल, जनता की भावनाओं से जुड़े मुद्दे तथा समग्र जनसमर्थन आधार में काफी पीछे है। अपनी अदूरदर्शिता तथा जमीनी पकड़ न होने के कारण वे इस मुगालते में रहे कि जिस तरह मोदी सरकार को वे विफल करार दे रहे हैं वैसे ही जनता भी मानती है।  यही वो मनोविज्ञान था जिसमें ज्यादातर दल और उनके नेता यह मान बैठे कि वो गठबंधन कर लें तो ज्यादा मत और सीटे पा लेंगे तथा नरेन्द्र मोदी को सत्ता से उखाड़ फेंकने में सफल होंगे। हालांकि इस बात पर सभी एकमत थे कि मोदी को हराना है किंतु ज्यादातर यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि कांग्रेस आगे न बढ़े एवं उनकी सीटें इतनी आए जिससे सत्ता में उनकी दावेदारी प्रबल हो। इस संकुचित स्वार्थ की मानसिकता के रहते मोदी जैसे व्यक्तित्व एवं भाजपा सहित राजग के सशक्त गठबंधन से इनके जनाधार वाले क्षेत्रों में पराजित करने सदृश मुकाबला संभव ही नहीं था। जहां गठबंधन सशक्त माना गया मसलन उत्तर प्रदेश, उसका हस्र भी सामने है।

 द्रमुक तथा एक हद तक बीजद को छोड़कर सबकी दुर्दशा इनके लिए बिल्कुल अनपेक्षित है। कारण, ये इस बात को लेकर आश्वस्त थे कि 23 मई के साथ केन्द्रीय सत्ता में उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित है। इस नाते परिणाम पूरे विपक्ष के लिए सन्निपात जैसा है। अगर उत्तर प्रदेश में दो प्रमुख तथा एक अपने क्षेत्र में निश्चित जनाधार रखने वाले दल मिलकर भाजपा को नेस्तनाबूद करने में सफल नहीं हुए तो यह सामान्य घटना नहीं है। उल्टे भाजपा का प्रदर्शन 2014 के आसपास का है। बसपा-सपा के उम्मीदवार न उतारने के बावजूद अमेठी से राहुल गांधी की पराजय से बड़ा उदाहरण विपक्ष की दुर्बलता और अलोकप्रियता का कुछ नहीं हो सकता। जो कांग्रेस छः महीना पहले राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा को हराने में सफल हुई थी उसे जनता ने वहां ही नकार दिया। जो ममता बनर्जी और उनके बाद चन्द्रबाबू नायडू विपक्षी एकता के लिए सबसे ज्यादा चहलकदमी कर रहे थे उनका हस्र भी सामने है। आप का दिल्ली और पंजाब से सफाया भी बहुत कुछ कहता है। जाहिर है, इसके कारण गहरे और बहुआयामी होंगे।

विपक्षी एकता का सिद्धांत और उसके लिए अपना स्वार्थ त्यागकर एकजुट होने में जमीन आसमान का अंतर था। पहले विपक्षी एकता का सूत्रधार बनी ममता ने कांग्रेस से प. बंगाल में गठबंधन करना मुनासिब नहीं समझा तो चन्द्रबाबू नायडू ने आंध्रप्रदेश में। ध्यान रखिए, नायडू ने तेलांगना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था। बसपा-सपा ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए केवल दो सीटें छोड़ीं। वैसे परिणाम बता रहे हैं कि अगर गठबंधन हो जाता तो भी राष्ट्रीय स्तर पर इनकी दशा ज्यादा नहीं बदलती। तथाकथित यूपीए केवल 66 लोकसभा सीट एवं 23 प्रतिशत मत के साथ चुनाव मैदान में उतरा। तथाकथित इसलिए कि कांग्रेस के साथ बिहार, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में जो गठबंधन हुआ उसका अखिल भारतीय स्वरुप नहीं था। इसके समानांतर मोदी के नेतृत्व में राजग का अखिल भारतीय स्वरुप था तथा यह 350 सीटें एवं 41 प्रतिशत मत के साथ उतरा। इतना बड़े अंतर को पाटना तभी संभव होता जब मोदी सरकार के विरुद्ध व्यापक जन असंतोष हो तथा इनके पक्ष में लहर। क्षेत्रीय दलों की सबसे बड़ी चुनौती उत्तर प्रदेश एवं तमिलनाडु में थी। किंतु इनमें उत्तर प्रदेश का गठबंधन केवल जातीय-सांप्रदायिक समीकरणों को ध्यान में रखकर बना था जो मोदी की जातीय सीमाओं से परे लोकप्रियता की धारा को रोक नहीं सकता था। तमिलनाडु गठबंधन राज्य तक सीमित था। बिहार का गठबंधन भी केवल जातीय समीकरणो को ध्यान में रखकर निर्मित हुआ था। यहां भाजपा, जद यू और लोजपा का गठबंधन नेतृत्व, मुद्दे, विचार एवं अंकगणित तीनों मामले में सशक्त था। दोनों गठबंधनों में करीब 21 प्रतिशत मतों का अंतर था जिसे पाटने के लिए पक्ष और विपक्ष में लहर चाहिए। ऐसी लहर आपस में लड़ने वाले दलों के मोदी के खिलाफ गठबंधन करने से नहीं हो सकता यह चुनाव परिणाम ने प्रमाणित कर दिया है।  

 ये सारे दल भूल गए कि मोदी राजनीति में दीर्घकालीन तूफान की तरह आया है जिसके साथ कुछ निश्चित जनाकर्षक विशेषतायें, विचारधारा तथा जनता को आलोड़ित करने वाले कदमों का समुच्चय है। राहुल गांधी ने राफेल में भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर चौकीदार चोर का नारा लगाना आरंभ किया। राजस्थान, मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की विजय का प्रमुख कारण अनुसूचित जाति-जनजाति कानून में उच्चतम न्यायालय में किए गए संशोधन को संसद द्वारा निरस्त करना था। कांग्रेस भूल गई कि मध्यप्रदेश में भाजपा को उससे केवल पांच सीटें कम मिलीं थी और मत थोड़ा ज्यादा। राजस्थान में भी मतों के मामले में भाजपा थोड़ा ही पीछे थी। लोकसभा क्षेत्रों के अनुसार भाजपा की बड़ी पराजय नहीं थी। विधानसभा चुनाव में लोगों को प्रधानमंत्री का निर्वाचन नहीं करना था। मोदी सरकार ने आर्थिक रुप से पिछड़ों को 10 प्रतिशत आरक्षण देकर गुस्सा शांत किया। कांग्रेस तीन राज्यों की सफलता के कारण इस गलतफहमी का भी शिकार हो गई कि राफेल सौदे में मोदी पर भ्रष्टाचार के आरोप तथा चौकीदार चोर है का नारा जनता को भा रहा है। राफेल पर भ्रष्टाचार का आरोप मुद्दा कभी था ही नहीं। लोग यह मानने को तैयार नहीं कि नरेन्द्र मोदी दलाली कर सकते हैं। मैं भी चौकीदार ने मोदी समर्थकों को ज्यादा रोमांचित किया और आत्मविश्वास दिया। कह सकते हैं कि चौकीदार चोर की गोली उल्टी लगी है।

बालाकोट सहित पाकिस्तान में हवाई बमबारी के कारण राष्ट्रवाद के जनमनोविज्ञान तथा आतंकवाद एवं सुरक्षा के मुद्दा हो जाने से निर्मित माहौल में भाजपा को अनुकूल पिच मिल गई। कांग्रेस सहित पूरा विपक्ष सरकार को धन्यवाद देने की बजाय पहले इसका उपहास उड़ाता रहा। कांग्रेस ने वायुसेना के जवानों का धन्यवाद किया किंतु कांग्रेस के कुछ नेता कहते रहे कि वहां तो कुछ हुआ ही नहीं, बस एक पेड़ गिरा है। इससे लोगों में गुस्सा पैदा हुआ। उन्हें लगा कि मोदी ने आतंकवाद के विरुद्ध पहली बार इतना बड़ा कदम उठाया, जिससे दुनिया में भारत की धाक कायम हुई, और ये अपने ही देश के पराक्रम का मजाक उड़ा रहे हैं। जब एंटी सेटेलाइट मिसाइल परीक्षण हुआ तो भी विपक्ष ने कहना आरंभ किया कि यह तो वैज्ञानिकों ने किया और किया तो आपने दुनिया को बताया क्यों? इसरो एवं डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख सामने आ गए कि हमने तब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आदि के सामने प्रेजेंटेशन दिया था लेकिन इन्होने आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जबकि मोदी ने निर्भीक होकर आगे बढ़ने को कह दिया। इसका असर मतदाताओं पर पड़ना ही था। इसके बाद मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्रसंघ में वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने में भारत को ऐतिहासिक सफलता मिली। यह विदेश नीति की ऐसी सफलता थी जिसकी वाहवाही होनी चाहिए थी लेकिन विपक्ष इसमें भी मीनमेख निकालता रहा। इन सबसे मोदी की एक प्रखर राष्ट्रवादी, रक्षा शक्ति बढ़ाने वाला, दुनिया की परवाह किए बिना साहसी निर्णय करने वाले तथा अपने प्रभाव से चीन को भी मसूद के खिलाफ जाने को मजबूर करने वाले मजबूत नेता की छवि बनी तो विपक्ष की एक गैर जिम्मेवार एवं मोदी विरोध के नाम पर देश विरोध करने वाले समूह की। एक बड़ी मूर्खता कांग्रेस की छः सर्जिकल स्ट्राइक का दावा करना था। 27-28 सितंबर 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के प्रमाण उपलब्ध हैं। तत्कालीन सैन्य प्रमुख से लेकर अधिकारी और जवान गवाह है, जबकि कांग्रेस के दावे के पक्ष में कोई सामने नहीं आया। यह पिच मोदी एवं भाजपा की थी। कांग्रेस ने इस पर खेलने की बचकानी कोशिश की और अपना ही मजाक बना लिया। राष्ट्वाद, सुरक्षा और कश्मीर में कठोर कदमों से जगी आशा के बीच कांग्रेस द्वारा अपने घोषणा पत्र में देशद्रोह कानून खत्म करने, अफस्फा से सुरक्षा बलों को प्राप्त तीन प्रमुख सुरक्षा कवच हटा लेने, कश्मीर में अफस्फा की समीक्षा करने, सुरक्षा बलों की संख्या में कटौती, अलगाववादियों सहित सभी से बातें करने, सुरक्षा बलों का हाथ बांधने के लिए अत्याचार निवारण कानून बनाने आदि के वायदे ने उसके खिलाफ वातावरण बनाया।

विपक्ष ने आरंभ से ही चाहे गठबंधन बनाया हो या अकेले, चुनाव को नरेन्द्र मोदी हटाओ के एकांगी नकारात्मक मुद्दे पर केन्द्रित करने की भूल की। इसकी प्रतिक्रिया में नरेन्द्र मोदी को बनाए रखो की भावना घनीभूत हुई। जब आप मोदी को मुख्य मुद्दा बनाएंगे तो आम मतदाता यह देखेगा कि उनके समानांतर देश का नेतृत्व करने वाले संभावित चेहरे कौन हैं? राहुल गांधी, मायावती, ममता बनर्जी, चन्द्रबाबू नायडू, एचडी देवेगौड़ा, शरद पवार ...। इनमें से कोई नरेन्द्र मोदी के कद के सामने तथा मजबूत सरकार की कसौटी पर टिक नहीं सकता था। लोग मोदी सरकार से थोड़ा असंतुष्ट थे. लेकिन   पांच साल में कुछ किया ही नहीं जेसे अनर्गल आरोप स्वीकार करने को तैयार नहीं थे। जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना के अंदर घर मिले, जिसके यहां शौचालय बन गया, जिसके घर में बिजली लग गई, जिसे उज्जवला योजना से रसोई गैस का सिलेंडर मिला, जिसके यहां सड़कें बन गईं, जिसे मुद्रा योजना के तहत कर्ज मिला, जिसे स्टार्ट अप के तहत उद्यमिता का अवसर मिला वो सब, जिनकी संख्या बड़ी है, विपक्ष के आरोप से सहमत नहीं हो सकते थे। इन सबमें जातीय या मोदी हराओ के नाम पर बने गठबंधन की सफलता का कोई कारण नहीं था। वास्तव में इस परिणाम ने साफ कर दिया हे कि वैचारिकता से विहीन, जातीय-सांप्रदायिक नकारात्मक गठजो़ड़ का समय लद रहा है।

अवधेश कुमार, ईः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूरभाषः01122483408, 9811027208

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