भविष्य की आहट
डा. रवीन्द्र अरजरिया
देश के आन्तरिक हालातों को बिगाडने की कोशिशें तेज होती जा रहीं हैं। ‘डीप स्टेट’ से जुडे लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। प्रमाणों की फेरिश्त विदेशी रिपोर्ट्स में उजागर हो रहीं हैं। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अध्यात्मिक पक्षों को प्रभावित करने हेतु सात समुन्दर पार से धनराशि की खेपें निरंतर पहुंचाई जा रही हैं। चरणबद्ध षडयंत्र के तहत पहले देश के निवासियों में से ऐसे मीरजाफरों को खोजा जाता है जो पैसा, प्रतिष्ठा और पारिवारिक गरिमा को शीर्ष तक ले जाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार होते हैं, फिर उनके सहयोग से समाज सेवा, सामाजिक प्रशिक्षण, सामाजिक सरोकार, सामाजिक प्रबंधन, आधुनिक शिक्षा आदि के नाम पर एनजीओ का गठन करवाया जाता है। इन एनजीओ में समाज सेवा के नाम पर भारी भरकम फंड पहुंचाकर मीरजाफरों को अपने खास सिपाहसालारों की फौज तैयार करने का हुक्म दिया जाता है ताकि असामाजिक तत्वों की भीड को एनजीओ कार्यकर्ताओं के रूप में प्रस्तुत किया जा सके।
इन मीरजाफरों में राजनैतिक दलों, उद्योगपतियों, कथित बुद्धिजीवियों, असामाजिक तत्वों, अतिमहात्वाकांक्षी व्यक्तियों, अपरिपक्व किशोरों, नासमझ छात्रों, बेरोजगार युवाओं, स्वतंत्र विचारों वाली युवतियों आदि को विलासतापूर्ण भविष्य के सब्जबाग दिखाकर शामिल किया जाता है। ऐसे ज्यादातर एनजीओ की बागडोर विदेशों से शिक्षा प्राप्त करके स्वदेश लौटने वाले स्वार्थी लोगों के हाथों में सौंपी जाती है जिनमें राजनैतिक चेहरों सहित अनेक प्रतिष्ठित लोगों को शामिल किया जाता है ताकि संवैधानिक अंकुश लगने पर हंगामा खडा किया जा सके।
हाल ही में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान घर जैसा लगता है। इनके विवादास्पद बयानों ने हमेशा ही देश के वातावरण में जहर घोलने की काम किया है। सैम के एनजीओ ग्लोबल नालेज इनिशिएटिव को अमेरिकी विदेश विभाग, यूएसएआईडी तथा राक फेलर फाउण्डेशन से निरंतर धन की प्राप्ति हो रही है।
सैम तो राकफेलर के वर्तमान उपाध्यक्ष तथा अमेरिकी सरकार के पूर्व सलाहकार भी हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के पूंजीपति जार्ज सोरोस को लम्बे समय से भारत विरोधी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। सोरोन को रिसर्च फार सोशल हैल्थ ने अपने बुलेटिन में ‘डीप स्टेट’ के साथ जोडते हुए नकारात्मक व्यक्ति की उपाधि से विभूषित किया है। आश्चर्य होता है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के मुख्य सलाहकार एवं गांधी परिवार के निजी एनजीओ राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ विजय महाजन केवल सोरोस के ही पार्टनर नहीं हैं बल्कि उनकी सीआईए से संबद्ध फोर्ड फाउंडेशन के साथ भी साझेदारी बताई जाती है।
मालूम हो कि सन् 1982 में फोर्ड फाउंडेशन के अधिकारी दीप जोशी ने सह-संस्थापक विजय महाजन के साथ मिलकर ‘प्रदान’ नामक एक प्रशिक्षण एनजीओ की स्थापना की थी जिसे पिछले 12 वर्षों में 596 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग प्राप्त हुई है। आश्चर्य तो तब हुआ जब बंग्लादेश में ‘डीप स्टेट’ के इशारे पर तख्ता पलट हुआ तब फोर्ड फाउण्डेशन से जुडे मोहम्मद यूनुस को सत्ता पर स्थापित करवाने में सहयोग हेतु फोर्डियन विजय महाजन को दायित्व सौंपा गया। उस कठिन दौर में ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी नारायण मूर्ति ने भी सहयोगात्मकत कार्य किया था।
मालूम हो कि अप्रैल 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व हेतु विजय महाजन तथा इन्फोसिस के प्रथम अध्यक्ष डा. जी. के. जयराम ने जवाहरलाल नेहरू लीडरशिप इंस्टीट्यूट अर्थात जेएनएलआई के नाम से एक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया था। यही संस्थान जुबैर से लेकर आरफा तक, द कारवां से लेकर आर्टिकल 14 तक को फंड करता है। इस हेतु इंफोसिस के मालिक सहित उनके अन्य मित्र वित्तीय व्यवस्था करते है। इस संस्थान के संस्थापक ट्रस्टियों में शामिल रुक्मिणी बनर्जी का नाम विजय महाजन के फोर्ड वित्त पोषित एनजीओ की उपाध्यक्ष के रूप में भी शामिल है। कहा जाता है कि सीआईए ने फोर्ड फाउण्डेशन को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनोवैज्ञानिक युद्ध करने के लिए युवा शक्ति तैयार करने का काम सौंपा है।
ज्ञातव्य हो कि सीआरपीएफ के वीवीआईपी सिक्यूरिटी हेड सुनील जून ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि राहुल गांधी अपनी सुरक्षा को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं। क्यों कि वह ज्यादातर विदेश यात्रा पर बिना किसी को बताये जा रहे हैं। पत्र में राहुल गांधी की 30 दिसम्बर से 9 जनवरी तक इटली, 12 मार्च से 17 मार्च तक वियतनाम, 17 अप्रैल से 23 अप्रैल तक दुबई, 11 जून से 18 जून तक कतर, 25 जून से 6 जुलाई तक मलेशिया जैसी यात्राओं का हवाला दिया गया है।
पूर्व में भी प्रोटोकाल तोडने की अनेक शिकायतें दर्ज की जा चुकीं हैं। इस संबंध में सीआरपीएफ ने बताया है कि सन् 2020 से अब तक 113 बार उन्होंने सुरक्षा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है जिसमें पार्टी की भारत जोडो यात्रा का दिल्ली फेस भी शामिल है। आखिर क्यों सुरक्षा चक्र तोडकर राहुल गांधी विदेश दौरे पर चुपचाप निकल जाते हैं। इस प्रश्न का उत्तर जानने का अधिकार राष्ट्र को है। फ्रांसीसी मीडिया ने उजागर किया है कि ‘डीप स्टेट’ अपने नियंत्रणकारी संस्थाओं के माध्यम से व्यवसायिक, व्यापारिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, पोषण आदि की रिपोर्ट प्रकाशित करवाने के बाद उसे प्रभावशाली ढंग से विपक्ष द्वारा उठवाने, आम नागरिकों को गुमराह करवाने और सरकारों को दबाव में लेकर अपने हितों की पूर्ति हेतु कठपुतली बनाने में जी जान से लगी हुई है।
ऐसी ही खोजपरक जानकारियां अन्य देशों से भी निरंतर प्राप्त हो रहीं हैं। ऐसे में विदेशी रिपोर्ट्स पर देश के सदन में होने वाले हंगामों का राज स्वतः ही खुल जाता है। स्वार्थ प्रथम के सिद्धान्त पर दस्तक देता राष्ट्रद्रोह का दावानल अब घातक से अतिघातक होता जा रहा है। ‘डीप स्टेट’ के साथ गलबहियां करने वालों को समय रहते चिन्हित करना होगा तभी देशवासियों को अपनत्व भरे वातावरण में किलकारियां भरने का अवसर मिलता रहेगा। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।