शुक्रवार, 1 मार्च 2024

मछलीशहर लोकसभा सीट से भाजपा के प्रबल दावेदार हैं बसंत कुमार

·     पत्रकारिता जगत से भी सम्बन्ध रखते हैं बसंत कुमार

·      भारत सरकार के उप सचिव पद से ली है स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति

जौनपुर। आगामी लोकसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है जिसको लेकर सभी पार्टियां अपने प्रत्याशियों की घोषणा में जातीय गुणा-भाग में व्यस्त हैं लेकिन इस विषय में सबसे महत्वपूर्ण सीट मछलीशहर (सु.) बनी हुई है। इस सीट पर भाजपा की ओर से जनपद जौनपुर के ग्राम पिपरा के निवासी व भारत सरकार के पूर्व उप सचिव व एनडीए-1 सरकार में एमएसएमई मंत्रालय में सलाहकार रहे बसंत कुमार सबसे प्रबल दावेदार के रूप में सामने नजर आ रहे हैं।

वे शिक्षित हैं तथा उनके पास लगभग 3 दशक का प्रशासनिक अनुभव है। वे एक अच्छे लेखक हैं जिन्होंने राष्ट्रवादी कर्म योगी, हिन्दुत्व एक जीवनशैली, युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी विवेकानंद, एकात्मवाद भाजपा का संकल्प, भारत में उद्यमिता, आंबेडकर और राष्ट्रवाद जैसी किताबें लिखी हैं। इन पुस्तकों का लोकार्पण भाजपा के शिखर पुरूष लाल कृष्ण आडवाडी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, राजनाथ सिंह, कलराज मिश्र, डॉ. सत्य नारायण जटिया, योगी आदित्यनाथ आदि महानुभवों द्वारा किया गया है। इतना ही नहीं, देशभर से खासकर नई दिल्ली से प्रकाशित वीर अर्जुन, अमर भारती जैसे दैनिक समाचार पत्रों व पत्र-पत्रिकाओं में प्रत्येक सप्ताह श्री कुमार के स्तम्भ भी प्रकाशित होते हैं, जिनमें वह बड़ी बेबाकी से अपने विचार रखते हैं। उल्लेखनीय है कि वीर अर्जुन के सम्पादक के रूप में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी व लाल कृष्ण आडवाणी भी काम कर चुके हैं।

इतना सब होने के बावजूद बसंत कुमार भाजपा से लगातार इसलिए वंचित किए जाते रहे हैं क्योंकि वे जिस बिरादरी से संबंध रखते हैं उसे बसपा का पारंपरिक वोट माना जाता रहा है पर अपनी राष्ट्रवादी सोच के कारण उन्होंने बसपा की ओर से पार्टी जॉइन करने के ऑफर को ठुकरा दिया और एक दशक से अधिक समय से भाजपा में एक कार्यकर्ता के रूप में लगे हुए हैं। उन्होंने सरकारी सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के पश्चात् वर्ष 2011 में भाजपा सदस्यता ग्रहण की तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र के सानिध्य में हिंदुत्व व राष्ट्रवाद के विषय को गहराई से जाना और भाजपा के नीतियों और कार्यक्रमों के प्रचार-प्रसार में कड़ी मेहनत की और 2011 में लालकृष्ण अडवाणी और कलराज मिश्र के नेतृत्व में जन स्वाभिमान यात्रा में पूरे प्रदेश का भ्रमण किया।

वर्ष 2014 में जब कलराज मिश्र देवरिया से चुनाव लड़ रहे थे तो बसंत कुमार ने कड़ी मेहनत की और पूरे क्षेत्र में अपनी मौजूदगी का एहसास कराया जिसकी वजह से पूरे क्षेत्र में उन्हें कलराज मिश्र का हनुमान कहा जाता था और जब नरेंद्र मोदीजी के मंत्रिमंडल में कलराज मिश्र एमएसएमई मंत्री बनाए गए तो बसंत कुमार को इस मंत्रालय में सलाहकार बनाया गया।

श्री बसंत कुमार के के पिता श्री गुरु प्रसाद (बड़े बाबू) प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने अपनी कालेज शिक्षा वर्ष 1941 में कठिन परिष्तिथियो में पूरी की, क्योंकि उस समय कालेज में शिक्षा प्राप्त करना सिर्फ सवर्ण जमीदारों का एकाधिकार होता था। शिक्षा प्राप्ति के बाद 1946 में भारत सरकार में डाक तार विभाग में बिना आरक्षण के नौकरी प्राप्त की। उनके देहांत के वर्षों बाद भी क्षेत्र के लोग गुरु प्रसाद (बड़े बाबू) का नाम बड़ी श्रद्धा से लेते हैं। अपने पिता की भांति बसंत कुमार ने भी शिक्षा में टापर रहे हैं। वह मड़ियाहु महाविद्यालय में वर्ष 1977-78 में टापर होने के कारण कालेज छात्र यूनियन में प्रतिनिधि के नाम से मनोनीत किये गए।

वे हमेशा इस बात के पक्षधर रहे हैं कि आरक्षण का लाभ वंचित समाज के निर्धन व्यक्तियों को ही मिले और जो लोग एक बार आरक्षण का लाभ लेकर संपन्न हो चुके हैं उन्हें अपने बच्चो के लिए आरक्षण का लाभ स्वत: छोड़ देना चाहिए जिससे उसका लाभ वंचित समाज के दूसरे निर्धनों को मिल सके। अपनी इसी सोच के कारण उन्होंने अपने दोनों बेटों को दिल्ली के टॉप की शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा दिलाई और आरक्षण का लाभ लेकर उन्हे आईएएस या आईपीएस बनाने के बजाय ऐसी फील्ड चुनी जहां आरक्षण का ठप्पा न हो, उनका बड़ा बेटा अजीत रंजन दिल्ली क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करने के बाद इंग्लैंड में काउंटी क्रिकेट खेल रहा है जबकि छोटा बेटा विनीत रंजन सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट है।

बसंत कुमार एक पहल नामक एनजीओ के राष्ट्रीय महासचिव हैं और अपनी संस्था के माध्यम से वंचितों और निर्धनों की शिक्षा और रोजगार में मदद करने के लिए तत्पर रहते हैं। वे विधायक या सांसद न होते हुए भी मछलीशहर (जौनपुर) के लोगों की मदद हर समय करते हैं चाहे वह दिल्ली में काम हो या मछलीशहर में। बसंत कुमार की विशेषता जो उन्हें अन्य लोगों से अलग रखती हैं कि वे अपने प्रतिद्वंदियों को भी दिल्ली में बड़े राष्ट्रीय नेताओं से मिलाने में कोताही नहीं करते।

ऐसे सरल स्वभाव के बहुमुखी प्रतिभा के धनी व विद्वान लेखक बसंत कुमार को यहां की जनता चाहती है कि भाजपा अपना प्रत्याशी बनती है तो भाजपा की यहां से भारी मतों से जीत होगी और क्षेत्र में चहुंमुखी विकास होगा।

अब अगर यहां के पूरे समीकरण को समझने की कोशिश करें तो इनके उम्मीदवार बनाए जाने से भाजपा के साथ-साथ मछलीशहर के लोगों को भी फायदा होगा।

मछलीशहर को तहसील का दर्जा प्राप्त - जौनपुर जिले में शामिल मछलीशहर भी उत्तर प्रदेश के 80 संसदीय क्षेत्रों में से एक संसदीय क्षेत्र (74वीं संख्या) है और यह शहर व्यापार के लिहाज से प्रदेश का अहम नगर है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले में शामिल मछलीशहर को तहसील का दर्जा प्राप्त है। पश्चिम में प्रतापगढ़, रायबरेली और लखनऊ को मछलीशहर से जोड़ता है जबकि मछलीशहर पूर्वी तरफ से जौनपुर और वाराणसी से जुड़ा हुआ है।

महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक-2011 की जनगणना के आधार पर मछलीशहर तहसील की आबादी 7 लाख से ज्यादा (7,36,209) है, जिसमें महिलाओं (3,75,252) की संख्या पुरुषों (7,36,209) से ज्यादा है। इस संसदीय क्षेत्र का लिंगानुपात प्रदेश के उन चंद संसदीय क्षेत्रों में शामिल है जहां महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। एक हजार पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या 1,040 है। यहां की साक्षरता दर 70.81% है।

अनुसूचित जाति की आबादी 22 फीसदी - जातिगत आधार पर यहां की आबादी पर नजर डाली जाए तो मछलीशहर संसदीय क्षेत्र में 22.7% आबादी (166,766) अनुसूचित जाति की है, जबकि अनुसूचित जनजाति यहां की कुल आबादी का 0.1 फीसदी (625) ही है। धार्मिक आधार पर 90.61 फीसदी आबादी हिंदुओं की है, जबकि मुस्लिम समाज के 8.9% लोग ही यहां रहते हैं।

1 टिप्पणी:

  1. अति सुंदर ऐसी विलक्षण प्रतिभा वाले व्यक्ति को अवसर मिलना ही चाहिए

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