रविवार, 27 जून 2021

बुलंद मस्जिद कालोनी के अधूरे पड़े विकास कार्य जल्द होंगे पूरे, सीसीटीवी कैमरों व वाईफाई से लैस होगी पूरी कालोनी : अनिल वाजपेयी

मो. रियाज़

नई दिल्ली। गांधी नगर विधानसभा के विधायक अनिल वाजपेयी ने आज बुलंद मस्जिद कालोनी में समाजसेवी इरशाद के कार्यालय का उद्घाटन किया। इस मौके पर विधायक अनिल बाजपेयी का इरशाद अहमद व आम जनता ने फूलमालाओं से जोरदार स्वागत किया।
इस उद्घाटन अवसर पर उनको कालोनी की हर एक परेशानी से अवगत करवाया गया जैसे पीने के पानी की समस्या, सफाई, नाली व सड़कों का पूरा न बना होना आदि। जिसको सुनने के बाद विधायक जी ने लोगों को आश्वासन दिया कि बुलंद मस्जिद कालोनी के अधूरे पड़े विकास कार्य जल्द पूरे होंगे, आपकी पूरी कालोनी सीसीटीवी कैमरों व वाईफाई से लैस होगी।

आपको बता दें कि बुलंद मस्जिद कालोनी का विकास कार्य काफी समय से रूका पड़ा है यह कार्य इनके पिछले कार्यकाल में ही पूरा हो जाना चाहिए था पर ठेकेदार की लापरवाही के कारण यह कार्य समय पर पूरा नहीं हो पाया। इसी बीच दिल्ली विधानसभा के चुनावों की घोषणा हो जाने के कारण ठेकेदार ने कार्य में लापरवाही बरती। चुनाव खत्म होने के बाद विधायक जी के कहने पर यह कार्य दोबारा शुरू हुआ ही था कि दिल्ली में दंगे शुरू हो गए और ठेकेदार को एक बार फिर कार्य न करने का बहाना मिल गया और रही सही कमी को कोरोना ने पूरा कर दिया। जब लोगों ने विधायक से शिकायत की तो ठेकेदार ने कोरोना के बहाना बनाया और कहा कि उसे अभी मजदूर नहीं मिल रहे हैं जैसे ही मजदूर मिलेंगे काम को शुरू करवा दिया जाएगा पर समय बीतता गया पर ठेकेदार के बहाने खत्म होने का नाम नहीं ले रहे थे जिससे परेशान होकर विधायक जी ने उसका ठेका रद्द करवा दिया।

नए ठेकेदार को ठेका मिला और काम शुरू हुआ था पर कोरोना की दूसरी लहर के कारण कार्य बीच में ही रुक गया। अब कोरोना की दूसरी लहर खत्म हो गई है और दिल्ली में काम दुबारा शुरू हो गए हैं।
इस मौके पर अनिल वाजेपयी ने सभी को बताया कि आपकी बुलंद मस्जिद कालोनी के अधूरे पड़े विकास कार्य जल्द पूरे होंगे। आपकी पूरी कालोनी भी सीसीटीवी कैमरों व वाईफाई से लैस होगी।
उन्होंने आगे कहा कि मैं हर रविवार को या हफ्ते में एक दिन जनता की समस्या सुनने के लिए इरशाद भाई के ऑफिस में आऊंगा। आपको मेरे कार्यालय में चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है अब आपका विधायक आपके बीच आकर आपके कार्य करेगा। मैंने जनता से वादा किया था कि खुद आपके द्वार आकर आपकी समस्या का समाधान करूंगा।
उन्होंने इरशाद, डाक्टर पाशा, लियाकत खान, मोहम्मद रियाज़, शमीम टीवी वाले, नियाज अहमद उर्फ पप्पू मंसूरी, अब्दुल जब्बर, मोहम्मद सुहैल आदि का शुक्रिया अदा किया और कहा कि मैं आपके बीच हमेशा रहूंगा और आपकी परेशानी मेरी परेशानी है। आप मुझे कभी भी याद कर सकते हैं।

 


 

बुधवार, 23 जून 2021

पूर्व निगम पार्षद तुलसी गांधी ने किया वैक्सीनेशन सेंटर का दौरा

 


18+ वालों का वेक्सिनेशन शुरू होने पर किया सीएम अरविंद केजरीवाल का धन्यवाद

मो. रियाज़
नई दिल्ली। गांधी नगर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले बुलंद मस्जिद कॉलोनी के स्कूल में बने वैक्सीनेशन सेंटर पर अब 18 साल से ऊपर के लोगों को भी कोरोना वैक्सीन लगने लगी है। 
आज पूर्व निगम पार्षद तुलसी गांधी व गांधी नगर के मनोनीत निगम पार्षद हसीबुल हसन ने अपनी टीम के साथ वैक्सीनेशन सेंटर का दौरा किया। इस दौरान पूर्व निगम पार्षद तुलसी गांधी ने वैक्सीन लगवाने आए लोगों से भी बातचीत की और अधिक से अधिक संख्या में लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील की। साथ ही बुलंद मस्जिद स्कूल में 18+ वालों का वेक्सिनेशन शुरू करवाने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का धन्यवाद किया।

गांधी नगर के मनोनीत निगम पार्षद हसीबुल हसन कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल जी की सोच से आज हमारी दिल्ली में जहां वोट वहीं वैक्सीन योजना रंग ला रही है जिसको लेकर विपक्षी पार्टियों को इस तरह की बातें हजम नहीं हो रही हैं। 

वहीं सीएम की ओर से बुलंद मस्जिद वेक्सिनेशन सेंटर के लिए नामित इंचार्ज कमल अरोड़ा ने कहा कि सभी को वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए। जिससे हम न केवल खुद सुरक्षित रह सकेंगे बल्कि अपने परिवार व देश को सुरक्षित करने में भी सहयोग कर सकेंगे।
इस मौके पर डीके गांधी उर्फ अब्दुल्ला गांधी अहमद, मो. रियाज़, सोनम वर्मा, महजबी, धंनजय जैन, दीपक हिंदुस्तानी, डा. पासा, लियाकत खान, महेश चौहान, अनीस खान, अब्दुल जब्बार आदि उपस्थित रहे।
 


शुक्रवार, 18 जून 2021

चीन ने युवाओं की घटती संख्या को रोकने के लिए तीन बच्चे की अनुमति दी

अवधेश कुमार

 चीन द्वाराअपने दंपत्तियों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति जिस ढंग से विश्व भर की मीडिया की सुर्खियां बनी वह स्वाभाविक ही है। भारत में जहां पिछले काफी समय से जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग जोर पकड़ चुकी है उसमें इस खबर ने आम लोगों को चौंकाया होगा। इस कानून की मांग करने वाले ज्यादातर लोगों का तर्क था कि चीन की एक बच्चे की नीति की तर्ज पर हमारे यहाँ भी कानून बने। इन लोगों को वर्तमान नीति जारी करते समय चीन द्वारा दिए गए अपने जनगणना के आंकड़ोंके साथ नीति बदलने के लिए बताए गए कारणों पर अवश्य गौर करना जाहिए। हालांकि जो लोग चीन और संपूर्ण दुनिया में जनसंख्या को लेकर बदलती प्रवृत्ति पर नजर रख रहे थे उनके लिए इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है। एक समय जनसंख्या वृद्धि समस्या थी लेकिन आज चीन सहित विकसित दुनिया के ज्यादातर देश जनसंख्या वृद्धि की घटती दर, युवाओं की घटती तथा बुजुर्गों की बढ़ती संख्या से चिंतित हैं और अलग - अलग तरीके से जनसंख्या बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

सातवीं राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार चीन की जनसंख्या 1.41178 अरब हो गई है जो 2010की तुलना में5.8 प्रतिशत यानी7.2 करोड़ ज्यादा है। इनमें हांगकांग और मकाउ की जनसंख्या शामिल नहीं है। इसके अनुसार चीन की आबादी में 2019 की लगभग 1.4 अरब की तुलना में 0.53 प्रतिशत वृद्धि हुई है। सामान्य तौर पर देखने से 1.41 अरब की  संख्या काफी बड़ी है और चीन का सबसे ज्यादा आबादी वाले देश का दर्जा कायम है, लेकिन 1950 के दशक के बाद से यह जनसंख्या वृद्धि की सबसे धीमी दर है। वहां 2020 में महिलाओं ने औसतन 1.3 बच्चों को जन्म दिया है। यही दर कायम रहा तो जनसंख्या में युवाओं की संख्या कम होगी, बुदूर्गों की बढ़ेगी तथा एक समय जनसंख्या स्थिर होकर फिर नीचे गिरने लगेगी। चीन में 60 वर्ष से ज्यादा उम्र वालों की संख्या बढ़कर 26.4 करोड़ हो गई है जो पिछले वर्ष से 18.7 प्रतिशत ज्यादा है।  चीन के एनबीएस यानी नेशनल ब्यूरो औफ स्टैटिस्टिक्स ने  कहा है कि जनसंख्या औसत आयु बढ़ने से दीर्घकालिक संतुलित विकास पर दबाव बढ़ेगा। इस समय चीन में कामकाजी आबादी या 16 से 59 आयुवर्ग के लोग 88 करोड़ यानी करीब 63. 3 प्रतिशत हैं। यह एक दशक पहले 70.1 प्रतिशत थी। यही नहीं 65 वर्ष या उससे ऊपर के उम्र वालों की संख्या 8.9 प्रतिशत से बढ़कर 13.5 प्रतिशत हो गई है। आबादी का यह अनुपात चीन ही नहीं किसी देश के लिए चिंता का विषय होगा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक चीन की लगभग 44 करोड़ आबादी 60 की उम्र में होगी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जून 2019 में जारी एक रिपोर्ट कहती है कि चीन में आबादी में कमी आएगी और भारत  2027 तक दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश हो जाएगा।

चीन पहले से इसे लेकर सतर्क हो गया था और उसने 2013 में ढील दी और 2015 में एक बच्चे की नीति ही खत्म कर दी। लेकिन 2013 में इसके लिए शर्त तय कर दी गई थी। दंपति में से कोई एक अपने मां-बाप की एकमात्र संतान हो, तभी वे दूसरे बच्चे को जन्म दे सकते हैं। दूसरे बच्चे की अनुमति के लिए आवेदन करना पड़ रहा था। इसे भी खत्म किया गया लेकिन जनसंख्या बढ़ाने  में अपेक्षित सफलता नहीं मिली।  जनसंख्या व़द्धि को रोकने के लिए चीन ने 1979 में एक बच्चे की नीति लागू की थी। इसके तहत ज्यादातर शहरी पति-पत्नी को एक बच्चा और ज्यादातर ग्रामीण को दो बच्चे जन्म देने का अधिकार दिया गया। पहली संतान लड़की होने पर दूसरे बच्चे को जन्म देने की स्वीकृति दी गई थी। चीन का कहना है कि एक बच्चे की नीति लागू होने के बाद से वह करीब 40 करोड़ बच्चे के जन्म को रोक पाया। तो एक समय जनसंख्या नियंत्रण उसके लिए लाभकारी था, पर अब यह बड़ी समस्या बन गई है। वास्तव में ज्यादा युवाओं का मतलब काम करने के ज्यादा हाथ और ज्यादा बुजुर्ग अर्थात देश पर ज्यादा बोझ। चीन की यह चिंता स्वाभाविक है कि अगर काम करने के आयुवर्ग के लोगों की पर्याप्त सख्या नहीं रही तो फिर देश की हर स्तर पर प्रगति के सोपान से पीछे चला जाएगा।

आज बढ़ती बुजुर्गों की आबादी से अनेक देश मुक्ति चाहते हैं और इसके लिए कई तरह की नीतियां अपना रहे हैं। पूरे यूरोप में जन्मदर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। कई देशों में प्रति महिला जन्मदर उस सामान्य 2.1 प्रतिशत से काफी नीचे आ गई है जो मौजूदा जनसंख्या को ही बनाए रखने के लिए जरूरी है। उदाहरण के लिए डेनमार्क में जन्म दर 1.7 पर पहुंच गई है और वहां इसे बढ़ाने के लिए कुछ सालों से विभिन्न अभियान चल रहे हैं। दंपतियों की छुट्टी के दिन बड़ी संख्या में गर्भधारण के मामलों को देखते हुए सरकार ने विज्ञापन अभियान के जरिए पति-पत्नी को एक दिन की छुट्टी लेने को भी प्रोत्साहित किया। विज्ञापन कंपनियां दंपतियों को ज्यादा से ज्यादा सेक्स के लिए तैयार करने के लिए विज्ञापन में भावनात्मक पहलुओं को ज्यादा उभारा जा रहा है। एक विज्ञ युवा दंपतियों के माता-पिता से  बेटे-बहू और बेटी-दामाद को छुट्टी पर भेजने को कहती है। इसमें एक युवा जोड़े को सेक्स करने की कोशिश करतेभी  दिखाया गया है। विज्ञापन का टैगलाइन है- डेनमार्क के लिए करो, अपनी मां के लिए करो (डू-इट-फोर डेनमार्क, डू-इट-फॉर-यूअर-मॉम)। इटली की सरकार तीसरा बच्चा पैदा करने वाले दंपती को कृषि योग्य जमीन  देने की घोषणा कर चुकी है।2017 के आंकड़ों के अनुसारजापान की जनसंख्या 12.68 करोड़ थी। अनुमान है कि घटती जन्मदर के कारण 2050 तक देश की जनसंख्या 10 करोड़ से नीचे आ जाएगी। वहां ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए कई तरह के प्रोत्साहन दिए गए है।

 भारत की ओर आएं तो 2011 की जनगणना के अनुसार 25 वर्ष तक की आयु वाले युवा कुल जनसंख्या के 50 प्रतिशत तक 35 वर्ष तक वाले 65 प्रतिशत थी। इन आंकड़ों से साबित होता है कि भारत एक युवा देश है। भारत की औसत आयु भी कई देशों से कम है। इसका सीधा अर्थ है कि दुनिया की विकसित महाशक्तियां जहां ढलान और बुजुर्गियत की ओर हैं वहीं भारत युवा हो रहा है। भारत को भविष्य की महाशक्ति मानने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं का तर्क यही रहा है कि इसकी युवा आबादी 2035 तक चीन से ज्यादा रहेगी और यह विकास में उसे पीछे छोड़ देगा। लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 2018 में जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में साल 2050 तक बुजुर्गों की संख्या आज की तुलना में तीन गुना अधिक हो जाएगी। उस जनगणना के अनुसार करीब दस करोड़ लोग 60वर्ष से ज्यादा उम्र के थे। हर वर्ष इसमें करीब 3 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। इसके अनुसार ऐसे लोगों की संख्या वर्तमान 8.9 प्रतिशत से बढ़कर 2050 में 19.4 प्रतिशत यानी करीब 30 करोड़ हो जाएगी। उस समय तक 80 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों की संख्या भी 0.9 प्रतिशत से बढ़कर 2.8 प्रतिशत हो जाएगी। जाहिर है, जो प्रश्न इस समय चीन और दुनिया के अनेक देशों के सामने है वो भारत के सामने भी आने वाला है। उस दिशा में अभी से सचेत और सक्रिय होनो की आवश्यकता है। जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग करने वालों को यह पहलू अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। अगर समाज का एक तबका बच्चे पैदा करने पर नियंत्रण नहीं रख रहा है तो उसका निदान अलग तरीके से तलाशना होगा।

अवधेश कुमार, ई :30, गणेश नगर, पांडव नगर कौम्प्लेक्स, दिल्ली:110092, मोबाइल :9811027208, 8178547992

 

 

 

गुरुवार, 17 जून 2021

शास्त्री पार्क आरडब्ल्यूए ने किया गौरव सम्मान देकर सिविल डिफेंस के कोरोना योद्धाओं को सम्मानित

मो. रियाज़

नई दिल्ली। सिविल डिफेंस के वॉलिंटियर्स कोरोना वायरस के वैश्विक संकट-काल में समाज और देश को बचाने के लिए पूरी ईमानदारी से लगे रहे इसी सेवा-निष्ठा के लिए शास्त्री पार्क आरडब्ल्यूए (रजि.) ने दिल्ली सिविल डिफेंस के कोरोना योद्धाओं को गौरव सम्मान देकर सम्मानित किया।
अभी कुछ दिन पहले भी शास्त्री पार्क आरडब्ल्यूए (रजि.) ने कोरोना काल मे समर्पित स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिसकर्मियों, सफाईकर्मियों, दिल्ली सिविल डिफेंस के वालंटियर्स, बिजली विभाग के कर्मचारियों, समाजसेवियों आदि को उनकी सेवा-निष्ठा के लिए कोरोना योद्धा गौरव सम्मान देकर सम्मानित किया था।
अब तक शास्त्री पार्क आरडब्ल्यूए (रजि.) ने कोरोना महामारी के दौरान अलग-अलग क्षेत्र में अपनी सेवा दे रहे 300 से अधिक कोरोना योद्धाओं को गौरव सम्मान पत्र देकर सम्मानित कर चुकी। आज भी अपने कार्यालय पर शास्त्री पार्क आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष संजीव जैन, दिल्ली सिविल डिफेंस के डिवीजन वार्डन आर.बी. यादव, पोस्ट वॉर्डन एसके मिश्रा, समाजसेवी जफर हुसैन, प्रदीप जैन आदि ने 100 से अधिक दिल्ली सिविल डिफेंस के कोरोना योद्धाओं को गौरव सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया।
विदित हो दिल्ली ने कोरोना के खिलाफ अपनी सबसे मुश्किल जंग कोरोना योद्धाओं के मजबूत इरादे की वजह से ही लड़ी है। दिल्ली के हीरों ने अपने परिवारों की चिंता ना करते हुए दिन-रात बस दिल्ली को सुरक्षित बनाने में जुटे हुए हैं। लेकिन कोरोना वायरस महामारी के संकटकाल में कोरोना योद्धाओं को भी कोरोना के संक्रमण का शिकार होना पड़ा फिर भी कोरोना इन योद्धाओं के हौसलों को पस्त नहीं कर पाया। अपने योद्धाओं का जोश, जुनून और लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी के समर्पण का तहे दिल से शुक्रिया और सम्मान देने के लिए ही शास्त्री पार्क आरडब्ल्यूए (रजि.) ने कोरोना योद्धाओं को गौरव सम्मान पत्र देने की शुरुआत की।

इस मौके पर शास्त्री पार्क आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष संजीव जैन ने कहा कि हमने तो सिर्फ एक शुरुआत की है ताकि कोरोना योद्धाओं को एक छोटा सा सम्मान दे सकें जिससे यह योद्धा इस कोरोना महामारी की लड़ाई में अपने आप को अकेला न महसूस करें। यह सम्मान उन्हें नई ऊर्जा देगा।
उन्होंने कहा कि हमारी आरडब्ल्यूए आगे भी ऐसे कोरोना योद्धाओं को सम्मानित करती रहेगी जिन्होंने इस वैश्विक संकट-काल में समाज और देश को बचाने के लिए अपने जीवन की भी परवाह नहीं की और लोगों की सेवा की। हमें जैसे-जैसे कोरोना वायरस महामारी के संकटकाल में सेवा करने वाले कोरोना योद्धाओं का पता चल रहा है। वैसे-वैसे हम उन्हें गौरव सम्मान पत्र देकर सम्मानित कर रहे हैं जिससे उनके हौंसलों में कोई कमी न आ सके।
दिल्ली सिविल डिफेंस के डिवीजन वार्डन आर.बी. यादव ने कहा कि यह सम्मान सिविल डिफेंस के वालिंटियर को एक नई ऊर्जा देगा और वह और अच्छा करने की कोशिश करेंगे। यह कुछ लोगों के लिए कागज का एक टुकड़ा हो सकता है पर यह हमारे लिए एक बहुत बड़ा सम्मान है। मैं व मेरी पूरी टीम शास्त्री पार्क आरडब्ल्यूए का धन्यवाद करती है जिन्होंने हमें सम्मान देकर एक नई ऊर्जा दी है।
 









 

रविवार, 13 जून 2021

मंसूरी फैडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए मेहंदी हसन मंसूरी

मो. रियाज़

नई दिल्ली। मंसूरी समाज के सैंकड़ों सभ्य लोगों द्वारा एक बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक में देशभर के मंसूरी समाज के लोग मौजूद थे और जो लोग किसी कारणवश इस बैठक में शामिल नहीं हो पाए वह लोग वर्चुअल (ऑनलाइन) के माध्यम से जुड़े। इस बैठक में 10 राज्यों के लोगों ने शिरकत की।
इस बैठक की अध्यक्षता डॉ. अय्यूब मंसूरी द्वारा की गई। इस बैठक में मंसूरी फैडरेशन ऑफ इंडिया का गठन किया गया जिसमें विधिवत रूप से 11 सदस्यों की चुनावी कमेटी बनाकर चुनाव किया गया। 
इस बैठक में जो लोग वहां मौजूद थे उन सभी की मौजूदगी में बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉ. अय्यूब मंसूरी (हापुड़) व हाजी साबिर (दिल्ली) ने मंसूरी फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए मेहंदी हसन मंसूरी वहीं नियाज़ अहमद उर्फ पप्पू मंसूरी को राष्ट्रीय महासचिव के नाम का प्रस्ताव किया जिसका समर्थन सभी मौजूद लोगों ने हाथ उठाकर किया और वर्चुअल मीटिंग के माध्यम से जुड़े लोगों ने भी इस पर अपनी सहमति जताई वहीं कार्यकारिणी का शेष विस्तार अगली बैठक में किया जाएगा।
इस बैठक में मौजूद मंसूरी समाज के वरिष्ठ लोगों ने अपने विचार रखे और कुछ मुद्दों पर सलाह भी दी जिससे समाज में फैली बुराइयों व कमियों को दूर किया जा सके। 
नवनिर्वाचित अध्यक्ष मेहंदी हसन मंसूरी ने कहा हम लोगों को मिलकर समाज में फैली बुराइयों व कुरीतियों को रोकना होगा, आगे बढ़ने का एक मात्र रास्ता तालीम है, हमारे संगठन का खास मकसद समाज के आखरी पायदान पर खड़े मंसूरी को तालीम से जोड़ना है, ताकि आने वाले समय में हमारी नई पीढ़ी समाज व देश की सेवा कर सके।
इस बैठक की अध्यक्षता कर रहे डॉ. अय्यूब मंसूरी ने कहा है कि हमें उम्मीद है कि नवनिर्वाचित अध्यक्ष मेहंदी हसन मंसूरी जी संगठन को मजबूत करें व समाज के लिए बेहतरी के लिए काम करें।
राष्ट्रीय महासचिव नियाज़ अहमद उर्फ पप्पू मंसूरी ने कहा कि मंसूरी फेडरेशन ऑफ इंडिया का जो आज गठन किया गया है और मुझे जो संगठन की  जो नई जिम्मेदारी दी गई है मैं उसे पूरी ईमानदारी से निभाउंगा और पूरे देश का दौरा कर संगठन को और मजबूत बनाउंगा।
इस बैठक में हाजी सरकार आलम, नियाज़ अहमद उर्फ पप्पू मंसूरी, हुसैन बक्श मंसूरी, रशीद अहमद, वाहिद मंसूरी, डॉ. जावेद, खुर्शीद मंसूरी, हाजी शरीफ, अनवर मंसूरी, आज़ाद मंसूरी, जैनुद्दीन मंसूरी, हाजी कल्लन मंसूरी, हाजी इरफान, ज़मीर अहमद, हाजी अमज़द, हाजी समीर, हाजी शमीम, अब्दुल रहमान, शाहिद मंसूरी, यूसुफ मंसूरी, इनाम मंसूरी, रियासत मंसूरी, रियाजुद्दीन मंसूरी, जब्बार मंसूरी, शफीक मंसूरी, ज़ाकिर मंसूरी, रफ़ीक़ मंसूरी, नदीम मंसूरी, शोएब मंसूरी, सलीम मंसूरी, ज़ुबैर मंसूरी, तैयब मंसूरी, सत्तर हुसैन, राजा मंसूरी, नौशाद मंसूरी, फिरदौस मंसूरी आदि मौजूद रहे।


 

शुक्रवार, 11 जून 2021

समय आ रहा है जब दुष्प्रचारों का जवाब मिलेगा

अवधेश कुमार

देश के परिश्रम और जिजीविषा से कोरोना का आतंकित करने वाला झंझावात फिर एक बार ढलान पर आ गया है। हममें से अनेक लोगों ने अपनों को खोया या अपने लोगों को परिजनों को खोते देखा है। ऐसी विकट परिस्थितियों में शत्रु और विरोधी ज्यादा तीखा प्रहार करते हैं क्योंकि उन्हें मालूम है कि इस माहौल में उनकी बातों को समर्थन मिलेगा। इसमें सच और झूठ को अलग करने का सामूहिक विवेक कमजोर पड़ता है। जब कोरोना प्रकोप चरम पर था तो विदेशी मीडिया में भारत विरोधी दुष्प्रचार सहनशीलता की सीमा पार कर गया। टाइम पत्रिका ने लिखा कि पहली बार भारत में पाया गया कोरोना वायरस के बी 1.617 वैरीअंट से विश्वभर को खतरा पैदा हो गया है। यह 44 देशों में पाया जा चुका है। ब्रिटेन के चीफ मेडिकल ऑफिसर क्रिस व्हिटी का बयान था कि भारत में मिला वैरीअंट ज्यादा संक्रामक है। वैरीअंट के लगातार मिलने के बाद इस बात का खतरा ज्यादा है कि मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।

 वाशिंगटन यूनिवर्सिटी की हेल्थ मैट्रिक्स इवेलुएशन इंस्टीट्यूट कह रहा थाउकि भारत में हर दिन आठ लाख व्यक्ति संक्रमित हो रहे होंगे। उनका आकलन था कि मृतकों की सही संख्या ढाई लाख नहीं (तब संख्या इतनी ही थी) साढ़े सात लाख होगी। इसके विशेषज्ञ शोधकर्ताओं ने कहा कि भारत में कोरोनावायरस के प्रकोप की सही तस्वीर का पता लगाना असंभव है। यानि भारत झूठा है। इन्होंने अगस्त तक मृतकों की संख्या 15 लाख होने का अनुमान भी जता दिया ।

आप सोचिए किस तरह संगठित तरीके से भारत की छवि तार-तार करने का अभियान चल रहा था। विश्व स्वास्थ संगठन ने सबसे पहले कहा कि नया वैरिअंट भारत में ही पाया गया और 44 देशों में पहुंचा है। विश्व स्वास्थ संगठन ने कोरोना प्रकोप के दौरान ऐसा एक कदम नहीं उठाया जिससे विश्व को इससे लड़ने में मदद मिले। उसने बार-बार केवल डर और भय पैदा किया है। कोविड-19 का जो वायरस दिसंबर 2019 में पाया गया उसका स्रोत वैज्ञानिकों के अनुसार चीन का वुहान प्रांत था। विश्व स्वास्थ संगठन चीन को कुछ कहने का साहस आज तक नहीं दिखा सका। उसने भारत में कोरोना की दूसरे लहर के बारे में भी कोई भविष्यवाणी नहीं की। हां, उसे नया वेरिएंट का स्रोत भारत में अवश्य दिख गया। अगर यह 44 देशों में पाया गया जिनमें अमेरिका के साथ यूरोप के देश भी शामिल हैं तो क्यों न माने कि वैरीअंट इन्हीं में कहीं से निकला होगा?

 गहराई से देखेंगे तो आपको भारत विरोधी दुष्प्रचार का एक अंतरराष्ट्रीय पैटर्न दिखाई देगा। लांसेट जैसी विज्ञान की पत्रिका ने जिस तरह राजनीतिक लेख लिखकर वास्तविकता से दूर भारत की बिल्कुल भयावह विकृत तस्वीर पेश की और भारत सरकार को इस तरह लांछित किया मानो जानबूझकर मानवीय त्रासदी की स्थिति तैयार की गई। साफ था कि शत्रु चारों ओर सक्रिय थे। इनमें कोई रचनात्मक सुझाव नहीं, तथ्यात्मक विश्लेषण नहीं। भारत के टीके को कमतर बताने का अभियान भी विश्व स्तर पर चल रहा है। कोरोना की पहली लहर में जब भारत ने अपने देश से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवाइयां विश्व भर को आपूर्ति करनी शुरू कर दी तब भी इसी तरह का दुष्प्रचार किया गया। मेडिकल भाषाओं में तथाकथित रिपोर्टो को उल्लिखित कर कहा गया कि यह कोरोना में प्रभावी ही नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस पर मुहर लगा दी। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन जैसी सस्ती दवा के समानांतर दुनिया भर की बड़ी कंपनियों ने अनेक महंगी दवाइयां, इंजेक्शन कोरोना के नाम पर बाजार में झोंकी, उन्हें प्रभावी बताया और खूब मुनाफा कमाया। बाद में साबित हुआ कि वो दवाइयां अनुपयोगी और हानिकारक थीं।

लेकिन जब अपने ही देश में दुष्प्रचार की बड़ी-बड़ी मशीनें नकारात्मक तथ्यों और आरोपों का छिड़काव कर रहीं हों तो विदेशियों का मुंह कैसे बंद किया जाएगा। वैसी विकट स्थिति में केंद्र व राज्य सरकारों, जिम्मेवार राजनीतिक दलों, विवेकशील पत्रकारों - बुद्धिजीवियों - एक्टिविस्टों के सामने एक ही रास्ता होता है, प्रत्युत्तर देने में उलझने की बजाय मिलजुल कर पहले अमानवीय और क्रूर दौर का अंत करें।

अब जब भारत ने कोरोना को नियंत्रित कर लिया है तो क्या इनका दायित्व नहीं बनता कि इसे भी स्थान दें। हालाँकि उस दौर में भी विश्व के स्तर पर ही इनको प्रत्युत्तर मिलना आरंभ हो गया था। उदाहरण के लिए यूरोपीय संघ के मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स की प्रतिष्ठित वेबसाइट ईयूरिपोर्टर ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भारत विरोधी रिपोर्ट और लेखों का विश्लेषण कर सबको कटघरे में खड़ा किया था। इसने लिखा कि न सही तथ्य देखे गए, न तथ्यों का विश्लेषण किया गया बल्कि बड़ी दवा कंपनियों के प्रभाव में आकर भारत के बारे में नकारात्मक रिपोर्ट और लेख लिखे गए। ऐसे समय जब भारत के साथ खड़ा होना चाहिए मीडिया के इस समूह ने निहायत ही गैर जिम्मेदार भूमिका निभाई है। लांसेट की आलोचना करते हुए बताया गया कि उसकी एशिया संपादक एक चीनी मूल की महिला हैं जिन्होंने भारत विरोधी लेख लिखा था।

अमेरिका की ही जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी ने दुनिया के कई देशों के कोरोना संक्रमण और उससे होने वाली मौतों के आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए कहा कि भारत कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में अभी सबसे सुरक्षित देशों में से एक है। यूनिवर्सिटी ने भारत को फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, अमेरिका, स्वीडन, ब्रिटेन, इटली, स्पेन, ब्राजील जैसे देशों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित बताया। विश्व में सबसे बेहतर स्वास्थ ढांचा का दावा करने वाले देश अमेरिका विश्व में कोविड-19 वाली मौतों में लगमग छह लाख के साथ सबसे ऊपर है। अमेरिकी मीडिया को यह दिखाई नहीं दिया कि भारत जैसे 130 करोड़ वाले देश का आंकड़ा इससे आधा पर है?

अच्छा है कि भारत ने अपना धैर्य बनाए रखा है। भारत विरोधी दुष्प्रचार में शामिल सबको उत्तर दिया जाना चाहिए लेकिन समय पर। हमारे देश ने अपना एक स्वतंत्र टीका विकसित किया तथा एक संयुक्त स्तर पर। डीआरडीओ ने जो 2डीजी औषधि बनाई वह विश्व में अपने किस्म की अकेली कोरोना औषधि है। ये बड़ी उपलब्धियां हैं। अमेरिका में मीडिया से लेकर सरकार अपने टीके को विश्व में सबसे ज्यादा 95% प्रभावी होने का प्रचार करती है। टीका बनाने वाले दूसरे देश भी अपना प्रचार कर रहे हैं। भारत में अपने ही टीके की पहले खिल्ली उड़ाई गई, उसके बारे में नकारात्मक धारणा फैलाई गई, मीडिया में नकारात्मक बहस हुए, लेख लिखे गए। विदेश में बैठे दुष्प्रचारकों को भी भारत से ही तो आधार मिलता है। अगर राहुल गांधी के ट्वीट का स्वर यह हो कि भारत के लोगों को दूसरे देशों में घुसने नहीं देंगे तो इसे विश्व स्तर पर सुर्खियां दी जाएंगी। अभी तक किसी देश ने भारत के बारे में इस तरह की टिप्पणी नहीं की। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब प्रतिदिन टीवी पर आकर ऑक्सीजन की कमी और उसके कारण मरीजों की मौत और अस्पतालों में व्यवस्था न होने की विकृत राजनीति करेंगे तो यह विश्व मीडिया में भी जाएगा।

झूठ की आयु ज्यादा दिन नहीं होती। भारत के लिए विकट समय था। दूसरी लहर के आकलन में चुकें हुई , पहली लहर से अनुभव लेकर जन चेतना को जागरूक करने के लिए जो होना चाहिए था नहीं हुआ, स्वास्थ्य व्यवस्था में जो सुधार चाहिए था ठीक प्रकार से नहीं किया गया, समाज के स्तर पर भी लापरवाही ज्यादा बरती गई, कुछ नेताओं ने भी कोरोना कहां है… टीके  नहीं लगाएंगे जैसे बयानों से गलतफहमी पैदा की। भारत ने इन सबका घातक दुष्परिणाम झेला है।जब झंझावात पूरी तरह थमेगा शोधकर्ता, विश्लेषक अनेक बातों को फिर से समझने की कोशिश करेंगे।  विश्व स्तर पर दुष्प्रचार को तो उत्तर मिलेगा, यह भी देखा जाएगा कि कोरोना से घोषित मौतों में केवल कोरोना के कारण कितनी मौतें हुईं क्योंकि कोरोना से हुई मौतों में बड़ी संख्या उनकी है जिनको कई प्रकार की गंभीर बीमारियां थी और उसी में वे संक्रमित भी हुए। दूसरे,  निजी अस्पतालों ने मौत के आंकड़े बढ़ाने और तस्वीर को भयावह करने में कितनी बड़ी भूमिका निभाई? सच्चाई आज न कल उनसे पूछी जाएगी और छानबीन भी होगी। पूछा जाएगा कि आपने अपने महंगे आईसीयू के लिए औक्सीजन की व्यवस्था क्यों नहीं रखी?

अवधेश कुमार, ई:30, गणेश नगर, पांडव नगर कौम्प्लेक्स, दिल्ली :110092,मोबाइल :9811027208, 8178547992

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