शुक्रवार, 8 मई 2015

आम आदमी पार्टी एवं केजरीवाल का मीडिया पर हमला चिंताजनक

 

अवधेश कुमार

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने जिस तरह सम्पूर्ण पत्रकार जगत को सुपारी लेने की संज्ञा दी हैं और पार्टी में उनके सहयोगी संजय सिंह ने पत्रकार वार्ता बुलाकर उनकी बातों को और विस्तार दिया मुझे याद नहीं इसके पूर्व किसी पार्टी ने ऐसा किया। केजरीवाल कह रहे हैं कि मीडिया ने उनकी पार्टी को समाप्त करने की सुपारी ले रखी है। मीडिया उनके खिलाफ जो खबरें होतीं हैं उसे खूब दिखाता है, उनके खिलाफ बिना सबूत के, निराधार, बेसिरपैर की खबरें दिखाता है, लेकिन जब हम कोई सबूत वाली चीज लाते हैं तो नहीं दिखाता है। संजय सिंह भी कह रहे थे कि बिना प्रमाण, बिना आधार, बिना जांचे परखे आपलोग इस तरह चीजों को चला रहे हैं जो गैर जिम्मेवार है। दोनों नेता अपने अनुसार इसके उदाहरण भी दे रहे हैं। इन दोनों के बाद पार्टी की एक पूर्व महिला कार्यकर्ता द्वारा महिला आयोग जाने के मामले पर मीडिया के रवैये को कुमार विश्वास ने मीडिया को अंग्रेजी में मोदिया कहकर मजाक उड़ाया। यह सब मीडिया पर किसी सरकार और राजनीतिक दल की ओर से अब तक का सबसे तीखा प्रहार और तीखी निंदा है।

वैसे केजरीवाल इससे ज्यादा गालियां मीडया को, पत्रकारों को पहले भी दे चुके हैं, देते रहते हैं। जबसे वे मुख्यमंत्री बने हैं तबसे कम से कम एक दर्जन बार तो वो मीडिया पर हमला कर चुके हैं। लोकसभा चुनाव के पूर्व नागपुर के भोजन चंदा कार्यक्रम में उन्होेंने सत्ता में आने पर पत्रकारों को जांच कराकर जेल में डालने की बात की थी। उनको अनुमान नहीं था कि वहां कोई पत्रकार भी थाली का 20 हजार रुपया जमा करके पैठ चुका है। उसने टेप कर लिया और वह बाहर आ गया। उसके पूर्व मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद रोहतक की अपनी पहली सार्वजनिक सभा में पूरा भाषण ही मीडिया के खिलाफ दिया था। उसके पहले किसी पार्टी के नेता ने इस तरह पूरा भाषण सार्वजनिक सभा में मीडिया के खिलाफ नहीं दिया था। अब उन्होंने अपनी बात पहुंचाने का अपना तरीका चुना है कि उनका ही आदमी उनसे प्रश्न पूछे और वे उसका अपने अनुसार उत्तर दंें तथा वही बाइट चारों ओर भेज दिया। यह कौन सी मीडिया का तरीका है, जहां आपके सामने कोई प्रतिप्रश्न करने वाला नहीं है? ऐसे तो पत्रकार काम नहीं कर सकते, न कोई मीडिया संस्थान कर सकता है।

मीडिया उनकी नजर मंें उनके खिलाफ अपुष्ट, बिना प्रमाण और आरोपों की जांच किए खबरें दिखता है। तो उनके पास इस बात का कोई सबूत है क्या कि मीडिया ने उनके खिलाफ सुपारी ली है? अगर सबूत हैं तो वे सामने लाएं? किस मीडिया ने या पत्रकार/पत्रकारों ने उनकी पार्टी या उनके खिलाफ सुपारी ली है? सुपारी शब्द वैसे जघन्य अपराधियों या अपराधी गैंग के लिए प्रयोग किया जाता है जो धन लेकर हत्या या अन्य आपराधिक वारदात करता है। तो केजरीवाल की नजर में मीडिया और उसमें काम करने वाले पत्रकार उसी तरह के अपराधी गैंग हैं। आप दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं तो सबूत दीजिए। नहीं देते हैं तो फिर आप क्या हैं?

कितनी बड़ी विडम्बना है। जो व्यक्ति स्वयं मीडिया की पैदाईश है। वे एक से एक आधारहीन आरोप लेकर पत्रकार वार्ता करते रहे, मीडिया लाइव दिखाती रही तब उनको कोई समस्या नहीं थी। उनके सभी राजनीतिक दलों के खिलाफ विषवमन वाले भाषण लाइव दिखाये जाते रहे तो उनके लिए मीडिया अनुकूल था। जैसे ही उनके मन के विपरीत कुछ हुआ तो मीडिया सुपारी लेकर काम करने वाला अपराधी हो गया। मीडिया दलालों, बिकाउ चेहरों, बेईमानों का समूह हो गया। उन्हें याद दिलाया जाए कि अपने नेताओं को टेलीफोन बात में कमीना आपने कहा, लात मारकर बाहर निकालने की बात आपने कही और उसे बाहर आपकी पार्टी के ही नेता ने लाया। तो क्या मीडिया उसे प्रकाशित, प्रसारित न करे? इससे आप जो हैं वह सामने आया। अपने से वरिष्ठ नेताओं के बारे में इस तरह की सोच आप रखते हैं, उसके अनुसार पीएसी एवं कार्यकारिणी मेें निर्णय करवाते भी हैं, पर आप प्रश्नों से परे हैं! आप एकदम गंगोत्री की स्वच्छ गंगा हैं ये तो मीडिया नहीं कह सकता न।

आशीष खेतान पर मीडिया ने आरोप नहीं लगाया। आपकी ही पार्टी के संस्थापक सदसस्य प्रशांत भूषण ने बयान दिया कि तहलका के गोवा फेस्ट के लिए शशि रुइया ने पैसे दिए और आशीष खेतान ने 2 जी मामले में उसके पक्ष में प्लांटेड खबरें लिखीं जो कि पेड न्यूज की श्रेणी में आता है। मीडिया ने उस बयान को दिखाया और उस समय खेतान ने पत्रिका में जो लिखा था उसे सामने रख दिया। उसने खेतान का बयान भी चलाया। अमेठी लोकसभा चुनाव में एक छात्रा तथा महिला के साथ कुमार विश्वास के संबंधों को लेकर आम आदमी पार्टी के भीतर से ही खबरें, तस्वीरें, केजरीवल को भेजी गईं शिकायतें आदि सामने र्लाइं गईं। मीडिया ने इसे तूल नहीं दिया। छोटी खबर बना दी, क्योंकि यह किसी महिला और लड़की के भी सम्मान और जिन्दगी का प्रश्न है। इस समय एक महिला दिल्ली महिला आयोग में पहुंुची इस आवदेन के साथ कि उन पर आरोप से उनका परिवार टूट रहा है कुमार विश्वास इस पर बयान दें। वो महिला अमेठी लोकसभा चुनाव में आप पार्टी के लिए काम कर रहीं थीं। किसी मीडिया ने उन पर कोई आरोप लगाया ही नहीं, वो तो पार्टी के अदंर से आवाज उठी। अगर वो आयोग में आई है तो खबर बनती ही है।

ऐसी बहुत सारी बातें हैं जिनसे अरविन्द केजरीवाल एवं उनके साथियों को परेशानी हो सकती है। कारण, यह बार-बार साफ हो रहा है कि उनकी मानसिकता एकपक्षीय एकाधिकारवादी चरित्र तक सीमित है। यानी हम जो सोचें, करें, बोलें बस वही सही और उसी अनुरुप पत्रकारों को खबरे या विश्लेषण लिखनी या बोलनी चाहिए। यह संभव नहीं। यह तो नहीं हो सकता कि आप अपने दल से उन लोगांे को बेइज्जत करके बाहर करिए जो आपके आरंभ से साथी रहे हैं और मीडिया आपके पक्ष को सही ठहराये। आपके एक मंत्री पर फर्जी डिग्री का आरोप है। वह गलत भी हो सकता है और सही भी। मीडिया इसे दिखाएगा क्यों नहीं? आप कह रहे हैं कि सही है तो मीडिया उसे भी दिखा रहा है, विरोधी कह रहे हैं कि फर्जी है मीडिया उसे भी दिखा रहा है, और उन विश्वविद्यालयों में भी जाकर वहां के अधिकारियों के वक्तव्य भी दिखा रहा है, न्यायालय में वहां से आए शपथ पत्र भी दिखा रहा है। केवल आपका ही पक्ष दिखाए और दूसरे का न दिखाए यह तो पत्रकारिता नहीं हो सकती। यह सोच फासीवाद की ओर ले जाती है। सच कहंें तो अरविन्द केजरीवाल जिस तरह का वक्तव्य दे रहे हैं, आचरण कर रहे हैं उन सबके आलोक मंे उनके बारे में फासीवादी सोच जैसे शब्द प्रयोग अतिवादी नहीं हो सकते। विरोध और असहमतियों के प्रति उनकी सोच और व्यवहार से वाकई फासीवाद झलकता है। राजनीति में यह प्रवृत्ति खतरनाक है। इसका विरोध होना चाहिए।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

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