रविवार, 28 अक्तूबर 2012

भिखारियों का नया अड्डा बनी दिल्ली मेट्रो

संवाददाता

नई दिल्ली। मेट्रो आने के बाद दिल्ली वालों का ट्रांसपोर्ट सिस्टम बदला तो प्रॉडक्ट बेचने वाली कंपनियों और भिखारियों ने भी अपना नया अड्डा तलाश लिया। दिल्ली के सिग्नलों पर ही नहीं , अब भिखारी मेट्रो में भी पहुंच रहे हैं, खासकर लेडीज कोच में। द्वारका से नोएडा की तरफ जाने वाली मेट्रो के लेडीज कोच में अचानक से एक आदमी को देख पहले तो सभी उसे घूरने लगे। लगा कि कोई गलती है लेडीज कोच में चढ़ गया है और क्रॉस करके वह जनरल कोच में चला जाएगा। लेकिन कोई कुछ कहता उससे पहले वह पैसे मांगने लगा। वह कुछ साफ नहीं बोल रहा था, लेकिन खाने के लिए पैसे मांग रहा था। एक लड़की ने जब अपने बैग से निकाल कर उसे खाने के लिए सेब दिया तो उसने मना कर दिया। बिस्कुट के पैकेट के लिए भी मना कर दिया पर कोल्ड ड्रिंक की बोतल ले ली। कई महिलाओं ने उसे पैसे दिए। 

लेडीज कोच में भीड़ भी जनरल कोच के मुकाबले कम होती है इसलिए वह घूम घूम कर आराम से सभी से पैसे मांगने लगा। एक लड़की ने कहा कि जनरल कोच में क्यों नहीं जाते, तो उसने वहां जाने से मना कर दिया। किसी ने भी उसे लेडीज कोच में चढ़ने के लिए नहीं कोसा और किसी ने 5 तो किसी ने दस रुपये दिए। पैसे लेकर वह लेडीज कोच के ही कोने पर खड़ा हो गया।सिर्फ भिखारी ही नहीं बल्कि मार्केटिंग एग्जेक्युटिव भी मेट्रो में प्रचार कर रहे हैं। मेट्रो में ये पैम्फलेट लेकर चढ़ जाते हैं और यात्रियों को प्रॉडक्ट के बारे में बताते हैं। 

वक्त काटने के लिए लोग भी इनकी बातें सुन रहे हैं। एक शख्स ने बताया कि मेट्रो में जब सेल्समैन ने पर्चे निकालकर अपने प्रॉडक्ट के बारे में बताना शुरू किया तो कुछ लोग उसकी बातें सुनने लगे , लेकिन जब एक आदमी ने कहा कि ये बस नहीं है मेट्रो है और मेट्रो में इसकी इजाजत नहीं , तो वह अपने पर्चे समेटकर दूसरे कंपार्टमेंट में चला गया।कई कंपनियों के प्रतिनिधि बड़ा सा बैच लगाकर मेट्रो में चढ़ते हैं और बार - बार सहयात्रियों का ध्यान बैच की तरफ ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। 

अगर किसी ने देखा तो वह बातचीत इस तरह शुरू करते हैं - आपने सुना है इसका नाम ? इस कंपनी के बारे में आप जानते हैं ... ये कंपनी एक प्रॉडक्ट बनाती है जो मार्केट में नहीं मिलते .... और इस तरह वह अपना प्रचार शुरू कर देते हैं। जहां बसों में भिखारी से लेकर प्रॉडक्ट बेचने वाले बिना टिकट घुस जाते हैं , वहीं मेट्रो में बकायदा टिकट लेकर ही इन्हें आना होता है।

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