बुधवार, 21 फ़रवरी 2024

बिहार की जनता के बारे में कौन सोच रहा है

अभिषेक गुप्ता
बिहार मे नितिश कुमार ने एक बार फिर बहुमत हासिल कर लिया। पाला बदलने के बाद भी उनका मुख्यमंत्री का पद बच गया। उनकी घरवापसी हो गई और भाजपा के साथ मिलकर फिर से उन्होंने बिहार में सरकार बना ली। महागठबंधन से नितिश कुमार के अलग होने के कारण क्या रहे यह समय बताएगा। यह सवाल उनसे कोई पूछता भी नहीं। इससे पहले नितिश कुमार एनडीए से क्यों अलग हुए इसका भी ठोस कारण आजतक नहीं पता चला। एनडीए से पहले दो बार अलग होने के कारण क्या है, इस पर तमाम चर्चाएं होती रही, लेकिन खुलकर कुछ नहीं पता चला। बिहार में पिछले तीस सालों में तमाम राजनीतिक उठापटक होते रहे है। इन तमाम उठापटक के बीच बिहार में एक सवाल यही उठता रहा है कि आखिर बिहार की जनता इस उठापटक में कहां है। राजनीतिक दल और सरकार उनके बारे में कितना सोच रहे है। तमाम राजनीतिक उठापटक और सरकार के गिरने बचाने के खेल के बीच जनता तो गायब है। जनता के मुद्दे गायब है। बिहार के तमाम मुद्दे वहीं के वहीं है। गरीबी बढी है, बेरोजगारी बढी है, देश भर में मजदूरों की आपूर्ति का बड़ा केंद्र आज भी बिहार ही है।
निशिचत तौर पर इस उठापटक के बीच नितिश कुमार ने अपना जनसमर्थन खोया है और उनके व्यक्तिव पर सवाल उठा है। आम जनता भी बार-बार पाला बदलने के उनके इस रवैये से नाराज है। ग्रामीण इलाकों में नितिश कुमार ने जनसमर्थन खोया है। जो नितिश कुमार किसी जमाने में सुशासन बाबू जाने जाते थे उन्होंने अपनी सरकार बचाने के लिए बाहुबालियों का सहारा लिया। उन्होंने अपनी सरकार बचाने के लिए अनंत सिंह, आनंद मोहन और प्रहलाद यादव का सहारा लिया। ये बाहुबाली किसी जमाने में नितिश कुमार को फूटी आंख नहीं सुहाते थे। अनंत सिंह जेल में है। उनकी पत्नी नीलम देवी विधायक है। उन्होंने राजद का पाला बदल सता का दामन थामा। नितिश कुमार की सरकार बचायी। आनंद मोहन जेल से छूटे है। उनके बेटे चेतन आनंद विधायक है। आनंद मोहन के बाहुबल को नितिश हमेशा चुनौती देते रहे। लेकिन उन्होंने आखिर अपनी सरकार बचाने के लिए आनंद मोहन का सहारा लिया, उनके बेटे का वोट उन्हें मिला। चेतन आनंद जो राजद के विधायक थे वे सरकार के साथ चले गए।
निश्चित तौर पर इस सारे घटनाक्रम के दौरान सबसे ज्यादा मजबूत होकर राजद के नेता तेजस्वी यादव उभरे है। नितिश कुमार के साथ गठबंधन के दौरान उन्होंने अच्छा काम किया और लालू यादव के जंगल राज की परछाई से निकलने की कोशिश की। उनका ए टू जेड की राजनीति अब बिहार में प्रभाव दिखा रही है। विधानसभा मे नितिश कुमार के विश्वास मत के दौरान तेजस्वी यादव ने काफी शानदार भाषण दिया और इसकी सराहना उनके विरोधी भी कर रहे है। उन्होने अपने भाषण के दौरान कोई उग्रता नहीं दिखायी। उन्होंने काफी शालीनता से सता पक्ष को जवाब दिया और यही जवाब सता पक्ष को निरुतर कर गया। तेजस्वी ने कहा कि क्रेडिट लेने पर सवाल उठाया जा रहा है। तेजस्वी ने साफ शब्दों में कहा कि उन्होंने जो क्रेडिट लिया वो जायज था। बिहार में गठबंधन की सरकार ने जो काम किया उसका क्रेडिट सिर्फ मुख्यमंत्री नहीं ले सकते है। क्योकि जिन विभागों ने काम किया था वो उनका विभाग था, मंत्री उनके थे। तेजस्वी ने अपने भाषण के दौरान तंज कसा कि क्या मोदीजी गारंटी लेंगे कि यह सरकार फिर से पलटी नहीं मारेगी।
हालांकि तमाम उठापठक के बीच अहम चिंता यह है कि राजनेता सत्ता प्राप्त करने के लिए लड़ाई ल़ड़ रहे है। लेकिन राज्य आज भी देश के गरीब राज्यों में गिना जाता है। किसी जमाने में बंगाल का हिस्सा रहा यह राज्य आज भी बदहाली की स्थिति में है। ब्रिटिश राज के दौरान बिहार अलग राज्य न होकर बंगाल का हिस्सा था और लंबी मांग के बाद ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में बिहार (आज के ओडिशा और झारखंड) को बंगाल से विभाजित कर एक राज्य बनाने की घोषणा की थी। 22 मार्च 1912 को बिहार को बंगाल से अलग कर एक नया प्रांत बनाया गया था और बाद में 1935 में ओडिशा (उस वक़्त उड़ीसा) को बिहार से अलग एक नए प्रांत का दर्ज़ा दिया गया। इसके बाद फिर 15 नवंबर 2000 को बिहार के दक्षिण हिस्से को अलग कर झारखंड के तौर पर एक नया राज्य बनाया गया, लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि उड़ीसा और झारखंड जैसे राज्य बिहार से आगे निकलने की कोशिश में है, लेकिन बिहार को लेकर गंभीर चिंता यहां के राजनेताओं ने नही की। 
आज 21 वीं सदी में भी बिहार की हालत बदहाल है। राज्य में लगभग 1 करोड़ खेती से जुड़े है जो राज्य के लगभग 8 प्रतिशत है। वहीं 2 करोड़ के करीब लोग श्रमिक है। राज्य के 63.74 फीसदी यानी करीब 29.7 लाख परिवार रोजाना 333 रुपये से कम यानी 10,000 रुपये मासिक से कम पर गुजारा करते हैं। वहीं 34.13 फीसदी या एक तिहाई से अधिक लोग रोजाना 200 रुपये या उससे कम पर गुजर बसर करते हैं। ये आंकड़े बताते है कि राज्य के नेताओं और शासनतंत्र ने राज्य के विकास के लिए कोई खास काम नहीं किया। दिलचस्प बात यह है कि इन आंकड़ों के बाद भ  राज्य के तमाम नेता बड़े बड़े दावे करते है। बिहार की इस बदहाली के लिए तमाम राजनीतिक दल और इसके नेता जिम्मेवार है। हाल ही मे विश्वासमत के दौरान यह दिखा किस तरह से विधायकों को तोड़ने की कोशिश हुई, पैसे के लेनदेने के आरोप लगे और अब तो इस मामले में गिरफ्तारी भी हो चुकी है। ये तमाम घटनाएं यह दिखाती है को बिहार का एक तबका खासा अमीर हो गया, जबकि एक बड़ा तबका खासा गरीब है। इसके लिए राज्य के तमाम नेताओं को आत्ममंथन कर राज्य के विकास के लिए काम करना होगा।
(राजनीतिक विश्लेषक एवं स्तंभकार)

उत्तरखंड के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने किया राइजिंग इंडिया डेवलपमेंट एक्सपो का उद्घाटन

नई दिल्ली। मंत्री ने बेहतर स्वास्थ्य के लिए मण्डया/बाजरा अपनाने पर जोर दिया तथा आजादी के 100वें वर्ष मानी 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है। यह दृष्टिकोण नार्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, पर्यावरणीय स्थिरता और सुशासन सहित विकास के विभित्र पहलुओं को शामिल करता है। आज माननीय मंत्री जी ने इंडिया एक्सपी सेंटर एवं मार्ट ग्रेटर नोएडा दिल्ली एनसीआर में राइजिंग इंडिया डेवलपमेंट एक्सपो का उद्घाटन किया। यह प्रदर्शनी 22 में 24 फरवरी 2024 तक प्रदर्शित रहेगी। अपने उद्घाटन भाषण में मंत्री ने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य और पोषण के लिए बाजरा अपनाने की सलाह दी, वह प्रदर्शनी में प्रदर्शित मशीनरी और उपकरणों ने बहुत प्रभावित हुए।

उपरोक्त एक्सपो का आयोजन पिक्सी एक्सपो मीडिया एवं ग्लोबल मिडिया ग्रुप द्वारा इंडिया एक्सपो सेंटर एवं मार्ट, ग्रेटर नोएडा में किया जा रहा है। सी में जधिक संगठन जपने उत्पादों, भविष्य की रणनीति जऔर परिवर्तनकारी पहल के साथ भाग ले रहे हैं जो हमारे राष्ट्र की प्रगति को आगे बड़ा रहे हैं क्योंकि हम अगले कुछ वर्षों में एक विकसित अर्थव्यवस्था की ओर यात्रा कर रहे हैं। यह एक्सपो प्रभावशाली सरकारी योजनाओं को प्रदर्शित करने और भारत के भविष्य को आकार देने के लिए एक अनूठा मंच प्रदान करता है। इस मेगा इवेंट में लगभग 30 एमएसएमई, 15 राज्य सरकार के बागवानी बोर्ड और अन्य उद्योगों के 60 मे अधिक निजी प्रमुख कम्पनीयां भाग ले रहे हैं। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद सीएसआईआर कई नबीन उत्पाद प्रदर्शित करेगा जो किसानों के निए उपयोगी होंगे बऔर खेती की प्रक्रिया की आगान बनाएंगे।

पृथ्वी विज्ञान हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, मौसम विज्ञानी मौसम का अध्ययन करते हैं और खतरनाक तुफानों पर नजर रखते हैं। जलविज्ञानी पानी का अध्ययन करते हैं और बाड़ की चेतावनी देते हैं। भूकंपविज्ञानी भूकंपों का अध्ययन करते हैं और यह अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं कि वे कहाँ टकराएँगे। यह भविष्यवाणी जब किसानों को कई तरह में मदद कर रही है।
बाजरा, उपभोक्ताओं, किमानों और पर्यावरण को लाभ पहुंचाता है। वे स्वस्थ आहार का एक अच्छा स्रोत हैं एवं वे कृषकों और जलवायु को लाभ पहुँचाते हैं कम पानी वाले होते हैं और नियमित रूप से खेती करने में सक्षम होते हैं।

सरकार की योजना देश-विदेश में कई कार्यक्रम आयोजित करने की है बाजरा और अन्य पोषक अनाजों को लोकप्रिय बनाने के लिए। इसके अलावा, सभी राज्य सहित भारत सरकार के मंत्रालय/विभाग सरकारों के समन्वय से पोषक अनाजों को बढ़ावा देंगे। संयुक्त राष्ट्र के जादेश पर भारत में 2023 को अंतर्राष्ट्रीय बाजरा वर्ष पोपित किया। भारत सरकार की पहन गहन बाजरा संवर्धन के माध्यम से पोषण सुरक्षा के लिए सरकार में बाजरा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं जैसे कि घरेलू और वैश्विक मांग पैदा करना और पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराना। बाजरा के पोषण मूल्य को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने बाजरा को भी पोषक तत्व के रूप में अधिसूचित किया है।

बाजरा मूल्य श्रृंखला में हजारों स्टार्टअप काम कर रहे हैं भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान ने 250 स्टार्टअप शुरू किए हैं। बाजरा के महत्व पर जोर देते हुए नाथों साधनहीन किसानों के लिए भोजन और पाउडर की आपूर्ति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बाजरा पारंपरिक भोजन है एशिया और अफ्रीका में 59 करोड लोग। बाजरा ही एकमात्र ऐसी फसल है जो भविष्य में भोजन, चारा, ईंधन, कुपोषण, जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों का गमाधान करेगी। बाजरा विटामिन बी कॉम्प्लेक्स, कैल्जियम, से भरपूर होता है नौह पोटेमियम, मैग्रीशियम, जस्ता और कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाले बाजरा होते हैं गेहूं से एलर्जीध्क्षसहिष्णु बच्चों के लिए उपयुक्त हैं। बाजरा उगाने के कई फायदे हैं: न्यूनतम वर्षा आधारित फसल होना उर्वरकों का उपयोगय कोई कीटनाशक नहीं क्योंकि वे कीटों के हमले के प्रति कम संवेदनशील होते हैंप बाजरे के बीजों को वर्षों तक भंडारित किया जा सकता है, जिससे सुखे में भी फायदा होता है।

माननीय मंत्री जी ने सुझाब दिया कि किसानों को आमन्दनी बड़ानें के लिए पारम्परिक खेती से जैविक खेती एवं बागवानी की तरफ ज्यादा ध्यान देना चाहिये। इस सम्बन्ध में सरकार के विभिन्न स्किमों को किसानों तक पहुचानें के लिए इस तरह के आयोजन लगातार होते रेहने चाहिए इस सम्बन्ध में आयोजकों के सफल प्रयास के लिए मंत्री जी ने ग्लोबल मिडिया के मी.ई.ओ श्री चालिन्द्र कुमार जी एवं उनकी पुरी टिम को धन्यवाद दिया।

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