बुधवार, 13 सितंबर 2023

भारत ने जी 20 को दिया नया कलेवर

अवधेश कुमार


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-20 अध्यक्ष के नाते जब स्वस्तिअस्तु विश्व: यानी संपूर्ण विश्व सुखी हो के साथ शिखर सम्मेलन के समापन की घोषणा की तो ये कोरे शब्द नहीं थे। जी 20 का नई दिल्ली शिखर सम्मेलन अनेक दृष्टियों से ऐतिहासिक और सफल माना जाएगा। यूक्रेन युद्ध के बाद  पहला सम्मेलन है जिसकी घोषणा पत्र से कोई सदस्य देश नाखुश या असंतुष्ट नहीं है। अमेरिका और पश्चिमी देश संतुष्ट हैं तथा रूस और चीन भी। इस कूटनीति को भारत ने कैसे साधा होगा इसकी कल्पना आसान नहीं है। 37 पृष्ठों के घोषणा पत्र में पृथ्वी, यहां के लोग, शांति व समृद्धि वाले खंड में चार बार यूक्रेन युद्ध की चर्चा है किंतु रुस का नाम नहीं है। इन पंक्तियों को देखिए,  सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों व सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए। किसी भी दूसरे देश की अखंडता व संप्रभुता का उल्लंघन धमकी या बल के उपयोग से बचना चाहिए। नाभिकीय हथियारों के इस्तेमाल या इस्तेमाल की धमकी अस्वीकार्य है। यूक्रेन युद्ध के बीच में राष्ट्रपति पुतिन ने नाभिकीय हथियार के उपयोग तक की धमकी दे दी थी। इसमें प्रधानमंत्री की वह पंक्ति भी है जो उन्होंने पुतिन को कहा था कि यह समय युद्ध का नहीं है। अगर पिछले बाली घोषणा पत्र को देखें तो वह रूस के विरुद्ध था और रूस से यूक्रेन खाली करने की आवाज उठाई गई थी। तुलना करें तो इस प्रश्न का उत्तर सामान्यतः नहीं मिलेगा कि भारत ने अमेरिका को कैसे यह प्रस्ताव स्वीकार करने के लिए तैयार किया। 

 सम्मेलन के पहले दिन दूसरे सत्र में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली घोषणा पत्र स्वीकार करने की घंटी बजाई तभी साफ हो गया कि भारत की कूटनीति सफल रही है।  सम्मेलन आरंभ होने के एक दिन पहले तक यूक्रेन से लेकर जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा, विकासशील और कमजोर देश को वित्तीय सहायता व सस्ते कर्ज उपलब्ध कराने ,साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहमति नहीं बन रही थी। घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध से जुड़ा पैराग्राफ खाली छोड़ना पड़ा था। भारतीय प्रयासों ने रंग लाया और घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध, जलवायु परिवर्तन, लैंगिक असमानता ,आर्थिक चुनौतियां, हरित विकास, आतंकवाद, क्रिप्टो करेंसी, महिलाओं के उत्थान समेत वो सारे मुद्दे शामिल किए गए जिन्हें भारत ने तैयार किया था।

इस एक पहलू से साफ हो जाता है कि अपनी अध्यक्षता में भारत ने किस तरह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, देशों के संबंध, राजनय, व्यक्ति के जीवन आदि से संबंधित भारतीय विचारों को लेकर पिछले एक वर्ष तक काम किया होगा। भारत के लगभग 60 शहरों में 220 से ज्यादा बैठकें जी 20 की हुई है। इस कारण भी यह इतिहास का सबसे विस्तारित, महत्वाकांक्षी और सफल सम्मेलन साबित हुआ क्योंकि इनमें कुल 112 परिणाम दस्तावेज व अध्यक्षीय दक्षतावेज तैयार हुए। पिछले इंडोनेशिया की राजधानी बाली के सम्मेलन में कुल 50 परिणाम व अध्यक्षीय दस्तावेज स्वीकृत हुए थे। इनमें 73 परिणाम दस्तावेज यानी आउटकम डॉक्यूमेंट हैं जो देश के विभिन्न शहरों में सदस्य देशों के मंत्रियों और अधिकारियों के ओर से बैठकों में बनी सहमति पर तैयार हुए हैं। ऐसा कोई विषय नहीं जिन पर बैठक नहीं हुई। जब भारत ने इसका नारा ही एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य दिया तथा इसके साथ वसुधैव कुटुंबकम जोड़ दिया तो फिर इसके परे कुछ हो ही नहीं सकता था। सच कहा जाए तो भारत ने जी 20 की न केवल कुछ बदली बल्कि इसे नया कलेवर दे दिया। निश्चय ही इसके सदस्य देशों के साथ अन्य देशों को भी इन शब्दों के भारतीय अर्थ समझाए गए होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ था। भारत नाम के वैश्विक स्वीकृति की ठोस नींव पड़ चुकी है। भारत शब्द के साथ विश्व यह मानने को विवश होगा कि हम लाखों वर्ष पूर्व के प्राचीनतम राष्ट्र हैं। इस नाते भी जी 20 सम्मेलन को इतिहास के अध्याय में याद किया जाएगा। 


भारत के लिए यह पहला अवसर था जब विश्व के सभी शक्तिशाली देशों के प्रतिनिधि तथा रूस, चीन और स्पेन को छोड़कर सारे राष्ट्र प्रमुख, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रमुख एवं सत्ता शीर्ष से जुड़े अधिकारी उपस्थित थे। भारत में स्वयं नौ देशों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया था। भारत के लिए भविष्य की महाशक्ति संभावना का विश्वास दिलाने का अब तक का सबसे बड़ा अवसर था और यह मानने में कोई हिचक नहीं है कि इस उद्देश्य को कल्पना से भी श्रेष्ठ तरीके से भारत ने प्राप्त किया है। भारत मंडपम देखने से ही भारत की सांस्कृतिक ,आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत के साथ आधुनिक ज्ञान विज्ञान की उपलब्धियां ,आर्थिक व सैनिक क्षमता, विविधताओं, राष्ट्र की अवधारणा, राष्ट्र - राज्य के रूप में भविष्य के उद्देश्यों की समझ आने वाली लायक झलक मिल रही थी। स्वयं प्रधानमंत्री कोणार्क के जिस काल चक्र के सम्मुख खड़े होकर सभी नेताओं का स्वागत कर रहे थे उसके दर्शन में ही संपूर्ण सृष्टि के संचालन का ज्ञान निहित है। राष्ट्रपति के रात्रि भोज में स्वागत करने की पृष्ठभूमि नालंदा विश्वविद्यालय की तस्वीर यह बताने के लिए थी कि जब विश्व आधुनिक शिक्षा पद्धति से अनभिज्ञ था तब भी भारत में व्यवस्थित विश्वविद्यालय थे जहां हर विषयों की शिक्षा थी और अलग-अलग देशों से छात्र यहां पढ़ने आते थे। 

भारत ने इस सम्मेलन को महिमामंडित कर  जैसी भव्यता और सुव्यवस्थित आयोजन बनाया वह अगले अध्यक्ष ब्राजील के लिए एक मानक बन गया है। यह स्वीकार करना होगा कि भारत ने अपने नेतृत्व में जी 20 का एजेंडा, लक्ष्य, सदस्यों की सोच को काफी हद तक बदलने में सफलता पाई है। वसुधैव कुटुंबकम यानी संपूर्ण विश्व को एक परिवार मानकर विश्व व्यवस्था की रचना करने की दिशा में 55 सदस्यीय अफ्रीकन यूनियन को सदस्य बनाने में भारत क़ो सफलता मिली, 125 विकासशील व गरीब देशों का सम्मेलन बुलाकर ग्लोबल साउथ या वैश्विक दक्षिण के एजेंडा को इसमें रखा गया। इस तरह भारत ने संदेश दिया कि अंतरराष्ट्रीय समस्याओं का समाधान ज्यादा लोकतांत्रिक तरीके से संभव है और इसमें छोटे -बड़े, संपन्न विकासशील और गरीब सभी देशों को सहभागी बनाया जाए ताकि उन्हें आभास हो कि विश्व व्यवस्था की रचना में उनकी भूमिका है। अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था में मुख्य भूमिका निभाने वाले देशों से इनका संवाद एवं मिलन ही नहीं होगा तो असंतोष और गुस्सा पैदा होगा। 

  प्रधानमंत्री ने 15 द्विपक्षीय बैठकें भी कीं।  चीन भारत की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव के विरुद्ध भारत काम कर रहा है। इटली की प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि वह इससे बाहर निकल रहा है।  भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच संपर्क गलियारे को जल्द लॉन्च करने की घोषणा हुई। भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, फ्रांस, इटली, जर्मनी व यूरोपीय संघ के अन्य देशों तथा अमेरिका को शामिल करते हुए इस संपर्क गलियारे और बुनियादी ढांचे पर सहयोग की आधारभूमि बन गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस जलवायु सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत की। इस बार वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन की शुरुआत हुई। वैश्विक स्तर पर पेट्रोल के साथ एथेनॉल मिश्रण को बढ़ाकर 20% तक करने की अपील के साथ इसके सदस्य बनने की अपील की गई। बहुपक्षीय विकास बैंक से लेकर डिजिटल सार्वजनिक आधारभूत संरचना आदि अनेक ऐसे बिंदु हैं जिनको उपलब्धियां के रूप में उल्लेखित किया जा सकता है। 

कुल मिलाकर विश्व के नेताओं ने एक वर्ष के सम्मेलनों और दिल्ली समापन के साथ भारत की प्राचीन सभ्यता - संस्कृति ,धर्म ,विरासत, राष्ट्र - राज्य की अवधारणा, वर्तमान ताकत, एकता, अखंडता के इसके सूत्र, वैश्विक सोच, आधुनिक प्रगति और भविष्य में विश्व का शीर्ष देश बनने के संकल्प को साक्षात्कार देखा और समझा। इस मनोविज्ञान का असर आने वाले समय में दिखाई देगा और भारत ज्यादा मुखर होकर अपनी सोच के अनुरूप भावी विश्व व्यवस्था को दिशा देने में सफल भूमिकाएं निभाएगा।  जी 20 को इसके अनुकूल एक सशक्त आधार भारत के नेतृत्व में दे दिया गया है। उम्मीद की विश्व आर्थिक और तकनीकी विकास से लेकर संपूर्ण विश्व में खाद्यान्न व स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं उपलब्ध कराने आदि की दृष्टि से समावेशी होगा तथा सहयोग और सहकार की भूमिका निभाते हुए तनाव दूर करने में भी सफल होगा।



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