रविवार, 9 अक्तूबर 2022

अखाड़े के खिलाड़ी मुलायम सिंह यादव मौत को नहीं दे सके पटखनी

मुलायम सिंह यादव

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के सरंक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है. उन्होंने 82 साल की उम्र में गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में आज (10 अक्टूबर) सुबह 8:16 बजे आखिरी सांस ली. मुलायम सिंह यादव को 22 अगस्त को सांस लेने में तकलीफ और लो ब्लड प्रेशर की शिकायत के बाद मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था, हालांकि उनकी तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था और 1 अक्टूबर की रात को आईसीयू में शिफ्ट किया गया था, जहां एक डॉक्टरो का पैनल उनका इलाज कर रहा था. 

मजाल नहीं जो उनकी गिरफ़्त से कोई अपने आपको छुड़ा ले---कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव की जवानी के दिनों में अगर उनका हाथ अपने प्रतिद्वंदी की कमर तक पहुँच जाता था, तो चाहे वो कितना ही लंबा या तगड़ा हो, उसकी मजाल नहीं थी कि वो अपने-आप को उनकी गिरफ़्त से छुड़ा ले.आज भी उनके गाँव के लोग उनके 'चर्खा दाँव' को नहीं भूले हैं, जब वो बिना अपने हाथों का इस्तेमाल किए हुए पहलवान को चारों ख़ाने चित कर देते थे.

मुलायम सिंह यादव के चचेरे भाई प्रोफ़ेसर राम गोपाल ने एक बार बीबीसी को बताया था, "अखाड़े में जब मुलायम की कुश्ती अपने अंतिम चरण में होती थी तो हम अपनी आंखें बंद कर लिया करते थे. हमारी आंखें तभी खुलती थीं जब भीड़ में से आवाज़ आती थी, 'हो गई, हो गई' और हमें लग जाता था कि हमारे भाई ने सामने के पहलवान को पटक दिया है." अध्यापक बनने के बाद मुलायम ने पहलवानी करनी पूरी तरह से छोड़ दी थी. लेकिन अपने जीवन के आख़िरी समय तक वो अपने गाँव सैफई में दंगलों का आयोजन कराते रहे.

जुलाई में पत्नी साधना गुप्ता का हुआ था निधन---इससे पहले मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता का इसी साल जुलाई में निधन हो गया था. फेफड़ों में संक्रमण के चलते उनका गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में इलाज के बाद निधन हुआ था. साधना मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी थीं. उनकी पहली पत्नी मालती देवी का 2003 में निधन हो गया था. मालती देवी अखिलेश यादव की मां थीं. 

1992 में की सपा की स्थापना---मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को हुआ था. पांच भाइयों में मुलायम तीसरे नंबर पर थे. मुलायम सिंह ने पहलवानी से अपना करियर शुरू किया. वह पेशे से अध्‍यापक रहे. उन्‍होंने कुछ समय तक इंटर कॉलेज में अध्‍यापन किया. पिता उन्‍हें पहलवान बनाना चाहते थे. फिर अपने राजनीतिक गुरु नत्‍थू सिंह को प्रभावित करने के बाद मुलायम सिंह यादव ने जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनावी अखाड़े से कदम रखा. वह 1982-1985 तक विधान परिषद के सदस्‍य रहे. 

लोहिया आंदोलन---लोहिया आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले मुलायम सिंह यादव ने चार अक्टूबर 1992 में समाजवादी पार्टी की स्थापना की. मुलायम सिंह यादव को राजनीति के अखाड़े का पहलवान कहा जाता था. वह प्रतिद्वंद्व‍ियों को चित करने के माहिर रहे. देश के सबसे बड़े सूबे उत्‍तर प्रदेश की राजनीति में उन्‍होंने वो ऊंचाई हासिल की जो किसी भी नेता के लिए सपना होता है.  उन्‍होंने तीन बार राज्‍य की कमान संभाली. वह देश के रक्षा मंत्री भी बने. उत्‍तर प्रदेश विधानसभा के वह आठ बार सदस्‍य रहे. 

मुलायम सिंह यादव के राजनीत‍िक कर‍ियर पर एक नजर...

साल 1967 में मुलायम सिंह पहली बार विधायक बने. इसके बाद 5 दिसंबर 1989 को पहली बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. मुलायम ने अपना राजनीतिक अभियान जसवंतनगर विधानसभा सीट से शुरू किया. वह सोशलिस्ट पार्टी, प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से आगे बढ़े. 1967, 1974, 1977, 1985, 1989 में वह विधानसभा के सदस्य रहे.  मुलायम सिंह 1989, 1993 और 2003 में यूपी के सीएम रहे. वह लोकसभा के सदस्य भी रहे.

1996 के चुनाव में जीतकर वह पहली बार संसद पहुंचे. इसके बाद 1998 में वह जीत हासिल किए. 1999 के चुनाव में भी उनकी जीत का सिलसिला जा रही. 2004 में वह मैनपुरी से लोकसभा चुनाव जीते. 2014 में वह आजमगढ़ संसदीय सीट और मैनपुरी से चुनाव लड़े और दोनों जगह से ही जीत हासिल किए. सपा के इस दिग्गज नेता की जीत का सिलसिला 2019 के चुनाव में भी जारी रहा और मैनपुरी से जीतकर एक बार फिर संसद पहुंचे.

--मो. रियाज

अलौली प्रखंड के साहसी पंचायत के खानकाह फरीदिया जोगिया शरीफ में पूरी शानों-शौकत से निकाला गया जुलूस-ए-मोहम्मदी

खगड़िया, (दिलीप यादव) । अलौली प्रखंड के साहसी पंचायत के जोगिया शरीफ में मोहम्मद साहब के जन्मदिन पर जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। जिसकी अध्यक्षता खानकाह फरीदिया के गद्दी नशीन हजरत मौलाना बाबू सईदैन फरीदी ने की। इस मौके पर उन्होंने बताया कि पैगंबर-ए-इस्लाम मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश पर रविवार को जोगिया शरीफ में शान के साथ जुलूस-ए-मोहम्मदी निकला। जुलूस में काबा समेत अन्य झाकियां देखते ही बन रही थीं। लोग नात-ए-पाक सुनते हुए रसूले पाक की शान में कलाम पेश करते रहे। जुलूस देर शाम तक जोगिया गांव के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरा। सुरक्षा के लिए जुलूस के साथ पुलिस भी तैनात थी। 
रविवार को जिले में मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश पर लोगों ने खुशियों का इजहार किया। मदरसा समदिया महमूदिया नूरूल उलूम में मिलादे पाक की महफिल सजाई गई। इसमें दारूदे सलाम का नजराना पेश करने के बाद लोगों ने शानो-शौकत के साथ जोगिया शरीफ में जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला। जोगिया शरीफ से निकले जुलूस में शामिल लोगों ने नबी की शान में कलाम पेश किए। जुलूस में मक्का व काबा की झांकी भी साथ चल रही थी। जोगिया से निकले सभी जुलूस बाबू सईदैन फरीदी की अगुवाई में शानो शौकत के साथ जुलूसे मोहम्मदी जोगिया गांव होते हुए हरिपुर बाजार पहुंचा।
मौलाना बाबू  सईदैन फरीदी ने बताया के हज़रत मुहम्मद साहब का जन्म स्थान मक्का है।
आपका नाम रखा मुहम्मद-हज़रत मुहम्मद साहब का नाम उनके दादा अब्दुल मुत्तलिब ने रखा था। जिसका अर्थ है "प्रशंसित"। मुहम्मद नाम अरब में नया था। मक्का के लोगों ने जब अब्दुल मुत्तलिब से नाम रखने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा ताकि सारे संसार में मेरे पोते की प्रशंसा की जाए।
लोग उनसे और क़रीब हो जाते : जैसे-जैसे हज़रत मुहम्मद साहब बड़े हुए उनकी ईमानदारी, नैतिकता और सौम्य प्रकृति ने उनको और प्रतिष्ठित कर दिया। वे हमेशा झगड़ों से अलग रहते और कभी भी अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं करते थे। अपने इन सिद्धांतों पर वे इतना दृढ़ थे कि मक्का के लोग उन्हें 'अल-अमीन' नाम से पुकारने लगे थे, जिसका अर्थ होता है 'एक भरोसेमंद व्यक्ति'। उनके प्रसिद्ध चचेरे भाई अली ने एक बार कहा था "जो लोग उनके पास आते, उनसे और क़रीब हो जाते ।"
बिलादते रसूल पर कुरान व हदीस के हवाले से एक जामे खिताब फरमाया। सुरक्षा के लिए अतिरिक्त पुलिस बल जुलूस के साथ लगाई गई थी। आमदे रसूल पर हर कोई खुशी मना रहा था। जुुलूस में बाबू सकलैन फरीदी ने पैगंबर ए इस्लाम के बारे में लोगों को समझाया।
इस दौरान जगह-जगह लंगर, सबील लोगों को बांटे जाते रहे। इस मौके पर मौलाना बाबू सालिक हुसैन फरीदी, बाबू सिबतैन फरीदी, अकरम, नावेद आलम,गुलफराज, चांद बाबू, फेदाए रसूल, हरमैन फरीदी, मौलाना मुस्तकीम फरीदी, बहराइन फरीदी, लईक नवाज,उमर अली, मुजम्मिल, साकिर हुसैन, मेराजुल हक, मौलाना जुल्फिकार फरीदी, हाफिज असद इमाम हरिपुर मस्जिद, फैजान अहमद, अबुशामा रजवी, मौलाना मुर्शिद रजवी, सजीम रजवी, शाह आलम, तौफीक फरीदी समेत बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।











 
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