शनिवार, 4 अप्रैल 2020

तबलीगी जमात का कृत्य कोरोना से संघर्ष के सारे कदमों पर पानी फेरने वाला

 

अवधेश कुमार

तबलीगी जमात के प्रति सहानुभूति दिखाने वाले सबसे पहले कुछ खबरों पर नजर डाल लें। राजधानी दिल्ली में कई जगहों पर तबलीगी जमात के कोरोना के संदिग्ध मरीजों द्वारा अस्पताल में स्वास्स्थ्यकर्मी के साथ बदतमीजी का मामला सामने आने के बाद अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटरों पर पुलिस बल तैनात करने करना पड़ा है। दिल्ली सरकार और अस्पतालों के अधिकारी शिकायतें कर रहे हैं कि ये लोग क्वारैंटाइन सेंटरों, असपतालों में मेडिकल स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, गालियां दे रहे हैं, उनके ऊपर थूक फेंक रहे हैं। दक्षिण-पूर्वी दिल्ली में रेलवे के पृथक केंद्रों में रखे गए, तबलीगी जमात के कार्यक्रम से जुड़े करीब 160 लोगों ने उनकी जांच कर रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया और उनपर थूका। निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों में से 167 को तुगलकाबाद में रेलवे के पृथक केंद्रों में लाया गया था। उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने कहा कि पृथक केंद्रों में उन्होंने स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार किया और खुद को दिए जा रहे भोजन को लेकर आपत्ति जताई...यहां तक कि उन्होंने उन्हें देख रहे डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों पर थूक तक दिया। तबलीगी जमात में शामिल एक सदस्य ने बुधवार राजीव गांधी सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल की छठी मंजिल पर स्थित आइसोलेशन वार्ड के कमरे में भर्ती इस कोरोना संदिग्ध ने दस मिनट तक कूदने का नाटक किया। गाजियाबाद के एमएमजी अस्पताल प्रशासन की शिकायत पर तो तबलीगी जमातियों के खिलाफ अश्लील हरकत करने, स्वास्थ्यकर्मियों को धमकियां देने, हंगामा करने आदि के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करानी पड़ी है। 

ये कुछ उदाहरण पर्याप्त हैं यह साबित करने के लिए स्वयं को धर्म प्रचार समूह बताने वाले तबलीगी जमात के लोगों का चरित्र और आचरण कैसा है। बहरहाल, आज का सच यही है कि निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तबलीगी जमात सम्मेलन में भाग लेने वाले भारत में कोरोना कोविड 19 का सक्रमण के सबसे बड़े समूह बन गए हैं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक 2300 पॉजिटिव मामलों में से 645 से ज्यादा निजामुद्दीन मरकज से जुड़े हुए हैं। देश भर में तबलीगी जमात के जो 9000 लोगों की पहचान की गई है, उनमें से 1300 लोग विदेशी हैं। इन्हें कोरंटाइन में रखा गया है। इस तरह भारत के कुल मरीजों में 27 प्रतिशत से ज्यादा तथा मृतकों में करीब 33 प्रतिशत अभी तक तबलीगी जमात के लोग ही हैं। राजधानी में तो कुल 350 संक्रमितों में से 290 निजामुद्दीन मरकज से ही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने साफ कहा है कि मरकज के कारण कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है। जिन 22 राज्यों से आए लोगों का पता चला है वो सब खतरे के दायरे में आ गए हैं। ये कोरोना के चलते-फिरते टाइम टिक-टिक करते टाइम बम हैं। आशंका यह बढ़ रही है केन्द्र तथा राज्य सरकारों ने अपने परिश्रम तथा प्रबंधन से एवं आम भारतीयों ने अपने संयम, संतुलन से इच्छाओं का दमन कर, घरों में बंद रहकर दुनिया के प्रमुख देशों की तुलना में कोरोना के प्रसार को काबू में रखने में जो सफलताएं पाईं हैं वो इनकी करस्तानियों से नष्ट हो सकता है। 

ये कैसे रंग बदलते हैं इसका उदाहरण देखिए। तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद ने 2 अप्रैल को अपने समर्थकों के लिए एक मिनट 15 सेकंड का ऑडियो जारी किया है जिसमें वो अपने बारे में दावा कर रहे हैं कि मैं दिल्ली में ही सेल्फ क्वारैंटाइन में हूं। वो जमात के सदस्यों से अपने घरों में रहने, सरकार के निर्देशों का पालन करने और कहीं पर एकसाथ एकत्रित ना होने की अपील कर रहे हैं। क्या मासूमियत है! इन्हीं मौलाना साद का ऑडियो-वीडियो यू ट्यूब पर था जिसे हटा दिया गया। कोरोना संकट आरंभ होने से लेकर लौकडाउन तक वे लगातार अपनी तकरीरे देते रहे। उसमें वे कोरोना को खड़ा किया गया झूठा हौव्वा, जानबूझकर मुसलमानों के खिलाफ साजिश करार देते हैं। वे कहते हैं कि इसे मुसलमानों को मुसलमानों से अलग करने के लिए लाया गया है ताकि वो एक दूसरे से मिलें-जुलें नहीं। मस्जिद में रहो, यदि तुम्हारी मौत हो जाती है तो इससे अच्छी मौत हो ही नहीं सकती है। ..ऐेेसी उनकी कई तकरीरें हैं। इन्हें हजारों लोगों ने सुना। कोरोना को लेकर उनकी क्या मानसिकता होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। जिस तरह से मरकज के लोगों की तलाश में या विदेश से आए लोगों को पता चलने पर उनको बचाने गई डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों की टीम पर जगह-जगह हमले हुए वे इस बात के प्रमाण हैं कि इनके दिमाग में मजहबी कट्टरता या इस्लाम के नाम पर कितना जहर भर दिया गया है। दिल्ली के निजामुद्दीन स्थिति मरकज से लोगों को निकालने में पुलिस-प्रशासन को काफी मशक्कत करनी पड़ी। 36 घंटे तक चलाए गए ऑपरेशन के बाद एक अप्रैल सुबह 4 बजे मरकज खाली कराया गया था। मरकज से 2,361 लोग निकाले गए।  

मरकज में आने वाले लोगों का संबंध जिन 22 राज्यों से जुड़ रहा है उनमें तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, असम, उत्तरप्रदेश, तेलंगाना, पुडुचेरी, कर्नाटक, अंडमान निकोबार, आंध्रप्रदेश, श्रीनगर, दिल्ली, ओडिशा, प.बंगाल, हिमाचल, राजस्थान, गुजरात, मेघालय, मणिपुर, बिहार, केरल और छत्तीसगढ़ शामिल है। गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को इन्हें ढूंढकर तुरंत कोरंटाइन करने जांच करने तथा विदेशियों को देश से बाहर निकालने का आदेश दिया है। गृह मंत्रालय ने 960 विदेशी नागरिकों को ब्लैकलिस्ट में डालते हुए जमात से संबंधित गतिविधियों में लिप्त पाए जाने पर उनका पर्यटन वीजा रद्द करन का फैसला किया है। सरकार ने विदेशियों की वीजा को देखा तो पता चला कि इनमें से अधिकतर पर्टयन वीजा पर भारत आए हैं। इसमें सरकार का कहना है कि ये किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते। पर्यटन वीजा पर आकर मजहब का प्रचार करने, मजहबी जलसों में तकरीरें करने की तो शायद ही किसी देश में अनुमति हो। 

तबलीगी जमात के इस अपराधिक कृत्य के बावजूद प्रमुख मुस्लिम संगठनों और नेताओं द्वारा इनकी मुखर आलोचना न करना इसका ऐसा पहलू है जो हैरान करता है। उल्टे जो नेता और संगठन तबलीगी जमात से असहमति रखते थे, वे  भी समर्थन में आ गए हैं। ये क्यों नहीं समझ पा रहे हैं कि जमात के लोगों ने अपने प्रति, मुस्लिम समुदाय के प्रति तथा देश के प्रति भयानक अपराध किया है। यह मुस्लिम समाज के ही खिलाफ है। जमात के 20 लोग मर चुके हैं। इतनी सख्ंया में संक्रमितों तथा मृतकों का अपराधी कौन माना जाएगा? जब मार्च के आरंभ से ही एडवायजरी जारी की जा रही थी कि बड़ी संख्या में न जुटें,  मेलजोल से अलग रहें, बहुत आवश्यक न हो तो यात्रा न करंें, तो इसका पालन जमात को क्यों नहीं करना चाहिए था? दूसरे, 12 मार्च को दिल्ली सरकार ने 200 से ज्यादा लोगों के एकत्रित होने को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बावजूद उनका सम्मेलन आयोजित हुआ, क्योंकि जमात के अमीर मौलाना साद एवं उनके समर्थकों के लिए इन एडवाजरियों तथा दिल्ली सरकार का आदेश इस्लाम के प्रतिकूल था। यह कट्टर मानसिकता ही समस्या है। 

अगर इनने अनजाने में किया होता तो इन्हें क्षमा भी किया जा सकता था। लेकिन इन्होंने सब कुछ जानते हुए घोषित करके दिशा-निर्देशों, आदेशों और एडवायजरी का उल्लंघन किया। जमात का यह कैसा इस्लाम है? दूसरे धर्मों के सारे केन्द्र आम लोगों के लिए बंद किए जा चुके थे। तबलीगी जमात के लोगों का इससे कोई लेना-देना ही नहीं था। अगर यह संगठन मजहब का प्रचार करता है तो फिर ऐसा कृत्य कैसे कर सकता है जिससे इनके लोगों की जान तो जाए ही दूसरे भी चपेट में आकर जीवन गंवा दें? यह ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब देश को तो तलाशना ही है, स्वयं मुस्लिम समुदाय को इसकी ज्यादा जरुरत है। निजामुद्दीन मरकज जलसे से निकलने के बाद लोग जिन क्षेत्रों से और जिन साधनों से गुजरे और उस बीच उनके साथ जितने लोग संपर्क में आए उन सबका पता करना मुश्किल है। समस्या यह भी है कि इनमें से अनेक यह स्वीकारते ही नहीं कि वो निजामुद्दीन मरकज के कार्यक्रम में गए थे, जबकि उनका नाम सूची में है। इस कारण पुलिस को इनके साथ सख्ती बरतनी पड़ रही है। एक मजहबी संगठन के लोग इस तरह झूठ बोलें तो उससे ही पता चल जाता है कि इसमें कैसी मानसिकता पैदा की जाती है। सवाल यह भी है कि आखिर ये लगातार अपील के बाद स्वयं सामने क्यों नहीं आए हैं? पुलिस को क्यों जगह-जगह इनको ढूंढकर लाना पड़ रहा है? क्या ये चाहते हैं उनके कारण कोरोना का प्रकोप बढ़े? यह कितना बड़ा अपराध है इस पर जरा विचार करिए। ये जगह-जगह और डॉक्टरों पर थूकते क्यों हैं, जबकि इन्हें मालूम है कि थूकने से संक्रमण फैलता है? तो क्या ये जानबूझकर संक्रमण फैलाना चाहते हैं? यह ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर इनके व्यवहार को देखते हुए न में देना जरा कठिन है। 

अवधेश कुमार, ईः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, मोबाइलः9811027208 





http://mohdriyaz9540.blogspot.com/

http://nilimapalm.blogspot.com/

musarrat-times.blogspot.com

http://naipeedhi-naisoch.blogspot.com/

http://azadsochfoundationtrust.blogspot.com/