श्याम कुमार
मायावती के शासनकाल में जो तमाम गलत बातें हुईं, उनमें मुख्य सचिव पद का अवमूल्यन भी था। इस अवमूल्यन की चर्चा पूरे देश के
प्रशासनिक संवर्ग में होती थी तथा सबको बहुत अफसोस था। अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री
पद पर आसीन होते ही मुख्य सचिव पद की गरिमा को पुनः बहाल किया। किन्तु इसमें पूर्व
मुख्य सचिव नवीन चंद्र वाजपेई का भी योगदान माना जाना चाहिए। उस समय यह चर्चा थी
कि उन्हें शशांक शेखर सिंह की भांति पूर्ण अधिकार-सम्पन्न ‘कैबिनेट सचिव’ बनाया
जाएगा। पर नवीन चंद्र वाजपेई ने मना कर दिया था और मुख्य सचिव के पद को ही
पूर्व-प्रतिष्ठा प्रदान किए जाने का पक्ष लिया था।
अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री के रूप में बाद में एक अन्य
अच्छा काम यह किया कि उन्होंने जावेद उस्मानी को मुख्य सचिव बनाया। जावेद उस्मानी
अत्यन्त योग्य तो हैं ही, धैर्यशील, विवेकशील, चरित्रवान एवं व्यक्ति को परखने की क्षमता रखने वाले भी हैं। पूर्व मुख्य सचिव
देवेन्द्र सिंह बग्गा की कई खूबियां उनमें हैं। जिस समय मुख्य सचिव के काम में
राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं हुआ करते थे, यदि जावेद उस्मानी उस काल में मुख्य सचिव हुए
होते तो उनके व्यक्तित्व का चमत्कार और भी अधिक देखने को मिलता। प्रयाग में विश्व
का जो सबसे विशाल धार्मिक समागम ‘महाकुम्भ’ के रूप में सम्पन्न हुआ, उसकी सफलता में सबसे बड़ा योगदान मुख्य सचिव जावेद उस्मानी का था। उन्होंने
पूरे समय कड़ी मेहनत के साथ अपनी निगरानी रखी। महाकुम्भ में उन्होंने साधु-सन्तों
का दिल पूरी तरह जीत लिया था। बड़े-बड़े महात्माओं के शिविर में उनकी भारी प्रशंसा
हुई। प्रयाग के महाकुम्भ या अर्धकुम्भ में किसी भी मुख्य सचिव को यह सौभाग्य अब तक
नहीं मिला था। इसी प्रकार, पिछली होली के अवसर पर जब मैं जावेद उस्मानी से
मिलने उनके आवास पर गया तो देखकर सुखद आश्चर्य हुआ कि वहां स्वादिष्ट व्यंजनों से
युक्त होली-मिलन का भव्य पण्डाल सजा हुआ था। कभी मुख्य सचिव के रूप में योगेन्द्र
नारायण भी होली पर वैसा आयोजन किया करते थे।
जावेद उस्मानी की सबसे बड़ी विशेशता कार्य के प्रति उनकी भारी लगन है। वक्त के
वह पाबन्द हैं तथा पूरे दिन काम में जुटे रहते हैं। यह सही भी है कि इतने बड़े
प्रदेश का मुख्य सचिव यदि सुबह से देर रात तक काम में पूरी तरह नहीं जुटा रहेगा तो
प्रदेश का कदापि भला नहीं हो सकेगा।
जावेद उस्मानी अपनी बढ़िया हिन्दी के लिए मशहूर हैं। वह बहुत अच्छी एवं प्रभावपूर्ण हिन्दी बोलते हैं। हिन्दी लिखने में भी वह बहुत प्रवीण हैं तथा उनकी हस्तलिपि बहुत सुन्दर है। एक अधिकारी ने इस पर टिप्पणी की थी कि लगता है, चीफ साहब अपनी आरम्भिक शिक्षा में सरकन्डे की कलम का इस्तेमाल करते थे, तभी उनकी हस्तलिपि इतनी प्यारी है। किन्तु एक रोचक बात यह कि वह हिन्दीप्रेमी होने के बावजूद अपना हस्ताक्षर हिन्दी के बजाय अंग्रेजी में करते हैं। जबकि इसके विपरीत प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक रंजन बोलने में अंग्रेजी का अधिक इस्तेमाल करते हैं, किन्तु हस्ताक्षर हिन्दी में किया करते हैं।
(श्याम कुमार)
सम्पादक, समाचारवार्ता
ईडी-33 वीरसावरकर नगर
(डायमन्डडेरी), उदयगंज, लखनऊ।
मोबाइल-9415002458
ई-मेल : kshyam.journalist@gmail.com