शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

युवा पीढ़ी को बर्बाद करती मोबाइल की लत


बसंत कुमार

कुछ समय पूर्व मुझे एक हास्य कवि सम्मेलन में जाने का अवसर मिला जिसमे देश के कई नामी हास्य कवि हिस्सा ले रहे थे। सम्मेलन में एक हास्य कवि ने मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल पर व्यंग करते हुए पति पत्नी के रिश्तों के बीच आई खटास पर एक किस्सा सुनाया। " पति ने पत्नी से कहा कि मेरी इक्षा है कि मरने से पहले मैं पोते का मुह देख लू, इस पर पत्नी ने कहा कि शुकर करो हमारे जमाने में मोबाइल नहीं था इस कारण बेटे और बेटी का मुह देख लिया अब आज के मोबाइल युग में पोते का मुह देखने की इक्षा मत पालो। यह कथन निश्चित रूप से मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल पर एक व्यंग था पर यह हमारी जिंदगी में असल रूप ले रहा है। आज लोग मोबाइल के इस्तेमाल में इतना घुस गए है कि अपने आस पास की दुनिया को भूल कर हर समय मोबाइल के स्क्रीन पर उंगलिया चलाते रहते है, इसलिए अब यह चर्चा आवश्यक हो गई है कि मोबाइल की इस लत से छुटकारा पाने के लिए क्या प्रयास किए जाए।

वर्ष 1973 में मोबाइल के अविष्कारक मार्टिन कूपर ने मोबाइल के रूप में दुनिया को एक सुंदर उपहार दिया। और हम इसे अपने लोगों से हर समय जुड़े रहने के लिए एक वरदान समझने लगे। यह हमारे संचार का सबसे सस्ता और सबसे सुलभ साधन माना जाने लगा क्योंकि मोबाइल इंटरनेट के जरिये हमे मिनटो में अनेक जनकारिया उपलब्ध करा देता था और लोग कुछ जानने के लिए अपने दिमाग और अपनी स्मरण शक्ति का इस्तेमाल करना भूल गए। पर कुछ वर्षो से हम अपने पास मोबाइल न होने पर असहाय महसूस करने लगे है और अब ऐसा लगने लगा है कि डिजिटल इंडिया का मार्ग मोबाइल की दुनिया से ही गुजरता है और इसके बगैर डिजिटल इंडिया की कंसेप्ट ही अधूरी रह जायेगी। इसकी बढ़ती हुई लत आने वाले समय में हमारी पीढ़ियों को बर्बाद कर देगी। क्योंकि मोबाइल की लत लग जाने से व्यक्ति अपने लोगों से तो दूर हो जाता है पर अपने आप को मोबाइल से दूर नहीं कर पाता है और इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते है कि मोबाइल की लत से छुटकारा पाने के लिए हम घंटो मोबाइल पर ही लगा देते है।

आज व्यक्ति मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से निम्नलिखित समस्याओ से घिर गया है जिनका निदान आवश्यक् हो गया है-

1- अपनो से दूरी- पहले मोबाइल को अपनो से जोड़ने की परिभाषा के रूप में जाना जाता था पर आज के समय में मोबाइल अपनो से दूरी का मोबाइल बन गया है। व्यक्ति एक कमरे में एक साथ बैठे होने के बावजूद एक दूसरे में रुचि नहीं दिखाता और अपने अपने मोबाइल स्क्रीन को रोल करता रहता है और उसकी इस लत से उनके अपनो के साथ रिश्ते कमजोर हो रहे है, यहा तक की पति पत्नी के के मधुर रिश्तों में युवा अवस्था में ही कड़वाहट आ रही है और उनकी शादी शुदा जिंदगी में तलाक़ तक की नौबत आ रही है और मोबाइल युग के बाद समाज में तलाक़ के मामलो में वृद्धि हो रही है।

2- स्वास्थ पर बुरा प्रभाव- मोबाइल के लगतार इस्तेमाल से उससे निकलने वाले रेडिएशन से व्यक्ति को हृदय से संबंधित बीमारी हो सकती है और इसके अतिरिक्त आँखों की रोशनी पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे बच्चो को छोटी आयु में ही चश्मे लग रहे है, साथ ही सिरदर्द, नीद न आना, चिड़चिड़ापन, याददाश्त कमजोर होना और अन्य स्वास्थ संबंधित बीमारिया घेर रही है। विधार्थी हर समय मोबाइल में खोये रहते है और इस तरह खुद अपने आप से दूर होते जा रहे है और बीमारियों का शिकार होते चले जा रहे है।

3- मोबाइल की लत के कारण प्रतिस्पर्धा में पीछे रह जाना-- बेशक आज के युग में टेक्नोलॉजी के माध्यम से विकास के दौड़ में विश्व के अन्य देशों को टक्कर दे रहे है और टेक्नोलॉजी मुहैय्या कराने में मोबाइल महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है पर आज मोबाइल की लत के कारण हम घंटो मोबाइल के साथ बैठे रहते है जिससे हमारे अन्य काम पीछे छूट जाते है, पढ़ाई में ध्यान नहीं लगता और हम अपने काम और व्यवसास में अपना पूरा ध्यान नहीं लगा पाते है।

4- मोबाइल की लत से लोग नो मोफोबिया के शिकार हो रहे है इस बीमारी में शिकार व्यक्ति मोबाइल न मिलने पर बहुत परेशान और पैनिक हो जाता है और कभी कभी नीद से उठ जाता है तथा मोबाइल को अपने से दूर नहीं रख पाता है और कभी कभी तो उसे मोबाइल पर बार बार काल आने का आभास होने लगता है।

 यह सही है कि मोबाइल के अविष्कार ने मोबाइल के रूप में दुनिया को एक सुंदर उपहार दिया था परन्तु आज व्यक्ति मोबाइल के उपयोग के स्थान पर मोबाइल के इशारे पर चलने लगा है, आज हम अपनी हर समस्या का इलाज मोबाइल पर ढूढ़ रहे है और यही कारण है कि लोगों को अपने आप से दूर करते हुए उन्हें अनेक बीमारियों के नजदीक ला रहा है तथा स्वास्थ, आजीविका और अध्ययन से दूर कर रहा है इसलिए हमे मोबाइल के अत्यधिक प्रयोग से बचना चाहिए और इसे सूचना के माध्यम के तौर पर ही इस्तेमाल करना चाहिए।

देश में मोबाइल क्रांति का आना सूचना के आदान प्रदान के लिए एक वरदान था पर जिस प्रकार यह हमारे बूढ़े, युवाओ, बच्चो यहाँ तक की 2-3 वर्ष के शिशुओ में एक एडिक्शन के रूप में घर कर चुका है कि लोगों को परिवार और समाज के सदस्यों के लिए समय ही नहीं बचा है, लोग सोते जागते मोबाइल में ही लिप्त पाये जाते है और यहाँ तक की युवा पति पत्नी मोबाइल की लत के आगे एक दूसरे को समय नहीं दे पा रहे है, अगर भविष्य में युवाओ की मोबाइल लत पर रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में सरकार को जनसंख्या रोकने और जन संख्या नियंत्रण पर कदम उठाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी क्योंकि यह काम युवाओ में मोबाइल की लत ही पूरी कर देगी।

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