श्याम कुमार
लखनऊ में छेड़छाड़ की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही
है। कुछ समय पूर्व की घटना है, विश्वविद्यालय के सामने हनुमान सेतु के निकट
दिनदहाड़े एक छात्रा को वहां से खींचकर बेइज्जत किया गया था। वहां हनुमान मन्दिर
में दर्शन करने आई महिलाओं की बदौलत उस छात्रा की रक्षा हो सकी थी। इस प्रकार की
घटनाएं नित्यप्रति होती हैं और उनकी संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है। टीवी
चैनलों पर जो अश्लीलता परोसी जा रही है और आधुनिकता के नाम पर स्वच्छंदता को अधिकाधिक
छूट मिल रही है, उससे युवा पीढ़ी में उत्तेजना की प्रवृति बहुत बढ़
रही है, जिसके परिणामस्वरूप छेड़छाड़, बलात्कार आदि की घटनाएं बेकाबू हो रही हैं।
अधिकांश मामलों में पुलिस इस आधार पर घटना को झूठ कहने लगती है कि उसकी रिपोर्ट
नहीं लिखवाई गई है। पुलिस का जो रवैया रहता है, उसके कारण
ज्यादातर घटनाओं में लोग पुलिस के पचड़े में पड़ने के बजाय खामोश रह जाने में अपनी
खैरियत मानते हैं।
अन्य नगरों की तुलना में लखनऊ में छेड़छाड़ की घटनाएं अधिक
होने के विशेश कारण हैं। राजधानी में छेड़छाड़ या यौन-अपराधों में अधिकांशतः
नेता-पुत्रों, अधिकारी-पुत्रों, पुलिस-पुत्रों
आदि का हाथ मिलता है। चूंकि इस महानगरी में नेताओं एवं अधिकारियों की भरमार है तथा
यह वर्ग सर्वशक्तिमान है, इसलिए उनके पुत्र भी छुट्टा सांड़ की तरह विचरण
करते हैं, चूंकि उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई सम्भव नहीं होती, इसलिए वे बेखौफ
जो चाहे किया करते हैं। यदि भूले-भटके कोई कभी इन्हें अपनी गिरफ्त में लेने का
साहस करता भी है तो उसकी मुश्बित हो जाती है।
इन ‘बड़े लोगों’ के पुत्रों की कारस्तानियों को देखने के लिए
कहीं दूर जाने की आवश्यकता नहीं। किसी भी दिन लड़कियों के किसी भी विद्यालय के
इर्द-गिर्द ‘बड़े लोगों’ के पुत्रों की विभिन्न लीलाएं देखी जा सकती हैं।
(श्याम कुमार)
सम्पादक, समाचारवार्ता
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