शनिवार, 28 अक्तूबर 2023

फूल वालों की सैर 29 अक्टूबर से 4 नवंबर 2023 तक

 नई दिल्ली। मुगल काल से चला आ रहा साप्रदायिक सौहार्द व राष्ट्रीय एकता का संदेश वाहक मेला फूल वालों की सैर इस साल 29 अक्टूबर 2023 को रंगारंग उत्सव का रूप लेगा। इस दिन सुबह 10:30 बजे सर्वोदय को एड सीनियर सेकेंडरी विद्यालय कुतुब महरौली में की चित्रकला प्रतियोगिता होगी। मेने की समारोह की विस्तृत जानकारी देते हुए मेले की आयोजन समिति अजुमन सर ए गुल फरोसा की महासचिव श्रीमती उषा कुमार ने बताया कि इस वर्ष यह मेला 29 अक्टूबर 2023 से प्रारंभ होगा। 30 अक्टूबर 2023 को फूलों का पखा दिल्ली के उपराज्यपाल श्रीमान विनय कुमार सक्सेना जी को उनके निवास स्थान पर पेश किया जाएगा और साथ ही शहनाई वादन भी होगा फिर इसके बाद फूलों के पंखे दिल्ली के डिवीजनल कमिश्रर को पेश किए जाएंगे और फिर दिल्ली के मुख्यमंत्री यो अरविंद केजरीवाल जी व मुख्य सचिव को पंखे पेश किए जाएंगे और इसके बाद दिल्ली के पुलिस कमिश्रर श्री संजय अरोड़ा जी को पंखा पेश किया जाएगा।

दिनांक 31 अक्टूबर 2023 को दोपहर 3:00 बजे सद्भावना वाला फूलों के शहनाई ढोलताशा के साथ इंडिया गेट पर निकल जाएगी. जिनमें सभी समुदायों के लोग वह सदस्य शामिल होंगे और इसके बाद सद्भावना यात्रा फूलों के पचे शहनाई और ढोल ताशा के साथ चांदनी चौक के गौरीशंकर मंदिर में से टाउन हॉल होते हुए पुन गौरी शंकर मंदिर पर समाप्त होगी। इस वर्ष साहित्य कला परिषद द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए जाएंगे।

दिनाक 1 नवंबर 2023 को दोपहर से कुश्ती कवडी आदि खेलों का आयोजन महरौली के डीटीए आम बाग पर होगा जिसमें विधायक श्री सोमनाथ भारती जी और नरेश यादव जी मुख्य अतिथि होंगे।

दिनांक 2 नवंबर 2023 की शाम 4:00 बजे महरौनी स्थित महान सूफी संत ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काफी की दरगाह पर दोनों समुदाय के लोग परंपरा के मुताबिक मिलजुल कर फूलों की चादर चढाएंगे। दिल्ली बालों के इस दल का नेतृत्व माननीय उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना साहब करेंगे। नागरिक और उपराज्यपाल के हाथों चादरपोशी के बाद अगले दिन 3 नवंबर 2023 को शाम 6:00 बजे दोनों समुदाय के लोग व माननीय उपराज्यपाल श्री विनय कुमार सक्सेना साहब मिलजुल कर पांडव कालीन श्री योगमाया मंदिर महरौली में फूलों का पखा और छत्र चढ़ाएंगे।

फूल वालों की सैर का समापन दिनांक 4 नवंबर 2023 को महरौली के ऐतिहासिक जहाज महल के प्रांगण में होगा। इसमें हमारे देश की विविधता और राष्ट्रीय एकता और अखंडता का भव्य और समृद्ध स्वरूप दर्शाने वाले समारोह होगे। उल्लेखनीय है कि विभिन्न राज्यों से आने वाले सांस्कृतिक दल इस समारोह में अपने लोक कथा लोक कलाओं की अलक पेश करते हैं और दरगाह व मंदिर के लिए सजा ध्वज पथा लाते हैं। यह पंखा उसके राज्य के अनुभवी शिल्पकार और दस्तकार तैयार करते हैं। इसके बाद साहित्य कला परिषद द्वारा कल्चर प्रोग्राम व पूरी रात भर कव्वाली का दिलकश मुकाबला होगा।

फूल बालों की सैर के लिए भारत सरकार द्वारा आयोजन समिति बंजुमन सैर ए गुप्त फरोसा को राष्ट्रीय सांप्रदायिक सद्भावना पुरस्कार से भी नवाजा है। समिति को यह पुरस्कार भारत की पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल जी द्वारा 12 अगस्त 2009 को प्रदान किया गया था। समिति की महासचिव श्रीमती उषा कुमार ने बताया कि सन 1812 से 1842 तक हर साल लगने वाले इस मेले को अंग्रेजा ने भारत छोड़ो आंदोलन के विरोध में तथा अपने विभाजन कार्य नीति के तहत फूट डालो राज करो के अंतर्गत बंद कर दिया। था। इसे दोबारा 1961 में दिल्ली वासियों की अपील पर भारत सरकार ने दोबारा से शुरू कराया था।

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