गुरुवार, 29 फ़रवरी 2024

संदेशखाली का सच स्वीकार करें ममता

अवधेश कुमार

पश्चिम बंगाल के संदेशखाली कांड ने पूरे देश को सन्न कर दिया है। जिस तरह की घटनाएं सामने आ रहीं हैं उन पर सहसा विश्वास करना कठिन है। आखिर किसी कानून के शासन वाले राज्य में ऐसा कैसे संभव है कि कोई , कुछ या कुछ लोगों का समूह जब चाहे जितनी संख्या में चाहे महिलाओं को बुला ले और उनका शोषण करें? मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कहतीं हैं कि संदेशखाली घटना के पीछे भाजपा का हाथ है। उन्होंने कहा कि संदेशखाली में सबसे पहले ईडी को भेजा गया। फिर ईडी की दोस्त भाजपा कुछ मीडियावालों के साथ संदेशखाली में घुसी और हंगामा करने लगी। ममता बनर्जी, तृणमूल कांग्रेस या सरकार के अन्य प्रवक्ता ऐसी घटना को नकारने की जितनी कोशिश करते हैं उतना ही सच सामने आ रहा है। राजनीतिक दलों के बयानों और मांगों को कुछ समय के लिए छोड़ दीजिए, टेलीविजन कैमरों पर जितनी संख्या में महिलाएं आकर आपबीती सुना रहीं हैं उनसे किसी भी संवेदनशील व्यक्ति का दिल दहल जाएगा। राजनीतिक दलों में भी केवल भाजपा आवाज उठाती या आंदोलन करती तो माना जाता कि शायद आरोपों में उतनी सच्चाई नहीं है जितनी प्रचारित की जा रही है। सारी वामपंथी पार्टियां और कांग्रेस भी संदेशखाली पर एक ही स्वर में बात कर रहे हैं। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने संदेशखाली में अशांत क्षेत्रों का दौरा कर  कहा कि मैंने जो देखा वह भयावह, स्तब्ध करने वाला और मेरी अंतरात्मा को हिला देने वाला था। उन्होंने कहा कि विश्वास करना कठिन है कि रविंद्र नाथ टैगोर की धरती पर ऐसा हुआ है। यह भी पहली बार होगा जब राज्यपाल ने राजभवन का नंबर जारी करते हुए कहा कि किसी महिला को डरने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें समस्या है तो राजभवन में शरण ले सकती हैं। राज्यपाल ने स्थानीय महिलाओं से कहा कि चिंता मत कीजिए, आपको न्याय जरूर मिलेगा। 

यदि मामले की गंभीरता नहीं होती तो कोलकाता उच्च न्यायालय इसका स्वत: संज्ञान नहीं लेता। पहले उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अपूर्ब सिंह राय की एकल पीठ ने सुनवाई की और बाद में इसे दो सदस्यीय पीठ को स्थानांतरित कर दिया गया। उच्च न्यायालय इनमें दो अलग-अलग मामलों की सुनवाई कर रही है। पहले स्थानीय लोगों की जमीन हड़पने का है और दूसरा स्थानीय महिलाओं का यौन उत्पीड़न करने का।

उच्च न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने के बाद उम्मीद करनी चाहिए कि मामले का सच सामने आएगा तथा दोषियों को उपयुक्त सजा मिलेगी। किंतु स्वयं ममता बनर्जी और उनके लोग जब तक यह मानने को तैयार नहीं होंगे कि स्वतंत्र भारत के इतिहास की सबसे जघन्य और शर्मनाक घटना उनके राज्य में घटित हुई है तब तक सच होते हुए भी इसे साबित करना मुश्किल होगा। पुलिस प्रशासन का रवैया देखिए तो साफ हो जाएगा कि संदेशखाली कांड की सही तरीके से जांच और कानूनी प्रक्रिया पूरी करना सामान्य तौर पर संभव नहीं हो सकता। शाहजहां शेख इतने लंबे समय तक गिरफ्तार नहीं हुआ है तो क्यों? उच्च न्यायालय का दबाव नहीं होता तो शायद उसकी गिरफ्तारी नहीं होती। मामले के दो प्रमुख आरोपी शिबू हाजरा और उत्तम सरदार सहित 18  गिरफ्तार हो चुके थे।‌ हालांकि ये भीज्ञआसानी से गिरफ्तार नहीं हुए। महिलाओं के प्रदर्शन और बवंडर के बाद तृणमूल कांग्रेस ने उत्तम सरदार को उत्तर 24 परगना जिला परिषद सदस्य और तृणमूल के अंचल अध्यक्ष के पद से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया। उसके बाद ही पुलिस उसे गिरफ्तार करने का साहस कर सकी। लोग बता रहे हैं की तृणमूल कांग्रेस के लोग घर-घर जाकर देखते थे और जिस घर में सुंदर लड़कियां या महिलाएं होती उन्हें बुला लिया जाता था या उठाकर ले जाया जाता था। पार्टी कार्यालय में भी उनका यौन शोषण किया जाता था। शाहजहां शेख का आतंक इतना था कि कोई आवाज उठाने का साहस नहीं कर पाता था। 5 जनवरी को जब ईडी द्वारा राशन घोटाले से जुड़े मामले में शाहजहां शेख के संदेशखाली स्थित आवास पर छापेमारी के दौरान भारी संख्या में लोगों ने एड की टीम के साथ केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल के जवानों पर पर हमले कर दिए और शहर से लगभग 74 किमी दूर गांव से भागने तक मारपीट की। शाहजहां के फरार होने की खबर से लोगों का साहस बढ़ा और वे सड़कों पर उतरकर विरोध करने  लगे जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं। वस्तुत: 5 जनवरी को हुए हमलों के 33 दिनों बाद 7 फरवरी को संदेशखाली में फिर से हंगामा हुआ।केंद्र द्वारा बंगाल को बकाया फंड से वंचित करने का आरोप लगाकर तृणमूल ने संदेशखाली के त्रिमोहानी बाजार में जनजाति समुदाय के एक वर्ग के साथ एक रैली निकाली थी। इसमें शेख शाहजहां के जयकारे लगाने के बाद ही हंगामा शुरू हुआ‌ और लोग तृणमूल के विरुद्ध नारे लगाने लगे। शाहजहां और उनके समर्थकों पर जमीन हड़पने तथा लंबे समय से महिलाओं के यौन उत्पीड़न सहित अनेक प्रकार की प्रताड़नाओं का आरोप लगाने लगे। आक्रोशित महिलाओं ने  शिबू हाजरा के खेत और पॉल्ट्री फॉर्म में आग भी लगा दी। लोग बता रहे हैं कि पॉल्ट्री फॉर्म गांव के लोगों की जमीन छीनकर अवैध तरीके से बनाया गया जहां अनेक तरह की अवैध गतिविधियां चलती थी। उसे क्षेत्र में जाने के बाद कोई भी व्यक्ति महसूस कर सकता है कि तृणमूल कांग्रेस, शाहजहां और उनके लोगों का किस तरह का आतंक और दबदबा रहा होगा। शाहजहां के घर पर गई ईडी की टीम और सशस्त्र पुलिस बल पर हुआ हमला इस बात का प्रमाण था कि वहां पुलिस और प्रशासन का नहीं शेख शाहजहां और उसके नेतृत्व में चलने वाले तृणमूल कांग्रेस के नाम पर खड़े किए गए साम्राज्य का शासन था। 

ममता बनर्जी ने विधानसभा में बोलते हुए इसमें भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को घसीटा। ममता ने कहा कि संदेशखाली आरएसएस का गढ़ है। वहां पहले भी दंगे हुए थे। क्या आरएसएस में वहां शाहजहां शेख और तृणमूल के लोगों को सत्ताबल की बदौलत जमीन हड़पने और महिलाओं के वीभत्स यौन उत्पीड़न के लिए रास्ता तैयार किया?  वहां जाकर कोई भी देख सकता है कि 24 परगना का संदेशखाली ही नहीं आसपास बांग्लादेश से लगे सीमावर्ती इलाके में रहने वाले भारी आबादी होने के बावजूद अनुसूचित जनजाति के लोग किस तरह की स्थितियों का सामना कर रहे हैं। संदेशखाली एक दर्जन से ज्यादा उन विधानसभाओं की श्रेणी में है जो भारत-बांग्लादेश से लगा है जहां अवैध घुसपैठियों की संख्या हमेशा रही है और वे वहां के लिए समस्या भी रहे हैं। पहले वाम मोर्चा और उसके बाद तृणमूल सरकार ने इनके विरुद्ध कार्रवाई करने की बात तो दूर इन्हें पूरी तरह संरक्षण और पोषण दिया। क्षेत्र के अपराध का विश्लेषण करें तो उनमें गौ तस्करी से लेकर मादक पदार्थों और हथियारों के साथ मानव बिक्री के कारोबार शामिल हैं और इनमें एक समुदाय के लोग सबसे ज्यादा आरोपी और अभियुक्त हैं। यह बात सही है कि पिछले कुछ वर्षों में वहां के लोगों का आरएसएस की ओर आकर्षण बढ़ा है तो इसलिए कि सरकार उन्हें सुरक्षा देने में सफल नहीं रही। लेकिन आरएसएस के कार्यकर्ताओं को भी शाहजहां जैसे बाहुबलियों के उत्पीड़न और अपराध का सामना करना पड़ा है और पुलिस प्रशासन उनका सुरक्षा देने में विशाल रही है। सत्तारूढ़ घटक से जुड़े अपराधी और बाहुबली महिलाओं को जबरन उठाकर अपनी हवश का शिकार बनाते रहे हैं। महिलाओं के साथ बलात्कार और उत्पीड़न की पहले भी अनेक घटनाएं सामने आई जिनमें ज्यादातर पुलिस में दर्ज नहीं हुई और आवाज उठाने के कारण आरएसएस के कार्यकर्ताओं को भी हमलों, हत्याओं और मुकदमों का शिकार होना पड़ा है। यह बात सही है कि 2007 में वहां भीषण दंगा हुआ था जिसमें सीमा सुरक्षा बल को बुलाना पड़ा था। उसमें भी ज्यादातर आरोपी एक ही समुदाय के थे जिनमें अवैध घुसपैठिए भी शामिल थे।

 जो सच स्थानीय लोगों को और निष्पक्षता से वहां जांच करने वालों को दिखाई देता है अगर सरकार और प्रशासन उसे स्वीकार नहीं करेंगे तो संदेशखाली जैसी घटनाएं लगातार होती रहेगी। पुलिस ने हिंसा की घटनाओं की जांच के लिए डीआइजी स्तर की एक महिला अधिकारी के नेतृत्व में 10 सदस्यीय टीम का गठन किया है। किंतु  पुलिस कह रही है कि उसे केवल चार शिकायतें मिलीं जिनमें बलात्कार का आरोप है ही नहीं। इसके बाद पुलिस प्रशासन से कोई क्या उम्मीद कर सकता है। पुलिस की घेराबंदी के कारण संदेशखाली में किसी व्यक्ति के लिए प्रवेश कर पाना असंभव है। यहां तक कि राजनीतिक दलों के नेताओं को वहां जाने के लिए उच्च न्यायालय का सहारा लेना पड़ा है और वो भी सीमित क्षेत्र में जा पा रहे हैं। सरकार और प्रशासन अपनी खीझ पत्रकारों पर उतार रह है। एक पत्रकार को गिरफ्तार ही किया गया है। पुलिस के लिए इससे शर्मनाक क्या हो सकता है कि शाहजहां आज तक कानून के शिकंजे से बाहर है। उच्च न्यायालय ने यह प्रश्न भी उठाया कि क्या उसे संरक्षण मिल रहा है? अभी भी समय है ममता बनर्जी सरकार कानून के शासन कायम करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता साबित करें तथा उस क्षेत्र की स्थिति को स्वीकार कर अपराधियों और बाहुबलियों की पूरी सफाई के लिए अभियान चलाएं। चूंकि इसकी संभावना नहीं दिख रही, इसलिए यह लंबे जन संघर्ष का विषय हो चुका है।

अवधेश कुमार, ई-30, गणेश नगर, पांडव नगर कंपलेक्स, दिल्ली -110092, मोबाइल -98110 27208

भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद् की तीन दिवसीय कार्यशाला/प्रदर्शनी "उत्तर प्रदेश एग्रोटेक- 2024" का आज से शुभारंभ

लखनऊ। भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद अपनी सालाना कार्यशाला व प्रदर्शनी "एग्रोटेक 2024 डेवलपमेंट मीट ऑन उत्तर प्रदेश एग्रीकल्चर" का आयोजन एक मार्च से करने जा रहा है। प्रदर्शनी और कार्यशाला आयोजन भारतीय कृषि खाद्य परिषद, उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के सहयोग से आयोजित कर रहा है। कार्यक्रम के प्रायोजक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया और सह प्रायोजक आईपीएल बायोलोजिकल्स लिमिटेड है।
उक्त प्रदर्शनी व कार्यशाला का शुभारंभ माननीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) उद्यान श्री दिनेश प्रताप सिंह जी करेंगे। प्रदर्शनी शुभारंभ कार्यक्रम के दौरान राज्य सभा के सांसद श्री अशोक बाजपेयी जी, वरिष्ठ आईएएस व एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कृषि विभाग डॉ देवेश चतुर्वेदी, नाबार्ड के सीजीएम श्री एस के डोरा, डॉ अनीस कुमार शर्मा डायरेक्टर टेक्निकल इलेक्ट्रॉनिक्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड भी प्रमुख रूप से मौजूद रहेंगे।
तीन दिवसीय कार्यक्रम के प्रथम चरण में प्रदर्शनी का शुभारंभ होने के साथ साथ विभिन्न सत्र का आयोजन भी होगा। जिसमे प्रदेश के आला अधिकारी सहित कृषि विशेषज्ञ शामिल रहेंगे और प्रतिभागियों से विषय सम्बंधित संवाद कर उनको कृषि नवाचार से अवगत कराएँगे। विभिन्न सत्रों में प्रमुख रूप से कृषि सम्बंधित विषयो पर सारगर्भित चर्चा और संवाद का आयोजन प्रस्तावित है। कार्यक्रम के अंत में प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदी बेन द्वारा "यूपी इनोवेटिव अवार्ड्स 2024 का वितरण तमाम कृषको को किया जायेगा। साथ ही साथ प्रदर्शनी के बेस्ट स्टाल अवार्ड भी वितरित किया जायेगा।

कार्यक्रम की रूपरेख

कार्यक्रम स्थल: भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, तेलीबाग

कार्यक्रम तिथि: 1 मार्च से 3 मार्च 2024

समय : प्रातः 10:30 से सांय 5: 30 तक
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