शुक्रवार, 17 नवंबर 2017

जीएसटी में बदलाव के मायने

 

अवधेश कुमार

जीएसटी में एक महीने 5 दिनों में स्लैब में दो बार व्यापक परिवर्तन सामान्य नहीं है। जाहिर है, सरकार को यह अहसास हुआ है कि 1 जुलाई को जीएसटी लागू करते समय चार श्रेणियों के करों में जिन-जिन वस्तुओं को रखा गया था उसमें काफी विसंगति थी जिसमें सुधार की आवश्यकता है। कुछ लोग इसे गुजरात चुनाव की मजबूरी भी मानते हैं। हो सकता है सरकार पर गुजरात चुनाव का भी दबाव हो, क्योंकि गुजरात व्यापारियों का प्रदेश है और वहां जीएसटी को लेकर असंतोष साफ देखा जा सकता है। किंतु दूरगामी और स्थायी परिवर्तन किसी एक चुनाव को ध्यान में रखकर नहीं किया जाना चाहिए। इसके पीछे वर्तमान एवं भविष्य के प्रति गहरी सोच तथा इसके पड़ने वाले प्रभावों का आकलन होना चाहिए। आखिर सारे परोक्ष कर समाप्त कर जीएसटी के रुप में चार श्रेणियों वाला एकरुप कर लाया गया है। अगर आपने एकदम से ज्यादा कर दिया तो लोगों को परेशानी होगी और दबाव में आवश्यकता से कम कर लगा दिया तो इससे देश और राज्यों को होने वाले राजस्व में कमी आएगी। ऐसे में देश को चलना कठिन हो जाएगा। हमें मानकर चलना चाहिए कि सरकार ने जीएसटी परिषद के साथ मिलकर तात्कालिकता की बजाय दूरगामी सोच से ऐसा निर्णय लिया गया होगा। असम के गुवाहाटी में जीएसटी परिषद की बैठक के बाद जब वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 28 प्रतिशत कर के दायरे में आने वाले 178 सामानों पर कर कम करके उन्हें 18 प्रतिशत के दायरे में लाया गया है तो उसका आम तौर पर स्वागत हुआ। अब केवल 50 वस्तु ही ऐसे हैं जो 28 प्रतिशत के स्लैब मंें रह गए हैं। यह बात अलग है कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी कह रहे हैं कि 28 प्रतिशत का स्लैब ही हटाना होगा और हम इसे 18 प्रतिशत तक लाएंगे।

कांग्रेस इसके लिए क्या करती है यह देखना होगा। किंतु यह साफ है कि वर्तमान बदलाव से कारोबारियों एवं उपभोक्ताओं दोनों को भारी राहत मिली है। जीएसटी परिषद ने कुल मिलाकर 213 वस्तुओं पर कर घटाने का फैसला किया। यह अब तक का सबसे बड़ा परिवर्तन है। यह घोषणा इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि मंत्रिसमूह ने 165 वस्तुओं को ही 28 से 18 फीसदी में लाने की सिफारिश की थी, लेकिन परिषद ने 12 अन्य वस्तुओं पर टैक्स घटाने पर मुहर लगाई। अगर 28 प्रतिशत कर श्रेणी में से 178 सामनों को 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब में लाया गया तो 13 को 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के दायरे में, 6 को 18 प्रतिशत से 5 प्रतिशत में, 8 को 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तथा 6 को तोे 5 प्रतिशत से 0 की श्रेणी मंे ले आया गया। वास्तव में जिस तरह व्यापारियों के प्रतिनिधियों ने अपनी मांगें सरकार के समक्ष रखी थी उसे ध्यान में रखकर एकबारगी ही व्यापक फैसला किया गया है।

जरा यह भी देखें कि ऐसे कौन-कौन से सामान व सेवाएं हैं जिन्हें 28 प्रतिशत से 18 प्रतिशत या अन्य छोटे कर स्लैबों में लाया गया है। इससे साफ हो जाएगा कि आखिर जीएसटी परिषद का लक्ष्य क्या था। 28 से 18 प्रतिशत के दायरे में आने वाली सामग्रियां हैं, फर्नीचर, बिजली के सामान, बक्से, बैग, टॉयलेट क्लीनर, लैंप, पंखा, पंप, कुकर, स्टोव सूटकेस, डिटर्जेंट, सौंदर्य उत्पाद, शेविंग-ऑफ्टर शेविंग उत्पाद, शू पॉलिश,न्यूट्रिशन पाउडर, डियोड्रेंट, चॉकलेट, च्यूइंगगम, कॉफी, कस्टर्ड पाउडर, डेंटल हाईजीन प्रोडक्ट, पॉलिश और क्रीम, सैनेटरी वेयर्स, लेदर क्लोदिंग, कटलरी, स्टोरेज वाटर हीटर, बैट्री, चश्मे, कलाई घड़ी, मैट्रेस, न्यूट्रिशन पाउडर, प्लाईवुड, मशीनरी, मेडिकल उपकरण, फ्लोरिंग आदि। निर्माण क्षेत्र में इस्तेमाल वाले ग्रेनाइट, फ्लोरिंग और मार्बल पर भी कर 28 से 18 प्रतिशत कर दिया गया है। पत्थर तोड़ने वाले स्टोन क्रशर, टैंक व अन्य युद्धक वाहनों, कंडेंश्ड मिल्क, शुगर क्यूब्स, पास्ता, डायबिटिक फूड, छपाई स्याही, हैंड बैग, शॉपिंग बैग, कृषि में इस्तेमाल कुछ मशीनें, सिलाई मशीनें, बांस से बने फर्नीचर आदि को 28 प्रतिशत से 12 प्रतिशत के दायरे में लाया गया है। इसी तरह तिल रेवड़ी, खाजा, चटनी पाउडर, फ्लाई ऐश आदि को 18 प्रतिशत से 12 प्रतिशत में रखा गया है। सूखा नारियल, इडली, दोसा, मछली पकड़ने का जाल और हुक, तैयार चमड़े, फ्लाई ऐश से बनी ईंट को 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत था तथा ग्वार के खाद्य पदार्थ, स्वीट पोटैटो सहित कुछ सूखी सब्जियां, फ्रोजेन या सूखी मछली, खांडसारी सुगर आदि को कर रहित बना दिया गया हैं 

हालांकि इसमें अभी बहस की गुंजाश है कि क्या इनमंे सारी वस्तुएं ऐसी हैं जिन पर कर को ज्यादा घटाने की आवश्यकता है किंतु इनमें ज्यादातर ऐसी सामग्रियां हैं जिनका इस्तेमाल हमको आपको सबको करना पड़ता है। अधिकतम कर स्लैब में अब पान मसाला, सॉफ्ट ड्रिंक, तंबाकू, सिगरेट समेत सिर्फ 50 वस्तुएं ही रहेंगी। सीमेंट, पेंट और एयर कंडीशनर, परफ्यूम, वैक्यूम क्लीनर, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, परफ्यूम, एसी,, वॉशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, वैक्यूम क्लीनर,कार, दोपहिया वाहन और विमान भी इस दायरे होंगे। इसके बाद सामान्यतः जीएसटी की दर से कोई शिकायत नहीं होनी चाहिए। कांग्रेस अगर 28 प्रतिशत दर को खत्म करना चाहती है तो उसे इसके लिए अन्य दलों का समर्थन जुटाना होगा। जो लोग रेस्तराओं में खाना खाते हैं उनको अब कम दर देना होगा। जीएसटी परिषद ने रेस्तरां में सेवा कर  की दरों को 18 से घटाकर 5 फीसदी करने का फैसला किया गया है। हालांकि पंच तारा होटलों को इस पर छूट नहीं दी गई है। अब से देश में सभी एसी और नॉन एसी रेस्टोरेंट पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा। पहले नॉन एसी रेस्टोरेंट में खाने के बिल पर 12 प्रतिशत तथा एसी रेस्टोरेंट में 18 प्रतिशत जीएसटी लगता था। इसके बाद रेस्तराओं में खाने पर हमारी जेबें कम हल्की होंगी। किंतु पंच तारा रेस्तराओं में जिस श्रेणी के लोग जाते हैं उनके लिए थोड़े-मोड़े करों का कोई मायने नहीं है। इसलिए इस फैसले को उचित ठहराना होगा। ध्यान रखिए तारा होटलों के वे रेस्टोरेंट जो हर दिन एक कमरे का 7500 रुपए या उससे ज्यादा वसूलते हैं, उन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा और इन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा भी मिलेगा। लेकिन वो रेस्टोरेंट जो 7,500 से कम किराया वसूलते हैं उन पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाएगा और उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट का फायदा नहीं मिलेगा।

इन सारे बदलावों को देखते हुए कहा जा सकता है कि सरकार ने समय-समय पर जीएसटी की समीक्षा करने का जो वायदा किया था उसका पालन किया जा रहा है। हो सकता है इसके पीछे राजनीतिक मजबूरी हो। इसका एक पक्ष यह भी है कि 1 जुलाई को जब जीएसटी लागू किया गया उसके पूर्व जितनी गहराई से एक-एक वस्तु एवं सेवा पर कितना कर उचित होगा इसका आकलन नहीं किया गया था। यदि ऐसा किया गया होता तो इतनी जल्दी इतने व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती। इसीलिए कुछ लोग आरोप लगाते हैं कि जीएसटी भी बिना सम्पूर्ण और व्यापक विचार-विमर्श के लाया गया था। सरकार भले इससे सहमत नहीं है। वह कहती है कि लगातार लोगों से मिल रहे फीडबैक के आधार पर फैसला किया जा रहा है जो आगे भी जारी रहेगी। किंतु इतने व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता इसकी पूर्ण तैयारी या विचार विमर्श का प्रमाण तो नहीं ही देता है। हालांकि यह सच है कि जीएसटी के दरों की लगातार समीक्षा हो रही है। इनकी समीक्षा के लिए ही जीएसटी परिषद बनाई गई है। इसमें केंद्र और राज्य, दोनों के प्रतिनिधि शामिल हैं। वर्तमान फैसला परिषद की गुवाहाटी की  23वीं बैठक मेें हुआ। इसमें केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और 24 राज्यों के वित्त मंत्री और जीएसटी के प्रभारी मंत्रियों ने हिस्सा लिया। इसमें व्यापक चर्चा के बाद ये सारे निर्णय लिए गए। कोई पार्टी जो भी आरोप लगाए लेकिन यह सच देश को जानना आवश्यक है कि जीएसटी परिषद मे ंसारे फैसले सर्वसम्मति से होते हैं। कोई एक राज्य का वित्त मंत्री भी विरोध कर दे तो वह फैसला लागू नहीं होगा। इसलिए जो कुछ पहले हुआ उसमें भी सरकार के साथ उन सारे दलो की भूमिका थी जो बाहर आलोचना कर रहे थे और आज भी जो हुआ है उसमें भी सबकी सहमति है। इसलिए यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि केवल सरकार ऐसा कर रही है। जो भी हो जीएसटी देश के लिए दूरगामी दृष्टि से अच्छा कदम है। इससे करों की जटिलताएं कम हो रहीं हैं। इसका सफल होना आवश्यक है। किंतु ऐसा न हो कि दबाव में कर इतना कम कर दिया जाए कि देश को चलाने के लिए राजस्व की ही कमी हो जाए।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 9811027208

 

 

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