शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

हिट एंड रन के नये कानून के विरोध मे राजनीति

बसंत कुमार
हिट और रन के नये कानून के खिलाफ पूरे देश में कुछ दिनों से चल रही हड़ताल दिल्ली सहित पूरे देश मे महसूस की जा रही है, देश भर मे ड्राई वरो के विरोध प्रदर्शन और हड़ताल के कारणों से कई शहरों मे पेट्रोल और डीजल की सप्लाई प्रभावित हो रही है। देश की राजधानी दिल्ली मे भी लोगो को पैनिक मे डाल दिया है और लोग ऐसी स्थिति से उबरने के लिए पेट्रोल पम्पो पर लंबी लाइन लगाए खड़े है, इससे डीजल पेट्रोल की खपत मे (जमा खोरी) बढ़ने की आशंका है, यही नही इस नये कानून के कारण ड्राईवर काम छोड़कर भाग रहे है यद्यपि ड्राईवर के संगठनो ने अभी हड़ताल की घोषणा नही की है। फिर भी ड्राईवरो की हड़ताल का असर अब बाजारों पर दिखने लगा है, स्थिति यह है कि चावल से लेकर दाल समेत सभी खद्यानो की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। दिल्ली मे नया बाजार से लेकर सदर बाजार नरेला अनाज मंडी में रोजाना सैकड़ो ट्रक अनाज लेकर आते है लेकिन ट्रक ड्राई वरो की हड़ताल की वजह से कई मंडियों मे सप्लाई ठप हो गयी है, गल्ला व्यापारियों की शिकायत है कि हड़ताल की वजह से उनका लाखों का माल अटका हुआ है और पुराना स्टाक भी खत्म होने वाला है यदि सप्लाई की स्थिति यथा शीघ्र समान्य नही हुई तो बाजार मे दिक्कत आने की पूरी संभावना है।
आखिर हिट एंड रन के मामले मे कानून मे ऐसा क्या बदलाव हुआ है कि ड्राईवरो को हड़ताल पर जाना पड़ा है और वे जगह जाम कर रहे है. भारतीय दण्ड संहिता की नयी धारा 106(2) के तहत की लापरवाहि या तेज गाड़ी चलाने से किसी की मौत हो जाती है और चालक बिना पुलिस/ मजिस्ट्रेट को बिना सूचना दिये भाग जाता हैं तो ड्राईवर को 10 साल की कैद और सात लाख का जुर्माना लगाया जाता है, इस नये कानून से ड्राई वरो को यह चिंता है कि हादसे के बाद यदि वे मौके पर पाए गए तो भीड़ की हिंसा का शिकार हो सकते हैं और ड्राईवरो की आय इतनी नही होती की इतना अधिक जुर्माना भर सके। लापरवाही से से गाड़ी चलाने  से मौत के कारण दी जाने वाली सजा के पहले के कानून के बारे मे जानना आवश्यक है। पहले भारतीय दण्ड संहिता की धारा 279 के तहत लापर वाही से गाड़ी चलाने और 304( ए) के तहत लापरवाही से ड्राइविंग से मौत और धारा 338 के तहत जान जोखिम मे डालने से केश होता था और अधिक तम सजा दो वर्ष की होती थी पर अब यह मामला राजनीतिक हो गया है, गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यदि आरोपी हादसे के बाद यदि हालात विपरीत है तो आरोपी गाडीवाला कुछ दूर जाकर सूचना दे सकता है या पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर सकता हैं और पुलिस की जांच मे सहयोग करेगा तो ऐसे मामलों मे केश 10 साल नही अधिकतम, 5 साल वाली सजा मे दर्ज होगा, फिर भी कांग्रेस ने हड़ताल के समर्थन में उतरने का फैसला किया है। इस मामले में राजनीतिक दल राजनीति कर रहे है और इस हड़ताल के कारण मात्र दो दिनों में 10 राज्यो मे, 2000 से अधिक पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं,
प्रश्न यह है कि सरकार ने हिट एंड रन मामले में कानून बना कर इतनी सख्त सजा क्यो कर दी कि ड्राईवरो को हड़ताल पर जाना पडा, इसकी दोषी अपरोक्ष रूप से सरकार ही है, कुछ वर्षो पहले सरकार ने कानून मे बदलाव करके ड्राईवर के लिए न्युनतम शैक्षिक योग्यता ही समाप्त कर दी अब सवाल यह है कि निरक्षर व्यक्ति कैसे रोड सेफ्टी नियम और साइन बोर्ड पढ़ेंगे। दर असल हिट एंड रन कानून को लेकर चल रहे आंदोलन के बीच अब रोड सेफ्टी अब चर्चा का विषय बन गया है। आम तौर पर रोड पर हो रही सड़क दुर्घटनाओ के आंकड़े आंकड़े आने के बावजूद इसके असली कारण जानने की कोशिश नही की जाती। पता होना चाहिए कि हिट एंड रन मामले मे सालाना 25 से 30 हजार लोगो की जान जाती है वही रोड एक्सीडेंट में हर साल औसतन डेढ़ लाख लोग अपनी जान गंवा देते है। सरकार को हिट एंड रन मामलो पर कड़े कानून बनाने के स्थान पर कुछ ऐसे कदम उठाने की जरूरत है जिससे सड़को पर दुर्घटना की संख्या मे कमी लायी जा सके।
ट्रक  ड्राईवरो की हड़ताल और प्र दरशनो के साथ रोड सेफ्टी के मामले मे छिड़ी बहस के बाद दिल्ली पुलिस का एक नया विश्लेषण सामने आया है इसमें खुलाशा हुआ है कि दिल्ली मे पिछले तीन सालों में सड़क दुर्घटना के मामलो मे 30 से 40% मामले हिट एंड रन के है, गंभीर बात यह है कि हिट एंड रन के मामलो मे 47% लोगो की मौत हुई। देश मे बड़े पैमाने पर एसिडेंट्स की वजह है  ड्राईवरो की लापरवाही या उसका ध्यान भटकना, इस तरह के हादसो को रोकने के लिए सबसे जरुरी हैं कि  ड्राईवरो की प्रापर ट्रैनिंग हो जिससे वे सड़क पर चलते हुए नियमो का पालन तो करे साथ ही साथ वे सड़क दुर्घटनाओ को लेकर संवेदन शील बने।
इस समय देश मे सबसे अधिक कोई चीज नजर अंदाज' की जा रही है तो वह है सड़क पर चलने वाले वाहनो को चलाने वाले ड्राईवरो की ट्रेनिंग और सबसे अधिक चिंता का विषय है इनको मिलने वाला लाइसेंस जो 2 से 5 हजार मे बड़े आसानी से मिल जाता है। हमारे सिस्टम में लोगो को लाइसेंस तो आसानी से मिल जाता है पर  ड्राईवरो को स्किल नही मिलती जबकि मनको के हिसाब से हर एक लाख आवादी पर कम से कम एक ड्राइविंग सेंटर होना चाहिए, इस हिसाब से इस समय देश मे 14 लाख ड्राइविंग सेंटर होने चाहिए पर अभी देश में ड्राइविंग सेंटर्स की संख्या मात्र कुछ हजार है जिनमे गिनती के कुछ ऐसे ही है जिनमे ट्रेन्ड इंस्ट्रॅक्चर और आधुनिक इंफ्रेस्ट्रॅक्चर है, कई ट्रेनिंग स्कूल तो ट्रेनिंग के नाम पर र
स्म अदायगी करते है पर ये ड्राइविंग लाइसेंस दिलाने के काम मे खूब पैसा बना रहे है।
कायदे से सरकार को सबसे पहले ड्राइविंग ट्रेनिंग के लिए जिला स्तर तक इंफ्रेस्ट्रॅक्चर विकसित करना चाहिए जिससे को  ड्राईवरो को अच्छी ट्रेनिंग देकर सड़क दुर्घटना के खतरे को कम करना चाहिए, हमारे सिस्टम में लाइसेंस का जुगाड़ तो हो जाता है पर ड्राइविंग का स्किल नही मिलता। विशेषज्ञों के अनुसार कायदे से एक कॉमर्शियल  ड्राईवरो की न्युनतम शैक्षिक योग्यता हायर सेकेंडरी होनी चाहिये पर सरकार ने कुछ साल पहले कानून बदल कर ड्राईवरो की शैक्षिक योग्यता ही खत्म कर दिया। इसी तरह लंबी दूरी तक ट्रक चलाने के लिए दो ड्राईवर अनिवार्य होते थे जिससे एक  ड्राईवर के थकने या नीद आने पर दूसरा गाड़ी चला ले पर सरकार ने ये अनिवार्यता भी समाप्त कर दी और इसे स्वैक्षिक बना दिया। सड़क दुर्घटना हिट एंड रन पर सख्त कानून बनाने से नही कम नही होंगी बल्कि  ड्राईवरो की ट्रेनिंग पर फोकस करने और इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने से कम होंगी, सरकार ड्राईवरो के लिए सोसल सेक्युरिटी का इंतजाम करे और ऐसे कदम उठाये कि  ड्राईवरो को सम्मान के नजरिये से देखा जाए।

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