बुधवार, 10 जुलाई 2024

एक समझदार मां की नसीहत...?

सुबह ही सुबह मियां बीवी के बीच खूब झगड़ा हुआ...
 
बीवी गुस्से मे बोली - बस, बहुत कर लिया बर्दाश्त, अब मज़ीद एक मिनट भी तुम्हारे साथ नहीं रह सकती।

शोहर भी गुस्से मे था, बोला "मैं भी तुम्हारी शक्ल देख देखकर तंग आ चुका हुं, दफ़्तर से घर आऊ तो तुम मुझे नज़र ना आना घर मे, उठाओ अपना सामान और निकलो यहां से और शोहर गुस्से मे ही दफ्तर चले गया।

बीवी ने अपनी मां को फ़ोन किया और बताया के वो सब छोड़ छाड़ कर बच्चो समेत मायके आ रही है, अब ज़्यादा नही रह सकती इस जहन्नुम में।

मां ने कहा - अल्लाह के बंदे की बेटी बन के आराम से वहीं बैठ, तेरी बड़ी बहन भी अपने शौहर से लड़ कर आई थी, और इसी ज़िद्द मे तलाक लेकर बैठी हुई है, अब तूने वही ड्रामा शुरू कर दिया है, ख़बरदार जो तूने इधर कदम भी रखा तो... सुलह कर ले शौहर से, वो इतना बुरा भी नहीं है।

मां ने जब लाल झंडी दिखाई तो बीवी के होश ठिकाने आए और वो फूट फूट कर रो दी, जब रोकर थकी तो दिल हल्का हो चुका था, शौहर के साथ लड़ाई का सीन सोचा तो अपनी भी काफ़ी गलतियां नज़र आई, हाथ मुंह धोकर फ्रेश हुई और शोहर के पसंद की डिश बनाना शुरू कर दी, और साथ स्पेशल खीर भी बना ली, सोचा कि शाम को शौहर से माफ़ी मांग लूंगी, अपना घर फिर भी अपना ही होता है।

शौहर शाम को जब घर आया तो बीवी ने उनका अच्छे से इस्तकबाल किया, जैसे सुबह कुछ हुआ ही ना हो।

शौहर को भी खुशगवार हैरत हुई, खाना खाने के बाद शौहर जब खीर खा रहे थे तो आँखों में आंसू आ गए और बोले "बेगम, कभी कभार मे भी ज़्यादती कर जाता हुं, तुम दिल पर मत लिया करो, इंसान हुं, गुस्सा आ ही जाता है।"

शौहर बीवी का शुक्रिया अदा कर रहे थे, और बीवी दिल ही दिल मे अपनी मां को दुआएं दे रही थी, जिसकी सख़्ती ने उसको अपना फैसला बदलने पर मजबूर किया था, वरना तो जज़्बाती फैसला घर तबाह कर देता।

याद रखो अगर वालिदैन अपनी शादीशुदा औलाद की नाजायज़ बात को सपोर्ट करना बंद कर दे तो रिश्ते बच जाते है।
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