शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

जीएसटी से क्या होगा

 

अवधेश कुमार

तो 16 वर्षों से समर्थन और विरोध के बीच लटका जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स या सामान और सेवा कर विधेयक राज्य सभा में पारित हो गया। हमने करीब सात घंटे की चर्चा में बहुत अच्छी, गंभीर बहस सुनी। ज्यादातर सदस्य तैयारी से आए थे और अत्यंत महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए, सुझाव दिए। विता मंत्री अरुण जेटली ने सबका सिलसिलेवार जवाब दिया। जीएसटी लोकसभा में पहले पारित हो चुका था, लेकिन राज्यसभा में नरेन्द्र मोदी सरकार को बहुमत न होने के कारण इसका पारित होना मुश्किल था। सरकार के गंभीर प्रयासों तथा राज्यों व विपक्ष की मांगों के अनुरुप कुछ संशोधन करने के कारण बहुमत सदस्यों का समर्थन मिल गया। मुख्य समस्या कांग्रेस से थी। उसने तीन संशोधन सुझाए थे जिसमें से विनिर्माण कर एक प्रतिशत हटाने का सुझाव मान लिया गया। कांग्रेस के सामने साफ हो गया था कि ज्यादातर दल इसके पक्ष में आ गए हैं, इसलिए विरोध करने से हम अलग-थलग पड़ जाएंगे। प्रश्न है कि जीएसटी पारित होने का अर्थ क्या है?

राज्य सभा में पारित होने भर से यह लागू नहीं हो जाएगा। यह फिर से लोगसभा में जाएगा। यह संविधान संशोधन विधेयक है इसलिए उसके बाद आधे से ज्यादा राज्यों में इसे पारित कराना होगा। तब यह संसद में आएगा और फिर राष्ट्रपति के पास हस्ताक्षर के लिए जाएगा। किंतु इसमें बाधा आएगी इसका कोई कारण नजर नहीं आता। तो यह मानकर चलना चाहिए कि अप्रैल 2017 से जीएसटी लागू हो जाएगा। कुछ लोगों का मानना है कि आजादी के बाद कर ढांचे में यह सबसे बड़ा बदलाव है। हम इसे न मानें तो भी कह सकते हैं कि 1991 से आरंभ उदारीकरण की दिशा का सबसे बड़ा बदलाव अवश्य है। जीएसटी के बाद भारत में व्यवसाय का तरीका काफी हद तक बदल जाएगा। यह एक देश एक कर के सिद्धांत पर आधारित कानून है। अभी तक सारे कर मिलाकर हम करीब 30 से 35 प्रतिशत कर चुकाते थे। अब यह समान रुप से 18 प्रतिशत होगा।

हालांकि यह कहना गलत होगा कि इसमें केवल एक कर होगा। यह ठीक है कि इससे केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा परोक्ष कर जैसे उत्पाद शुल्क, सेवा कर, अतिरिक्त सीमा कर, विशेश अतिरिक्त सीमा कर, वैट/बिक्री कर, केन्द्रीय बिक्री कर, मनोरंजन कर, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, लग्जरी जैसे कर खत्म हो जाएंगे। इसके बावजूद जीएसटी में ही 3 तरह के कर होंगे। एक, सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी इसे केंद्र सरकार वसूलेगी। दो, एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी- इसे राज्य सरकार वसूलेगी। तीन, आईजीएसटी यानी इंटिग्रेटेड जीएसटी- अगर कोई कारोबार दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर यह कर लगेगा। इसे केंद्र सरकार वसूलकर दोनों राज्यों में बराबर बांट देगी। देश के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के जरिये करीब 14.6 लाख करोड़ रुपए कर जमा होता है। इसमें से करीब 34 प्रतिशत अप्रत्यक्ष करों के जरिये मिलता है, जिसमें उत्पाद के जरिये 2.8 लाख करोड़ रुपए और सेवा के जरिये 2.1 लाख करोड़ रुपए आते हैं। प्रश्न है कि अगर सारे परोक्ष कर खत्म हो जाएंगे तो क्या केन्द्र एवं राज्यांे का राजस्व कम नहीं होगा?

वास्तव में यह प्रश्न हर व्यक्ति के ंअंदर उठेगा कि अगर 30-35 प्रतिशत की जगह 18 प्रतिशत कर होगा तो इससे कम होने वाली राजस्व की भरपाई कैसे होगी? मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन की समिति ने सारे जोड़ घटाव के बाद 17-18 प्रतिशत राजस्व की सिफारिश की है। समिति के अनुसार इससे न सरकार का राजस्व बढ़ेगा, न घटेगा। इसके तीन कारणं हैं। पहली, बहुत सी चीजों पर अभी कम कर लगता है, वह बढ़ जाएगा। दूसरे, कुछ सामानों पर कर नहीं लगता था उस पर लगेगा। और तीसरे,  समिति का मानना है कि बहुत से कारोबारी बिक्री को कम दिखाते हैं। यानी चोरी करते हैं। जीएसटी में हर लेन-देन की ऑनलाइन एंट्री होगी। इससे चोरी मुश्किल हो जाएगी। वैसे राज्यों को पांच साल तक नुकसान की केंद्र से 100 प्रतिशत भरपाई होगी। पहले 3 साल तक नुकसान की भरपाई की बात थी। बावजूद सारी व्यवस्थाओं और सावधानियों के जीएसटी पर केंद्र और राज्यों के बीच अगर विवाद हुआ तो इस पर जीएसटी काउंसिल फैसला करेगी। इस काउंसिल में केंद्र और राज्य, दोनों के प्रतिनिधि होंगे।

अब प्रश्न है कि इसका व्यापार के लिए, हमारे लिए और समूची अर्थव्यवस्था के लिए क्या मायने हैं? कहने की आवश्यकता नहीं कि करो का जाल और दर कम होगा। कर भरने की प्रक्रिया सरल हो जाएगी। इससे व्यापार सुगम होगा। इसका सकारात्मक असर विदेशी निवेशकों पर पड़ेगा और विदेशी निवेश में बढ़ोत्तरी हो सकती है। सभी राज्यों में सभी सामान एक कीमत पर मिलेगा। अभी एक ही चीज दो राज्यों में अलग-अलग दामों पर पर बिकती है। ध्यान रखिए, शेयर बाजार जीएसटी से काफी खुश है। क्यों? क्योंकि उसे लगता है कि दुनिया में जहां भी जीएसटी लागू हुआ वहां विकास दर बढ़ी, कारोबार में तेजी आई, निवेश बढ़ा। सरकार का दावा है कि जीएसटी लागू होने के बाद विकास दर में 2 प्रतिशत की वृद्धि होगी। लेकिन अंतिम निष्कर्ष देने के पहले हमें थोड़ी प्रतीक्षा करनी चाहिए।

जीएसटी के लागू होने से सामानों के लाने ले जाने में लगने वाले समय में कमी आएगी, क्योंकि उनको जगह-जगह कर नहीं भरना होगा। इससे पुलिस घुसखोरी की परेशानी भी घटेगी। जाहिर है, इससे ट्रकों का अधिकतम उपयोग हो सकेगा। ऐसा होने पर भारी-भरकम बड़े ट्रकों का ज्यादा उपयोग हो सकेगा, जिससे ट्रांसपोर्टेशन की लागत में कमी आएगी। इसके साथ ही सामानों का अंतरराज्यीय परिवहन आसान होगा, जिससे लॉजिस्टिक सेवा की मांग में इजाफा होगा। जीएसटी के कारण लॉजिस्टिक सेक्टर में काम करने वाले असंगठित और संगठित कारोबारी के बीच कीमतों का अंतर खत्म होगा। दरअसल, कई असंगठित कंपनियां कर चोरी करती हैं और इसलिए वह कम कीमत पर सामान पहुंचाने का प्रस्ताव दे पाती हैं। एक जैसी कर दरें होंने से संगठित क्षेत की कंपनियों को फायदा होगा। माल ढुलाई लगभग 20 प्रतिशत सस्ती होगी। उपभोक्ता उत्पादों पर सात से 30 प्रतिशत कर लगता है। जीएसटी के लगने से कंपनियों को अधिक फायदा होगा, जिन्हें अतीत में कर छूट नहीं मिलती थी।

तो जनता को क्या मिलेगा? इसके बाद लेन-देन पर कर नहीं लगेगा। घर खरीदना हो या फिर ऐसी कोई दूसरी लेन-देन करनी हो, वे सस्ती हो जाएंगी। इन पर वैट और सेवा कर दोनों लगते हैं। जीएसटी के बाद इनका झंझट खत्म। रेस्तरां का बिल इसलिए कम होगा, क्योंकि अभी वैट, जो हर राज्य में अलग-अलग है और उसके साथ सेवा कर 6 प्रतिशत तथा बिल के 40 प्रतिशत हिस्से पर 15 प्रतिशत लगता है। जीएसटी के तहत सिर्फ एक कर लगेगा। उपभोक्ता सामग्रियों जैसे एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव ओवन, फ्रिज, वॉशिंग मशीन सस्ती होगी। इन पर अभी 12.5 प्रतिशत उत्पाद कर और 14.5 प्रतिशत वैट लगता है। जीएसटी के बाद 18 प्रतिशत कर लगेगा।  अगर माल ढुलाई सस्ता होगा तो सामान भी सस्ते होंगे। इससे आम लोगों की जेब में धन बचेंगे।

किंतु यह मानना गलत होगा कि हमारे लिए सब कुछ केवल सस्ता ही होगा। कई चीजें महंगी हो जाएंगी। चाय-कॉफी, डिब्बाबंद खाद्य उत्पाद 12 प्रतिशत तक महंगे होंगे। इन पर अभी कर नहीं लगता। इसी तरह सेवाएं, मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल या फिर ऐसी अन्य सेवाएं सब महंगी होंगी। अभी सेवाओं पर 15 प्रतिशत कर लगता है। जीएसटी के बाद यह 18 प्रतिशत हो जाएगा। जिन चीजों पर डिस्काउंट है उसमें डिस्काउंट के बाद की कीमत पर कर लगता है। जीएसटी में मूल्य पर कर लगेगा। इसी तरह कई सामग्रियां महंगी होगी। वैसे भी अगर आम सेवाओं पर कर 15 प्रतिशत देना होता है और जब 18 प्रतिशत देना होगा तो कम से कम 3 प्रतिशत महंगाई तो बढ़ेगी। यह सच है कि दुनिया में जहां भी जीएसटी लागू हुआ वहां आरंभ में महंगाई भी बढ़ी। उदाहरण के लिए मलेशिया में 2015 में जीएसटी आने के बाद से महंगाई दर 2.5 प्रतिशत तक बढ़ी है। यह एक तथ्य  है कि पूरी दुनिया में जहां भी जीएसटी लागू हुआ वहां लागू करने वाली सरकार चुनाव के बाद सत्ता में वापस नहीं आई क्योंकि आरंभिक वर्षों में कुछ चीजें महंगी हो जाती हैं और इसका खमियाजा सरकार को भुगतना पड़ता है। पता नहीं नरेन्द्र मोदी सरकार को इस तथ्य का भान है या नहीं।

तो ये सारे आकलन भविष्य के संदर्भ में हैं। वर्तमान में इसे देखने और भुगतने के लिए हमें इसके अमल में आने की प्रतीक्षा करनी होगी। इसके बाद ही उसके सही परिणामों को हम देख सकेंगे।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408,09811027208

 

 

 

 

 

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