शुक्रवार, 19 जून 2015

ललित मोदी मामले की पूरी जांच क्यों नहीं कराई जाती

सुषमा स्वराज ललित मोदी प्रकरण
अवधेश कुमार

तो सुषमा स्वराज ने अपने ट्विट में यह प्रश्न उठा दिया कि मुझे नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाली कौन है? नविका कुमार। नविका टाइम्स नाउ की पत्रकार है। आखिर सुषमा स्वराज ने नविका कुमार का नाम क्यों लिया? इसके कई अर्थ बताये जा रहे हैं। इसका एक अर्थ तो वही लगाया जा रहा है जो भाजपा के सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि सुषमा स्वराज आस्तिन के सांप का शिकार हुईं हैं। उसी बात को ताकत देने के लिए सुषमा स्वराज ने भी संकेत दे दिया। वह संकेत क्या हो सकता है? यही कि नविका कुमार की उनकी पार्टी में किससे साथ संबंध हैं? यानी उनकी पार्टी के लोग या जो सरकार में प्रमुख पद पर हैं उनने ही यह सारा खेल कराया है। यह संभव है कि कीर्ति आजाद को भी ऐसा ट्विट करने के लिए तैयार किया गया हो। कीर्ति क्रिकेट को लेकर अपनी पार्टी के एक नेता से दुखी रहते हैं। वो हमेशा यह पीड़ा व्यक्त करते हैं कि क्रिकेट में उनकी विशेषज्ञता है, पर उनकी पार्टी के नेता जो क्रिकेट की राजनीति में पूरी तरह संलिप्त हैं, उनसे न कुछ पूछते हैं, न कभी मुझे मेरी भूमिका निभाने देते हैं, न मैं कुछ कहता हूं उसके अनुसार आचरण करते हैं।
लेकिन हम इसमें फंसने की जगह पूरे मामले के केन्द्र ललित मोदी पर आएं। आईपीएल के जनक ललित मोदी ने क्रिकेट को एक अजीब किस्म का तमाशा बनाया। पहली बार खिलाड़ियों की नीलामी हुई जो तब शर्मनाक लगता था। मेरे जैसे लोगों ने इसका विरोध किया कि इस तरह मनुष्य को बाजार का उत्पाद बनाकर नीलामी नहीं होनी चाहिए। करोड़ों में खिलाड़ी खरीदे गए। जिसने खरीदा वो चाहे तो दूसरे को खिलाड़ी बेच भी सकता था। ये अजीब स्थिति थी। चीयर लीडर्स का प्रयोग आईपीएल में आरंभ हुआ। खेल के पहले डांस और गाने का लुत्फ दर्शकों को मिले इसकी व्यवस्था की गई। सबसे आपत्तिजनक खेल के बाद रात्रि की पार्टी जिसमें शराब और शबाब दोनों। तो इसका विरोध मेरे जैसे अनेक लोगों ने किया। यह मांग भी कि खेल को खेल ही रहने दे। इस तरह भोग की आकांक्षा पैदा करने वाला इवेंट न बनाएं।
यह ललित मोदी के न रहने पर चल रहा है। जो स्थिति है उसमें आगे भी आईपीएल तब तक चलता रहेगा जब तक लोगों की रुचि खत्म न हो जाए और इसमें आय कम न हो जाए। इसमें इतना धन था और है कि नेताओं, पूंजीपतियों, कारोबारियों, अभिनेताओं, जिनका कभी खेल से रिश्ता नहीं रहा, सब आ गए, खिलाड़ी खरीदे और तमाशा के भागीदार बने। बहुत सारे लोगों के लिए काला धन को सफेद धन बनाने का यह अवसर बन गया। कई लोगों के पास मोटी रकम केवल इसलिए आ गई कि उनने उनको आईपीएल में टीम बनाने और खिलाड़ी खरीदने में मदद कर दी। तो यह भ्रष्टाचार और अय्याशी का ऐसा आयोजन हो गया जिसमें न जाने कितने लोग डुबकी लगाने लगे और ललित मोदी इसके रिंग मास्टर थे। जहां इस तरह धन की अवैध और अति वर्षा हो रही हो वहां अनेक प्रकार के पाप और अपराध होते हैं। फिर दुश्मनी और विरोध भी पैदा होता है। यही हुआ। लड़ाई आरंभ हो गई।  इसी लड़ाई में कुछ लोगों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, कुछ खिलाड़ी फिक्सिंग मंे फंसे, जेल गए, उनका खेल छुटा, लेकिन नेताओं और अभिनेताओं के साथ कुछ नहीं हुआ। एक पूरी ताकत ललित मोदी के खिलाफ थी और उसे देश छोड़कर भागना पड़ा।
उसके वकील महमूद आब्दी ने दावा किया है कि उनके खिलाफ कोई ब्लू कॉर्नर नोटिस नहीं है। कोई मामला उनके खिलाफ पेंडिंग नहीं है। वे प्रवर्तन निदेशालय और आयकर अधिकरियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। यह दावा पहली बार आया है। अभी तक हमयही जानते हैं कि उनके खिलाफ ब्लू कॉर्नर नोटिस था। इंटरपोल का सदस्य भारत की सीबीआई है उसे ही इस बारे मे स्पष्टीकरण नहीं देना चाहिए। अगर मामला ही नहीं है तो फिर उनका पासपोर्ट क्यों जब्त हुआ था? हालांकि यह अगस्त 2014 में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश से उनको वापस किया गया। इस वापसी का एक अर्थ यह था कि उनके मामले को वैसा न्यायालय ने नहीं माना जिससे उनका पासपोर्ट जब्त रखी जाए। पासपोर्ट वापस मिलने का अर्थ यही है कि ललित मोदी भारतीय नागरिक के रुप में किसी देश में जाने और उस देश की अनुमति तक वहां रहने को स्वतंत्र है।
ललित मोदी के वकील ने आज वो कागजात भी दिखाए जिससे ललित की पत्नी के पूर्तगाल में ऑपरेशन होने के प्रमाण हैं। ललित वहां गए थे यह भी सच है। ललित ने उस वीजा का और क्या उपयोग किया यह बात अलग है। पूर्व गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने अगर उनके खिलाफ ब्रिेटेन को लिखा कि बाहर का वीजा दिए जाने से दोनों देशों के संबंध प्रभावित होंगे तो उसके पीछे कांग्रेस के अंदर ललित मोदी का विरोध माना जाता है। किंतु इसके लिए चिदम्बरम को बतौर गृहमंत्री कारण देने पड़े होंगे। सरकार बदलने के बाद भी वह पत्र तब तक प्रभावी था जब तक कि नई सरकार अपनी नीति नहीं बदलती। सरकार ने घोषित तौर पर नीति नहीं बदली है। सुषमा का उच्चायुक्त को फोन तथा भारतीय मूल के सांसद कीथ वाज से बातचीत उनको वीजा मिलने का कारण बना। भारत सरकार मानती है कि इसमें कुछ भी गलत नहीं था तभी सभी सुषमा स्वराज के साथ सभी खड़े हैं।
ललित मोदी के वकील महमूद आब्दी ने कहा कि जबसे ललित मोदी ने शशि थरुर की तत्कालीन गर्ल फ्रेंड और बाद में उनकी पत्नी बनीं स्व. सुनंदा पुष्कर के टीम में शेयर होने की बात कही तबसे उनके पीछे यूपीए सरकार के लोग पड़ गए। आब्दी ने तीन नेता सलमान खुर्शीद, पी. चिदम्बरम एवं शशि थरुर का नाम लिया। सच है कि इसके खुलासे के बाद ही कि शशि थरुर ने टीम खरीदने मंे अपने पद के प्रभाव का उपयोग किया उन्हें मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा। ललित मोदी को मिली सुरक्षा हटा ली गई, जबकि उनके अनुसार दाउद इब्राहिम ने उनको जान से मारने की धमकी दी थी। किंतु यही आश्चर्यजनक था कि ललित को कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने सुरक्षा कवच दिया। किसी को सुरक्षा देने का आधार क्या होता है? उस आधार पर ललित मोदी नहीं ठहरते थे। इसलिए सुरक्षा देना ही गलत था। दूसरे, अगर दाउद ने ललित को जान से मारने की धमकी दी तो सरकार ने उनकी सुरक्षा की कोई व्यवस्था की या नहीं? इसका जवाब तो कांग्रेस के उस समय के मंत्री ही दे सकते हैं। अगर कांग्रेस के अनुसर ललित मोदी भागे तो उसमें किसका दोष था? अगर वो इतना बड़ा आर्थिक अपराधी था या है तो उनको पकड़कर भारत लाने की कोशिश क्यों नहीं हुई? वह आराम से लंदन में रह रहा है, हवाना वेनिस जा रहा है, शादियों में भाग ले रहा है और आप केवल कहते रहे कि उसके खिलाफ ब्लू कौर्नर नोटिस है। क्या भय यह था कि ललित अन्य लोगों के बारे में ऐसा खुलासा कर देगा जिससे कई लोगों का सार्वजनिक जीवन बरबाद हो जाएगा?
ये ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर आज ढूंढा जाना चाहिए। लेकिन ललित के वकील ने जो कुछ कहा उससे उभर रहे सारे प्रश्नों का उत्तर नहीं मिलता। खासकर प्रसारण अधिकार बेचने में मिले 125 करोड़ रुपए के आरोप का कोई जवाब इसमें नहीं था।  उनके खिलाफ फेमा के 16 मामले हैं जिनमें 1700 करोड़ रुपया हवाला से लेन देन करने का आरोप है उसका क्या हुआ? अब चूंकि मामला सामने आ गया है, इसलिए नरेन्द्र मोदी सरकार को चाहिए कि इसकी जांच नये सिरे से कराकर दूध का दूध और पानी का पानी करे। सुषमा स्वराज के बारे मेें कहा जा सकता है कि ऐसा करने के पहले उन्हें सरकार के अंदर बातचीत करनी चाहिए थी। इसे पारदर्शी तरीके से किया जा सकता था। देश को भी बताया जा सकता था कि उनके पास अनुरोध आया था जिसमें मानवीय आधाार पर उनने मदद का निर्णय लिया है। अगर वो ऐसा कर चुकीं होतीं तो आज स्थिति विस्फोटक नहीं होती।
अवधेश कुमार, ई.: 30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर: 01122483408, 09811027208


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