शनिवार, 12 अगस्त 2017

सुप्रीम कोर्ट ने एनएफएसए का पालन पूरे देश भर में करने का आदेश केंद्र सरकार को दिया, मनरेगा मामले में सुनवाई 5 दिसम्बर को

नई दिल्ली । स्वराज अभियान द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चल रही सूखा राहत याचिका में कई मुद्दे उठाये गये। जिसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, मनरेगा, किसानों को लोन, फ़सल नुक़सान मुआवज़ा आदि योजनों के क्रियान्वयन जैसे कई अहम मुद्दे हैं।

सर्वोच्च न्यायालय ने 21 जुलाई 2017 को दिए गये हाल ही के आदेश में कई निर्देश जारी किये। जिसमें स्वतंत्र district grievance redress officers को नियुक्त करना, राज्य खाद्य आयोग, Vigilance committees और खाद्य सुरक्षा के तहत खाद्य वितरण सिस्टम के स्वतंत्र ऑडिट की व्यवस्था करनी थी। 

9 अगस्त 2017 की सुनवाई में कोर्ट ने इन सारे निर्देशों को सूखाग्रस्त राज्यों से आगे बढ़ाते हुए पूरे देश भर में लागू करने का आदेश दिया। इस सुनवाई में मुख्य फ़ोकस मनरेगा के क्रियान्वयन पर रहा। 

स्वराज अभियान ने निम्नलिखित बिंदुओं पर ऐफ़िडेविट फ़ाइल किया है: 

1. प्रोग्राम के लिए अपर्याप्त फ़ंड और केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा के लेबर बजट में एक तिहाई से भी ज़्यादा की कटौती।

2. मज़दूरी देने में देरी। 

3. मजदूरी देने में हुई देरी का मुआवज़ा को केंद्र सरकार के लेवल से हटाकर ग्रामीण विकाश मंत्रालय द्वारा मुआवज़ा देने से इंकार। राज्य सरकार की देरी की वजह से मुआवज़े का 6% भी भुगतान नहीं। 

4. सोशल ऑडिट यूनिट के स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए कोई स्वतंत्र फ़ंड नहीं, जो कि सीएजी द्वारा निर्धारित मानक कि मनरेगा के ख़र्च का 0.5% सोशल ऑडिट में ख़र्च होना चाहिये, का भी उल्लंघन है। 

कोर्ट इन मामलों में आगे की सुनवाई 5 दिसम्बर 2017 को करेगा। यह बयान स्वराज अभियान द्वारा नरेगा संघर्ष मोर्चा, राइट टू फ़ूड कैम्पेन और Peoples’ Action for Employment Guarantee के असोसीएशन में जारी किया गया है।

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