रविवार, 12 फ़रवरी 2017

नई पीढ़ी नई-सोच संस्था ने लगाया निःशुल्क नेत्र जांच शिविर

नई पीढ़ी नई-सोच संस्था ने लगाया निःशुल्क नेत्र जांच शिविर
- 145 लोगों ने कराई अपनी जांच
- सभी को आई ड्राप्स व दवाई दी गई
 
 
नई दिल्ली, संवाददाता। नई पीढ़ी नई-सोच संस्था रोजाना कुछ न कुछ कार्य करती रहती है। इसी कड़ी में एक कार्य ओर जुड़ गया है। इस बार संस्था ने एच-4485, गली सितारा शाह, कुतुबुद्दीन चैक, अजमेरी गेट, दिल्ली-6 में निःशुल्क आंखों की जांच का कैंप लगाया इस कैंप में लोगों की आंखों की जांच की गई व लोगों को संस्था की ओर से दवाई भी दी गई। इस कैंप में डाॅ. विकास (आंखों के स्पेशलिस्ट, जग प्रवेश अस्पाताल) व उनकी टीम ने लोगों की आंखों की जांच की। संस्था को हिन्दू-मुस्लिम एकता सेवा समिति की टीम ने भी सहयोग दिया। 
इस जांच शिविर का उद्घाटन संस्था के उपाध्यक्ष मो. रियाज़ व हिन्दू-मुस्लिम एकता सेवा समिति अध्यक्ष मेहरूद्दीन उस्मानी ने किया। इस जांच शिविर में लम्बे समय से आंखों की तकलीफ की जांच गई। 
डॉ. विकास ने बताया कि इस शिविर में 145 लोगों ने आंखों में हो रही तकलीफों की जांच कराई व दवाई भी ली। उन्होंने कहा कि आज आंखों में दर्द आम बीमारी बनती जा रही है। यदि इसे समय पर दिखा लिया जाए तो यह तकलीफ नहीं देती।
हिन्दू-मुस्लिम एकता सेवा समिति अध्यक्ष मेहरूद्दीन उस्मानी ने कहा कि रियाज़ मेरे छोटे भाई जैसा है। इसने मुझे बताया कि इनकी संस्था आंखों की जांच का कैंप लगा रही है और इस मौके पर आपको रहना होगा तो मैंने हां कर दी क्योंकि यह समाज के लिए अच्छा कार्य कर रहे हैं तो मुझे कोई परेशानी नहीं और यह तो मेरा क्षेत्र भी लगता है। इस लिए मेरी टीम भी इस मौके पर आई है।
संस्था के उपाध्यक्ष मो. रियाज़ ने बताया कि इस शिविर में 145 लोगों ने अपनी आंखों की जांच कराई व दवाई प्राप्त की। इस अवसर पर दोनों संस्था के कई पदाधिकारी व सदस्य मौजूद थे, उन्होंने इसमें पूरा सहयोग दिया।









 

दिल्ली में मनाया गया हिंदी उर्दू शायरी का त्यौहार

-दिल्ली पुलिस कर्मी मनीष मधुकर ने किया दावत-ए- सुख़न का आयोजन
-विशेष पुलिस आयुक्त ने मुख्य अतिथि के रूप में की शिरकत
-देश के चुनिंदा 117 शायरों ने सुनायी शायरी

नई दिल्ली। राजधानी में आज हिंदी और उर्दू शायरी का त्यौहार दावत -ए- सुख़न 2 के रूप में मनाया गया। यहां शायरों और कवियों द्वारा गंगो जमुनी तहज़ीब की मिशाल पेश की गयी। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर विशेष पुलिस आयुक्त दिल्ली शशि भूषण कुमार सिंह ने शिरकत की। इस कार्यक्रम में तकरीबन 117 शायरों ने अपने कलाम पेश किए। जिनमें लगभग 13 उस्ताद शायरों का नाम शुमार है। इस कार्यक्रम में जहां एक ओर लोगों ने उर्दू शायरी का लुत्फ़ उठाया वहीं दूसरी ओर गीत और दोहों की गंगा में भी डुबकी लगाने का मौका मिला।
दावत-ए-सुख़न 2 का आयोजन दिल्ली के चाँदनी चौक इलाके में दिल्ली पब्लिक लाइब्ररी के अमीर ख़ुसरो सभागार में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और शमा जलाकर की गयी। कार्यक्रम 10 सत्रों में संपन्न हुआ। इस दौरान वरिष्ठ ग़ज़लकार राजेंद्र नाथ रहबर, मंगल नसीम, सीमाब सुल्तानपुरी, बाल स्वरुप राही, सर्वेश चंदौसवी, वक़ार मानवी, ज़फर मुरादाबादी, मंगल नसीम, राणा प्रताप गन्नौरी, देवेंद्र माँझी, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, डॉ० इच्छाराम द्विवेदी, बनज कुमार बनज जी की अध्यक्षता में कवियों ने बेहतरीन क़लाम पढ़े। इस दौरान मुख्य अतिथि ने कहा कि लोगों को साहित्य के साथ हमेशा जुड़े रहना चाहिए व साहित्य का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि आपसी सदभाव बनाये रखने के लिए ऐसे कार्यक्रम निरंतर आयोजित होते रहने चाहिए। दावत-ए-सुख़न 2 के आयोजन समिति के अध्यक्ष मनीष मधुकर ने बताया कि यह कार्यक्रम उनकी पूरी टीम की कोशिशों का फल है। उन्होंने कहा कि देश भर में कविता के प्रचार प्रसार के लिए व नवोदित कवियों को वरिष्ठ कवियों के सानिध्य में पढ़ने का अवसर प्रदान करने के लिए यह कार्यक्रम प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। इस दौरान मशहूर उस्ताद शायर देवेन्द्र माँझी की किताब "ग़ज़ल के हिंदी में आसान छंद" का विमोचन भी हुआ।
इस दौरान रसिक गुप्ता, आशीष सिन्हा, अजय अक्स, जितेंद्र प्रीतम, अस्तित्व अंकुर, राम श्याम हसीन, मनोज बेताब, विजय स्वर्णकार, सुधाकर पाठक, सुशीला श्योराण तथा विजय कुमार चौबे आदि लोग उपस्थित रहे।

हिन्दू मुस्लिम एकता सेवा समिति की ओर से फ्री आँखों की जाँच का कैम्प लगाया गया

 
संवाददाता
नई दिल्ली। हिन्दू मुस्लिम एकता सेवा समिति की ओर से फ्री आँखों की जाँच का कैम्प लगाया गया जिसमें 125 लोगों की जाँच की गई और फ्री दवाई दी गई। कैम्प में समिति के अध्यक्ष मेहरुद्दीन उस्मानी, डॉ. विकास और उनकी टीम, समिति के सदस्य व पदाधिकारी व आम जनता।



गुरुवार, 2 फ़रवरी 2017

प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव की चिठ्ठी पंजाबियों के नाम

प्यारे पंजाबवासियो,
ये चिठ्ठी पंजाब के दो हमदर्दों की तरफ से है। हमारी पैदाइश और रिहाइश पंजाब की नहीं है। लेकिन हम दोनों का पंजाब से रिश्ता है। योगेंद्र पंजाबियों के बीच गंगानगर में बड़ा हुआ, खालसा स्कूल और खालसा कॉलेज में पढ़ा और फिर पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में पढ़ाया। प्रशांत ने पंजाबी सिख परिवार में शादी की है। हम दोनों सन 1984 के कत्लेआम के खिलाफ खड़े हुए।  प्रशांत उस टीम में था जिसने दिल्ली के कत्लेआम का सच देश के सामने रखा। पंजाब के हमदर्द होने के नाते हमारा फ़र्ज़ बनता है कि आपके सामने पूरा सच रखें -- बिना मोह, बिना खुंदक के। शुभचिंतक का फ़र्ज़ है कि वो सिर्फ दिल खुश करने वाली बातें न कहे। एक सच्चा दोस्त जरूरत पड़ने पर ऐसी बात भी कहता है जो उस वक्त सुनने में अच्छी नहीं लगती। 
आज पंजाब एक चौराहे पर खड़ा है। चुनाव है लेकिन चुनने लायक कोई पार्टी नहीं है। लुटेरों से बचने के लिए जनता से पुराने चोर और नए ठग के बीच चुनने को कहा जा रहा है। इस चौराहे पर एक रास्ता है जो पंजाब को वापिस अकाली-बीजेपी सरकार की तरफ ले जाता है। इस रास्ते को पंजाबी अवाम पहले ही ख़ारिज कर चुका है। बादल परिवार ने पिछले दस सालों में पंजाब का सत्यानाश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। एक जमाने में सारे देश को रास्ता दिखाने वाले पंजाब में आज खेती में तरक्की का रास्ता बंद हो गया है। किसान आत्महत्या कर रहे हैं। रोजगार है नहीं। उद्योग पंजाब छोड़ कर जा रहे हैं। पंजाब कर्ज में डूबा है। पिछले दस सालों में इन समस्याओं को सुलझाने की बजाय अकालियों ने पंजाब को लूटा है। सरकार का पैसा लूटा है और केबल, बस और बजरी के बिज़नेस के बहाने जनता का पैसा लूटा है। और इसके बदले में जनता को दिया है नशा, पूरी एक पीढ़ी की बरबादी। ऊपर से नीचे तक पंजाब ने इतनी धक्केशाही कभी नहीं देखी। इसलिए इस चुनाव में पहला और सबसे बड़ा फ़र्ज़ बनता है किसी भी हालत में अकाली-बीजेपी गठबंधन को हराना।
दूसरा रास्ता अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार का है। इसी सरकार से दुखी आकर दस साल पहले पंजाब ने अकालियों को वोट दिया था। आज भी इस पार्टी के पास कोरे वादों और भड़काऊ बातों के सिवा कुछ नहीं है। पंजाब की खेती, उद्योग और रोजगार के संकट से निपटने का कोई नक्शा कांग्रेस पार्टी के पास नहीं है। खुद कर्ज में डूबी पंजाब सरकार अपने किसान की कर्जा माफ़ी के लिए पैसा कहाँ से लायेगी, इसका कोई जवाब नहीं है। कांग्रेस के भ्रष्टाचार के किस्से किसे नहीं पता? पंजाब के लोग 1984 को भी नहीं भूले हैं। उस पर पर्दा डालने के लिए अब SYL की नींव डालने वाले अमरिंदर सिंह पानी के सवाल पर पंजाब के किसान को भड़काने में लगे हैं। ऐसी कांग्रेस को वोट डालना तो पंजाब की हार होगी। 
ढाई साल पहले पंजाब ने एक तीसरा रास्ता देखा था। इन दोनों पार्टियों से तंग आये पंजाब के वोटर को आम आदमी पार्टी ने बदलाव की एक नयी आस दिखाई थी। हम भी उस वक्त आम आदमी पार्टी के साथ थे। हमने भी आपसे झाड़ू को वोट देने की अपील की थी।पंजाब ने इस बदलाव को बाहें खोलकर स्वीकार किया और चार एम.पी. जिताये। आज भी कुछ लोग सोचते हैं कि झाड़ू पंजाब में कुछ बड़ा बदलाव लाएगी। हम इसकी सच्चाई अंदर से जानते हैं इसलिए हमारा फ़र्ज़ बनता है कि इस पार्टी की हकीकत भी आपको बताएं। 
सच ये है कि आम आदमी पार्टी को जो जितना दूर से देखता है उसे उतनी ही खूबसूरत लगती है। लेकिन हमने अंदर से देखा कि ये झाड़ू खुद बहुत गन्दी हो चुकी है। 2014 के बाद इस पार्टी ने चुनाव जीतने के लालच में कांग्रेस-बीजेपी के लोगों, दागदार नेताओं और पैसे वाली आसामियों को टिकट बांटे। जब हम दोनों ने इसका विरोध किया तो हमें पार्टी से निकाल दिया गया। पार्टी के लोकपाल एडमिरल रामदास को भी हटा दिया गया। सच बोलने पर डा. धर्मवीर गाँधी जैसे ईमानदार नेता को भी किनारे कर दिया गया। दिल्ली दरबार के खिलाफ आवाज उठाने वाले स. सुच्चा सिंह छोटेपुर जैसे नेताओं को झूठे इलज़ाम लगाकर बाहर किया गया। 
हमने सोचा कि चलो हमारे साथ जो भी किया, कम से कम दिल्ली में एक ठीक सरकार चला दें। जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की 49 दिन की सरकार आई थी तो भ्रष्टाचार रुका था। 2015 की शानदार सफलता के बाद दिल्ली सरकार ने बिजली के दाम कम किये। लेकिन उसके बाद से आम आदमी पार्टी की सरकार ने वही उलटे काम किये जो बाकी सरकारें करती हैं:
- वादा किया था नशामुक्त दिल्ली का, लेकिन सत्ता में आने के बाद 399 नए ठेके खोल दिए। गुरुतेग बहादुर के शहीदी दिवस समेत कई नशामुक्त "ड्राई डे" पर इस सरकार ने दारू की बिक्री खोल दी।
- वोट लेने के लिए दलितों का नाम लिया, लेकिन 70 हज़ार दलित बच्चों की स्कॉलरशिप काट दी। बजट में  दलित के लिए जरुरी मद में 2,050 करोड़ की कटौती की।  
- लोकपाल के नाम पर चुनाव जीता था, और अपने ही कानून से उस लोकपाल की हत्या कर दी। स्वराज कानून आज तक नहीं बना।
- सरकार बनने के कुछ हफ्ते में ही इस पार्टी के MLA और मंत्रियों के बारे में भी वैसी ही शिकायत आने लगी जैसी बाकि पार्टियों के बारे में। छह मंत्रियों में ​एक मंत्री फ़र्ज़ी डिग्री में पकड़ा गया, दूसरा भ्रष्टाचार में बर्खास्त हुआ, तीसरा औरतों से नाजायज़ सम्बन्ध के चलते जेल गया।

इसलिए दिल्ली की जनता इनसे बुरी तरह परेशान हो चुकी है। दिल्ली में जो हमसे मिलता है, वो पूछता है कि आपने ऐसे लोगों का समर्थन क्यों किया था। कहीं ऐसा तो नहीं कि एक साल बाद पंजाब के लोग भी यही कहते हुए मिलेंगे? फैसला आपको करना है। लेकिन अपनी राय बनाने से पहले अपने आप से कुछ सवाल पूछ लेना:

- पंजाब में आप के पुराने और सच्चे वालंटियर में से कितनो को टिकट मिला?  अकाली-बीजेपी, कांग्रेस के नेताओं और पैसे वालों को टिकट देने वाली पार्टी बेईमानो के खिलाफ कैसे लड़ेगी?

- जो पार्टी अभी से पैसा लेकर टिकट बेच रही हो वो सरकार बनाने के बाद क्या-क्या बेचेगी? जो पार्टी सिर्फ ढाई साल में इतनी गिर गयी है वो अगले पांच साल में कहाँ पंहुचेगी? 

- जो पार्टी भरी तिजोरी वाली छोटी सी दिल्ली में सरकार नहीं संभाल पायी वो खाली तिजोरी वाले पंजाब में सरकार चला पायेगी? आपको सरकार चाहिए या हर रोज का ड्रामा ?

- आम आदमी पार्टी ईमानदारी से मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित क्यों नहीं करती? चोरी-छुपे केजरीवाल का नाम क्यों चला रही है?

- जो केजरीवाल 70 में के 67 सीट देने वाली दिल्ली का सच्चा न हो सका, वो चुनाव के बाद पंजाब का सच्चा रहेगा? या दो साल बाद हरियाणा में वोट लेने के लिए पंजाब के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर देगा?

इस चौराहे पर यही पंजाब की दुविधा है। पंजाब बदलाव के लिए तैयार है, लेकिन उसके काबिल कोई पार्टी नहीं है । अकाली-बीजेपी और कांग्रेस का मतलब कोई बदलाव नहीं, और आम आदमी पार्टी का मतलब बदलाव का रास्ता ही बंद। तो ऐसे में क्या करें? कुछ लोग कहेंगे कि बड़े चोर से तो छोटा चोर अच्छा है। लेकिन जो चोर पुलिस की वर्दी पहन के खड़ा हो वो तो और भी ज्यादा खतरनाक होता है।
आज पंजाब को एक चौथा रास्ता चाहिए। एक रास्ता जिसमे बदलाव की गुंजाईश को बचा कर रखा जा सके। आज ये रास्ता कोई पार्टी नहीं दे पा रही है। आज ये रास्ता जनता दिखाएगी। इस चुनाव में ऐसी कई छोटी पार्टियां, संगठन और उम्मीदवार भी खड़े हैं जो सच्चे बदलाव के हक़ में हैं। वो अपने दम पर सरकार नहीं बना सकते, शायद चुनाव भी नहीं जीत पाएंगे, लेकिन वो पंजाब की उम्मीद को बचा कर रख सकते हैं। इसलिए हम आपसे अपील करते हैं कि किसी भी हालात में अकाली-बीजेपी को वोट न डालें। जहाँ तक हो सके भ्रष्ट कांग्रेस और पथभ्रष्ट आम आदमी पार्टी को छोड़कर ऐसे उम्मीदवारों और पार्टियों को वोट दें जो पंजाब में बदलाव की गुंजाईश बनाये रखें। सत्ता के लिए हर सौदा करने वाली इन तीनों पार्टियों के अलावा बेहतर उम्मीदवार को वोट देना पंजाब के भविष्य के हित में है , क्योंकि वह सत्ता के लोभियों को  पंजाब की जनता का संदेश होगा कि वे सत्ता के लिए मर्यादा को न छोड़ें ।
पंजाब में जो बदलाव की हवा शुरू हुई है वो अब रुकने वाली नहीं है। ये चुनाव उसकी आखिरी पायदान नहीं है। इस चुनाव के बाद पंजाब में सच्चे बदलाव की असली ताकत खड़ी होगी। पंजाब ने बार-बार देश को रास्ता दिखाया है। हमें उम्मीद है इस बार भी पंजाब देश को निराश नहीं करेगा। 
अगर हमारी कोई बात आपको आज अच्छी न लगे तो बुरा न मानना।  एक साल बाद हमारी चिठ्ठी को दुबारा पढ़ना। फिर फैसला करना कि हमारी बात गलत थी क्या।  
आपके 
प्रशांत भूषण                                       योगेंद्र यादव
अध्यक्ष, स्वराज अभियान                      अध्यक्ष, स्वराज इंडिया
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