शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

क्या चुनावी वर्ष के बजट मे सार्वजनिक उपक्रमो को मिलेगी राहत

बसंत कुमार
कुछ दिन पूर्व हमारे एक मित्र का चयन भारत सरकार के एक उपक्रम मे प्रबंध निदेशक के रूप मे हो गया और सारे मित्र बहुत प्रसन्न हुए और सब ने कहा इस अवसर पर एक ग्रैंड पार्टी तो बनती हैं पर हमारी मित्र मंडली मे अर्थ शास्त्र के जानकर सदस्य ने बता कर कि यह उपक्रम घाटे मे चल रहा है और स्टाफ को कई महीनों से पूरा वेतन नही मिल रहा है, यद्यपि हमे अपनी मित्र की क्षमता और दक्षता पर पूरा भरोसा है कि वे अपनी मेहनत और दूर दर्शित से कम्पनी को इस स्थिति से निकाल लेंगे। पर इस घटना क्रम से हमे चर्चा करने का मुद्दा मिल गया कि इस प्रति स्पर्धि युग मे सरकारी उपक्रमो की प्रसंगीकता क्या है और जो सरकारी उपक्रम इस समय घाटे मे चल रहे है और देश का चुनावी वर्ष का बजट जो फरवरी 2024 मे आने वाला है तो क्या मोदी सरकार इन उपक्रमो को पटरी पर लाने के लिए विशेष सहायता राशि देकर कोई सकरात्मक कदम उठायेगी।
जैसा कि हम सभी जानते है देश मे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमो ने अपनी स्थापना के बाद से देश के उच्च विकाश और समान समाज और आर्थिक विकास प्राप्त करने के उद्देश्य को साकार करने मे महत्व पूर्ण भूमिका निभाई है। देश के आर्थिक और आर्थिक विकास मे उनका निरंतर योगदान वैश्वीकरण की वर्तमान परिस्थितियों में और भी अधिक प्रासंगीक हो गया है, कुछ दिन पूर्व सरकार की ओर से  घाटे मे चल रही सार्वजनिक उपक्रमो का घाटा कम करने के लिए कहा गया कि यह एक निरंतर प्रक्रिया है और सरकार का प्रयास रहता है कि इन कंपनियों की स्थिति को कैसे सुधारा जाए। यद्यपि इस बात से इनकार नही किया जा सकता कि सरकार सरकारी उपक्रमो का घाटा कम करने और विनिवेश को बढ़ाने हेतु पी पी पी मॉडल के तहत उनकी हालत सुधारने का प्रयास कर रही है जैसा की पिछले कुछ वर्षो मे भारतीय रेल को पी पी पी मॉडल के सहारे लाभकारी लाभकारी संस्थान बनाने मे सफलता मिली है वही कुछ उपक्रमो को वित्तीय सहायता देकर फिर से खड़ा करने के प्रयास किये जा रहे है।
हाल में सरकार ने निर्णय किया कि सार्वजनिक क्षेत्र के उप क्रमो की संख्या कम करने और निजी क्षेत्र कर लिए अवसर खोले जाए ऐसे निर्णय ने देश मे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमो की प्रसागिकता पर ही बहस छेड़ दी है अगर हम भारत के औद्योगिक विकाश पर नजर डाले तो पाएंगे कि सार्वजनिक उपक्रमो ने अर्थ व्यवस्था के साथ साथ उद्योगों के लिए एक मजबूत ढांचा प्रदान किया है, इसके अलावा सार्वजनिक उप क्रमो ने को सामाजिक अपेक्षा के साथ स्थापित किया गया था और उनका एक मात्र उद्देश्य लाभ कामना नही अपितु इनका दायित्व देश के लिए अर्थ व्यवस्था हेतु एक ढांचा तैयार करना था जो उन्होंने किया इसके अतिरिक्त इनकी स्थापना के और भी लाभ है।
1-सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम औपचारिक क्षेत्र मे रोजगार उत्पन्न करते है और उनके द्वारा निर्मित रोजगार स्थायी और सुरक्षित होते है वही निजी कंपनियों के द्वारा मुहैया किये गए रोजगारो की कोई गारंटी नही होती और अधिकांश रोजगार संविदा पर होते हैं और कब उन्हे हटा दिया जाए पता नही होता।
2-स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात शुरु के दशकों मे संपत्ति के निर्माण में सार्वजनिक उपक्रमो का योगदान विशेष रूप से उल्लेखनीय है, खासकर उन क्षेत्रों में जहा निजी क्षेत्रों द्वारा निवेश को उच्च जोखिम और कम रिटर्न वाला माना जाता हैं।
3- वैश्विक विस्तार के क्षेत्र मे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमो का योगदान महत्व पूर्ण रहा है। देश के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम काफी समय से ही मध्य पूर्व, अफ्रिका, यूरोप, एशिया, लैटिन अमेरिका और उत्तरी अमेरिका जैसे क्षेत्रों मे दुनिया भर मे मौजूद हैं और आज भी सर्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमो को वैश्विक विस्तार की जबरजस्त संभावनाये है ऐसे मे उन सरकारी उपक्रमो जो घाटे मे चल रहे हैं उन्हे वित्तीय समर्थन देकर खड़ा करने की जरूरत है। इन कंपनियों को सीधे सीधे बन्द करके निजी क्षेत्र को दे देना बिल्कुल अनुचित है, इसके लिए सरकार को अन्य वैकल्पिक उपायों पर सोचने की अवश्यकता है जिससे ये उपक्रम अपने उद्देश्यों को प्राप्त कर सके।
घाटे मे चल रहे उपक्रमो को को पटरी पर लाने के लिए निम्न विकल्पों पर विचार किया जाना चाहिए-
1- जिन उपक्रमो मे आम आदमी की जीविका और रोजगार की जरूरते पूरी होती है उन उपक्रमो को विशेष आर्थिक ग्रांट देकर पुन: खड़ा किया जाना चाहिए जैसे वर्ष 1956 मे स्थापित सेंट्रल कॉटेज इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लि जो घाटे मे चल रही है की पुनर्स्थापना की स्थापना इसलिए आवश्यक है क्योकि इसके द्वारा कश्मीर, भदोही और प्रधानमन्त्री जी की लोक सभा वाराणसी के बुनकर  व गलीचा (कालीन) बनाने के काम मे लगे कारीगरों की रोजी रोटी चलती है।
2- सरकारी उपक्रमो पर घोषित नीति पर सरकार को पुन: विचार करने की अवश्यकता है, इन सरकारी उपक्रमो को एक पेसेवर बोर्ड द्वारा संचलित करके पुन: खड़ा किया जाना चाहिए यानो इन सार्वजनिक उपक्रमो को पी पी पी मॉडल के तहत संयुक्त उद्यम के रूप मे भी चलाया जा सकता है!
3- सार्वजनिक उपक्रमो के भविष्य के विकाश के लिए कुछ मानव कल्याण के प्रमुख उद्यमो को चिंहित कर तत्काल सहायता प्रदान करने की अवश्यकता है,
कहने का तात्पर्य यह है कि देश की अर्थ व्यवस्था के विकाश, मानव कल्याण, रोजगार मुहैया कराने के क्षेत्र में मे सार्वजनिक उप क्रमो ने बहुत महत्व पूर्ण भूमिका निभाई है पर आर्थिक सुधार युग के आगमन के साथ ही उदारीकरण, निजीकरण, वैश्विक रण की ओर बढ़ते विश्व मे सार्वजनिक उपक्रमो को कम किये जाने की नीति बहुत हानिकारक है, इसलिए सरकार को चाहिए कि आँख मूंद कर इन उपक्रमो को बंद करने के बजाय इन्हे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जाये।
कहने को तो हम विश्व की पांचवे नंबर् की आर्थिक महाशक्ति है और अपने पिछले नौ वर्षो के कार्यकाल में मोदी सरकार ने आर्थिक विकास के क्षेत्र मे और इंफ्रास्ट्रॅक्चर, विकसित करने मे आभूत पूर्व हासिल की है पर वही टेक्सटाइल सहित अनेक सेक्टरों मे कई उपक्रम घाटे मे चल रहे है और कई उपक्रमो मे कर्मचारियो को कई माह से वेतन न मिलना दुर्भाग्य पूर्ण है ऐसे में सरकार को एक वेलफेयर स्टेट की तरह अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह करते हुए चुनाव वर्ष के आखिरी बजट मे पर्याप्त फंड देकर सुचारु रूप से काम करने और मुनाफा कमाने का अवसर देना चाहिए जिससे ये संस्थान भी निजी क्षेत्र के मुकाबले कड़ी स्पर्धा पेश कर सके। माना कि अर्थ व्यवस्था के विकाश मे निजी क्षेत्र की महत्व पूर्ण है।

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