बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

पानी में दस मीटर नीचे रहकर, सेटेलाइट कनेक्टिविटी से दुश्मन की घुसपैठ पर साध सकेंगे निशाना

 -पानी में दस मीटर नीचे रहकर, सेटेलाइट कनेक्टिविटी से दुश्मन की घुसपैठ पर साध सकेंगे निशाना

-पानी के नीचे रहकर दुश्मनों पर निगरानी वाला ड्रोन बनाया

मो. रियाज़

नई दिल्ली। देश का पहला वाटरप्रूफ ड्रोन तैयार हो गया है। इसके पेटेंट को लेकर मध्यप्रदेश के दतिया स्थित रानीपुरा गांव के भूपेंद्र राजपूत ने आवेदन किया है। भूपेंद्र के पिता किसान हैं, जो कर्ज लेकर उसे पढ़ा रहे हैं यह खुद दिल्ली पेटेंट आवेदन के लिए कई दिनों तक रैन-बसेरे में रहे क्योंकि उनकी जेब में इतना पैसा नहीं था कि वह किसी होटल में ठहर सकें।
भूपेन्द्र का कहना है, वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बहुत प्रभावित हैं। जिन्होंने मेक इन इंडिया का नारा देते हुए इनेवेटिव सोच को पंख लगाए हैं। उनके इस संदेश से प्ररेणा पाकर मैंने देश की सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए वाटरप्रूफ ड्रोन तैयार किया है। इसकी लागत मात्र दो लाख है। इसमें हाई रेज्युलेशन कैमरा, सेटेलाइट रिमोट सिस्टम और स्प्रिंग फोर्स के जरिए ड्रोन की क्षमता को कई गुणा बढ़ाकर राॅकेट और मिसाइल दागने की गति को हजार किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक बढ़ा सकते हैं। इसमें लगी विंग को अलग-अलग दिशा में खोलने की तकनीक है, जिससे किसी भी दिशा में समुद्र के नीचे पानी में तैरते वाटरप्रूफ ड्रोन से हवा और पानी में मिसाइल या राॅकेट दागकर घुसपैठ करने वाले जहाज व दुश्मन के ठिकाने पर हमला किया जा सकता है। भूपेंद्र ने दिल्ली स्थित द्वारका सेक्टर-14 में आईपीआई (इंटलेक्चुअल प्रोपर्टी इंडिया) पेटेंट विभाग में रजिस्ट्रेशन कराया है।

क्या है ड्रोन में खास--
अन्ना यूनिवर्सिटी के वल्लम तंजाबुर स्थित पीआर इंजीनियरिंग काॅलेज के इंजीनियरिंग के छात्र भूपेंद्र बताते हैं कि उन्होंने अपने ड्रोन का अविष्कार सेना को ध्यान में रखकर किया है। इस ड्रोन का वजन करीब 42 किलोग्राम का है। जो 230 सेंटीमीटर चैड़ा और 190 सेंटीमीटर लंबा है। ड्रोन पूरी तरह से कंप्यूटर आपरेटिंग प्रणाली पर आधारित है। लक्ष्य भेदने के लिए ड्रोन में लगा कैमरा, फोटो खींचकर, सेटेलाइट से सूचना देगा और वहां से आर्डर मिलते ही लक्ष्य भेदने के लिए मिसाइल, बम या राॅकेट को छोड़ा जा सकेगा। अगर जासूसी करने वाले देश के सेटेलाइट को खत्मा करना है तो स्प्रिंग फोर्स का सहारा लेकर यह लक्ष्य भी भेदा जा सकेगा।

ड्रोन टेक्नोलाॅजी--यह ड्रोन पूर्णता वाटर प्रूफ टेक्नोलाॅजी पर आधारित है। इसको वाटर प्रूफ बनाने के लिए टीन की चादर का उपयोग किया गया है तथा इसको पानी में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर लाने में हाइड्रोलिक सिस्टम पर आधारित है। जिसमें 10 आर.पी.एम. की चार मोटर लगी हुई हैं जो ड्रोन को रिमोट सिस्टम के माध्यम से किसी भी स्थान पर पानी में ले जा सकती है, जोकि एक चैन पूलिंग सिस्टम प्रणाली पर आधारित है। इसको आगे बढ़ाने के लिए 300 आर.पी.एम. के 12 मोटर सहित एयरक्राफ्ट लगाई गई है जोकि ड्रोन के साथ 10 कि.ग्रा. वजन को आसानी से पानी में ले जा सकती। इसके अलावा ड्रोन में 12 वोल्ट का बैट्री बैकअप है जो ड्रोन को पानी में 4-5 घंटे तक लगातार चला सकता है।
 
इस ड्रोन का उपयोग हम इंडियन नेवी के लिए कई प्रकार से कर सकते हैं जैसे कि यह ड्रोन पानी के भीतर 5-10 कि.ग्रा. वजन को आसानी से ले जा सकता है। जिसमें हम छोटी-छोटी मिसाइल या बम का प्रयोग कर सकते हैं। इस ड्रोन का आकार 140 सेमी लम्बा तथा 170 सेमी चैड़ा है जिसका वजन 20 कि.ग्रा. है।
 
पानी में चलने वाला ड्रोन बनाने का दावा---
नई दिल्ली। आसमा से कह दो अगर देखनी है मेरी उड़ान तो अपना कद और ऊंचा कर ले। मध्यप्रदेश (एमपी) के एक युवक ने कुछ इसी प्रकार का कारनामा कर दिखाया है। एमपी के दतिया में रहने वाले भूपेन्द्र का दावा है कि उन्होंने पानी में चलने वाला एक ड्रोन बनाया है जो पानी के अंदर और बाहर दोनों प्रकार से सुरक्षा में उपयोग किया जा सकता है। आमतौर पर ड्रोन का नाम सुनते ही हवा में उड़ते तस्तरीनुमा कैमरे नजर आते हैं, लेकिन इस युवक ने पानी में चलने वाला ड्रोन बनाया है, जो मोबाइल और रिमोट से कंट्रोल होता है। भूपेन्द्र पीआरईसी इंजीनियरिंग कॉलेज में बी टेक की पढ़ाई कर रहा है। फिलहाल, इन दिनों वह दिल्ली आया हुआ है। युवक का दावा है कि अगर सरकार उसे कुछ उपकरण मुहैया करवा दे, तो वह इसे वास्तविक आकार दे सकता है। जो तीनों सेनाओं के लिए बेहद उपयोगी होगा। रानीपुरा नामक छोटे से गांव के रहने वाले एक नौजवान भूपेन्द्र ने 18 मोटरों से पानी में चलने वाला ड्रोन बनाया है, जिसे देखकर लोग दांतों तले उंगली दवा लेते हैं। यह ड्रोन रिमोट के साथ-साथ मोबाइल से भी कंट्रोल होता है और इसमें कैमरा लगाकर सैटेलाइट के माध्यम से पानी के अंदर और बाहर नजर रखी जा सकती है। इसके अलावा इसे जल, थल और नभ तीनों जगहों पर कंट्रोल भी किया जा सकता है। सेना के लिए उपयोगी ड्रोन के अविष्कारक भूपेन्द्र का कहना है कि इसमें करीब 1000 हजार मोटर और अन्य सामान लगने के बाद यह ड्रोन वास्तविक धरातल पर आ जाएगा।
बड़े रूप में लाने के बाद यह ड्रोन देश की तीनों सेनाओं के लिए उपयोगी हो जाएगा, लेकिन उसके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह इसको बड़ा रूप देने विदेशों से जरूरी उपकरण मंगा सके। पिता नारायण दासा पेशे से किसान हैं। नौजवान ने मदद के लिए सरकार से गुहार भी लगाई है। खास बात यह है कि ड्रोन में लगे कैमरे 180 डिग्री तक घूम सकते हैं।
-कैमरों की रेंज 400 मीटर -वजन 20 किलो ग्राम -चैड़ाई 190 सेमी. -लम्बाई 140 सेमी.

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