बुधवार, 28 फ़रवरी 2024

मोदी चुनाव का नहीं विकास का बिगुल फूंकते हैं!

फिरोज़ बख़्त अहमद 
मोदी के प्रतिद्वंदी प्रायः यह कहते सुने जाते हैं कि वे मंदिरों को प्राथमिकता इस लिए देते हैं कि वे चुनाव जीतना चाहते हैं। बहुत छोटी बात बोलते हैं ये लोग और लगता है कि अक्ल के पीछे डंडा ले कर दौड़ रहे हैं क्योंकि मोदी जैसे इन्सान को चुनाव से कोई लेना देना नहीं, न ही राजनीति से मिलने वाले लाभों व शान-ओ-शौकत से कोई सरोकार और न ही अरबों-खरबों की संपत्ति एकत्र करने की इच्छा है, बल्कि ज़मीन से जुड़े इस प्रधानमंत्री के रूप में सेवक को भारत माता को विश्व गुरु बना, ऐसी ऊंचाइयों पर ले जाना है, जहां अमेरिका, ब्रिटेन, चीन आदि के मुक़ाबले में भारत कोसों आगे हो! रही बात राम मंदिर के नाम में चुनाव जीतने की, तो इस शुभ कार्य को इन विपाक्षी दलों ने क्यों नहीं कराया? अपने ही देश में हिंदू तबके को  अदालत से 500 वर्ष संघर्ष कर अपने सबसे बड़े आराध्य की प्राप्ति मोदी ने चुनाव जीतने हेतु नहीं बल्कि इस कार्य को पूर्ण करने के लिए किया कि जिन लोगों के निकम्मेपन के कारण यह रह गया था, क्योंकि वे तो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को काल्पनिक मानते हैं और राम सेतु को भी नहीं मानते!
वैसे भी भारत माता इतना विशाल देश है कि हर समय कहीं न कहीं चुनाव चलते रहते हैं और जो लोग जनता की नजर में मोदी की भांति हर प्रकार से दमदार, दिलदार, जानदार, शानदार, वफादार, सेवादार, कामदार और ईमानदार नहीं होते, जानते हैं कि चुनाव जीतना आसान नहीं, अपनी असफलता का ठीकरा मोदी पर फोड़ देते हैं। बात यह नहीं कि मोदी विजयी हों अन्यथा नहीं, देश की बागडोर जिम्मेदार हाथों में रहनी चाहिए और यह पब्लिक है, सब जानती है!
भारत वर्ष को प्रगति व उन्नति के मार्ग पर दौड़ा दिया है, उससे उनके विपक्षी दलों में खलबाली मची हुई है कि यह बंदा किस मिट्टी का बना हुआ है कि न तो रुकता है, न थकता है और न ही झुकता है कि जिस तरक्की से इस व्यक्ति ने अपने दौर में भारत को रु बरु किया है, वह अति विलक्षण है व चमत्कारिक है, जिसे पिछले किसी प्रधानमंत्री के कार्य काल में पूर्ण नहीं किया गया! मोदी को नापसंद करने वाले, गलियां बकने वाले, कोसने वाले और झोलियां फैला कर बददुआ देने वाले भली भांति जानते हैं कि मोदी जो कहते हैं, करते हैं। उन्हों ने कभी नहीं कहा, " हम देख रहे हैं, है देखेंगे। वे देखने वालों में नहीं, करने वालों में हैं।यही बात उन्हें अन्य प्रधानमंत्रियों से भिन्न करती हैं। जनता सही जज है, न कि विपक्षी, वामपंथी दल आदि।
मोदी ही वह आदमी है जो आने वाले समय मे भारत को एक स्वस्थ, सुंदर (कूड़ा, गंदगी के ढेर विहीन) देश बना सकता है। यही वो व्यक्ति है जो पूरी तरह ईमानदार है और आगे भी ईमानदार रहेगा। यही वो आदमी है जो अपने परिवार के लोगों को हमारे सिर पर नही थोपेगा।
बतौर एक वोटर, मुझे मोदी पर 100 प्रतिशत विश्वास है कि यह व्यक्ति देश के लिए कितना भी कठिन निर्णय हो उसे लेने में कभी नहीं हिचकेगा व पूरा करने के लिए कुछ भी कर सकता है।चुनाव जीतेगा तो सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र की सेवा के लिए 10 साल में, यह व्यक्ति एक दिन भी खाली नहीं बैठा, कुछ न कुछ करता ही रहा, चाहे वह वंदे भारत रेल हो या काश्मीर में सबसे ऊंचा पुल बनाना हो, या दुश्मन के घर में जा कर सर्जिकल स्ट्राइक करनी हो, जिस पर विपक्षियों ने सवाल उठाए! मोदी से पूर्व जीडीपी 1.8 ट्रिलियन थी और आज 3.7 ट्रिलियन है। 
मोदी से पूर्व प्रति व्यक्ति आय 78 हज़ार थी तो आज यह 1 लाख 15 हज़ार है। मोदी से पूर्व हम 10वें आर्थिक स्थान पर थे और आज 5वें आर्थिक स्थान पर हैं। मोदी से पूर्व हमारे देश ने 200 बिलियन का व्यपार किया था और आज यह संख्या 800 बिलियन के लग हग है। मोदी से पहले हमारे पास 5  मेट्रो शहर थे, आज 21 हैं। मोदी से पूर्व हमारे पास 74 एयर पोर्ट थे और आज 160 हैं। मोदी से पूर्व केवल 40 प्रतिशत गाँवों में बिजली थी, आज 95 प्रतिशत गाँवों में बिजली है। 
मोदी से पूर्व केवल 7 एम्स थे, आज 22 हैं। मोदी से पूर्व ई-वे की लंबाई  680 किलो मीटर थी, आज 4067 मीटर है। मोदी से पूर्व रेलवे ट्रैक 25,700 किलो मीटर था, आज, 5,7,700 किलो मीटर है। मोदी से पूर्व सड़क गुणवत्ता में हम 88वें स्थान ओर थे, आज 42 वें स्थान पर है।चूंकि लेखक अपनी इसलामी जड़ों से जुड़ा मुसलमान, एक संस्कारी व राष्ट्रवादी मुस्लिम है, सिवाय भारत माता से जुड़े होने के, किसी अन्य पार्टी या संगठन से नहीं जुड़ा है, अपने मुस्लिम दीन भाईयों से गुजारिश करता है कि भले ही वे मोदी को वोट दें या न दें, मोदी से अंध रंजिश और दुश्मनी का त्याग कर, इस वासुधैव कुटुम्बकम में विश्वास रखने वाले प्रधानमंत्री के बाजुओं को मज़बूत करें, क्योंकि यह वही मोदी है, जिसने कहा है कि वह हर मुस्लिम के एक हाथ में कुरान और दुसरे में कंप्यूटर देखना चाहता है और यह कि वह मुस्लिमों को अपनी संतान की भांति समझता है व उनके साथ बराबरी का सुलूक करना चाहता है। यह वही मोदी है, जिस ने विज्ञान भवन में विश्व की सबसे बड़ी सूफ़ी संगोष्ठी की थी। या वही मोदी है जिसे छः इस्लामी देशों ने अपने सर्वोच्च इनाम दिए थे और यह वही मोदी है, जिसके सम्मान में सऊदी अरब के बादशाह सलमान ने रामायण को अरबी में अनुवाद कर भेंट किया था! इस मोदी का ही दम था जिसने अबु धाबी में मंदिर की स्थापना करे दोनों देशों में हर प्रकार से प्रगाढ़ रिश्ते बनाए!
एक सामान्य भारतवासी और दिल्ली नागरिक होने के नाते, मेरा ये दृढ़ विश्वास है कि आज के समय में यही सबसे उपयुक्त व्यक्ति है जो भारत को विश्वगुरु बना सकता है।यही वह व्यक्ति है जो भारत को आर्थिक और सैन्य महाशक्ति बना सकता है, यही वो आदमी है जो हमको तीसरी दुनिया, विकासशील देश से एक विकसित देश बना सकता है। भारत माता की जय! जय हिंद!  
(लेखक पूर्व कुलाधिपति, भारत रत्न, मौलाना आज़ाद के वंशज और वरिष्ठ स्तंभकार हैं)
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