शुक्रवार, 24 मार्च 2017

योगी के आने से ‘सेकुलरिये’ सकते में

श्याम कुमार

आजादी के बाद अब तक एक ओर भ्रष्टाचारियों एवं घोटालेबाजों की चांदी रही है तो दूसरी ओर कट्टरपंथी मुसलमानों एवं फर्जी सेकुलरवादियों की। देश में अब तक इन्हीं लोगों का तुश्टीकरण एवं संरक्षण होता रहा है। यह तुष्टीकरण एवं संरक्षण भी भ्रश्टाचार ही था। मजहब के आधार पर नागरिकों में भेदभाव करना व हक मारना अन्याय है तथा यह अन्याय भ्रश्टाचार का दूसरा रूप है। योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने से कट्टरपंथी मुसलमान एवं फर्जी सेकुलरिए सकते में हैं। उनमें खलबली मची हुई कि यह क्या हो गया? नेहरू वंश के नेतृत्व में कांग्रेसी षासन हिन्दुओं के लिए काला अध्याय रहा है। उस दौर में हिन्दुओं को दूसरे दर्ज का नागरिक बना दिया गया था। अब तक कट्टरपंथी मुसलमान एवं फर्जी सेकुलरिए ही हावी रहे हैं तथा वे प्रथम श्रेणी के नागरिक बने हुए थे। वे दोनों एक-दूसरे के पर्याय हैं, क्योंकि दोनों की भाशा एवं नीयत एक है-हिन्दुत्व एवं भारतीय संस्कृति का विरोध। फर्जी सेकुलरियों में नकली वामपंथियों, नकली समाजवादियों, तथाकथित बुद्धिजीवियों आदि की जमातें षामिल हैं। 

हाल में ‘आप की अदालत’ में रजत शर्मा ने योगी आदित्यनाथ पर ‘मुकदमा’ चलाया था, जिसमें योगी से बड़े तीखे सवाल पूछे गए थे। रजत शर्मा ने पूछा था कि गोरखपुर में कतिपय मुहल्लों के मुसलिम नामों को क्यों बदल दिया गया है, जैसे अलीनगर का नाम आर्यनगर, मियां बाजार का नाम माया बाजार आदि। योगी ने उत्तर में कहा था कि ये जो बदले हुए नाम हैं, वे वस्तुतः उन मुहल्लों के मूल एवं असली नाम थे, जिन्हें मुसलिम षासनकाल में बदल दिया गया था। अतः जब उस समय नाम बदले जाने पर आपत्ति नहीं की गई तो अब भी आपत्ति नहीं की जानी चाहिए। इसी प्रकार एक अन्य प्रश्न के उत्तर में योगी आदित्यनाथ ने आंकड़े देकर बताया था कि जो हिन्दू बहुल इलाके हैं, वहां हिन्दुओं से मुसलमानों को किसी प्रकार का कश्ट नहीं मिलता है। लेकिन जिन क्षेत्रों में मुसलमानों का प्रतिशत अधिक होता है, वहां फसाद होते हैं तथा हिन्दुओं का चैन से रहना मुश्किल होता है। जहां मुसलमानों की संख्या बहुत अधिक होती है, वहां दंगे होते हैं तथा हिन्दुओं को उत्पीडि़त कर वह इलाका छोड़ने को विवश किया जाता है। योगी आदित्यनाथ की बात बिलकुल सही है तथा उत्तर प्रदेश के अनेक हिस्सों में हिन्दू आबादी वाले मुहल्ले धीरे-धीरे मुसलिम आबादी वाले मुहल्ले हो गए हैं। 

हिन्दू को विश्वास नहीं हो रहा है कि अब उसे आजादी मिल गई है। पिछले आठ सौ साल से गुलामी झेलते-झेलते उसकी गुलाम बने रहने की आदत पड़ गई थी। पहले मुसलिम हमलावरों ने गुलाम बनाया। चूंकि हिन्दू स्वभाव से अतिउदार एवं अतिसहिश्णु होता है, इसलिए बार-बार धोखा खाकर भी क्षमा करना उसकी प्रवृत्ति होती है। इसी से क्षमा करने के सिद्धांत के पुरोधा महात्मा गांधी ने भी झुंझलाकर कह दिया था कि हिन्दू कायर कौम है। न्यायमूर्ति अब्दुल करीब छागला हिन्दू को चरित्र से सेकुलर एवं न्यायप्रिय मानते थे। वास्तविकता यही है कि हिन्दू धर्म वास्तविक रूप में सेकुलरवादी, अर्थात पंथनिरपेक्षता के सिद्धांत का अनुयायी है। सम्पूर्ण हिन्दू दर्शन में ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का सिद्धांत निहित है। यह दर्शन ‘न्याय सबके साथ, अन्याय किसी के साथ नहीं’ सिद्धांत का प्रतिपादक है। भारतीय जनता पार्टी ने इसी आदर्श को ग्रहण कर अपना सिद्धांत बनाया है-‘सबका साथ, सबका विकास’। नरेंद्र मोदी षुरू से कह रहे हैं कि उनका लक्ष्य समस्त सवा सौ करोड़ देशवासियों का कल्याण एवं विकास करना है। इन सवा सौ करोड़ में हिन्दू, मुसलमान, सिख, ईसाई आदि सभी धर्मावावलम्बी शामिल हैं। देश के सभी लोगों का कल्याण एवं समस्त क्षेत्रों का विकास नरेंद्र मोदी का ऐसा लक्ष्य है, जो देश को पुराना गौरव वापस दिलाएगा तथा हमारा देश पुनः ‘सोने की चिडि़या’ बन सकेगा।

अपने उदार स्वभाव के कारण ही हिन्दू भारत ने तमाम विदेशियों को अपने यहां शरण दी और उनका अस्तित्व समाप्त होने से बचाया। यहूदी इसके ज्वलंत उदाहरण हैं। आज विश्व में यहूदियों का जो अस्तित्व बचा हुआ है, वह सिर्फ हिन्दू भारत के कारण है। भारत ने ही उन्हें षरण देकर नश्ट होने से बचाया था। पारसियों के बारे में भी यही बात लागू होती है। षकों व हूणों को भारतीय समाज ने ऐसा आत्मसात किया कि वे अलग नहीं रह गए। लेकिन मुसलिम हमलावरों एवं अंग्रेजों के मामले में भारतीयों की उदारता आत्मघाती सिद्ध हुई। दोनों ने हमारी उदारता एवं सदाशयता का फायदा उठाकर हमें अपना गुलाम बना लिया और लगभग आठ सौ साल तक हमें उनकी गुलामी झेलनी पड़ी। विदेशी मुसलिम हमलावरों के बाद अंग्रेजों की गुलामी झेली और जब उनसे मुक्ति मिली तो हिन्दू नेहरू वंश के नेतृत्व वाले कांग्रेसी राज में कट्टरपंथी मुसलमानों एवं फर्जी सेकुलरियों की गुलामी के चंगुल में फंस गया। इन लोगों की जिद एवं कलह के कारण ही देश का वातावरण स्थायी रूप से अशांत बना हुआ है। ये लोग ‘न्याय सबके साथ, अन्याय किसी के साथ नहीं’ सिद्धांत के बजाय ‘हिन्दू के साथ अन्याय, मुसलमान के साथ पक्षपात’ सिद्धांत चाहते हैं। अयोध्या का ‘रामजन्मभूमि प्रकरण’ इसका ज्वलंत उदाहरण है। 

हिन्दुओं की मान्यता है कि अयोध्या भगवान राम की अवतार-स्थली है। इलाहाबाद उच्चन्यायालय द्वारा कराई गई जांच से सिद्ध हो गया कि अयोध्या में विवादित स्थल पर विशाल मंदिर था, जिसे तोड़कर उस पर मस्जिद बना दी गई। किन्तु कट्टरपंथी मुसलमान एवं फर्जी सेकुलरिए वहां जबरदस्ती विवाद खड़ा किए हुए हैं। यदि सामान्य मंदिर की बात होती तो उसे वहां से अन्यत्र हटाया जा सकता था। लेकिन उस स्थल का रामजन्मभूमि होने का महत्व है। इसी प्रकार चूंकि वहां मुसलमानों के लिए मस्जिद का कोई विशिष्ट महत्व नहीं है, इसलिए उसे वहां के बजाय अन्यत्र बनाया जा सकता है। लेकिन कट्टरपंथी मुसलमानों एवं सेकुलरियों ने जानबूझकर ‘बाबरी मसजिद विवाद’ खड़ा कर दिया और देश की शांति नष्ट कर दी। यदि वहां रामजन्मभूमि मंदिर का निर्माण हो जाने दिया जाता तो उससे हिन्दुओं एवं मुसलमानों के बीच स्थायी रूप से सौहार्द एवं प्रेमभाव स्थापित किया जा सकता था।         


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