रविवार, 28 सितंबर 2025

समर्पण से समरसता तक: संघ की सौ साल की यात्रा

डॉ. नीलू तिवारी

जिस दौर में समाज असमानता, शिक्षा की कमी, बेरोजगारी और आपदाओं जैसी चुनौतियों से जूझ रहा है, वहाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने सेवा-प्रकल्पों और निःस्वार्थ सहयोग के माध्यम से समाज को दिशा देने का कार्य करता है। यह संगठन केवल परंपरागत विचारों तक सीमित नहीं, बल्कि युवाओं को अनुशासन, नेतृत्व और राष्ट्रसेवा की शिक्षा देकर उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ता है। कोविड-19 महामारी, बाढ़, भूकंप और अन्य संकटों में स्वयंसेवकों का साहस और सेवा भाव यह दर्शाता है कि यह विचार केवल सैद्धांतिक नहीं बल्कि व्यावहारिक और जीवंत है। आज जब भारत वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है, तो “समुत्कर्ष” और “परम वैभव” संघ का आदर्श हमें आत्मनिर्भरता, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक एकता की राह दिखाता है। यही कारण है कि यह विषय केवल ऐतिहासिक नहीं, बल्कि वर्तमान और भविष्य दोनों की दृष्टि से अत्यंत प्रासंगिक है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का नाम भारतीय समाज में सदियों पुरानी सोच और आधुनिक राष्ट्र निर्माण की एक अनूठी मिसाल के रूप में लिया जाता है। बचपन में ब्रिटिश विरोध के कारण डॉ. हेडगेवार को दंड मिला इसी साहस के चलते आगे चलकर 1925 में नागपुर संघ की स्थापना हुई। संघ का उद्देश्य केवल राजनीतिक स्वतंत्रता तक सीमित नहीं रहा,बल्कि उसने समाज को नैतिक,सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से संगठित करने की दिशा में भी निरंतर कार्य किया है। इस संदर्भ में संघ के चार स्तंभ समुत्कर्ष,सेवा,सहयोग और साहस विशेष महत्व रखते हैं।

समुत्कर्ष, केवल व्यक्तिगत विकास तक सीमित नहीं है।इसका उद्देश्य समाज और राष्ट्र के समग्र उत्थान को सुनिश्चित करना है। आदिवासी और दूरस्थ क्षेत्रों में जहाँ न बिजली है न सड़क, आरएसएस ने “एकल विद्यालय” शुरू किए। आज डेढ़ लाख से अधिक गाँवों में यह अभियान चल रहा है। झारखंड की गुमला ज़िले की एक बच्ची,जो लकड़ी बीनने जाती थी, इन्हीं स्कूलों से पढ़कर आईएएस अधिकारी बनी। उसकी सफलता ने पूरे गाँव का जीवन बदल दिया। संघ से प्रेरित इस विद्या भारती संस्थान ने लाखों बच्चों को आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कार दिए। राजस्थान का एक विद्यार्थी, जिसने विद्या भारती में पढ़ाई की, आगे चलकर डॉक्टर बना और अपने ही गाँव में निःशुल्क स्वास्थ्य केंद्र खोला। समुत्कर्ष केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र को ऊँचाई पर ले जाने का संकल्प है।

सेवा, संगठन की आत्मा है। प्राकृतिक आपदाओं, महामारी और सामाजिक संकटों में संघ के स्वयंसेवक सबसे पहले राहत कार्यों में जुटते हैं। कोविड-19 महामारी के दौरान जब लोग ऑक्सीजन और अस्पतालों के लिए भटक रहे थे, आरएसएस स्वयंसेवक घर-घर दवा और सिलेंडर पहुँचा रहे थे। दिल्ली का एक स्वयंसेवक अकेले 150 से अधिक सिलेंडर बाइक से ले गया और सैकड़ों लोगों की जान बचाई। संघ ने घर-घर राशन और दवाइयाँ पहुँचाने, स्वास्थ्य शिविर आयोजित करने और मानवता की भावना को जीवित रखने का कार्य किया। सेवा का यह दृष्टिकोण केवल तत्काल राहत तक सीमित नहीं; यह समाज में भरोसा, एकता और मानवता की भावना को मजबूत करता है। केरल बाढ़ 2018 में नावों और राफ्ट से लोगों को बचाया गया,राहत शिविर चलाए गए और बच्चों के लिए अस्थायी स्कूल खोले गए। 2001 में गुजरात भूकंप जब कच्छ और भुज बर्बाद हो गए थे,आरएसएस स्वयंसेवक मलबे से लोगों को निकालने और पीड़ित परिवारों को भोजन देने में जुट गए। बाद में अनाथ बच्चों के लिए स्कूल और महिलाओं के लिए रोजगार केंद्र भी स्थापित किए गए। आरएसएस ने दिखाया कि सेवा का मतलब केवल राहत नहीं, बल्कि समाज को संकट से उबरने और पुनर्निर्माण की राह पर ले जाना भी है।

सहयोग आरएसएस की तीसरी पहचान है। समाज के हर वर्ग को जोड़ने और एकता की भावना को बढ़ावा देता है और राष्ट्र के निर्माण में योगदान करता है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद न केवल शिक्षा सुधार की आवाज़ उठाता है बल्कि छात्र-छात्राओं को सामाजिक जिम्मेदारी से भी जोड़ता है। 2020 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को मुफ्त पढ़ाई की व्यवस्था कराई। भारतीय किसान संघ ने किसानों के अधिकार और प्राकृतिक खेती के पक्ष में बड़ा आंदोलन खड़ा किया। महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त इलाकों में इसने सामूहिक जल-संरक्षण अभियान चलाया, जिससे 50 गाँवों में पानी की समस्या खत्म हो गई। सेवा भारती – झुग्गी बस्तियों और आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविर, शिक्षा केंद्र और सिलाई-कढ़ाई प्रशिक्षण से हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया। सहयोग का यह दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करता है कि समाज के हर वर्ग को जोड़कर राष्ट्रीय एकता और सामाजिक स्थिरता बनी रहे।

संघ का चौथा स्तंभ साहस है। संघ ने अपने इतिहास में अनेक कठिन परिस्थितियों और आलोचनाओं का सामना करते हुए अपने आदर्शों और मूल्यों की रक्षा की है। गांधीजी की हत्या के बाद लगे प्रतिबंध, आपातकाल में जब लोकतंत्र कुचला गया और हजारों कार्यकर्ता जेलों में डाल दिए गए, तब भी आरएसएस ने गुप्त पत्रक बाँटकर लोगों को जागरूक किया और लोकतंत्र की रक्षा की। संघ का साहस केवल संगठन की सुरक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि समाज और राष्ट्र के हित में न्याय, मानवता और नैतिकता के लिए खड़े होने की क्षमता भी प्रदर्शित करता है। विभाजन के समय शरणार्थियों की मदद करना, सीमा पर सैनिकों के साथ सहयोग करना और प्राकृतिक आपदाओं में सबसे पहले राहत कार्य में जुटना इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

आज के आधुनिक भारत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का यह मॉडल और भी महत्वपूर्ण हो गया है जब संघ ने डिजिटल शिक्षा, स्वास्थ्य जागरूकता, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण संरक्षण जैसे आधुनिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपने चार स्तंभों समुत्कर्ष, सेवा, सहयोग और साहस को और मजबूत किया है। यही कारण है कि संघ न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि आधुनिक भारत में स्थायी विकास और विश्वगुरु बनने की दिशा में भी प्रेरक संगठन के रूप में सामने आता है। आज जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी शक्ति, पहचान और नेतृत्व स्थापित कर रहा है, तब संघ की यह भूमिका और भी प्रासंगिक बन जाती है। संघ केवल इतिहास का संरक्षक नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के युवाओं और समाज के लिए प्रेरणा, नैतिक मार्गदर्शन और सामाजिक चेतना का स्रोत भी है।

डॉ. नीलू तिवारी, 302, वैशाली रिट्रीट, ए ब्लॉक, नेमी सागर कॉलोनी, शिविका मार्ग, वैशाली नगर, जयपुर, राजस्थान, भारत. पिन कोड: 302021 मोबाइल: +91 94139 07005

शनिवार, 27 सितंबर 2025

सत्यपाल मलिक जी का जीवन राजनीति में सच्चाई और ईमानदारी का प्रतीक था: बलविंदर सिंह


संवाददाता
नई दिल्ली। पूर्व राज्यपाल एवं वरिष्ठ राजनेता माननीय सत्यपाल मलिक जी को आज राजधानी दिल्ली के डॉ. बीआर अम्बेडकर भवन, रानी झांसी रोड, नई दिल्ली  में आयोजित एक भव्य श्रद्धांजलि सभा में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, किसान नेता, बुद्धिजीवी वर्ग और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।

सभा को संबोधित करते हुए बलविंदर सिंह, उपाध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचन्द्र पवार) ने कहा कि सत्यपाल मलिक जी का जीवन राजनीति में सच्चाई और ईमानदारी का प्रतीक था। उन्होंने सत्ता के सामने कभी सिर नहीं झुकाया और हर मौके पर किसानों, मजदूरों और आम जनता की आवाज़ को ताक़त दी। उनका स्पष्टवादी और निर्भीक स्वभाव हमें हमेशा याद रहेगा और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।”

बलविंदर सिंह ने आगे कहा कि सत्यपाल मलिक जी ने हमेशा जनहित को सर्वोपरि रखा। राज्यपाल जैसे संवैधानिक पद पर रहते हुए भी उन्होंने किसानों के मुद्दों पर खुलकर बोलने का साहस दिखाया और यह संदेश दिया कि राजनीति का असली मक़सद जनता की सेवा होना चाहिए, न कि सत्ता का स्वार्थ।

श्रद्धांजलि सभा के दौरान वक्ताओं ने भाजपा की जनविरोधी नीतियों पर भी कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि आज किसानों से लेकर युवाओं तक हर वर्ग भाजपा सरकार की नीतियों से परेशान है। महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की बदहाली ने जनता को झकझोर कर रख दिया है।

इस अवसर पर बलविंदर सिंह ने अपील करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम भाजपा की जनविरोधी राजनीति को समाप्त करें और देश को एक नई दिशा दें। सत्यपाल मलिक जी का सपना भी यही था कि किसानों और आम जनता के हक़ की राजनीति मज़बूत हो। इसलिए मैं दिल्ली और देश की जनता से अपील करता हूँ कि आने वाले चुनावों में भाजपा को हटाकर INDIA गठबंधन को वोट दें। यही मलिक जी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

सभा के अंत में सभी उपस्थित जनों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। साथ ही यह संकल्प लिया गया कि सत्यपाल मलिक जी के दिखाए रास्ते पर चलते हुए समाज में पारदर्शिता, ईमानदारी और जनता-केन्द्रित राजनीति को मज़बूत किया जाएगा।

पंजाब बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने पर इकबाल सिंह लालपुरा संस्था द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित


संवाददाता
नई दिल्ली अल्पसंख्यक विकास परिषद, नुसरत इस्लामिक स्कूल ऑफ़ एक्सिलेंस, जामिया इस्लामिया दिल्ली की तीनों संस्थाओं के प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली के ग्रेटर कैलाश के पार्ट-3 में स्थित राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व चैयरमैन इकबाल सिंह लालपुरा के कार्यालय में मुलाकात करके पंजाब के हालात पर चर्चा की। पंजाब के बाढ़ पीड़ितों की सहायता में सराहनीय कार्य करने पर तीनों संस्थाओं के सौजन्य से इकबाल सिंह लालपुरा को प्रशस्ति पत्र देते हुए मो. रियाज़ ने कहा आप और आपके पुत्र अजयवीर सिंह लालपुरा ने अपनी संस्था हयूमिटी फ्रस्ट के सौजन्य से बाढ़ पीड़ितों की निरंतर सहायता कर रहे हैं जो प्रषंस्नीय है इस बाढ़ में पंजाब के 1400 से अधिक गांव प्रभावित हुए हैं जहां मानव जीवन दरहम बरहम हो गया है जो काफी दुखद है। दुख और संकट की घड़ी में हम लोग पंजाब की जनता के साथ हैं इसी प्रकार के विचार व्यक्त किये डा. मो. एजाज, मज़ाहिर रज़ा ने। 
अंत में इकबाल सिंह लालपुरा ने कहा मैं प्रशस्ति पत्र देने पर आप लोगों का धन्यवाद करता हूं, इस समय पंजाब की जनता को इंसानी हमदर्दी की ज़रूरत है। संकट की इस घड़ी में मुस्लिम भाइयों ने पंजाब के लोगों का बहुत साथ दिया जो सराहनीय है। बाढ़ के कारण जो माली नुकसान हुआ है उसे पूरा होने मे समय लगेगा, किसानों की फसल तबाह हो गई, मवेषी मारे गए इन सबकी भरपाई के लिए हम बराबर जनता के संपर्क में हैं पंजाब की राज्य सरकार ने दुख की इस घड़ी में जनता को अकेला छोड़ दिया है केन्द्रीय सरकार ने पंजाब सरकार को 16000 करोड़ का सहायता पेकेज दिया है जिससे काफी हद तक पंजाब के हालात बेहतर होंगे। इस अवसर पर उपस्थिित लोग जो इस प्रकार हैं डा. एस. एम कामरान, मो. आदिल सैफ़ी आदि।

गुरुवार, 25 सितंबर 2025

दिल्ली में पानी की समस्या को लेकर एनसीपी(एसपी) की दिल्ली इकाई ने जल मंत्री प्रवेश वर्मा को ज्ञापन सौंपा


नई दिल्ली। दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार बढ़ती पानी की समस्या को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचन्द्र पवार) की दिल्ली इकाई ने आज गंभीर चिंता व्यक्त की। इस मुद्दे पर आम जनता की आवाज़ उठाते हुए पार्टी के नेताओं ने दिल्ली सरकार के पीडब्ल्यूडी और जल मंत्री श्री प्रवेश वर्मा को ज्ञापन सौंपा।

यह डेलिगेशन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचन्द्र पवार) दिल्ली के संयोजक श्री डी. सी. कपिल के नेतृत्व में मंत्री महोदय से मिला और राजधानी में पानी की किल्लत को तत्काल दूर करने की मांग रखी।

ज्ञापन में कहा गया कि दिल्ली की बड़ी आबादी लंबे समय से स्वच्छ और पर्याप्त पानी की आपूर्ति से वंचित है। कई कॉलोनियों और बस्तियों में लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। इसके कारण जनता को निजी टैंकरों पर निर्भर होना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।
अगर देवली विधानसभा क्षेत्र के संगम विहार इलाके की ही बात करें तो यहां रोज़ाना लोग पानी के लिए संघर्ष कर रहे हैं और टैंकरों पर निर्भर होना उनकी मजबूरी बन चुकी है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचन्द्र पवार) के नेताओं ने मंत्री महोदय से तत्काल इन मुख्य बिंदु पर ठोस कदम उठाने की मांग की, जिनमें—सभी प्रभावित क्षेत्रों में नियमित पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करना। अवैध टैंकर माफिया पर सख्ती से रोक लगाना। पाइपलाइन नेटवर्क की मरम्मत और विस्तार के लिए शीघ्र कार्यवाही करना। भविष्य में जल संकट से बचाव हेतु दीर्घकालिक योजना लागू करना।

इस अवसर पर पार्टी के दिल्ली संयोजक डी. सी. कपिल जी ने कहा कि दिल्ली की जनता पानी की भारी किल्लत से जूझ रही है। गर्मी हो या बरसात, हर मौसम में लोगों को पानी की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। सरकार को चाहिए कि तुरंत प्रभावी कदम उठाए, वरना जनता का धैर्य जवाब दे रहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी हमेशा जनता की आवाज़ बुलंद करती रही है और आगे भी जनता के साथ मजबूती से खड़ी रहेगी।

इस मौके पर पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष बलविंदर सिंह ने कहा कि पानी हर नागरिक का बुनियादी हक है, इसे किसी भी कीमत पर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। दिल्ली जैसे बड़े महानगर में लोगों को आज भी पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़े, यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है। यदि जनता को न्याय नहीं मिला, तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचन्द्र पवार) सड़क से सदन तक इस लड़ाई को लड़ेगी। दिल्ली की जनता को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा, हम उनके अधिकार की लड़ाई पूरी ताक़त से लड़ेंगे।"

वहीं दिल्ली प्रदेश महासचिव, राजेश घाघट ने कहा कि आज पानी की समस्या दिल्ली की जनता के जीवन-मरण का सवाल बन गई है। टैंकर माफिया खुलेआम लूट मचा रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। हमारी मांग है कि तुरंत सख्त कार्रवाई हो और हर घर तक साफ पानी पहुंचे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी जनता की ताक़त है और हम इस आंदोलन को हर गली-मोहल्ले तक ले जाएंगे।

महरौली जिला प्रभारी, प्रताप कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि महरौली सहित दक्षिण दिल्ली के कई इलाकों में पानी की भारी किल्लत है। लोग रोज़ाना पीने के पानी के लिए लाइनें लगाने और टैंकरों पर निर्भर होने को मजबूर हैं। सरकार को चाहिए कि तुरंत स्थायी समाधान निकाले, वरना हम जनता के साथ सड़क पर उतरकर इस अन्याय के खिलाफ बड़ा आंदोलन करेंगे।"

ज्ञापन सौंपने वाले डेलिगेशन में डीसी कपिल, बलविंदर सिंह, राजेश घाघट, प्रताप कुमार श्रीवास्तव, ताहिर अली, संतोष सिंह, राम सुभाष, चमन बरबूधे, प्रेम सिंह, नरेंद्र कुमार शामिल थे।

बुधवार, 24 सितंबर 2025

बसंत कुमार द्वारा लिखित पुस्तक "मुसहर समाज का इतिहास" नामक पुस्तक का लोकार्पण भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य डॉ. सत्य नारायन जटिया ने किया

नई दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बसन्त कुमार द्वारा लिखित प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक "मुसहर समाज का इतिहास" नामक पुस्तक का लोकार्पण भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य डॉ. सत्य नारायन जटिया द्वारा किया गया। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में भारतीय बौद्ध संघ के अध्यक्ष डा. संघप्रिय राहुल भंते जी उपस्थित रहे। आवश्यक कार्य के कारण एमएसएमई मंत्री जतीन राम मांझी नहीं आ सके। उनका संदेश उनके निजी सचिव एसपी पंत ने पढ़ा। कार्यक्रम में अनेक बुद्धिजीवियों और मीडिया के लोगो ने भाग लिया और मुसहर समाज की आर्थिक सामाजिक और शैक्षिक पिछड़े होने के कारणों और उनके उत्थान पर सार्थक चर्चा हुई।

आरक्षण सुधार: तीन पीढ़ियों के बाद नई नीति की आवश्यकता

ओंकार त्रिपाठी

देश को आज़ादी हुए 78 साल हो चुके हैं। इतने वर्षों में समाज में कई बदलाव आए, लेकिन कुछ पुरानी नीतियां अब समय की मांग के अनुरूप नहीं रह गई हैं। आरक्षण का मूल उद्देश्य पिछड़े और हाशिए पर खड़े वर्गों को मुख्यधारा में लाना था। लेकिन आज, तीन से चार पीढ़ियों के गुजर जाने के बाद, यह व्यवस्था कई जगह केवल जातिगत पहचान का प्रतीक बन गई है।

जातिगत आरक्षण से आर्थिक लाभ सबसे अधिक होता है। नौकरी, शिक्षा और सरकारी योजनाओं में आरक्षण मिलने से जीवन बदल जाता है। लेकिन समस्या यह है कि गरीब लोग, जो किसी पिछड़ी जाति से नहीं हैं, इसका लाभ नहीं पा रहे हैं। वहीं, आर्थिक रूप से सशक्त लोग जातिगत पहचान के कारण लगातार इसका लाभ ले रहे हैं।

अब समय आ गया है कि नीति केवल जाति पर आधारित न रहे। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले किसी भी जाति या धर्म के व्यक्ति को आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। ऐसा करने से वास्तविक जरूरतमंदों तक मदद पहुंचेगी और समाज में न्याय की भावना मजबूत होगी।

जातिगत आरक्षण कई बार समाज में भेदभाव और विभाजन को भी बढ़ाता है। आर्थिक आधार पर आरक्षण से मदद केवल जरूरत के अनुसार दी जाएगी, न कि जाति के आधार पर। इससे समाज में समान अवसर और विश्वास की भावना विकसित होगी।

आरक्षण केवल कानून और सरकारी योजना तक सीमित नहीं होना चाहिए। समाज को भी इस बदलाव के लिए तैयार होना होगा। शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए जाने चाहिए, ताकि गरीब और पिछड़े लोग अपने दम पर आर्थिक स्थिति सुधार सकें। आर्थिक आधार पर आरक्षण यह सुनिश्चित करेगा कि प्रयास और संसाधन वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचें।

आज जब हम समाज के आइने में खुद को देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि जातिगत आरक्षण अब पर्याप्त नहीं है। गरीबी और वंचना हर जाति में हैं। उनके लिए मदद का आधार केवल जरूरत होना चाहिए। देश की प्रगति तभी संभव है जब समाज के प्रत्येक वर्ग—आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से—समान रूप से आगे बढ़े।

आर्थिक आधार पर आरक्षण लागू करना न केवल नीति सुधार होगा, बल्कि समाज में अवसर और न्याय की भावना को भी पुनर्जीवित करेगा। तीन पीढ़ियों तक लाभान्वित वर्गों को देखकर यह स्पष्ट है कि अब समय है कि नीति केवल जाति की पहचान पर न टिके। गरीबी और जरूरत को आधार बनाकर आरक्षण देना ही सच्चा मार्ग है—वास्तविक समानता और न्याय की दिशा में।

रविवार, 21 सितंबर 2025

‘स्वार्थ प्रथम’ के सिद्धान्त पर दस्तक देता राष्ट्रद्रोह का दावानल

भविष्य की  आहट

डा. रवीन्द्र अरजरिया

देश के आन्तरिक हालातों को बिगाडने की कोशिशें तेज होती जा रहीं हैं। ‘डीप स्टेट’ से जुडे लोगों के नाम सामने आ रहे हैं। प्रमाणों की फेरिश्त विदेशी रिपोर्ट्स में उजागर हो रहीं हैं। आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अध्यात्मिक पक्षों को प्रभावित करने हेतु सात समुन्दर पार से धनराशि की खेपें निरंतर पहुंचाई जा रही हैं। चरणबद्ध षडयंत्र के तहत पहले देश के निवासियों में से ऐसे मीरजाफरों को खोजा जाता है जो पैसा, प्रतिष्ठा और पारिवारिक गरिमा को शीर्ष तक ले जाने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार होते हैं, फिर उनके सहयोग से समाज सेवा, सामाजिक प्रशिक्षण, सामाजिक सरोकार, सामाजिक प्रबंधन, आधुनिक शिक्षा आदि के नाम पर एनजीओ का गठन करवाया जाता है। इन एनजीओ में समाज सेवा के नाम पर भारी भरकम फंड पहुंचाकर मीरजाफरों को अपने खास सिपाहसालारों की फौज तैयार करने का हुक्म दिया जाता है ताकि असामाजिक तत्वों की भीड को एनजीओ कार्यकर्ताओं के रूप में प्रस्तुत किया जा सके। 
इन मीरजाफरों में राजनैतिक दलों, उद्योगपतियों, कथित बुद्धिजीवियों, असामाजिक तत्वों, अतिमहात्वाकांक्षी व्यक्तियों, अपरिपक्व किशोरों, नासमझ छात्रों, बेरोजगार युवाओं, स्वतंत्र विचारों वाली युवतियों आदि को विलासतापूर्ण भविष्य के सब्जबाग दिखाकर शामिल किया जाता है। ऐसे ज्यादातर एनजीओ की बागडोर विदेशों से शिक्षा प्राप्त करके स्वदेश लौटने वाले स्वार्थी लोगों के हाथों में सौंपी जाती है जिनमें राजनैतिक चेहरों सहित अनेक प्रतिष्ठित लोगों को शामिल किया जाता है ताकि संवैधानिक अंकुश लगने पर हंगामा खडा किया जा सके। 
हाल ही में इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने कहा कि उन्हें पाकिस्तान घर जैसा लगता है। इनके विवादास्पद बयानों ने हमेशा ही देश के वातावरण में जहर घोलने की काम किया है। सैम के एनजीओ ग्लोबल नालेज इनिशिएटिव को अमेरिकी विदेश विभाग, यूएसएआईडी तथा राक फेलर फाउण्डेशन से निरंतर धन की प्राप्ति हो रही है।
 सैम तो राकफेलर के वर्तमान उपाध्यक्ष तथा अमेरिकी सरकार के पूर्व सलाहकार भी हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका के पूंजीपति जार्ज सोरोस को लम्बे समय से भारत विरोधी गतिविधियों के लिए जाना जाता है। सोरोन को रिसर्च फार सोशल हैल्थ ने अपने बुलेटिन में ‘डीप स्टेट’ के साथ जोडते हुए नकारात्मक व्यक्ति की उपाधि से विभूषित किया है। आश्चर्य होता है कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के मुख्य सलाहकार एवं गांधी परिवार के निजी एनजीओ राजीव गांधी फाउंडेशन के सीईओ विजय महाजन केवल सोरोस के ही पार्टनर नहीं हैं बल्कि उनकी सीआईए से संबद्ध फोर्ड फाउंडेशन के साथ भी साझेदारी बताई जाती है।
मालूम हो कि सन् 1982 में फोर्ड फाउंडेशन के अधिकारी दीप जोशी ने सह-संस्थापक विजय महाजन के साथ मिलकर ‘प्रदान’ नामक एक प्रशिक्षण एनजीओ की स्थापना की थी जिसे पिछले 12 वर्षों में 596 करोड़ रुपये से अधिक की विदेशी फंडिंग प्राप्त हुई है। आश्चर्य तो तब हुआ जब बंग्लादेश में ‘डीप स्टेट’ के इशारे पर तख्ता पलट हुआ तब फोर्ड फाउण्डेशन से जुडे मोहम्मद यूनुस को सत्ता पर स्थापित करवाने में सहयोग हेतु फोर्डियन विजय महाजन को दायित्व सौंपा गया। उस कठिन दौर में ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टी नारायण मूर्ति ने भी सहयोगात्मकत कार्य किया था। 
मालूम हो कि अप्रैल 2010 में कांग्रेस के नेतृत्व हेतु विजय महाजन तथा इन्फोसिस के प्रथम अध्यक्ष डा. जी. के. जयराम ने जवाहरलाल नेहरू लीडरशिप इंस्टीट्यूट अर्थात जेएनएलआई के नाम से एक प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया था। यही संस्थान जुबैर से लेकर आरफा तक, द कारवां से लेकर आर्टिकल 14 तक को फंड करता है। इस हेतु इंफोसिस के मालिक सहित उनके अन्य मित्र वित्तीय व्यवस्था करते है। इस संस्थान के संस्थापक ट्रस्टियों में शामिल रुक्मिणी बनर्जी का नाम विजय महाजन के फोर्ड वित्त पोषित एनजीओ की उपाध्यक्ष के रूप में भी शामिल है। कहा जाता है कि सीआईए ने फोर्ड फाउण्डेशन को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनोवैज्ञानिक युद्ध करने के लिए युवा शक्ति तैयार करने का काम सौंपा है। 
ज्ञातव्य हो कि सीआरपीएफ के वीवीआईपी सिक्यूरिटी हेड सुनील जून ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि राहुल गांधी अपनी सुरक्षा को गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं। क्यों कि वह ज्यादातर विदेश यात्रा पर बिना किसी को बताये जा रहे हैं। पत्र में राहुल गांधी की 30 दिसम्बर से 9 जनवरी तक इटली, 12 मार्च से 17 मार्च तक वियतनाम, 17 अप्रैल से 23 अप्रैल तक दुबई,  11 जून से 18 जून तक कतर, 25 जून से 6 जुलाई तक मलेशिया जैसी यात्राओं का हवाला दिया गया है। 
पूर्व में भी प्रोटोकाल तोडने की अनेक शिकायतें दर्ज की जा चुकीं हैं। इस संबंध में सीआरपीएफ ने बताया है कि सन् 2020 से अब तक 113 बार उन्होंने सुरक्षा दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है जिसमें पार्टी की भारत जोडो यात्रा का दिल्ली फेस भी शामिल है। आखिर क्यों सुरक्षा चक्र तोडकर राहुल गांधी विदेश दौरे पर चुपचाप निकल जाते हैं। इस प्रश्न का उत्तर जानने का अधिकार राष्ट्र को है। फ्रांसीसी मीडिया ने उजागर किया है कि ‘डीप स्टेट’ अपने नियंत्रणकारी संस्थाओं के माध्यम से व्यवसायिक, व्यापारिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक, पोषण आदि की रिपोर्ट प्रकाशित करवाने के बाद उसे प्रभावशाली ढंग से विपक्ष द्वारा उठवाने, आम नागरिकों को गुमराह करवाने और सरकारों को दबाव में लेकर अपने हितों की पूर्ति हेतु कठपुतली बनाने में जी जान से लगी हुई है।
ऐसी ही खोजपरक जानकारियां अन्य देशों से भी निरंतर प्राप्त हो रहीं हैं। ऐसे में विदेशी रिपोर्ट्स पर देश के सदन में होने वाले हंगामों का राज स्वतः ही खुल जाता है। स्वार्थ प्रथम के सिद्धान्त पर दस्तक देता राष्ट्रद्रोह का दावानल अब घातक से अतिघातक होता जा रहा है। ‘डीप स्टेट’ के साथ गलबहियां करने वालों को समय रहते चिन्हित करना होगा तभी देशवासियों को अपनत्व भरे वातावरण में किलकारियां भरने का अवसर मिलता रहेगा। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

परिवर्तन एवं महिला शक्ति संगठन ने बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने वाले सहयोगियों को किया सम्मानित


संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली में हाल ही में आई बाढ़ से प्रभावित परिवारों की मदद करने वाले सहयोगियों का सम्मान परिवर्तन एवं महिला शक्ति संगठन (रजि.) ने एक विशेष कार्यक्रम में किया। समाजसेवियों को उनके योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि बलविंदर सिंह, उपाध्यक्ष दिल्ली प्रदेश, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और कहा कि आपदा के समय मदद करने वाले साथी ही असली समाजसेवी हैं। यह सम्मान केवल एक काग़ज़ का टुकड़ा नहीं, बल्कि उनके सेवा भाव की पहचान है। मानवता से बढ़कर कोई धर्म नहीं और समाज की असली ताक़त भाईचारा है।

बलविंदर सिंह ने आगे कहा कि आज देश गंभीर चुनौतियों से गुजर रहा है— महँगाई ने आम जनता की कमर तोड़ दी है, नौजवान बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं, किसान अपनी फसल का उचित मूल्य पाने के लिए सड़क पर उतरने को मजबूर हैं, शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था लगातार कमजोर होती जा रही है।

ऐसे समय में केवल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ही एक ऐसा विकल्प है जो आम जनता की आवाज़ को उठाती है।

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी नफरत की नहीं, बल्कि विकास और न्याय की राजनीति करती है। हम संविधान की रक्षा, लोकतंत्र की मजबूती और हर नागरिक को समान अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। यही कारण है कि आज देश को हमारी पार्टी की सख़्त ज़रूरत है।”

संस्था की भूमिका और पदाधिकारी - इस कार्यक्रम का संचालन संस्था की पूरी टीम ने मिलकर किया।

चेयरमैन: मीनाक्षी, उपाध्यक्ष: मुमताज बानो, महासचिव: ममता, सचिव: सावित्री, कोषाध्यक्ष: वंदना, साथ ही संस्था के ट्रस्टी सदस्य – राज कुमार, योगेश, सुशील सैनी, उमेश, करण, मोहम्मद ईशा, ललित चौधरी, अरुण यादव, भारती, ललित, मोहम्मद रियाज आदि भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे और सभी ने मिलकर समाजहित में कार्य करते रहने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम के अंत में बलविंदर सिंह ने सभी कार्यकर्ताओं और समाजसेवियों से आह्वान किया कि आइए, हम सब मिलकर देश में बदलाव की लड़ाई को मज़बूत करें। यही समय है एकजुट होकर गरीब, किसान, मज़दूर, नौजवान और महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष करने का। हमारी ताक़त जनता है, और जनता के भरोसे ही देश को नई दिशा दी जा सकती है।



गुरुवार, 18 सितंबर 2025

ब्रह्म सत्यं जगत् सत्यं जगत् ब्रह्मौव नापर:

शिव शंकर द्विवेदी

नासतो विद्यते भावो नाभावो विद्यते सतः।
उभयोरपि दृष्टोऽन्तस्त्वनयोस्तत्त्वदर्शिभिः।।2.16।।
अर्थ: असत् की स्थिति नहीं होती है अर्थात् असत् की सत्ता नहीं होती और सत् का अभाव नहीं होता है अर्थात् सत् की सत्ता या सत् का अस्तित्व होता है। तत्त्व दर्शियों द्वारा इस प्रकार असत् और सत् के विषय में मत स्थिर किया जाता है।
श्रीकृष्ण के द्वारा इस प्रकार संसार को देखने और समझने का मार्ग प्रशस्त किया गया है। इनके अनुसार परमात्मा सत् समझे गये हैं इस कारण उनकी सत्ता पर कोई संदेह नहीं है।वह अस्तित्ववान् हैं क्यों कि वह सत् के रूप में समझे गये हैं। अस्तित्ववान् न होते तो सत् के रूप में न समझे गये होते।
हम दृश्यमान जगत् का अनुभव करते हैं अर्थात् इसकी सत्ता का अनुभव करते हैं इसलिए अनुभव में आ रहा जगत् भी सत् है।
जब हम स्वप्न देख रहे होते हैं उस समय हमें जो कुछ भी अनुभव हो रहा होता है उनमें यह अनुभव नहीं हो रहा होता है कि यह अनुभव बदल जायेगा ।उस समय यह नहीं अनुभव हो रहा होता है यह सब नहीं रहने वाले हैं। जगने के उपरान्त ज्ञात होता है तत् समय अर्थात् स्वप्न अवस्था में जो था इस समय नहीं है।
स्पष्ट है कि स्वप्न और जाग्रत अवस्था में समय और स्थान का भेद हो जाता है।इसका अर्थ है कि हम कोई भी अनुभव समय और स्थान निरपेक्ष होकर नहीं प्राप्त कर सकते हैं।यही कारण है कि हम जो अनुभव करते हैं वह देश और काल के सापेक्ष होने के कारण असत् नहीं समझा जा सकता है। अर्थात् हम जिस काल और स्थान पर जो अनुभव करते हैं वह उस काल और स्थान पर सत् होता है क्योंकि हम सत् का ही अनुभव कर सकते हैं अस्तित्व सत् का ही होता है जिसका अस्तित्व नहीं होता है उसका अनुभव हम नहीं कर पाते हैं।जब इस दृश्यमान जगत् का अनुभव इस समय कर हैं तो यह इस समय सत् है अस्तित्व में है।यह तब तक सत् है जब तक यह हमारे लिए वर्तमान के रूप में अस्तित्व में है। हम इसके भूत को भी असत् नहीं कह सकते हैं क्योंकि भूतकाल में यह जिस रूप में था जिनके अनुभव में था उनके लिए यह तत्समय सत् था क्योंकि वे इसके अस्तित्व का अनुभव कर रहे थे।भले ही भविष्य में इसका स्वरूप बदल जाय। यदि स्वरूप बदलता है तो इसका अर्थ यह नहीं रह जाता है कि वर्तमान में जो अनुभव हो रहा है वह असत् है क्योंकि वर्तमान में जो अनुभव हो रहा है वह भविष्य में बदलेगा भी?यह वर्तमान में रहते हुए नहीं समझा जा सकता है केवल कल्पना ही की जा सकती है और इस कल्पना का आधार भी भूतकाल के अनुभव ही होंगे।
अत एव वर्तमान में जो अनुभव हो रहा है उसे इस आधार पर असत् नहीं समझा जा सकता है कि भविष्य में इसका स्वरूप बदल जायेगा। किसी भी वर्तमान अनुभव के बाधक अनुभव का अनुभव वर्तमान में नहीं होता है जैसे जब हम स्वप्न देख रहे होते हैं तब यह अनुभव नहीं हो रहा होता है कि एक समय ऐसा भी आयेगा जब यह अनुभव नहीं रह पायेगा।
अत एव भविष्य सत् की कल्पना में वर्तमान को असत् समझते हुए वर्तमान के दायित्वों से पलायन श्रीकृष्ण के विचारों से असहमति ही है। ऐसे में समझना चाहिए कि श्रीकृष्ण वर्तमान जीवन या प्रतीति को असत् या मिथ्या के रूप न समझ कर जीवन्त समझते थे।यही उनके चिन्तन की विशेषता है जो उन्हें प्राचीन भारतीय चिन्तकों से नितान्त भिन्न रूप में प्रस्तुत करती है।वह स्वतन्त्र विचारों के धनी थे केवल परम्पराओं को आंख मूंद कर ढोने वाले विचारकों में नहीं थे।ऐसे में दृश्यमान जगत् को असत् या मिथ्या समझते हुए श्रीकृष्ण और उनके उपदेशों को नहीं समझा जा सकता है।

(लेखक अ-मोक्ष साधना केंद्र राजनिकेतन वृन्दावन योजना लखनऊ है।)

बुधवार, 17 सितंबर 2025

जैन युवा क्लब के भव्य मेले का समापन


संवाददाता

पूर्वी दिल्ली। कड़कड़डूमा स्थित सीबीडी ग्राउंड में जैन युवा क्लब की ओर से भव्य मेले का आयोजन 12 सितम्बर से 16 सितम्बर 2025 तक किया गया। इस मेले में बड़ी संख्या में स्थानीय निवासियों के साथ-साथ आसपास के इलाकों से भी लोग पहुंचे और उत्साह का माहौल बना रहा। मेले का शुभारंभ मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया, जिसके बाद सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और आकर्षक कार्यक्रमों की श्रृंखला ने दर्शकों का मन मोह लिया।

मेले में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए कुछ न कुछ खास देखने को मिला। बच्चों के लिए झूले, गेम्स और रंग-बिरंगे स्टॉल लगाए गए थे, वहीं महिलाओं के लिए विभिन्न तरह की खानपान की चीजें और हस्तशिल्प के सामानों की दुकानें आकर्षण का केंद्र बनी रहीं। खासतौर पर स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों और हस्तनिर्मित सामानों ने लोगों का ध्यान खींचा। जैन युवा क्लब के संयोजक गौरव जैन व मेला मंत्री दीपक जैन ने बताया कि इस मेले का उद्देश्य समाज के बीच आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना और युवाओं को सामाजिक गतिविधियों से जोड़ना है। क्लब के सदस्यों का कहना था 
कि आज के दौर में जहां लोग भागदौड़ भरी जिंदगी जी रहे हैं, 
ऐसे आयोजनों से लोगों को एक-दूसरे से मिलने और सामाजिक संबंध मजबूत करने का अवसर मिलता है।

खानपान के स्टॉलों पर उत्तर भारतीय, दक्षिण भारतीय और जैन व्यंजनों की विविधता देखने को मिली। स्वादिष्ट पकवानों का आनंद उठाने के लिए लोगों में खासा उत्साह देखा गया। बच्चों ने झूलों और खिलौनों का भरपूर लुत्फ उठाया तो वहीं बुजुर्ग पारंपरिक संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में खोए नजर आए।

मेले में सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर विशेष इंतजाम किए गए थे। स्थानीय पुलिस और स्वयंसेवकों की टीम लगातार सक्रिय रही जिससे भीड़भाड़ के बावजूद पूरा कार्यक्रम शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।

कार्यक्रम के समापन पर जैन युवा क्लब की ओर से सभी आगंतुकों और सहयोगियों का धन्यवाद किया गया। क्लब ने आश्वासन दिया कि आगे भी ऐसे आयोजन होते रहेंगे जिससे समाज में सकारात्मकता और उत्साह का वातावरण बना रहे।

कुल मिलाकर, कड़कड़डूमा के सीबीडी ग्राउंड में आयोजित यह मेला केवल मनोरंजन का साधन नहीं रहा, बल्कि इसने समाज को जोड़ने और सामूहिक एकता का संदेश भी दिया। लोगों की भारी भागीदारी और उत्साह ने इस आयोजन को यादगार बना दिया।

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आने वाले साल फिर से मेले का धमाल होगा : गौरव जैन

'जैन युवा क्लब' की ओर से कड़कड़डूमा स्थित सीबीडी ग्राउंड में आयोजित भव्य मेले की सफलता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब समाज और सहयोगी एकजुट होकर किसी कार्य में लग जाते हैं, तो परिणाम हमेशा उत्कृष्ट होते हैं। इस आयोजन के संयोजक के रूप में मेरे लिए यह अवसर गर्व और प्रसन्नता से भरा हुआ है।

सबसे पहले मैं अपने सभी सहयोगियों, स्वयंसेवकों और पदाधिकारियों का हृदय से धन्यवाद करना चाहता हूँ, जिन्होंने इस मेले को सफल बनाने में दिन-रात मेहनत की। यह केवल मेरा नहीं, बल्कि हम सभी का संयुक्त प्रयास था, जिसने इस आयोजन को यादगार बना दिया। मेले की योजना बनाना, विभिन्न कार्यक्रमों का चयन करना, स्टॉलों की व्यवस्था से लेकर सुरक्षा प्रबंधन तक झ्र हर छोटे-बड़े कार्य में आप सबकी लगन और जिम्मेदारी साफ दिखाई दी।

मेले में स्थानीय निवासियों की भारी भागीदारी ने यह सिद्ध किया कि हमारे समाज में ऐसे आयोजनों की आवश्यकता और महत्व दोनों हैं। बच्चों के लिए मनोरंजन, महिलाओं के लिए खरीदारी और खानपान, युवाओं के लिए सांस्कृतिक गतिविधियाँ और बुजुर्गों के लिए सामाजिक संवाद झ्र हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ विशेष शामिल किया गया। इस संतुलन ने मेले को और भी खास बना दिया।

हमारे क्लब का उद्देश्य केवल मनोरंजन करना नहीं था, बल्कि समाज में आपसी भाईचारे और एकता की भावना को मजबूत करना भी था। मुझे गर्व है कि हम इस लक्ष्य को पाने में पूरी तरह सफल रहे। मेले के दौरान लोगों के चेहरों पर जो खुशी और संतोष था, वही हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

मैं विशेष रूप से उन साथियों का आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में भी अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाया। चाहे वह स्टॉल सजाना हो, मेहमानों का स्वागत करना हो, सुरक्षा की व्यवस्था हो या मंच संचालन - हर जगह हमारी टीम की प्रतिबद्धता झलक रही थी।

इस मेले ने न केवल हमें समाज से जोड़ा बल्कि हमारी टीम भावना को भी मजबूत किया। मुझे विश्वास है कि आने वाले समय में भी हम ऐसे और कार्यक्रम आयोजित करेंगे और समाज को सकारात्मक ऊर्जा देने का कार्य करते रहेंगे।

शनिवार, 13 सितंबर 2025

पाकिस्तान के साथ खेल, कला और व्यापार जैसी गतिविधियों को जारी रखना शहीदों के बलिदान का अपमान है: बलविंदर सिंह

संवाददाता

नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच एशिया कप क्रिकेट मैच ने एक बार फिर से पूरे देश का ध्यान खींचा है। बलविंदर सिंह, उपाध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) ने कहा कि जब सीमा पर हर रोज हमारे जवान शहादत दे रहे हों, जब आतंकवादी हमलों में निर्दोष भारतीय नागरिक अपनी जान गँवा रहे हों, तब पाकिस्तान के साथ खेल, कला और व्यापार जैसी सामान्य गतिविधियों को जारी रखना शहीदों के बलिदान का अपमान है।

बलविंदर सिंह ने कहा कि भारत-पाकिस्तान मैच का आयोजन गलत संदेश देता है। खेल को हम भाईचारे और सद्भाव का प्रतीक मानते हैं, लेकिन पाकिस्तान के साथ खेलना तब तक उचित नहीं है जब तक वह आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा। यह केवल एक मैच नहीं है, बल्कि करोड़ों भारतीयों की भावनाओं और सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है।

भाजपा का रवैया हमेशा से ही विरोधाभासी रहा है। एक ओर भाजपा के नेता मंचों से कहते हैं “खून और पानी साथ नहीं बह सकते”। दूसरी ओर उन्हीं की सरकार पाकिस्तान के साथ व्यापार जारी रखती है।जनता के सामने वे कड़े तेवर दिखाते हैं, लेकिन पर्दे के पीछे क्रिकेट मैचों और अन्य संबंधों को अनुमति देते हैं। यही भाजपा का असली चेहरा है—जनता के लिए भाषण, और सत्ता के लिए समझौता।

बलविंदर सिंह ने भाजपा से सवाल किए - 1. यदि पाकिस्तान वाकई दुश्मन देश है, तो उसके साथ क्रिकेट और व्यापारिक संबंध क्यों जारी हैं?
2. भाजपा सरकार के राज में ही बार-बार भारत-पाकिस्तान मैच क्यों आयोजित किए जाते हैं?
3. क्या "खून और पानी" जैसे बयान केवल चुनावी भीड़ को भड़काने और वोट बटोरने के लिए दिए जाते हैं?

बलविंदर सिंह का स्पष्ट मत है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देता है, तब तक उससे किसी भी तरह का खेल या व्यापारिक रिश्ता बंद होना चाहिए।

यदि भाजपा वास्तव में राष्ट्रवाद की राजनीति करती है, तो उसे दोहरा रवैया छोड़कर देश के सामने ईमानदार नीति रखनी चाहिए।

शहीदों के परिवारों की भावनाओं से खिलवाड़ कर वोट की राजनीति करना सबसे बड़ा पाप है।

 भाजपा जनता को गुमराह करना बंद करे।
देश को झूठे राष्ट्रवाद की नहीं, बल्कि स्पष्ट, ठोस और सच्ची नीति की जरूरत है।
शहीदों के खून का सम्मान किया जाए, और जब तक पाकिस्तान अपनी नीतियां नहीं बदलता, तब तक उसके साथ हर तरह का संबंध—खेल और व्यापार सहित—तुरंत रोका जाए।

शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

भागवत के शताब्दी संवाद से निकले संदेश

अवधेश कुमार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से राजधानी दिल्ली में 100 वर्ष की संघ -  यात्रा: नए क्षितिज पर तीन दिवसीय संवाद सत्र का आयोजन हो तो देश और विदेश में उस पर गंभीरता से चर्चा और विमर्श बिलकुल स्वाभाविक है। राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम के बवंडरों के बीच सार्थक और सकारात्मक संवाद को मीडिया में सर्वत्र स्थान मिलना बताता है कि धीरे-धीरे बौद्धिक और सक्रिय वर्ग के अंदर संघ के प्रति कायम मानसिकता में अनुकूल बदलाव आ रहा है। संघ के सरसंचालक डॉ मोहन भागवत ने शताब्दी वर्ष कार्यक्रम के औपचारिक शुरुआत के पूर्व ही विज्ञान भवन में दो दिनों तक बातें रखीं तथा तीसरे दिन प्रश्नों के उत्तर दिए तो निश्चय ही इसका अपना व्यापक उद्देश्य हो रहा होगा। तीन दिनों का ऐसा कार्यक्रम ,जिसमें उठने वाले अधिकतर प्रश्नों के उत्तर आ गए हों उनके एक-एक बिंदु का विस्तार से विवरण देना संभव नहीं हो सकता। बिल्कुल सरल , सहज , सामान्य भाषा और शब्दावलियों में संघ किन स्थितियों में और क्यों उत्पन्न हुआ, प्रयोजन क्या है, अभी तक यात्रा के अनुभव कैसे आए, संगठन के नाते उसका चरित्र कैसा है तथा आगे समाज, देश और विश्व की दृष्टि से किन लक्ष्यों और योजनाओं पर सक्रिय है एवं रहेगा आदि विषयों को समझा देना सामान्य बात नहीं है। आलोचक और विरोधी कुछ भी कहे, किंतु क्या हमारे देश में कोई संगठन है, जो अपने चिंतन या विचारधारा, संपूर्ण समाज, देश और विश्व की कल्पना तथा उन दृष्टियों से किए जाने वाले कार्यों को राजधानी दिल्ली और आसपास के बौद्धिक वर्ग, एक्टिविस्टों, एनजीओ, पत्रकारों,  विदेशी राजनयिकों तथा समाज के इस हर क्षेत्र में सक्रिय प्रतिनिधियों को बुलाकर तीन दिनों तक संवाद कर सके?

आज के भारत और विश्व के परिप्रेक्ष्य में देखें तो इस संवाद का सबसे महत्वपूर्ण स्वरुप किसी के लिए भी एक शब्द विरोध या कटुता तथा निराशा भाव का लेश मात्रा भी उपस्थित नहीं होना। आरंभ में डॉ भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ की उत्पत्ति का मूल तथा प्रयोजन एक ही है जो हम प्रतिदिन शाखा में प्रार्थना के बाद कहते हैं- भारत माता की जय।हमारा देश भारत विश्व गुरु बने पहले दिन भी यह हमारा ध्येय था और आगे भी रहेगा। विश्व गुरु का अर्थ किसी को सीख देना नहीं अपने व्यवहार से आदर्श उत्पन्न करना ताकि दूसरे हमसे सीखें। भारत इसलिए कि हर देश का अपना ध्येय होता है जिसे उसे प्राप्त करना पड़ता है। भारत का ध्येय संपूर्ण विश्व का कल्याण है। केवव भारतीयों ने ही अपने अंदर देखते - देखते संपूर्ण ब्रह्मांड से साक्षात्कार किया। तो स्वयं को ब्रह्मांड का अंग मानने वाला भारत कभी संकुचित स्वार्थ या दूसरों को कुचलने उन पर प्रभुत्व जमाने का चरित्र अपना ही नहीं सकता। इस देश ने दूसरों के कल्याण के लिए अपने स्वार्थ को तिलांजलि देने का उदाहरण प्रस्तुत किया है। संघ के आविर्भाव के पीछे डॉ केशव बलिराम हेडगेवार की स्वतंत्रता आंदोलन की सक्रिय भूमिका थी। उन्होंने क्रांतिकारी धारा, उसके बाद कांग्रेस,समाज सुधार और धर्म सुधार आंदोलनों की अपनी भूमिकाओं से समझा कि जिन कारणों से भारत लंबे समय तक गुलामी झेलता रहा उनको दूर करना तथा फिर वैसी स्थिति उत्पन्न न होने देना ही एकमात्र रास्ता है। इसीलिए उन्होंने हिंदू समाज के संगठन के रूप में संघ के शुरुआत की घोषणा 1925 में की। इसके साथ सुनिश्चित किया कि  संघ केवल शाखा के माध्यम से उस रूप में मनुष्य का निर्माण करेगा, स्वयंसेवक बनाएगा। संघ इसके अलावा कुछ नहीं करेगा लेकिन स्वयंसेवक सब कुछ करेंगे।

बनी बनाई धारणाओं से बाहर निकाल कर देखें तो संघ का यही चरित्र आपको प्रत्यक्ष दिखाई पड़ेगा। जिन्हें संघ का अनुषांगिक क्षेत्र कहा जाता है वे सारे संगठन स्वयंसेवकों द्वारा आरंभ किए गए। वे संघ के स्वयंसेवक हैं, इसलिए उनके साथ प्रत्यक्ष जुड़ाव रहता है। लेकिन जैसा भागवत ने कहा हम नियंत्रित नहीं करते सभी स्वायत्त हैं। नए क्षितिज के व्याख्यान में भागवत ने पांच परिवर्तनों की बात की। पिछले 1 वर्ष से संघ की ओर से पांचो विषय अर्थात कुटुंब प्रबोधन, सामाजिक समरसता, स्वदेशी और आत्मनिर्भरता ,पर्यावरण तथा नागरिक कर्तव्य बोध देश के सामने रखे जा रहे हैं। समाज संबंधहीनता की ओर बढ़ रहा है तथा परिवार परंपरा कमजोर होने, टूटने से ऐसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं जिनका कोई समाधान नहीं। इसलिए शताब्दी वर्ष में सबसे ज्यादा जोर इसी पर है। सामाजिक समरसता यानी समाज में कोई ऊंच-नीच नहीं, छुआछूत नहीं

डॉ. भागवत ने कहा कि आज जाति की भूमिका है नहीं ,लेकिन हमारे अंदर यह है कि हम फलां जाति के वह फलां जाति के और इससे ऊंच- नीच का भाव पैदा होता है। तो श्मशान , पानी और देवस्थान सभी के लिए ये समान रूप से उपलब्ध हों, हमारे एक दूसरे के घर जाने- आने का संबंध विकसित हो। स्वदेशी-  जो कुछ देश में उपलब्ध है  पहले उसे लें उसके बाद विदेशी की ओर। विकास के वर्तमान ढांचे ने पूरे विश्व के समक्ष पर्यावरण का ऐसा संकट पैदा किया जिससे हमारा अस्तित्व  खतरे में है। रास्ता प्रकृति को केंद्र में रखकर जीवन प्रणाली अपनाना है। चाहा है वहां से एकाएक नहीं मुड़ सके थे लेकिन धीरे-धीरे टर्न होना पड़ेगा। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर अपने देश व समाज के प्रति दायित्व पालन का चरित्र पैदा हो। संविधान, कानून और व्यक्तिगत सामाजिक गरिमा के स्पालन करने का सामूहिक चरित्र ही भारत को विश्व गुरु बनाएगा। स्वयंसेवक पूरे वर्ष लोगों के बीच यही बिंदु लेकर जाएंगे।

इनमें वे विषय भी आए जिन पर सबसे ज्यादा विवाद खड़े होते हैं। अर्थात हिंदू ही क्यों ? भागवत ने कहा कि आप हिंदवी कहिए भारतीय कहिए हमें आपत्ति नहीं है। हिंदू  का कंटेंट यानी विषय वस्तु हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हिंदू यानि व्यापक व उधर सोच तथा व्यवहार। हम अपने विचार ,संस्कृति पर गर्व करें लेकिन दूसरे का जो है उसे सम्मान दें, उनसे नफरत न करें। मुसलमानों और ईसाइयों से विरोध और नफरत क्यों? भागवत ने कहां कि रामकृष्ण परमहंस ने तीनों पद्धतियों से साधना कर बताया कि सब एक ही जगह पहुंचते हैं। यहीं पर उन्होंने कहा कि 40 हजार वर्षों से हमारा डीएनए एक है केवल कर्मकांड बदला है। भागवत ने कहा कि मुसलमानों के अंदर भय पैदा किया कि आप उनके साथ मिलकर रहोगे तो मजहभ खत्म हो जाएगा और हमारे अंदरभाव है कि इन्होंने लड़ाइयां लड़ीं, धर्म परिवर्तन किया, देश बांटा, इसलिए इनको शंका से देखो। इन दोनों  से बाहर निकल परस्पर संवाद और सहकार की आवश्यकता है। तो हिंदू, मुसलमान औल ईसाई आदि को लेकर यही है संघ की सोच। राष्ट्रभाषा? भारत की सभी भाषाएं राष्ट्रभाषा है। हां , व्यवहार के लिए कोई एक भाषा अखिल भारतीय होनी चाहिए। अंग्रेजी सीखने जानने में बुराई नहीं है क्योंकि उनमें भी हमारे लिए बहुत कुछ है किंतु अंग्रेजी या विदेशी भाषा हमारी राष्ट्रभाषा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि हस्ताक्षर हम अपनी भाषा में शुरू करें और इसे लेकर गर्व करें। भारत को समझने के लिए संस्कृत जानना चाहिए लेकिन हम इसे अनिवार्य नहीं कर सकते। सरकार और नीतियों के संदर्भ में इतना ही कि हमारी विशेषज्ञता शाखा लगाने, मनुष्य निर्माण करने की और उनकी विशेषज्ञता राजनीति करने ,सरकार चलाने की है। वह अपना काम करते हैं हम अपना काम। हमें कुछ समझ में आता है तो सुझाव देते हैं। संघ भाजपा को नहीं चलाता और चला भी नहीं सकता है। सबसे बढ़कर मोहन भागवत ने यह कहा कि हम किसी को भी अपना विरोधी और शत्रु मानकर व्यवहार नहीं करते, इसीलिए कल के अनेक विरोधी आ साथ हैं और कल और भी आएंगे। विरोध करने वाले भी अपने ही हैं यह मानकर स्वयंसेवक व्यवहार करते हैं और यही बना रहेगा। सबके बावजूद उनका आग्रह था कि आप धारणाओं के आधार पर या हमारे कहे अनुसार संघ को मत मानिए अंदर आकर इसे देखिए समझिए।

भागवत के पूरे संवाद को निष्पक्ष होकर देखें तो निष्कर्ष आएगा कि 100 वर्षों की उम्र सीमा में पहुंचने के बाद विचारधारा तथा स्वयंसेवकों द्वारा विविध क्षेत्रों में किए गए कार्यों के अनुभव ने संगठन के अंदर अतुलनीय आत्मविश्वास उत्पन्न किया है, समाज, देश और विश्व के व्यवहारिक यथार्थ की समझ विकसित होने के साथ उनके समाधान के रास्तों की भी गहरी अनुभूति हुई है। यही कारण है कि शताब्दी वर्ष पर उपलब्धियां और उत्सव मनाने की जगह भागवत ने संवाद के दूसरे दिन उन रास्तों पर कार्य करने की विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की। हालांकि वहां उपस्थित जनसमूह के अलावा सोशल मीडिया या  मुख्य मीडिया  के माध्यम से देखा, पढ़ा , जाना उनमें से हर कोई अपनी सोच के अनुसार कुछ बिंदु निकल सकता है। कुल मिलाकर कहा सकते हैं कि यह संवाद विरोधियों के अंदर संघ पर पुनर्विचार करने, समर्थकों के अंदर सोच को सही धरातल पर खड़ा करने एवं स्वयंसेवकों के भीतर दायित्व बोध के साथ अपनी भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करने वाला माना जाएगा।

गुरुवार, 4 सितंबर 2025

परिवर्तन एवं महिला शक्ति संगठन व एनसीपी (एसपी) दिल्ली इकाई ने बाढ़ पीड़ितों को दी खाद्य सामग्री, जनता से की अपील आगे आकर पीड़ितों की मदद करें


संवाददाता

नई दिल्ली। दिल्ली में आई बाढ़ से हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं। कई लोग अपने घरों से बेघर होकर राहत शिविरों में शरण लिए हुए हैं। इस कठिन समय में परिवर्तन एवं महिला शक्ति संगठन (PEMSS) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) दिल्ली प्रदेश इकाई ने मिलकर राहत कार्यों की कमान संभाली है और लगातार बाढ़ पीड़ित परिवारों को भोजन व पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।


संस्था के संस्थापक एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) दिल्ली प्रदेश उपाध्यक्ष बलविंदर सिंह, संस्था की चेयरमैन मीनाक्षी तथा फाउंडर मेंबर सुशील सैनी, राज कुमार, योगेश, उमेश, करन, परविंदर सिंह, मो. ईशा, अकरम, भारती, गुरप्रीत सिंह, अंकुर राणा, प्रतीक पूर्वाह, मदन, राहुल शर्मा, अरुण यादव, प्रदीप बौद्ध, कैलाश जी सहित सभी सक्रिय साथियों की टीम राहत कार्यों में लगातार जुटी हुई है।

राहत कार्य की मुख्य झलकियां- प्रभावित परिवारों के लिए भोजन वितरण केंद्र स्थापित किए गए, राहत शिविरों में स्वच्छ पेयजल की लगातार आपूर्ति सुनिश्चित की गई, संस्था के स्वयंसेवक घर-घर जाकर जरूरतमंदों तक मदद पहुँचा रहे हैं।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) दिल्ली प्रदेश इकाई उपाध्यक्ष, बलविंदर सिंह ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों की पीड़ा हमारी अपनी पीड़ा है। यह समय राजनीति करने का नहीं, बल्कि मानवता निभाने का है। जब तक हालात सामान्य नहीं हो जाते, हम अपनी पूरी टीम के साथ हर प्रभावित परिवार तक मदद पहुंचाते रहेंगे।

परिवर्तन एवं महिला शक्ति संगठन (PEMSS)  की चेयरमैन मीनाक्षी ने कहा कि संस्था की शुरुआत ही समाज सेवा के लिए हुई थी और आज जब हजारों लोग संकट में हैं, तो हमारा दायित्व और भी बढ़ जाता है। हमें गर्व है कि हमारे सभी सदस्य तन-मन-धन से इस राहत अभियान में सहयोग कर रहे हैं।

संस्था के फाउंडर मेंबर सुशील सैनी ने कहा कि हमने इस संस्था को समाज की सेवा के उद्देश्य से बनाया था। आज जब लोग कठिन परिस्थिति से गुजर रहे हैं, तो यह हमारा फर्ज है कि हम हर जरूरतमंद तक पहुँचे। सभी सदस्यों का योगदान और जनता का सहयोग इस राहत अभियान को और मजबूत बना रहा है।

श्री गुरप्रीत सिंह ने कहा कि यह राहत अभियान सिर्फ भोजन और पानी पहुँचाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य हर प्रभावित परिवार में भरोसा और हौसला जगाना भी है। जब तक हालात सामान्य नहीं होते, हमारी टीम दिन-रात मैदान में डटी रहेगी।

संस्था की जनता से अपील - परिवर्तन एवं महिला शक्ति संगठन (PEMSS) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) दिल्ली प्रदेश ने आम जनता, सामाजिक संगठनों और कॉर्पोरेट जगत से भी अपील की है कि वे राहत कार्य में सहयोग करें, ताकि अधिक से अधिक परिवारों तक मदद पहुँचाई जा सके।



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