वर्तमान समय में एमएसएमई सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद में 29% से अधिक योगदान कर रहा है और देश के कुल निर्यात में 50% से अधिक का योगदान कर रहा है। विनिर्माण के क्षेत्र में एमएसएमई सेक्टर लगभग एक तिहाई उत्पादन करता है, एक आंकड़े के अनुसार एमएसएमई सेक्टर 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है और सरकार आगामी वर्षो में इस लक्ष्य को 15 करोड़ से अधिक तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात् भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई सेक्टर की भूमिका के महत्व को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर एमएसएमई उद्यमियों की मदद के लिए निम्न लिखित योजनाएं प्रारंभ की-
1- एमएसएमई समाधान
2- उद्योग आधार
3- मुद्रा
4- जेड ई डी योजना
5- मेक इन इंडिया
6- स्टैंड अप इंडिया
इन योजनाओं की मदद से कोई में नागरिक अपना कारोबार शुरू कर सकता है, अपना कारोबार बढ़ा सकता है और देश के आर्थिक विकास में योगदान कर सकता है।
यदि पूर्व में एमएसएमई सेक्टर की स्थिति को विचार किया जाए तो देश में इस सेक्टर की स्थिति बड़ी निराशाजनक लगती हैं। 1980 के दशक में जब देश के उद्योग मंत्री के रूप में जार्ज फर्नांडिस और नारायण दत्त तिवारी जैसे कद्दावर नेता हुआ करते थे तो औद्योगिक विकास विकाश मंत्रालय के अंतर्गत लघु उद्यामों की देखरेख के लिए डीसी (एसएसआई) का कार्यालय होता था और खादी ग्रामोद्योग, कॉयर बोर्ड, एनएसएसआई की देखरेख के लिए औद्योगिक विकास विभाग के अंतर्गत के वीआईसी, कॉयर सेक्शन और एसएसआई अनुभाग होते थे और लघु उद्योग सेक्टर इतना मजबूत नहीं था जो देश की अर्थ व्यवस्था में अहम योगदान दे पाता।
पहली बार जब अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी, तब देश में लघु उद्योग के विकास पर पूरा जोर दिया गया और स्माल, मीडियम के साथ माइक्रो (सूक्ष्म) उद्यमों को जोड़ा गया और एमएसएमई मंत्रालय अस्तित्व में आया और यह पहला अवसर था जब एमएसएमई सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करने लगा। पर अतलजी की सरकार चले जाने के बाद मनमोहन सिंह जी की सरकार में एमएसएमई मंत्रालय काम करता रहा और इस विभाग के मंत्री के रूप में महाबीर प्रसाद जी जैसे प्रभावहीन मंत्रियों को समायोजित किया जाने लगा और यूपीए सरकार अटल जी की सरकार द्वारा एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए तैयार किए गए ढाचे पर काम तो करती रही पर यू पी ए सरकार के दश वर्ष के कार्य काल में इस सेक्टर के विकास में कोई प्रगति नहीं हुई।
जब वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदीजी देशी के प्रधानमंत्री बने तो वे अपने मंत्रिमंडल के गठन के समय ही एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए कृतसंकल्प दिखे और एमएसएमई मंत्रालय के मंत्री के रूप में अपने सबसे अनुभवी सहयोगी कलराज मिश्र को चुना और उनको सहयोग करने के लिए बिहार के तेजतर्रार नेता गिरिराज सिंह को राज्य मंत्री बनाया और यह पहला अवसर था जब एमएसएमई मंत्रालय में एक कैबिनेट मंत्री और दो-दो राज्य मंत्री बनाये गए और इस मन्त्रालय के अंतर्गत काम करने वाले तीनो उपक्रम के वी आई सी, एन एस आई सी, कॉयर बोर्ड समेत सभी प्रॉफिट मेकिंग उपक्रमो के रूप में उभरे और एमएसएमई सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करने लगा और इसके साथ साथ देश में करोड़ो युवाओ को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में सफल रहा। पर इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद एमएसएमई सेक्टर को और अधिक सफल बनाने के लिए कुछ आवश्यक् कदम उठाने की जरूरत है-
1-एमएसएमई मंत्रालय और इसके उपक्रमों द्वारा नव उद्यमियों के कल्याण हेतु ढेर सारी योजनाएं बनाई गई है और इन योजनाओ का लाभ उठाने के लिए विभाग द्वारा ऑनलाइन पोर्टल पर इन सारी योजनाओ का विवरण और आवेदन हेतु फार्मस आदि उपलब्ध करा दिये जाते है। परन्तु आज भी देश के दूर दराज क्षेत्रों के अशिक्षित गरीब आदिवासी लोग की पहुँच से आन लाइन पोर्टल पहुँच से बाहर है और इस कारण ये लोग एमएसएमई की योजनाओं का लाभ उठाकर अपना छोटा-मोटा रोजगार शुरू नहीं कर पाते है, इसलिए सारी योजनाओ को आनलाइन पोर्टल पर डालकर अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेने के बजाय, इन योजनाओं का बड़े पैमाने पर दूर दराज इलाको में प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए।
2-कहने के लिए सरकार ने अपना उद्यम प्रारंभ करने हेतु सेक्युरिटी के बिना लोन देने की व्यवस्था की है पर वस्तविकता यह है कि बैंक उद्यम शुरू करने के आवेदको को सेक्युरिटी के अभाव में लोन नहीं देते और इनके प्रति जिला उद्योग केंद्रो के लोगों का व्यवहार बड़ा रूखा होता है, इस समस्या के समाधान का निराकरण बहुत ही आवश्यक है।
3-एमएसएमई मंत्रालय और इसके उपक्रमों में वर्षो से हजारो रिक्तिया खाली पड़ी है और आधिकारी इन्हें भरने के लिए आवश्यक करने के बजाय संविदा पर कर्मचारियों की भर्ती करके अपनी जेबे भर रहे है जबकि देश में लाखों युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे है। संविदा के कर्मचारी बिना किसी परीक्षा के आते है जिससे कार्यालय में काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है और ये कर्मचारी अपने कार्य के प्रति उतमयि भी नहीं होते, अत: सरकार को इन कमियों को दूर करने की आवश्यता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का एमएसएमई सेक्टर को और अधिक मजबूती प्रदान करने के दृढ़ संकल्प होने का हो परिणाम है कि उन्होंने एमएसएमई मंत्रालय का जिम्मा सबसे अनुभवी मंत्री जीतन राम मांझी को दिया है जो अपने संघर्ष, जीवट, दूरदर्षिता और कड़े फैसले के लिए जाने जाते है। मुसहर परिवार में पैदा हुए एक मजदूर के बेटे जीतन राम ने भीषण कठिन परिस्थितियों में 1966 में स्नातक किया और 1980 से लगातार विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह किया। देश में एमएसएमई मंत्रालय के मंत्री वे इस सेक्टर को इतना मजबूत कर देंगे कि उद्यमिता के माध्यम से देश के युवाओ को बेरोजगारी से मुक्ति मिलेगी। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे पिछड़े राज्यो से काम की तलाश में दिल्ली और मुंबई जैसे काम के लिए युवाओ को पलायन करना पड़ता है इसे भी रोकने में मांझी जी सफल होंगे क्योंकि वे गरीबो मजदूरों की महानगरो में नारकीय जिंदगी के विषय में भलीभति जानते है वे महादलितो और आदिवासियों को उनके आर्थिक उत्थान द्वारा राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने में सक्षम होंगे। यह निश्चित है कि देश के एमएसएमई मंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे।
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