शुक्रवार, 14 जून 2024

मोदी 0.3 सरकार में एमएसएमई सेक्टर को और अधिक मजबूत करने पर जोर

बसंत कुमार

 वर्तमान समय में एमएसएमई सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह सेक्टर सकल घरेलू उत्पाद में 29% से अधिक योगदान कर रहा है और देश के कुल निर्यात में 50% से अधिक का योगदान कर रहा है। विनिर्माण के क्षेत्र में एमएसएमई सेक्टर लगभग एक तिहाई उत्पादन करता है। एक आंकड़े के अनुसार एमएसएमई सेक्टर 11 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है और सरकार आगामी वर्षों में इस लक्ष्य को 15 करोड़ से अधिक तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के पश्चात् भारतीय अर्थव्यवस्था में एमएसएमई सेक्टर की भूमिका के महत्व को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने भारतीय रिजर्व बैंक के साथ मिलकर एमएसएमई उद्यमियों की मदद के लिए निम्नलिखित योजनाएं प्रारंभ की--1- एमएसएमई समाधान, 2- उद्योग आधार, 3- मुद्रा, 4- जेडईडी योजना, 5- मेक इन इंडिया, 6- स्टैंड अप इंडिया।

इन योजनाओं की मदद से कोई भी नागरिक अपना कारोबार शुरू कर सकता है, अपना कारोबार बढ़ा सकता है और देश के आर्थिक विकास में योगदान कर सकता है।

यदि पूर्व में एमएसएमई सेक्टर की स्थिति को विचार किया जाए तो देश में इस सेक्टर की स्थिति बड़ी निराशाजनक लगती हैं। 1980 के दशक में जब देश के उद्योग मंत्री के रूप में जार्ज फर्नांडिस और नारायण दत्त तिवारी जैसे कद्दावर नेता हुआ करते थे तो औद्योगिक विकास मंत्रालय के अंतर्गत लघु उद्यामों की देखरेख के लिए डीसी (एसएसआई) का कार्यालय होता था और खादी ग्रामोद्योग, कॉयर बोर्ड, एनएसएसआई की देखरेख के लिए औद्योगिक विकास विभाग के अंतर्गत के वीआईसी, कॉयर सेक्शन और एसएसआई अनुभाग होते थे और लघु उद्योग सेक्टर इतना मजबूत नहीं था जो देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे पाता।

पहली बार जब अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार बनी, तब देश में लघु उद्योग के विकास पर पूरा जोर दिया गया और स्माल, मीडियम के साथ माइक्रो (सूक्ष्म) उद्यमों को जोड़ा गया और एमएसएमई मंत्रालय अस्तित्व में आया और यह पहला अवसर था जब एमएसएमई सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करने लगा। पर अटलजी की सरकार चले जाने के बाद मनमोहन सिंह जी की सरकार में एमएसएमई मंत्रालय काम करता रहा और इस विभाग के मंत्री के रूप में महाबीर प्रसाद जी जैसे प्रभावहीन मंत्रियों को समायोजित किया जाने लगा और यूपीए सरकार अटल जी की सरकार द्वारा एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए तैयार किए गए ढांचे पर काम तो करती रही पर यूपीए सरकार के दस वर्ष के कार्यकाल में इस सेक्टर के विकास में कोई प्रगति नहीं हुई।

जब वर्ष 2014 में नरेंद्र मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बने तो वे अपने मंत्रिमंडल के गठन के समय ही एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए कृतसंकल्प दिखे और एमएसएमई मंत्रालय के मंत्री के रूप में अपने सबसे अनुभवी सहयोगी कलराज मिश्र को चुना और उनको सहयोग करने के लिए बिहार के तेज तर्रार नेता गिरिराज सिंह को राज्य मंत्री बनाया। यह पहला अवसर था जब एमएसएमई मंत्रालय में एक कैबिनेट मंत्री और दो-दो राज्य मंत्री बनाए गए और इस मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाले तीनों उपक्रम के वीआईसी, एनएसआईसी, कॉयर बोर्ड समेत सभी प्रॉफिट मेकिंग उपक्रमों के रूप में उभरे और एमएसएमई सेक्टर देश की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करने लगा। इसके साथ-साथ देश में करोड़ों युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने में सफल रहा। मगर इतनी सारी उपलब्धियों के बावजूद एमएसएमई सेक्टर को और अधिक सफल बनाने के लिए कुछ आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है।

1-एमएसएमई मंत्रालय और इसके उपक्रमों द्वारा नव उद्यमियों के कल्याण हेतु ढेर सारी योजनाएं बनाई गई हैं और इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए विभाग द्वारा ऑनलाइन पोर्टल पर इन सारी योजनाओं का विवरण और आवेदन हेतु फार्म आदि उपलब्ध करा दिए जाते हैं। परन्तु आज भी देश के दूर दराज क्षेत्रों के अशिक्षित गरीब आदिवासी लोग आन लाइन पोर्टल की पहुँच से बाहर हैं और इस कारण ये लोग एमएसएमई की योजनाओ का लाभ उठाकर अपना छोटा-मोटा रोजगार शुरू नहीं कर पाते है, इसलिए सारी योजनाओं को आनलाइन पोर्टल पर डालकर अधिकारियों द्वारा अपने कर्तव्यों की इतिश्री समझ लेने के बजाय, इन योजनाओं का बड़े पैमाने पर दूर दराज इलाकों में प्रचार प्रसार किया जाना चाहिए।

2-कहने के लिए सरकार ने अपना उद्यम प्रारंभ करने हेतु सेक्युरिटी के बिना लोन देने की व्यवस्था की है पर वास्तविकता यह है कि बैंक उद्यम शुरू करने के आवेदकों को सिक्योरिटी के अभाव में लोन नहीं देते और इनके प्रति जिला उद्योग केंद्रों के लोगों का व्यवहार बड़ा रूखा होता है, इस समस्या के समाधान का निराकरण बहुत ही आवश्यक है।

3-एमएसएमई मंत्रालय और इसके उपक्रमों में वर्षों से हजारों रिक्तिया खाली पड़ी हैं और अधिकारी इन पदों को भरने की बजाय संविदा पर कर्मचारियों की भर्ती करके अपनी जेबें भर रहे हैं जबकि देश में लाखों युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे है। संविदा के कर्मचारी बिना किसी परीक्षा के आते हैं जिससे कार्यालय में काम की गुणवत्ता प्रभावित होती है और ये कर्मचारी अपने कार्य के प्रति उत्तरदायी भी नहीं होते हैं। अत: सरकार को इन कमियों को दूर करने की आवश्यता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का एमएसएमई सेक्टर को और अधिक मजबूती प्रदान करने के दृढ़ संकल्पित होने का ही परिणाम है कि उन्होंने एमएसएमई मंत्रालय का जिम्मा सबसे अनुभवी मंत्री जीतन राम मांझी को दिया है जो अपने संघर्ष, जीवट, दूरदर्शिता और कड़े फैसले के लिए जाने जाते हैं। मुसहर परिवार में पैदा हुए एक मजदूर के बेटे जीतन राम ने भीषण कठिन परिस्थितियों में 1966 में स्नातक किया और 1980 से लगातार विधायक, मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में अपने उत्तरदायित्वों का निर्वाह किया। देश में एमएसएमई मंत्रालय के मंत्री बनने के बाद वह इस सेक्टर को इतना मजबूत कर देंगे कि उद्यमिता के माध्यम से देश के युवाओं को बेरोजगारी से मुक्ति मिलेगी। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे पिछड़े राज्यों से काम की तलाश में दिल्ली और मुंबई के लिए युवाओं को पलायन करना पड़ता है इसे भी रोकने में मांझी जी सफल होंगे क्योंकि वे गरीबों मजदूरों की महानगरों में नारकीय जिंदगी के विषय में भलीभांति जानते हैं। वे महादलितों और आदिवासियों को उनके आर्थिक उत्थान द्वारा राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने में सक्षम होंगे। यह निश्चित है कि वह देश के एमएसएमई मंत्री के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे।

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