बुधवार, 2 सितंबर 2015

दूसरे पाकिस्तानी आतंकवादी का पकड़ा जाना

मूल प्रश्न है कि हम पाकिस्तान के विरूद्ध कैसे इसका उपयोग करते हैं

अवधेश कुमार

एक महीने से कम समय में यह दूसरा अवसर है जब भारतीय सुरक्षा बलों ने फिर एक पाकिस्तानी आतंकवादी को मुठभेड़ के दौरान गिरफ्तार किया है। पिछले पांच अगस्त को तो ग्रामीणों ने नावेद को उधमपुर में पकड़ा था और पुलिस के हवाले किया। हालांकि उसमें भी भूमिका सुरक्षा बलों की ही थी जिनने उसके साथी को मार दिया था तथा नावेद भागने को मजबूर हुआ था। हालांकि उस दिन जम्मू का क्षेत्र था लेकिन 27 अगस्त को तो घाटी का इलाका था। 20 वर्षीय सज्जाद उत्तरी कश्मीर के रफियाबाद (बारामुला) में पकड़ा गया। हमारे पास वह अपना क्या नाम बताता है उसे तत्काल स्वीकारने के अलावा कोई चारा नहीं होता। यही नावेद के मामले में हुआ और यही अब पकड़े गए आतंकवादी के मामले में हो रहा है। उसने जो नाम बताया उसके अनुसार वह सज्जाद अहमद उर्फ अबू उबैदुल्ला उर्फ फहदुल्ला उर्फ अब्दुल्ला है। पाकिस्तान अपनी आदत के अनुसार आरंभ में इसे भी अपने देश का निवासी होने से इन्कार कर रहा है जैसा वह नावेद के मामले में करता रहा, जैसा वह मुंबई हमले में जिन्दा पकड़े गए आतंकवादी के बारे मंे करता रहा। वह आगे भी ऐसा ही करेगा। किंतु उसके झूठ से सच बदल नहीं जाता। वैसे उपर से पाकिस्तान कुछ बोले अंदर से उसकी परेशानी आसानी से महसूस की जा सकती है। सच यह है कि पाकिस्तान में भारत विरोधी आतंकवाद के ढांचे इस समय काफी सशक्त हुए हैं, वहां से कम उम्र के आतंकवादियों को भ्रमित कर जम्मू कश्मीर की सीमा में घुसपैठ कराया जाता है और वे अपनी वारदात को अंजाम देने की पूरी कोशिश करते हैं।

सज्जाद 20 वर्ष का है और नावेद की उम्र भी लगभग इतनी ही है। यह अभी पता नहीं चला है कि दोनों के बीच कोई रिश्ता है या नहीं। नावेद ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को बताया था कि उसने अकेले घुसपैठ नहीं किया था। उसके साथ 18 आतंकवादियों ने घुसपैठ किया था। सबका प्रशिक्षण पाक अधिकृत कश्मीर में हुआ था। अगर एनआईए के सूत्रों की मानें तो उसके प्रशिक्षण में हाफिज सईद के पुत्र की भूमिका थी। सज्जाद ने स्वयं को बलूचिस्तान के मुजफरगढ़ इलाके का बताया है। धीरे-धीरे उससे पूछताछ में और विशेष जानकारी मिलेगी। उसकी पकड़ से एक बात की फिर से पुष्टि हुई है कि वे किसी तरह भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों पकड़ा जाना नहीं चाहते। उसके साथ लश्कर ए तैयबा के तीन आतंकी जब मारे गए तो उसके सामने गुफा में छिपने की नौबत आ गई। वहां सुरक्षा बलांे ने मिर्च के पाउडर के गोले तथा आंसू गैस की इतनी बौछाड़ें की कि वह चिल्लाने लगा और जब पकड़ाया तो कहता रहा मुझे गोली मार दो, मुझे गोली मार दो। याद करिए नावेद ने अपने जवाब में कहा था कि मारे जाते तो खुदा के पास और मरने से कोई भय नहीं। बस, मुझे यहां आकर हिन्दुओं को मारने में मजा आता है।

जाहिर है, उनके अंदर मजहबी सांप्रदायिकता की जहर भर दी जाती है तथा मारते लड़ते हुए मरने का गहरा संकल्प पैदा कर दिया जाता है। यह भी पता चला है कि लड़ते समय आतंकवादी कई बार काफी समय से सामान्य भोजन भी नहीं किए होते और नशीली दवाओं के प्रभाव में लड़ते रहते है। नशा उतरने के बाद उनको कुछ समझ में आता है। इसी घटना को लीजिए। हमाम-मारकूट में आतंकवादियों की सुरक्षा बलों से मुठभेड़ 26 अगस्त की शाम साढ़े छह बजे शुरू हुई जो 27 अगस्त को दोपहर तीन बजे समाप्त हुई। सोचिए, इस बीच उनके पास खाने-पीने के पास क्या रहा होगा? वैसे आम तौर पर आतंकवादी अपने पास मेवा रखते रहे हैं, पर इधर आतंकवादियों के पास मेवे नहीं मिल रहे हैं। इसका मतलब वे लंबे समय बिना खाए पिए रहते हैं। सज्जाद ने एनआईए को कहा कि तुमसे ज्यादा ट्रेंड हूं। बिना खाए-पिए सप्ताह भर लड़ सकता हूं। नशीली दवाएं उनको संघर्ष की उन्माद में बनाए रखता है। हो सकता है किसी ने नशा न भी लिया हो या कई बिना नशे के भी लड़ रहे हों।

नावेद ने अपने साथ 18 आतंवादियों के आने तथा सज्जाद ने 27 के घुसपैठ करने की सूचना दी है। तो कुल मिलाकर ये 45 हो गए। इसमें यदि नावेद के साथ मारे गए दो तथा सज्जाद के साथ मारे गए तीन आतंकवादियों को निकाल दे ंतो इन दोनों को हटाकर भी 38 आतंकवादी बचते हैं। अगर इनकी सूचना सच है तो कहां हैं ये 38 पाकिस्तानी आतंकवादी? सज्जाद ने बताया कि घुसपैठ के बाद वे अलग-अलग दिशाओं मे बंट गए। वे अपने गंतव्य पर जाने के लिए अंधेरा होने का इंतजार कर रहे थे कि सुरक्षा बलों से घिर गए। यानी इनका निशाना कहीं और था।

तो इनका पकड़ाना हमारे लिए इस मायने में तो बल प्रदान करने वाला है कि हम पाकिस्तान के पाखंड को नंगा करने में कुछ और सफल होंगे। लेकिन इतने आतंकवादी यदि घुसपैठ कर रहे हैं और सूचना अनुसार काफी संख्या में घुसपैठ के लिए तैयार बैठे हैं तो फिर यह हमारे लिए बहुत बड़े खतरे की घंटी है। यह सुरक्षा बलों के लिए बड़ी चुनौती भी है। साथ ही हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर थोड़ा प्रश्न भी खड़ा करती है आखिर से घुसपैठ में इतनी बड़ी संख्या में सफल कैसे हो जा रहे हैं? हालांकि इस बार सुरक्षाबलों को सूचना मिल गई थी बिजहामा (उड़ी) में लश्कर के पांच आतंकवादियों ने घुसपैठ की है। उनके खिलाफ तलाशी अभियान चला रखा था। इस दौरान हुई मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए थे, लेकिन तीन अन्य भाग निकले। हालांकि इसमें सुरक्षा बलों की अपनी सूचना थी या नहीं, लेकिन उड़ी में मुरुगम-बहक में अपने जानवरों को लेकर गए दो बक्करवालों ने बोनियार पुलिस थाने को सूचित किया कि उन्हें वहां सादे कपड़ों में हथियारबंद युवकों के एक दल ने पकड़ कर पीटा। उन्होंने उनके मोबाइल भी छीन लिए और वहां से भगा दिया। मुठभेड़स्थल से मिले सुराग के आधार पर सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान चलाया और अग्रिम चौकी विजय के दायरे में आने वाले रफियाबाद के हमाम मारकूट जंगल में उनका आतंकियों से सामना हो गया जिनमें 3 मारे गए और सज्जाद पकड़ा गया। हालांकि एक दिन उड़ी सेक्टर में काजीनाग नाले के पास लच्छीपोरा इलाके में हुई मुठभेड़ में बच निकलने के बाद ये कैसे हमाम मारकूट तक आने में सफल हो गए? आठ से दस घंटे वहां आने में लगेगा।

यह तो हुई हमारी बात। अब जरा बेशर्म पाकिस्तान को देखिए। इस बात के पूरे प्रमाण हैं कि मारे गए आतंकियों ने मुठभेड़ के दौरान गुलाम कश्मीर स्थित लश्कर कमांडरों से रेडियो सेट और टेलीफोन पर बातचीत भी की। उन्होंने उनको बताया कि उनके ठिकाने को सुरक्षाबलों ने चारों तरफ से घेर लिया है और अब उनके लिए बचकर अगले ठिकाने तक पहुंचना मुश्किल है। तो कौन हैं सीमा पार के उनके आका? अगर पाकिस्तान इसे स्वीकार करेगा ही नही तो फिर वह दोषियों को पकड़ने या सजा दिलवाने का जहमत कहां से उठाएगा। पाकिस्तान का फिर वही टेप बज रहा है कि उस नाम का कोई नागरिक हमारे यहां है ही नहीं। निबंधन में उसका नाम ही नहीं है। इसका कोई अर्थ नहीं है। पाकिस्तान के आधे नागरिकों का निंबंधन नहीं हुआ है तो क्या वे उसके नागरिक नहीं है? भारत में भी काफी संख्या में लोगों के जनसंख्या निबंधक के यहां निबंधन नहीं हैं तो क्या वे हमारे नागरिक नहीं हैं? यही समसया है पाकिस्तान की। पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बातचीत रद्द की तो उसके पीछे नावेद भी एक कारण था। उसका जवाब उसके पास कुछ नहीं था। प्रमाण के बाद उसे सीमा पार आतंकवादियों के प्रश्रय और प्रशिक्षण स्थलों पर कार्रवाई करनी होती। फिर हमारे पास दूसरा हथियार आ गया है। हम मानते हैं कि भारत को एक 20 या 21 साल के आतंकवादी को पकड़ने के बाद बहुत बड़ी उपलब्धि के रुप में इसे प्रदर्शित नहीं करना चाहिए, किंतु इसके महत्व को भी हम नकार नहीं सकते। किंतु मूल बात है कि हम कैसे इन आतंकवादियों का पाकिस्तान के विरूद्ध कूटनीतिक उपयोग कर पाते हैं। पाकिस्तान को विश्व कूटनीति में नगा करने, उसे दबाव में लाने में ये उपयोगी होंगे। पाकिस्तान में सरताज अजीज जैसे वरिष्ठ नेता यदि नाभिकीय हथियार की धौंस दे रहे हैं तो इसके पीछे यह भय भी है कि इस तरह अगर उनके देश के आतंकवादी पकड़े जाते रहे तो कहीं भारत कोई ऐसी कार्रवाई न कर दे जिसका मुकाबला करना कठिन हो जाए।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

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