मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

"तुम मुझे यूँ भुला न पाओगे"


आज दिसम्बर की चौबीस तारीख है, आज से 100 साल पहले आज ही के दिन, 24 दिसम्बर 1924 को सुरों के बेताज बादशाह, आवाज़ के बेहतरीन जादूगर, मोहम्मद रफ़ी साहब की पैदाइश अमृतसर के पास कोटला सुल्तान सिंह में हुई थी....

..... रफ़ी साहब के परिवार का गीत संगीत से कोई ताल्लुक़ नही था... लेकिन बचपन में उनके घर के सामने एक फ़कीर आकर बहुत मधुर आवाज़ में नात पाक वगैरह पढ़ा करता था, जिसे सुनना रफ़ी साहब को बहुत पसंद था, और फ़क़ीर के उस गीत की नक़ल वो बचपन में ही बहुत अच्छी किया करते थे ... उनको नन्ही उम्र में इतना बेहतरीन गाते देखकर उनके बड़े भाई ने उनको संगीत सीखने के लिए प्रोत्साहित किया.... और इस तरह फ़िल्म इंडस्ट्री को एक बेहतरीन नगीना मिल गया....!!

रफ़ी साहब की आवाज़ में क्या जादू था.. ये मैंने तब जाना जब इंटर पास करने के बाद सुकून से छुट्टियां बिताते हुए मैंने एफ़एम सुनने का मामूल बना लिया था... तब मैंने जाना कि आख़िर दुनिया रफ़ी साहब की दीवानी क्यों है, उनकी आवाज़ हमेशा ऐसी रही जैसे कोई 20-22 साल का गबरु नौजवान बोलता हो, उनके सुरों की गहराई और आलाप की ऊंचाइयां किसी भी दर्दमंद इंसान का कलेजा हलक में ले आने को काफी है।

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