शुक्रवार, 5 जून 2015

भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार की यही है तो है गुहार

 ....तो राम मंदिर बनवा दें नरेन्द्र मोदी

अवधेश कुमार

भाजपा के वरिष्ठ नेता विनय कटियार ने बयान दिया है कि इस समय हमारी बहुमत की सरकार है, इसलिए राम जन्म भूमि मंदिर निर्माण का संसद से रास्ता बन सकता है। उन्हांेने यह भी कहा कि एक वर्ष सरकार को हो गए। यानी अब यह उपयुक्त समय है जब सरकार को इस दिशा में पहल करनी चाहिए। विनय कटियार का यह बयान ऐसे समय आया है जब एक दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अल्पसंख्यकों यानी मुसलमानों के बारे में आए कुछ बयानों को गलत करार दिया है। उनने मुसलमानों के प्रतिनिधिमंडल को वचन दिया है कि उनके काम से मूल्यांकन करें। वे आधी रात को भी उनकी सेवा करने को तैयार हैं। स्वाभाविक ही बहुत सारे लोग इसे  मुसलमान विरोधी बयान मानकर विनय कटियार को तो कठघरे में खड़ा कर ही रहे हैं, मोदी सरकार को भी लपेटे में ले रहे हैं। यह होगा। किंतु, क्या यह एक सांप्रदायिक बयान है? क्या यह मोदी सरकार के अल्पसंख्यकों की रक्षा करने के बयान के विपरीत मुद्रा है? या हमें इसे दूसरे प्रकार से देखना चाहिए?

इन प्रश्नों का उत्तर अपने नजरिये से आप कुछ भी दे सकते हैं। जो लोग अयोध्या विवाद को ही बेवजह मानते हैं उन पर कोई टिप्पणी करने की आवश्यकता नहीं। हां, आज भाजपा एवं सरकार के अंदर इस बयान से असहमत होने वालों की संख्या काफी बड़ी है। कुछ दिनांे पहले जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पत्रकार वार्ता कर रहे थे उनसे राममंदिर निर्माण के बारे मंे प्रश्न पूछा गया। उनने क्षण भर के अंदर यह उत्तर दिया कि मंदिर बनाने के लिए हमें 370 स्थान चाहिए जो नहीं है। यह बात ठीक है कि अगर संसद के अंदर राम मंदिर पर विधेयक पारित कराना हो तो उसके लिए दोनों सदनों में बहुमत चाहिए। हालांकि इस बात पर अभी मतभेद है कि वह बहुमत कितना चाहिए, किंतु अध्यक्ष का बयान तो अंतिम बयान हो गया। उसके परे अगर कोई बयान देता है तो वह पार्टी का अधिकृत मत नहीं हो सकता। दूसरे, कुछ लोग अगर पीछे पड़ जाएं तो वह पार्टी के अनुशासन का उल्लंघन भी हो जाएगा। इस मामले में भाजपा का नेतृत्व अनुशासन के उल्लंघन की सीमा तक जाने का रुख नहीं अपनायेगा। हां, पार्टी का मान्य रुख अभी दो ही है। एक वो जो अमित शाह ने कह दिया और दूसरा कि मामला उच्चतम न्यायालय में है, इसलिए हमें उसके फैसले की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

कुछ लोग यह तर्क दे रहे हैं कि चूंकि कटियार पार्टी एवं सरकार दोनों मंें प्रभावहीन बना दिए गए हैं, इसलिए वे जानबूझार ऐसी बातें उठा रहे हैं ताकि किसी तरह लोगों की नजर में आएं। हो सकता है कटियार ने सुर्खियों में आने के लिए भी बयान दिया हो। हम इस बारे मंें निश्चयात्मक रुप से तो कुछ नहीं कह सकते। लेकिन संघ परिवार के अंदर ऐसे लोग भी हैं जो कटियार की बात का समर्थन कर रहे हैं। तो कटियार इस मायने में सफल हैं कि उन्होंने एक बयान से अपने पक्ष और विपक्ष में वातावरण बना दिया है, चर्चा में आ गये हैं। हम न भूलें कि कटियार की पृष्ठभूमि हिन्दुत्व की है। वे बजरंग दल के संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं। वहां से उनकी यात्रा संसद और भाजपा तक पहुंची। यानी भाजपा में वे विश्व हिन्दू परिषद के चेहरा माने जाते थे। इस समय अगर वे प्रभाव में नहीं है तो उनके सामने या तो अपने को चुपचाप निष्क्रिय कर देने का विकल्प है या फिर सामने आकर सक्रिय होने का। निष्क्रियता का विकल्प कोई नहीं चुनता। तो उन्होंने दूसरा विकल्प चुना।

विहिप के नेता यही मांग करते रहे हैं। अभी भी विहिप का रुख यही है कि संसद में कानून बनाकर राममंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया जाए। इस परिप्रेक्ष्य में विचार करें तो कटियार का बयान विहिप के विचारों की अभिव्यक्ति ही है। जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने थे तो विहिप के वरिष्ठतम नेता अशोक सिंघल ने कहा था कि यदि वे प्रधानमंत्री बन गए तो मुझे उम्मीद है राम मंदिर अवश्य बन जाएगा। यह एक आम धारणा नरेन्द्र मोदी को लेकर संघ परिवार के अंदर रही है। इस तरह कटियार ने वही बात बोली है जो विहिप का माना हुआ जाना हुआ स्टैण्ड है। जो लोग यह मान रहे हैं कि अयोध्या विवाद पर गतिविधि केवल न्यायालय तक सीमित है, वे सही नहीं हैं। राममंदिर के समर्थक संत समाज की भी कई बैठकें हुईं हैं। वो भी मंदिर बनाने की बात इसी तरह कर रहे हैं। विहिप भी इस पर कई अयोजन कर चुका है। तो गतिविधियां चल रहीं हैं।

वैसे विनय कटियार को भी इसका पता होगा कि उनके बयान पर किस ओर से क्या प्रतिक्रियायें आएंगी। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के अध्यक्ष जफरयाब जिलानी ने कहा है कि जब मामला उच्चतम न्यायालय में चल रहा है तो इस तरह की मांग गलत है। इसमें यदि संसद ऐसा करती है तो यह संविधान का उल्लंघन होगा। संसद और सरकार को ऐसा करना चाहिए या नहीं इस पर मतभेद हो सकता है, किंतु उच्चतम न्यायालय में लंबित मामले पर संसद में कानून बनाना अंसवैधानिक कैसे हो जाएगा। संविधान में कहां लिखा है कि उच्चतम न्यायालय किसी दीवानी मामले की सुनवाई कर रही हो तो उस पर संसद में कानून नहीं बन सकता। हां, उस कानून की न्यायिक समीक्षा हो सकती है। सामान्यतः उच्चतम न्यायालय संसद के कानून बनाने के अधिकार में हस्तक्षेप करने से बचता है। लेकिन जिलानी जो बोल दें वही सही। जिलानी क्या संविधान के विशेषज्ञ हैं? अगर बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी नहीं बनी होती तो उनको कोई जानता भी नहीं। आज वे संपन्न हैं, उ. प्र. के जाने माने अधिवक्ता हैं, सरकार की उन पर कृपा है तो उसका केवल एक कारण है, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का प्रमुख होना। वे अपनी संस्था की ओर से बाबरी मस्जिद के पक्ष में वकालत करते हैं। इससे ही उनकी प्रसिद्धि है। कटियार के बयान पर उनका प्रतिवाद स्वाभाविक है। फिर वे क्यों चाहेंगे कि मामला हल हो जाए? वो इसी तरह की प्रतिक्रिया देंगे। इस देश में ऐसी प्रतिक्रियाओं का संघ परिवार के बाहर विरोध करने की पंरपरा भी नहीं है। इसलिए कटियार के समानांतर उनका बयान आ गया...और कटियार का तो विरोध हुआ, पर जिलानी पर खामोशी है। क्यों?

बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी कोई इस्लाम की मान्य मजहबी ईकाई नहीं है। वह एक विवाद को लड़ने के लिए गठित हुआ समूह है। पर उसके अध्यक्ष के रुप में जिलानी इस्लाम और मुसलमानों के हर विषय पर बोलते हैं। वे मुस्लिम पर्सनल लौ बोर्ड में भी है। बोर्ड का काम मजहब के संदर्भ में कोई मत देना नहीं है, पर वो देते हैं। जैसे उनने योग एवं सूर्य नमस्कार को गैर इस्लामी करार दे दिया। इस्लामी विद्वानों ने ही कहा कि उनको ऐसा बोलने का अधिकार नहीं है। सूर्य नमस्कार में यदि मंत्र को हटा दिया जाए तो गैर इस्लामिक कैसे हो जाएगा? यह तो एक व्यायाम है ऐसा मानने वाले मुस्लिम नेताओं की संख्या बहुत ज्यादा है। पर बाबरी मामले पर कोई मुसलमान जिलानी के विरुद्ध नहीं जाता। उसके कारण समझने की भी आवश्यकता नहीं।

यही बात दूसरी ओर लागू नहीं होती। यह हिन्दू समाज का खुलापन कि यहां बहस और हमले की पूरी आजादी है।  कटियार के बयानों से असहमति हिन्दुओं की ओर ही ज्यादा जताई जा रही है। अरे भैया, यहां भाजपा, संघ परिवार को कुछ समय अलग करके सोचिए कि जिस व्यक्ति की राजनीति मे पैदाइश ही राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण आंदोलन से हुई वह इस पर बात नहीं करेगा तो और किस पर करेगा? अगर बाबरी के समर्थन में बोलना सांप्रदायिक नहीं है तो फिर मंदिर पर बोलना सांप्रदायिक कैसे हो जाएगा?

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

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