सोमवार, 1 जून 2015

कभी आपने कल्पना की थी ऐसे महाप्रचार अभियान की

 

ये है मोदी का जनता तक बात पहुंचाने का तरीका

अवधेश कुमार

निस्संदेह, किसी सरकार के एक वर्ष पूरा होने का यह ऐसा महाप्रचार है अभियान जिसकी पहले कल्पना नहीं की गई थी। आज यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि देश में किसी सरकार की एक वर्ष की उपलब्धियों पर देशव्यापी इतना व्यापक, बहुपक्षीय, संघन और लंबा कार्यक्रम पहली बार हो रहा है। 22 मई से जो पत्रकार वार्ता आरंभ हुई वह जारी है और उस तारीख से एक महीने यानी 21 जून तक ऐसे ही चलेगा। मंत्री तो पत्रकार वार्ता कर ही रहे हैं, प्रवक्ताओं और नेताओं को भी जिम्मेवारी मिली है। एक महीने तक पत्रकार वार्ता अपने में रिकॉर्ड होगा। यह देश के कोने-कोने में हो रहा है। उदाहरण के लिए अरुण जेटली ने दिल्ली में पत्रकार वार्ता की तो ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी वीरेन्द्र सिंह ने केरल में। इसके अलावा सरकार के कामकाज को जनता तक पहुंचाने के लिए 10 करोड़ सदस्यों के बीच रिपोर्ट कार्ड भी बांटी जा रही है। सरकार की ओर से संवाद नामक 25 करोड़ बुकलेट तैयार हुई। इस बुकलेट में 11 मंत्रालयों की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से बताया गया है।

मथुरा रैली से जनसभा की शुरुआत स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कर की। मथुरा की रैली में हमने पूर्व तैयारी देखी। भीड़ देखी, और मोदी का भाषण सुनां। इसके साथ दूसरे नेताओं की रैलियां सभायें भी हुईं, हो रही हैं..। अब विपक्ष लगाता रहे आरोप, करता रहे बहस, कहती रहे सरकार को कॉरपोरेट समर्थक......किसान विरोधी.....। महाअभियान यही तक यह सीमित नहीं है। भाजपा सरकारी योजनाओं के लिए मेला लगा रही है, प्रदर्शनियां लगा रही है। इसका क्या जवाब है विपक्ष के पास?  देशभर में कुल 200 बड़ी रैलियां तथा 5000 सभाओं की योजना है। मोबाइल वैन चल पड़ा है जो 600 से ज्यादा जिलों में जाकर रुकेगा। तैयारी के तहत दूरदर्शन और आकाशवाणी को सरकार की उपलब्धियों पर ऑडियो और वीडियो क्लिप मुहैया कराने को कहा गया। इन क्लिप्स को विभिन्न वेबसाइट्स पर डाला गया है। विभिन्न राज्यों से चलने वाले मीडिया संगठनों को भी इस योजना में शामिल किया गया है। इसके लिए वार्तालाप नाम से वीडियो कांफ्रेंस के जरिए विशेष तौर पर प्रेस कांफ्रेंस भी हो रही है। मीडिया को विभिन्न मुद्दों पर इंफोग्राफिक्स भी जारी किया जा रहा है। नरेंद्र मोदी ने 26 मई को किसान चैनल की शुरुआत से यह संदेश देने की कोशिश की कि विपक्ष की आलोचनाओं के विपरीत उनका उनके प्रति कितना समर्पण है। किसान चैनल को मोदी सरकार के किसान हितैषी के साकार प्रतिरुप के तौर पर पेश किया जा रहा है। यही नहंीं मोदी सरकार ने इसे सरकार एक वर्ष नाम देने की जगह कहा है कि यह जनकल्याण पर्व है। इस जन कल्याण पर्व के तहत सरकार के मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ सांसद रैली कर सरकार की एक साल की उपलब्धि के बारे में अपने नजरिए से बातें रख रहे हैं।

ऐसा नहीं है कि केवल घोषणा हो गई और लोग चल पड़े पत्रकार वार्ता करने या भाषण देने। बाजाब्ता प्रवक्ताओं के लिए वर्कशौप का आयोजन हुआ। उसमें यह बताया गया कि उनको क्या बोलना है। किन प्रश्नों का उत्तर किस तरह देना है। उनको पूरी जानकारियां उपलब्ध कराईं गईं। कहा जा रहा है कि मंत्रियों की बैठक में भी किस मंत्री को क्या-क्या मुद्दे उठाने है, कैसे उठाने है यह भी निर्धारित कर दिया गया है। उनके पूरे तथ्यों के साथ उपस्थित रहना है। इस तरह की तैयारी न हमने पहले देखी न सुनी। हम देख रहे हैं कि किस तरह वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री पत्रकार वार्ता कर रहे हैं, साक्षात्कार दे रहे हैं। यहां तक कि मंत्री सोशल मीडिया (फेसबुक और ट्विटर) पर भी इंटरव्यू दे रहे हैं।ं वेबसाइट्स को भी पर्याप्त अहमियत दी जा रही है। मंत्री ब्लॉग या लेख लिख रहे हैं।

कहने की आश्यकता नहीं कि सरकार इस अवसर का हर संभव अधिकतम प्रचार तरीकों, प्रचार साधनों तथा अपने सामने उपलब्ध एक-एक व्यक्ति का इसमें उपयोग करने की योजना पर चल रही है। पहले विपक्ष के कौरपोरेट समर्थक, किसान विरोधी, गरीब आदमी विरोधी आरोप का जवाब एक ही दिन में दो इन्श्योरेंस और एक पेंशन योजनाओं का एक साल 16 शहरों से आरंभ करके दिया गया। यह कार्यक्रम ऐसा था और इसको इस ढंग से पेश किया गया कि लोगों को लगा कि वाकई सरकार तो हम आम व्यक्तियों के लिए काम कर रही है। वास्तव में जन कल्याण पर्व के महाअभियान के द्वारा सरकार देश के अधिकतम आबादी तक पहुंचना चाहती है, तथा उनके दिमाग में यह बात बार-बार बोलकर बिठा देना चाहती है कि उसने एक वर्ष में कितना काम किया है। 365 दिन और 300 काम। अब आप एक-एक काम को काटते रहिए। लोगों तक अगर वाकई 25 करोड़ न सही 10 12 करोड़ बुकलेट भी पहुंच गई तो उसका कितना असर होगा इसका अनुमान लगाइए। सच कहा जाए तो सरकार इस तरह से एक वर्ष पूरा होने को महाअभियान बना देगी इसकी कल्पना विरोधियों ने नहीं की होगी।

वस्तुतः यह नरेन्द्र मोदी का अपना तरीका है। किसी विषय को एकदम जनता के दिमाग में पैठाने के लिए हर उस एक साधन का इस्तेमाल करो जो संभव है। इतना सघन प्रचार करो कि विरोधियों की आवाज उसकी गूंज में सुनाई भी न पड़ेा। यह तरीका उनने गुजरात में आजमाया। जैसे-जैसे उनको अनुभव आया उनने धीरे-धीरे इसे विस्तार दिया और अब इसे देश भर में आजमा रहे हैं। विपक्ष के हमलों, आलोचनाओं का इतने व्यापक स्तर पर और इस तरह जवाब देने के अयोजनों का देश पहली बार साक्षात्कार कर रहा है। यह पूरे देश को सरकारमय बना देने का तरीका है। यह देश को मोदीमय माहौल में फिर से ले आने की जबरदस्त कोशिश है। यह देश को चुनाव पूर्व में उभरी उम्मीदों के पायदान पर अपने कामों दावों से फिर खड़ा करने की रणनीति है। पूरा देश इस पर बहस कर रहा है, अन्य मुद्दों के बीच यही मुख्य मुद्दा बना है, चर्चा का विषय है। इतने बड़े शोर में विपक्ष की आवाज इस रुप में और इतने विस्तार से तो सुनाई नहीं पड़ रही है। टेलीविजन चैनलों के बहस में या जवाबी बयानों में विपक्ष दिखाई दे रहा है। वास्तव में इस सच को स्वीकार करना होगा कि विपक्ष में किसी दल या नेता के पास इतनी तैयारी या क्षमता नहीं कि उसी तरह उनका मुकाबला कर सके। तो अभी तक के सारे हमलों को परास्त करने का यह महाअभियान आरंभ हो चुका है। हां, इसकी प्रभाविता, सफलता और विफलता को लेकर दो राय हो सकती है, किंतु इसके अभूतपूर्व, अतुलनीय होने में नहीं।

जाहिर है, मोदी के चेहरे पर आलोचनाओं के बावजूद जो आत्मविश्वास दिखता है उसका कारण इसी में निहित है। उनको अपने आजमाये तरीकों के परिणामों पर पूरा विश्वास है। विपक्ष को यदि इसका मुकाबला करना है तो फिर उसे अपनी रणनीति, तरीके तथ्यों, उद्गारों, प्रतिकिं्रयाओं पर नये सिरे से विचार करना होगा। उसका पाला परंपरागत तरीके से काम करने वाले या राजनीति करने वाले नेता से अलग चरित्र और व्यवहार वाले नेता से पड़ा है। आप सोचिए न, नरेन्द्र मोदी जब अपनी पांच दिवसीय विदेश यात्रा से 20 मई को वापस आए तो उनके दिमाग में एक साल पूरा होने के अयोजनों की बात सबसे उपर थी। तभी तो उन्होंने 20 मई को ही अपने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ बैठक की। हालांकि विदेश जाने के पहले वे इसकी पूरी योजना अपने रणनीतिकारों के साथ बना चुके थे। इस पर काम हो रहा था। मंत्रालय अपनी उपलब्धियों की सूची बनाकर भेज रहे थे। उनकी प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा संवीक्षा भी की जा रही थी। इन सबकी सूचना हमें 14 मई को ही केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार की पत्रकार वार्ता से मिल चुकी थी। लेकिन कितना हुआ है और इसे किस तरह आरंभ कर देना है इसके लिए मोदी ने बैठक ली और फिर जो हो रहा है हमरे सामने है। आप खुद इसका उत्तर तलाशिए कि क्या इस तरह सुनियोजित तरीेके से विपक्ष की कोई पार्टी या नेता मुकाबला कर रहा है?

अवधेश कुमार, ईः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

 

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