शुक्रवार, 12 दिसंबर 2014

श्रीनगर की सभा का संदेश

अवधेश कुमार
सामान्यतः चुनाव में किसी पार्टी के बड़े नेता रैलियां करते हैं। यह एक सामान्य घटना होती है। पर श्रीनगर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली इस श्रेणी से कई मायनों में भिन्न थी। इसलिए इसका महत्व अलग है। सबसे पहले तो शेर ए कश्मीर स्टेडियम में रैली करने का साहस करना ही महत्वपूर्ण है। 30 वर्ष में किसी नेता की यहां रैली नहीं हुई। इसके बगल के स्टेडियम में अवश्य रैलियां हुईं। अटलबिहारी वाजपेयी की हुई, मनमोहन सिंह की भी हुई। पर वो भी चुनावी रैलियां नहीं थी। नरेन्द्र मोदी ने यहां चुनावी रैली करके एक साथ कई संदेश दिए हैं। हालांकि उन्होंने एक बार भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, पर सीधा संदेश उसके लिए था कि वह यह समझने की भूल न करे कि अब भी उसके पिट्ठुओं के हाथों घाटी का नियंत्रण है। भाजपा जैसी पार्टी यहां अगर रैली कर पा रही है तो इसका सीधा अर्थ यह है कि अलगावावादी हाशिये पर धकेले जा चुके हैं। इससे दुनिया में भी भारत के अनुकूल ठोस संकेत गया है। इस रैली को कवर करने के लिए दुनिया के महत्पूर्ण समाचार संस्थानों के संवाददाता वहां उपस्थित थे और उनने देखा कि कितनी भारी संख्या में लोग आए।

वास्तव में जिस तरह जम्मू कश्मीर के लिए अन्य राज्यों की तरह ही यह तो महत्वपूर्ण है कि वहां किस पार्टी को बहुमत या सबसे ज्यादा सीटें मिलतीं हैं, पर उससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि वहां कितनी संख्या में लोग मतदान कर रहे हैं ठीक उसी तरह इस रैली में मोदी ने क्या कहा इसका महत्व तो है पर शांतिपूर्वक इतनी बड़ी रैली कर लेना भी कम महत्वपूर्ण नहीं है।  इससे यह साबित हो जाता है कि आतंकवादियों के लगातार हिंसा करने की कोशिशों, मतदान न करने की धमकियों तथा अलगाववादियों के बहिष्कार के बावजूद लोगों ने रैलियों में भागीदारी की और भारी संख्या में मतदान किया। आखिर मोदी की रैली में आने से रोकने के लिए तीन दिनों पूर्व से ही आतंकवादी हमलों का जो सिलसिला आरंभ हुआ वह रैली के पूर्व तक जारी था। सच कहें तो एक दिन में चार आतंकवादी हमला प्रदेश के हाल के वर्षों का सबसे बड़ा हमला था। बावजूद इसके रैलियों में लोग आए और मोदी को पूरी तरह सुना। विरोधी यह आरोप लगा रहे हैं कि भीड़ आई नहीं लाई गई थी। सामान्यतः यह आरोप विरोधी हमेशा लगाते हैं। इसलिए इस बहस में पड़ने की आवश्यकता नहीं हैं कि लाए गए थे, आए थे, किस तरह के लोग आए थे, क्यों आए थे..... आदि आदि। श्रीनगर की दृष्टि से यह बहुत बड़ी भीड़ थी, इसलिए इसे एक सफल सभा मानी जाएगी। अभी तक घाटी में किसी नेता की इतनी बड़ी सभा नहीं हुई।

चूंकि यह चुनावी सभा थी इसलिए मुख्य फोकस पार्टी को वोट दिलाने पर होना था। घाटी में बदलती सोच के बीच इस चुनावी सभा में मोदी ने जो कुछ कहा उसके कुछ विन्दुओं पर सहमति-असहमति स्वाभाविक है। लेकिन उनके भाषण का मुख्य थीम क्या था? यही न कि हम कश्मीर में बिना भेदभाव के विकास और शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं, लोगों की पीड़ा और दुख को अपनी पीड़ा और दुख समझते हैं और हमने शासन में आने के समय से अपने कार्यों द्वारा यह प्रमाणित किया है।

अगर हम पूरे भाषण का संक्षिप्त सिंहावलोकन करें तो इसे मुख्य नौ विन्दुओं में बांट सकते हैं। सबसे पहले इसमें कश्मीर के लोगों को यह विश्वास दिलाना था इस प्रदेश में इतनी क्षमता है कि यहां के नवजवानों को शिक्षा या रोजगार के लिए बाहर जाने की आवश्यकता नहीं, बल्कि बाहर के लोग यहां आ सकते हैं। दूसरे, यह इसलिए नहीं हुआ कि अब तक के शासन ने विकास और शांति के लिए ईमानदारी और संकल्प से काम नहीं किया। तीसरे, कश्मीर के लोगों की समस्या का समाधान एक ही है, विकास। मोदी विकास तथा सबका साथ सबका विकास का नारा हर जगह उछालते हैं। इसके द्वारा उन्होंने यह संदेश दिया कि हम यहां किसी के बीच भेदभाव नहीं करते। चौथा, विकास के लिए सड़कों सहित आधारभूत संरचना के विस्तार तथा पन्न बिजली उत्पादन के कारखाना लगाने की बात की। यानी एक साथ पर्यटन एवं ठोस विकास की आधारशाीला रखने के वायदे। पांच, पुलिस और सेना को खलनायक मानने की जगह उनके बलिदान को याद कीजिए। यानी हमारी आपकी रक्षा में यहां 33 हजार पुलिस ने अपनी जान दी है। छठा, सेना ने बाढ़ में स्वयं जान देकर हमारी जान बचायी, लेकिन यदि गलती करेंगे तो सजा भी मिलेगी। उनने साफ किया कि दो युवकों को गोली मारने के मामले में पहली बार सेना ने गलती मानी और उन पर मुकदमा दर्ज किया। यह आगे भी होगा। सातवां, कश्मीर के प्रति अपना लगाव दिखाना। यानी लगाव ऐसा है कि मैं हर महीने यहां आया हूं और आगे भी आउंगा। बाढ़ के समय आया और 1000 करोड़ की घोषणा की, दीपावली मनाने की जगह आपके बीच आया। आठवां, कश्मीर के लिए अटल जी ने जम्हूरियत, इन्सानियत एवं कश्मीरियत की जो बात की उसी रास्ते चलकर कश्मीर के आन बान शान को वापस लाउंगा। नौवां, मुसलमानों के प्रति भेदभाव का मेरा चरित्र नहीं। इसके लिए कच्छ में बहुसंख्य मुस्लिम आबादी के होते हुए भकंप से नष्ट जिले को सबसे विकसित जिला बनाने का उदाहरण दिया।

ध्यान रखिए जैसा मैंने आरंभ मे कहा कि मोदी ने न तो पाकिस्तान का नाम लिया और न ही यहां पर आतंकवादियों, अलगाववादियों के बारे में कोई बात की। यही बात वे झारखंड की सभाओं में बोल चुके थे। आम धारणा यही थी कि जिस तरह पिछले कई दिनों से भयानक आतंकवादी हमले हुए हैं तथा उन हमलों में पाकिस्तान की सामग्रियां, सेना द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुएं, अस्त्र मिले हैं उसके मद्दे नजर मोदी अवश्य इसे अपने भाषण के मुख्य अंशों में शामिल करेंगे। पर उनका भाषण इस धारणा के विपरीत था। साफ है कि यह एक रणनीति थी और इसक उद्देश्य भी साफ था। हालांकि कच्छ का उदाहरण देकर उन्होंने बता दिया कि पाकिस्तान का दोष है तो भी मैं यहां उनका नाम न लेकर केवल आपके और आपके हित की बात करुंगा और उसे पूरा करुंगा। कुल मिलाकर मोदी ने यह स्वीकार किया कि कश्मीरी अवाम की समस्यायें बढ़ी हैं, दुख बढ़े हैं लेकिन आपका दुख मेरा दुख है, आपकी पीड़ा ये मेरी पीड़ा है, आपकी मुसीबत मेरी मुसीबत है....यह कहकर उन्होंने मरहम लगाने एवं अविश्वास की खाई को पाटने का काम किया। और संकल्प यह कि हमें कश्मीर को नई उंचाइयों पर ले जाना है। पर्यटन की चर्चा करते हुए यह कहने का उद्देश्य क्या हो सकता है कि हिन्दुस्तान के पास दुनिया को दिखाने के लिए कश्मीर से बढ़िया और क्या है.?

चुनावी सभा थी तो अपनी पार्टी को बहुमत देने की अपील होगी ही। मोदी की इन पंक्तियों पर ध्यान दीजिए...,‘ जम्मू कश्मीर के भाइयों, जो बुरे थे उनसे मैं आपको बाहर निकालने आया हूं। ...... कश्मीर में आपने कांग्रेस की सरकार देखी, बाप बेटे की सरकार देखी, बाप बेटी की सरकार देखी......। आपको क्या दिया? इनने अपना तो कल्याण किया, आपको कुछ नहीं दिया। एक बार मुझे मौका दीजिए। आतंकवाद तो लगभग खत्म हुआ, भ्रष्टाचार खत्म नहीं हुआ। भ्रष्टाचार नहीं जाएगा तो कश्मीर का विकास नहीं।’ यानी जो भी सरकारें आईं सबने भ्रष्टाचार किया है, अगर वे ठीक से काम करते तो कश्मीर इस समय दुनिया का स्वर्ग होता। यही तीनों पार्टियों पर सबसे तीखा हमला था और इसका राजनीतिक विरोध स्वाभाविक है। उन्होंने कहा कि नेपाल में दक्षेस बैठक के दौरान मैने कहा कि हम जो पड़ोस के देश है। हम किस बात के लिए लड़ रहे हैं, किसके लिए लड़ रहे हैं? आओ हम कंधे से कंधा मिलाएं और गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़ें, हमें लड़ना है बेरोजगारी, के खिलाफ, भ्रष्टाचार के खिलाफ.....। तो यही नारा कश्मीर के लिए है। यहां आपस में लड़ने की जगह हम भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, गरीबी के खिलाफ लड़ेंगे और कश्मीर को भारत का स्वर्ग फिर से बनाएंगे। इसलिए अपील कि मैं आपकी सेवा करने आया हूं। आप हमें सेवा करने का मौका दीजिए। पूरे विश्व में आज हिन्दुस्तान की जय जयकार क्यों हो रही है? इसलिए कि 125 करोड़ देशवासियों ने पूर्ण बहुमत की सरकार चुनी है। मोदी को कोई देखता है तो सोचता है कि इसके पीछे 125 करोड़ लोग हैं, इसलिए सीना तानकर खड़ा हो जाता है। इसलिए सीना तानकर खड़ा होना है तो पूर्ण बहुमत की भाजपा की सरकार बनाइए और कंधे से कंधा मिलाकर भ्रष्टाचार से बेरोजगारी से मुक्ति दिलाए, कश्मीर को नई उंचाइयों पर ले जाएं...।
तो इस तरह अंतिम वोट की अपील को अलग कर दें जो स्वाभाविक था कि मोदी ने एक सुस्पष्ट थीम की तरह श्रीनगर सभा को संबोधित किया।  इसकी प्रभाव की परीक्षा तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही होगा। पर इस समय यह मानने में कोई समस्या नहीं कि मोदी ने इस सभा के द्वारा कश्मीर के अवाम, सम्पूर्ण भारत, सीमा पार पाकिस्तान, आतंकवादियों तथा विश्व समुदाय को कश्मीर की एक साकार तस्वीर और उसकी बदलती हुई फिजां का दर्शन कराया है। इसका असर आने वाले समय में और मुखर रुप में देखने को मिलेगा।
अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

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