शुक्रवार, 24 मई 2024

स्वाति मालीवाल एपिसोड ने महिला सशक्तिकरण नारे की खोली पोल

 बसंत कुमार

दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद स्वाति माली वाल की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास में उनके निजी सहायक विभव कुमार द्वारा पिटाई के मामले के तूल पकड़ने के बाद आखिरकार दिल्ली पुलिस ने विभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया और कोर्ट ने उसे पांच दिन की रिमांड पर भेज दिया और इसी बीच स्वाति की प्राथमिक मेडिकल रिपोर्ट भी आ गई और रिपोर्ट के अनुसार स्वाति के बायें पैर, दाहिनी आँख, चेहरे और सिर पर चोट के निशान की पुष्टि हो चुकी है, यद्यपि यह मामला पुलिस के पास पहुँच चुका है और सिर्फ न्यायालय ही इस बात का निर्णय ले सकता हैं कि विभव कुमार दोषी है या नहीं, पर प्रश्न यह उठता है कि 'नारी सर्वत्र पूज्यते' वाले देश भारत में जब एक महिला राज्यसभा सांसद राज्य के मुख्यमंत्री के आवास में सुरक्षित नहीं रह सकती तो देश में आम महिला की सुरक्षा की गारंटी कैसे दी जा सकती हैं और इस मामले में रक्षक ही भक्षक बन गया है।

कुछ दशक पूर्व देश के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश की पहली दलित मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की समाजवादी के गुंडों द्वारा इज्जत तार तार करने का असफल प्रयास किया गया और इस घटना को आज भी गेस्ट हाउस कांड के नाम से जाना जाता है उस समय भी इस कांड की आलोचना करने के लिए बहुत कम ही नेता सामने आये थे पर आज के समय में सभी दलों में राष्ट्रीय स्तर पर दर्जनों महिला नेत्रिया स्थापित है। निर्मला सितारमन और स्मृति ईरानी केंद्रीय मंत्रिमंडल में वरिष्ठ मंत्री है और सोनिया गाँधी, ममता बनर्जी, मायावती अपने अपने दल की मुखिया है, राज्यसभा सांसद जया बच्चन संसद में कई बार महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर लोगों को भावुक करने वाले भाषण दे चुकी हैं पर एक महिला सांसद पर हुए हमले पर इन लोगों की चुप्पी सबको आश्चर्य चकित कर दे रही हैं। शायद इस चुप्पी का एक ही कारण समझ में आ रहा है कि चुनाव के समय एक मुख्यमंत्री के आवास में हुई इस घटना पर कुछ बोलना उन्हे नुक्सान पहुँचा सकता है।

स्त्रियों के अपमान पर चुप्पी साधे रहने के मामले में हिंदुत्व भारतीय संस्कृति की पोषक माने जाने वाली भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना जैसी पार्टिया भी पीछे नहीं है। कुछ वर्ष पूर्व उत्तर प्रदेश में भाजपा के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष ने बसपा सुप्रीमो मायावती की टिकट वितरण के मामले में पैसा लेने का आरोप लगते हुए उन्हे वैश्या जैसे विशेषण से संबोधित कर दिया था और पार्टी नेतृत्व ने उन्हे इसके लिए 6 साल के लिए पार्टी से निष्काषित कर दिया गया और कुछ समय पश्चात उन्हे ससम्मान पार्टी में वापस लिया गया और आज वे योगी सरकार में वरिष्ठ मंत्री है, वहीं एक टीवी डिबेट में एक मुस्लिम धर्मगुरु द्वारा बार बार उकसाये जाने के बाद भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगम्बर मुहम्मद के लिए कुछ अवांछित टिप्पणी कर दी तो उन्हें प्रवक्ता पद से हटाकर भाजपा से निष्काषित कर दिया गया और आज उनका कोई नाम लेने वाला नहीं है और न ही उनकी राजनीति में वापसी के कोई संकेत दिखते है आखिर इस समाज में पुरुष और महिला हेतु क्यो अलग अलग पैमाने निर्धारित किये जाते हैं, एक महिला सांसद की पिटाई के बावजूद आरोपी विभव कुमार कई दिनों तक मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ घूमता रहा और काफी दबाव के बाद ही उसके गिरफ्तारी हो पायी।

विभव कुमार की गिरफ्तारी के पश्चात इस केस में रोज नये नये खुलासे हो रहे है जहां पहले दिल्ली सरकार की इकलौती महिला मंत्री अतिशी ने स्वाति मालीवाल की शिकायत को झूठ का पुलिंदा कहा था पर अब ये बात सामने आ चुकी है कि स्वाति मालीवाल के साथ मुख्यमंत्री आवास में यह घटना घटी और घटना के समय मुख्यमंत्री अपने आवास में मौजूद थे उसके बावजूद वे इस मामले में निष्पक्ष जाँच की मांग कर रहे हैं'। उनकी निष्पक्ष जाँच की मांग चुनाव के मद्दे नजर बिलकुल राजनैतिक लग रही है और कोई भी दल भी इस पर आपत्ति नहीं कर रहा है। आज के समय में संसद के अंदर और संसद के बाहर सैकड़ों नेत्रियां हैं जो महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के ऊपर घंटों लंबे भाषण दे सकती हैं और लोगों को इस भाषा से आंसू बहाने को मजबूर कर देती हैं पर चुनाव के समय इस मामले में चुप्पी इसलिए साधे हुए है कि कही कुछ बोलने पर उनके गठबंधन पर प्रतिकूल असर न पड़े।

क्या अब यह मान लिया जाए कि जिस भारत में युगो युगो से स्त्री की पूजा की जाती रही है और आज भी नौ रात्रो में कन्याओं को देवी मानकर उनकी पूजा की जाती है और कंजके खिलायी जाती है और हम अपने आप को अध्यात्मिक रूप से विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने का स्वप्न देख रहे है उसी देश में एक महिला सांसद की प्रदेश के मुख्यमंत्री के आवास में मुख्यमंत्री के निजी सहायक द्वारा पीटा जाता हैं और महिला सशक्तिकरण का नारा लगाने वाले चुप्पी साधे हुए हैं।

एक वर्ष पूर्व पैगम्बर मुहम्मद के विषय में एक अप्रिय टिप्पणी करने पर भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पीछे कट्टरपंथी इतने पीछे पड़ गए कि उन्हें सार्वजनिक जीवन से विलुप्त होना पड़ा और उनके बचाव में कोई भी सनातनी एवं हिंदू धर्म का झंडा बरदार नहीं खड़ा हुआ, उसी तरह से महिला सांसद स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के मामले में महिला सशक्तिकरण का राग अलापने कोई नेता या नेत्री सामने नहीं आ रहे है, जबकि महिला सुरक्षा के नाम पर घड़ियाली आंसू बहाने वाली एक दर्जन से अधिक नेत्रिया राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति कर रही हैं, सबसे आश्चर्य की बात है कि दिल्ली सरकार की एक मात्र महिला मंत्री अतिशी ने स्वाति मालीवाल के आरोपो को झूठा करार दिया क्योकि उन्हे महिला सुरक्षा से अधिक कुर्सी प्यारी है। जब देश में एक महिला सांसद अपने आप को सुरक्षित नहीं रख सकती आम महिला को सुरक्षा की गारंटी कैसे दी जा सकती हैं। कम से कम इस मामले में सोनिया गाँधी, प्रियंका वाड्रा और ममता बनर्जी को तो चुप्पी नहीं साधनी चाहिए थी।

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