शनिवार, 6 मई 2023

क्रांतिकारी विचारों के रचनात्मक व्यक्तित्व थे-स्वतंत्रता सेनानी स्व. देवेन्द्र कुमार कर्णावट

डॉ. वीरेन्द्र भाटी मंगल
शताब्दी वर्ष महोत्सव
क्रांतिकारी विचारों के रचनात्मक व्यक्तित्व थे-स्वतंत्रता सेनानी स्व. देवेन्द्र कुमार कर्णावट

अणुव्रत आंदोलन प्रवर्तक आचार्य तुलसी से अनेक बार अपनी सभाओं में स्वतंत्रता सेनानी काका देवेन्द्र कुमार कर्णावट के द्वारा किये गये अणुव्रत कार्यों का उल्लेख सुना है। मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे स्व.देवेन्द्र कुमार कर्णावट से अनेक बार मिलने व उनके निकट सान्निध्य का सुअवसर मिला है। 1993 में आचार्य तुलसी के सान्निध्य में आयोजित अणुव्रत सम्मेलन के दौरान एक सहज, सरल व कार्य के प्रति उत्साही, समर्पित व्यक्तित्व को देखा तो मैं बहुत प्रभावित हुआ, वे देवेन्द्र कुमार कर्णावट ही थे। सादगी पूर्ण बाना, चेहरे पर ओज से भरा आत्मविश्वास, चाल में स्फूर्ति, अणुव्रत कार्यों के प्रति पूर्ण समर्पण ही आपकी पहचान थी। देवेन्द्र कर्णावट में अणुव्रत कार्यकताओं के प्रति सहजता व समानता के भाव सदैव देखने को मिले, उनमें छोटे-बडे़ सभी कार्यकर्ताओं को समाहित करने के भाव कूट-कूट कर भरे थे। यही कारण था कि देश भर के अणुव्रत कार्यकताओं के लिए देवेन्द्र जी कर्णावट एक आधार स्तम्भ थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके क्रांतिकारी योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता ऐसे ही अणुव्रत आंदोलन में उनके योगदान को सदैव याद किया जायेगा। आचार्य तुलसी के साथ छाया बनकर अणुव्रत को राष्ट्रव्यापी बनाने में अपना योगदान दिया, उनमें कर्णावट प्रमुख थे। स्व. देवेन्द्र कुमार कर्णावट के शताब्दी वर्ष महोत्सव का शुभारम्भ 7 मई को राजसमन्द से होगा।  
देवेन्द्र कुमार कर्णावट का जन्म 7 मई 1924 (अक्षय तृतीया) को राजसमंद जिले के राजनगर ग्राम में हुआ। आपके पिता का नाम हीरालाल कर्णावट व माता का नाम गमेरी बाई कर्णावट था। उच्च प्राथमिक स्तर तक शिक्षित देवेन्द्र कर्णावट किशोर अवस्था से ही क्रांतिकारी विचारों के धनी थे। वे गांधीवादी विचारधारा से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने जुलाई 1942 में सम्पन्न हुई अपनी शादी में उनकी मां द्वारा बार-बार सूट पहनने के आग्रह को ठुकराते हुए खादी का कुर्ता-पायजामा व गांधी टोपी पहनकर ही दुल्हन लेकर आये। शादी के एक माह बाद ही अगस्त 1942 को देवेन्द्र कर्णावट को मेवाड़ डिफेन्स रूल्स के जुर्म मे गिरफ्तार कर उदयपुर सेन्ट्रल जेल में डाल दिया। कई महिनों की जेल यातना के बाद तत्कालिन मेवाड़ के प्राईममिनिस्टर की अदालत ने आपको जेल से रिहा कर दिया। आजादी के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी से सम्पूर्ण राजस्थान में क्रांतिकारियों से आपका व्यापक सम्पर्क बना।
देवेन्द्र कुमार कर्णावट ने राजसमंद जिला प्रजामण्डल के संयुक्त मंत्री एवं कार्यालय के संचालन का दायित्व निभाते हुए पत्रकार चन्द्रेश व्यास के नेतृत्व में उदयपुर में भारत भारती का संचालन प्रारम्भ किया जिसका उद्घाटन श्रीमती विजयलक्ष्मी पंडित ने किया। आजादी पूर्व उनकी पत्रकारिता ने क्रांतिकारियों में जोश भरने का कार्य किया। उनका हस्तलिखित दीवार पत्र क्रांतिकारीयों के लिए सूचना की संजीवनी बना। इसके अलावा इन्होंने नवयुवक मण्डल के माध्यम से हस्तलिखित सुधारक मासिक का प्रकाशन व सम्पादन एवं राजसमंद सभा के माध्यम से पथिक एवं निर्वाण पत्रिका का सम्पादन किया वहीं 1948 में आपने कलकता से जनपथ पाक्षिक का प्रकाशन शुरू कर संस्थापक संपादक बने। इसके अलावा अणुव्रत आंदोलन के मुखपत्र के संस्थापक संपादक रहते हुए 20 वर्ष तक पत्रिका संपादन किया। पत्रकारिता के क्षेत्र में उन्होंने अपनी भूमिका का निर्वहन किया।
महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित देेवेन्द्र कुमार कर्णावट ने स्वावलम्बी शिक्षण कुटीर कपासन के माध्यम से महात्मा गांधी दर्शन को जन-जन तक पहुंचाने में अपना विशिष्ठ योगदान दिया। भीलवाड़ा के विजयनगर-गुलाबपुरा में आई भंयकर बाढ के दौरान बाढ़ पीडित सेवा योजना में अपने साथियों के साथ सहभागिता कर लोगों को राहत पहुंचायी। युवाओं में जोश भरने के लिए राजसमंद में राजस्थान युवक सम्मेलन का विशाल आयोजन करवाया, जिसका उद्घाटन तत्कालीन योजना मंत्री गुलजारीलाल नन्दा द्वारा किया गया एवं सुप्रसिद्ध विचारक जैनेन्द्रकुमार, पत्रकार श्रीगुप्त आदि मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में मोहनलाल सुखाडिया का सान्निध्य प्राप्त किया। गांधी दर्शन के प्रति समर्पित देवेन्द्र कुमार कर्णावट ने सन् 1952 में गांधीवादी विचारधारा की पोषक शैक्षिक, सामाजिक एवं रचनात्मक संस्था गांधी सेवा सदन की स्थापना की वहीं खादी ग्रामोद्योग सघन क्षेत्र की स्थापना में अपना योगदान देते हुए गांधी दर्शन को जन-जन तक पहुचायां। सन 1968 में राजस्थान हरिजन सेवक सम्मेलन का राजसमंद जिले में विशाल आयोजन कर हरिजनों उद्धार की गांधी विचारधारा को आगे बढाते हुए जातिवाद पर प्रहार किया। गुलजारीलाल नन्दा की अध्यक्षता में स्थापित राजस्थानी समाज के सदस्य के रूप प्रवासी लोगों के बीच भी उन्होंने महत्वपूर्ण काम किया। विनोभा भावे के भूदान आंदोलन से प्रभावित होकर काका देवेन्द्र कुमार कर्णावट राजस्थान में महत्वपूर्ण कार्य किया वे राजस्थान आचार्यकुल के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे।
सामाजिक-साहित्यिक जीवन--सन् 1945-46 से 1997 तक वे अणुव्रत प्रवर्त्तक आचार्य तुलसी के सान्निध्य में अणुव्रत आंदोलन को गति प्रदान करते रहे। आचार्य तुलसी के मार्गनिर्देशन में कर्णावट ने आदर्श साहित्य संघ की संस्थापना कर साहित्य संघ की विज्ञप्ति प्रारम्भ की। वे अणुव्रत आंदोलन के योजनाकार, विचारक, प्रवक्ता व नींव के पत्थर के रूप में देशव्यापी पदयात्रायें की एवं स्थान-स्थान पर अणुव्रत विचार परिषद की स्थापना में योगदान देने के साथ-साथ अणुव्रत संगोष्ठियां व सम्मेलन आयोजित करवाये। अणुव्रत समिति एवं 1955 में अखिल भारतीय अणुव्रत समिति के देशव्यापी संगठन के संस्थापक के रूप में दिल्ली, कलकता, राजसमन्द से कार्य संचालन कर अणुव्रत को गरीब की झोपड़ी से राष्ट्रपति भवन तक पहुचानें में योगदान दिया।
इसके अलावा देवेन्द्र कुमार कर्णावट ने श्रीमेवाड़ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी कॉफ्रेस की स्थापना करते हुए संस्थापक मंत्री का दायित्व ग्रहण कर 1960 में युग प्रधान आचार्य तुलसी के द्विशताब्दी समारोह का राष्ट्रव्यापी समायोजन करवाने में भूमिका निभायी। क्रांतिकारी विचारों के धनी आचार्य तुलसी के नेतृत्व में सामाजिक कुरूढियों एवं कुरूतियों को मिटाने के लिए नया-मोड़ नाम से अभियान प्रारम्भ हुआ। मेवाड़ क्षेत्र के घर-घर जाकर इस अभियान को गति दी।  
राजस्थानी एवं हिन्दी भाषा के प्रतिभा सम्पन्न साहित्यकार के रूप में काका देवेन्द्र कुमार कर्णावट ने करीब दो दर्जन पुस्तकों का संपादन व लेखन किया। जिनमें प्रमुख है-प्रणवीर प्रताप, लोकनायक वर्माजी, डॉ. राममनोहर लोहिया ने कहा था, स्वतन्त्र भारत की भाषा राष्ट्रभाषा, लोकमत की कसौटी पर, बंगला क्रान्ति, राजनीति की नयी दिशाएं, लोकदृष्टि में अणुव्रत, बंगला क्रांति आदि। इसके अलावा आपकी आत्म कथा ’ऋणी हूं मैं आप सबका’ आपके जीवन दर्शन को प्रस्तुत करती है। 1955 को आप अणुव्रत आंदोलन के मुख पत्र अणुव्रत के संस्थापक संपादक के रूप में दिल्ली से प्रकाशन प्रारम्भ किया। भारत सरकार से स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा प्राप्त देवेन्द्र कुमार कर्णावट को अणुव्रत प्रवक्ता 1979, अणुव्रत पुरस्कार 1992, समाज भूषण 2004, अणुव्रत महारथी 2007 सहित अनेक पुरस्कार, सम्मान मिल चुके है। विशिष्ट व्यक्तित्व देवेन्द्र कुमार कर्णावट का निधन 07 सितम्बर 2007 को राजसमंद में हुआ।
-राष्ट्रीय संयोजक-अणुव्रत लेखक मंच, लक्ष्मी विलास, लाडनूं (नागौर-राज.) मोबाइल-9413179329

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