खगड़िया, (दिलीप यादव) ।
अलौली प्रखंड के साहसी पंचायत के जोगिया शरीफ में मोहम्मद साहब के जन्मदिन
पर जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला गया। जिसकी अध्यक्षता खानकाह फरीदिया के गद्दी
नशीन हजरत मौलाना बाबू सईदैन फरीदी ने की। इस मौके पर उन्होंने बताया कि
पैगंबर-ए-इस्लाम मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश पर रविवार को जोगिया शरीफ में
शान के साथ जुलूस-ए-मोहम्मदी निकला। जुलूस में काबा समेत अन्य झाकियां
देखते ही बन रही थीं। लोग नात-ए-पाक सुनते हुए रसूले पाक की शान में कलाम
पेश करते रहे। जुलूस देर शाम तक जोगिया गांव के विभिन्न मार्गों से होकर
गुजरा। सुरक्षा के लिए जुलूस के साथ पुलिस भी तैनात थी।
रविवार
को जिले में मोहम्मद साहब की यौमे पैदाइश पर लोगों ने खुशियों का इजहार
किया। मदरसा समदिया महमूदिया नूरूल उलूम में मिलादे पाक की महफिल सजाई गई।
इसमें दारूदे सलाम का नजराना पेश करने के बाद लोगों ने शानो-शौकत के साथ
जोगिया शरीफ में जुलूस-ए-मोहम्मदी निकाला। जोगिया शरीफ से निकले जुलूस में
शामिल लोगों ने नबी की शान में कलाम पेश किए। जुलूस में मक्का व काबा की
झांकी भी साथ चल रही थी। जोगिया से निकले सभी जुलूस बाबू सईदैन फरीदी की
अगुवाई में शानो शौकत के साथ जुलूसे मोहम्मदी जोगिया गांव होते हुए हरिपुर
बाजार पहुंचा।
मौलाना बाबू
सईदैन फरीदी ने बताया के हज़रत मुहम्मद साहब का जन्म स्थान मक्का है।
आपका नाम रखा मुहम्मद-हज़रत
मुहम्मद साहब का नाम उनके दादा अब्दुल मुत्तलिब ने रखा था। जिसका अर्थ है
"प्रशंसित"। मुहम्मद नाम अरब में नया था। मक्का के लोगों ने जब अब्दुल
मुत्तलिब से नाम रखने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा ताकि सारे संसार में
मेरे पोते की प्रशंसा की जाए।
लोग उनसे और क़रीब हो जाते : जैसे-जैसे
हज़रत मुहम्मद साहब बड़े हुए उनकी ईमानदारी, नैतिकता और सौम्य प्रकृति ने
उनको और प्रतिष्ठित कर दिया। वे हमेशा झगड़ों से अलग रहते और कभी भी अभद्र
भाषा का प्रयोग नहीं करते थे। अपने इन सिद्धांतों पर वे इतना दृढ़ थे कि
मक्का के लोग उन्हें 'अल-अमीन' नाम से पुकारने लगे थे, जिसका अर्थ होता है
'एक भरोसेमंद व्यक्ति'। उनके प्रसिद्ध चचेरे भाई अली ने एक बार कहा था "जो
लोग उनके पास आते, उनसे और क़रीब हो जाते ।"
बिलादते
रसूल पर कुरान व हदीस के हवाले से एक जामे खिताब फरमाया। सुरक्षा के लिए
अतिरिक्त पुलिस बल जुलूस के साथ लगाई गई थी। आमदे रसूल पर हर कोई खुशी मना
रहा था। जुुलूस में बाबू सकलैन फरीदी ने पैगंबर ए इस्लाम के बारे में लोगों
को समझाया।
इस दौरान जगह-जगह लंगर, सबील लोगों को
बांटे जाते रहे। इस मौके पर मौलाना बाबू सालिक हुसैन फरीदी, बाबू सिबतैन
फरीदी, अकरम, नावेद आलम,गुलफराज, चांद बाबू, फेदाए रसूल, हरमैन फरीदी,
मौलाना मुस्तकीम फरीदी, बहराइन फरीदी, लईक नवाज,उमर अली, मुजम्मिल, साकिर
हुसैन, मेराजुल हक, मौलाना जुल्फिकार फरीदी, हाफिज असद इमाम हरिपुर
मस्जिद, फैजान अहमद, अबुशामा रजवी, मौलाना मुर्शिद रजवी, सजीम रजवी, शाह
आलम, तौफीक फरीदी समेत बड़ी संख्या में अकीदतमंद मौजूद रहे।
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