आदिवासियों के ऐतिहासिक भगोरिया उत्सव के दौरान दो आदिवासी महिलाओं के साथ बदसलूकी और उनकी इज्जत लूटने का प्रयास करने की हरकत की जितनी भर्त्सना की जाए कम है। झाबुआ और आसपास के आदिवासी क्षेत्रों में मनाया जाने वाला यह उत्सव अत्यधिक उच्च मर्यादाओं के साथ मनाया जाता है। मुझे स्वयं इस उत्सव में शामिल होने का अवसर मिला है। उत्सव में पुरूष और महिलाएं पूरे उत्साह के साथ भाग लेते हैं। उत्सव का माहौल ऐसा होता है कि भाग लेने वाले यह भूल जाते हैं कि वे पुरूष हैं या महिला।
सदियों से मनाए जाने वाले इस उत्सव में कभी भी बदसलूकी की शिकायत नहीं मिली। ‘टाईम्स ऑफ इंडिया‘ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार कुछ लोगों ने दो महिलाओं का हाथ पकड़कर उन्हें चूमने का प्रयास किया। जब इन महिलाओं ने भागने की कोशिश की तो पुरूषों की एक भीड़ ने उन्हें घेर लिया और उनके साथ बदसलूकी की।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि यह बदसलूकी होती रही और लोग उसे मौन रहकर देखते रहे। मेरी राय मंे यह हरकत आदिवासियों की संस्कृति पर हमला था। मेरी मांग है कि जिन लोगों ने ऐसी हरकत की है उन्हें सख्त से सख्त सजा दी जाए। साथ ही यह भी पता लगाया जाए कि इस साजिश के पीछे किसका हाथ है और क्या यह योजनाबद्ध तरीके से की गई हरकत है।
(एल एस हरदेनिया, संयोजक, राष्ट्रीय सेक्युलर मं
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