शुक्रवार, 2 फ़रवरी 2018

अपेक्षाओं के अनुरुप बजट

 

अवधेश कुमार

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत पांचवे और इस सरकार के अंतिम पूर्ण बजट को कुछ शब्दों में कहना हो तो यही कहा जाएगा कि यह निवेश को प्रोत्साहन देने के साथ रोजगार, शिक्षा, कृषि, गांव एवं स्वास्थ्य पर केन्द्रित है। जीएसटी लागू होने के बाद का यह पहला बजट है। इसलिए इसमें राजकोष के लिए उनके पास परोक्ष करों में ज्यादा परिवर्तन के लिए जगह नहीं थी। जीएसटी से कर देने वालों का दायरा अवश्य बढ़ा है लेकिन करों में बढ़ोत्तरी की जगह कमी आई है। इसलिए सरकार को राजस्व के लिए अन्य रास्ते तलाशने थे। सरकार के पास सीमा शुल्क में परिवर्तन तथा अतिरिक्त आय के लिए अधिभार बढ़ाने का ही विकल्प था। इसके साथ विनिवेश का रास्ता बचता था। दोनों स्तरों पर काम किया गया है। वैसे बजट से तीन दिनों पूर्व पेश आर्थिक सर्वेक्षण मंें ही साफ हो गया था कि सरकार की प्राथमिकताएं क्या रहने वाली हैं। कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.1 प्रतिशत तक सीमित रहने की बात की गई थी। यही नहीं निवेश में कमी की वजह से कई क्षेत्रों के एक साथ प्रभावित होने का संदेश भी दिया गया था। आप बजट में इनको मूर्त रुप देने की कोशिश देखेंगे।

सबसे पहले किसान और गांव। इसमें सबसे बड़ी घोषणा खरीद की फसलों को लागत से कम-से-कम डेढ़ गुना कीमत देने का फैसला है। जेटली ने कहा कि किसानों को लागत से डेढ़ गुना कीमत मिले इसे सुनिश्चित करने के लिए बाजार मूल्य और न्यूनतम समर्थन मूल्य में अंतर की रकम सरकार वहन करेगी। बाजार के दाम अगर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम हो तो सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि बाकी पैसे किसानों को दिए जाएं। इसके लिए नीति आयोग व्यवस्था का निर्माण करेगा। इसके साथ ही कृषि कर्ज के लिए 11 लाख करोड़ आवंटित किया गया है।  हमारे देश में 86 प्रतिशत से ज्यादा किसान छोटे या सीमांत किसान हैं। इनके लिए बाजार तक पहुंचना आसान नहीं है। इसलिए सरकार इन्हें ध्यान -रखकर आधारभूत संरचना का निर्माण करेगी। जितने गांव हैं उनको कृषि के बाजारों के साथ बढ़िया सड़क मार्गों से जोड़ने की भी योजना है। टमाटर, आलू, प्याज का इस्तेमाल मौसम के आधार पर होता है। इसे साल भर उपयोग के लिए ऑपरेशन फ्लड की तर्ज पर ऑपरेश ग्रीन लॉन्च की जाएग। 500 करोड़ रुपये इसके लिए रखे जाएंगे। बटाईदारों को बैंकांे से कर्ज नहीं मिला। नीति आयोग ऐसी व्यवस्था बना रहा है कि ऐसे किसानों को कर्ज लेने में सुविधा मिले। कृषि उत्पादों को तैयार करने वाली 100 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियों को कर में पूरी तरह छूट मिलेगी।

अब आएं रोजगार की ओर। कृषि और गांवों के लिए जो योजनाएं हैं उनमें तो रोजगार सृजन होगा ही। वित्त मंत्री ने बजट में 70 लाख औपचारिक नौकरियों के सृजन की घोषणा की है। कपड़ा और फुटवियर क्षेत्र में 50 लाख युवाओं को 2020 तक प्रशिक्षण दिए जाने की योजना है। कपड़ा क्षेत्र के लिए सरकार ने 6 हजार करोड़ का प्रावधान किया। जेटली ने औपचारिक नौकरियों की जगह स्वरोजगार को सरकार मुख्य लक्ष्य बताया। व्यापार शुरू करने के लिए मुद्रा योजना में 3 लाख करोड़ दिया गया है। 2022 तक हर गरीब को घर देने का लक्ष्य के तहत 1 करोड़ मकान केवल मकान ही नहीं देंगे इसमें व्यापक पैमाने पर रोजगार सृजन होगा। इसी तरह  शहरी क्षेत्रों में 37 लाख मकान बनाने को मंजूरी दी गई है।

इस बजट की सबसे महात्वाकांक्षी और अनूठी घोषणा स्वास्थ्य क्षेत्र की है। नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन योजना के तहत देश के 10 करोड़ परिवार को इलाज के लिए हर साल 5 लाख रुपए का हेल्थ इंश्योरेंस किया जाएगा। माना जा रहा है इससे कुल 50 करोड़ लोगों को फायदा होगा। यह दुनिया का सबसे बड़ा स्वास्थ्य बीमा योजना है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ओबामा की स्वास्थ्य योजना हो ओबामा केयर कहा गया उसी तरह इसे मोदी केयर कहा जाएगा। इसके लिए 12000 करोड़ रुपए की जो मंजूरी दी गई है वह दुनियाभर में अपनी तरह का पहला फंड होगा। अब गरीब परिवारों को हर साल 5 लाख रुपए तक के इलाज पर अपने पैसे खर्च नहीं करने होंगे। बजट में नए 24 मेडिकल कॉलेज एवं अस्पातल खोलने का एलान किया गया है। जेटली ने कहा है कि सरकार का लक्ष्य हर 3 संसदीय क्षेत्र में एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल की सुविधा मुहैया कराने पर है।  बजट में सरकार ने टीबी के मरीजों के लिए पोषण के लिए 600 करोड़ के फंड को मंजूरी दी है। इसमें से प्रति मरीज को इलाज तक 500 रुपया प्रति महीना पोषक आहार के लिए मिलेगा। देशभर में 1.50 लाख स्वास्थ्य केन्द्रों में दवा और जांच की मुफ्त सुविधा दी जाएगी।

बजट में शिक्षा के स्तर पर भी चिंता जताते हुए कई बड़े ऐलान किए। सरकार का जोर शिक्षा के विस्तार के साथ गुणवत्ता सुधारने पर है। सरकार प्री नर्सरी से लेकर 12वीं क्लास तक को समग्र रूप से देखना चाहती हैं, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में विकास हो सके। 13 लाख से ज्यादा शिक्षकों को ट्रेनिंग दिए जाने का लक्ष्य है। इस लक्ष्य की राह में तकनीकी डिजिटल पोर्टल दीक्षा से मदद मिलेगी इंस्टिट्यूट्स ऑफ एमिनेंस स्थापित करने की योजना। डिजिटल इंटेसिटीसिटी को बढ़ावा दिया जाएगा। एकीकृत बीएड कार्यक्रम भी शुरू होगा। ऐसे प्रखंड जहां आदिवासियों की आबादी 50 प्रतिशत से ज्यादा होगी एकलव्य स्कूलों की स्थापना की जाएगी। ये स्कूल नवोदय की तर्ज पर आवासीय होंगे। इसके अलावा सरकार जिला स्तर के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों को अपग्रेड कर 24 नए मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाएगी। सरकार प्रधानमंत्री रिसर्च फेलो योजना शुरू करेगी जिसमें 1000 बीटेक छात्र चुने जाएंगे और उन्हें आईआईटी से पीएचडी करने का अवसर दिया जाएगा। इसके अलावा प्लानिंग और आर्किटेक्चर के संस्थान शुरू किए जाएंगे। 18 नई आईआईटी और एनआईआईटी की स्थापना की जाएगी। वडोदरा में रेलवे यूनिवर्सिटी स्थापित करने का प्रस्ताव है।

मध्यम वर्ग के लिए इस मायने में इसे निराशाजनक कहा जा रहा है क्योंकि आयकर में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। हालांकि स्डैंडर्ड डिडक्शन के तहत 40 हजार रुपये की छूट मिलेगी। इसके अलावा 40 हजार रुपये तक का मेडिकल बिल कर मुक्त होगा। कौरपोरेट दुनिया की भी उम्मीद थी कि कॉरपोरेट कर को सबके लिए 30 प्रतिशत की जगह 25 प्रतिशत किया जा सकता है। इससे उनके पास निवेश के लिए और राशि बचेगी। किंतु ऐसा नहीं हुआ तो इसका कारण यही है कि सरकार का खजाना तंगी में है। साथ ही सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा में अधिभार 1 प्रतिशत बढ़ाकर 3 प्रतिशत से 4 प्रतिशत कर दिया है। इस बढ़ोतरी का असर स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर सभी क्षेत्रों पर पड़ने वाला है। आयकर पर भी 1 प्रतिशत अधिभार लगेगा।

अगर देश चलाना है तो सरकार को धन चाहिए। सीमा शुल्क बढ़ाने की घोषणा की गई है। वित्त मंत्री ने मोबाइल फोन पर सीमा शुल्क 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत और मोबाइल व टीवी पुर्जों पर 15 प्रतिशत तक सीमा शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है। इस फैसले से भारत में बिकने वाले सभी कंपनियों के स्मार्टफोन तथा टीवी महंगे होंगे। भले ही कंपनियां भारत में अपने फोन असेंबल कर रही हों, लेकिन इनमें ज्यादातर के कलपूर्जे चीन से ही आते हैं। कुछ ऐसा ही मामला टीवी का भी है। हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि इस कदम से देश में और ज्यादा रोजगारों के सृजन को बढ़ावा मिलेगा। दरअसल इस कदम से आयातित उत्पादों के तुलना में घरेलू उत्पाद सस्ते हो जाएंगे और इसके परिणामस्वरूप मांग काफी बढ़ जाएगी, जिससे आम जनता के लिए और ज्यादा रोजगार अवसर आएंगे। इन क्षेत्रों में घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिले तो अच्छी बात होगी। वित्त मंत्री को पता था कि देश को निवेश प्रोत्साहन की जरुरत है,क्योंकि अर्थव्यवस्था में निवेश का स्तर पिछले डेढ़ वर्षों में न्यूनतम आ चुका है। पिछले बजट में 50 करोड़ तक का व्यापार करने वाली कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर को 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत किया गया था। इस बार इसे बढ़ाकर 250 करोड़ कर दिया गया है तो जाहिर है सरकार मध्यम एवं लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाह रही है। इससे देश की 99 प्रतिशत बहुत छोटे, छोटे मध्यम उद्योगों को फायदा होगा। जेटली ने कहा कि तीन साल पहले स्टार्ट-अप इंडिया की शुरूआत हुई थी जिसके परिणाम काफी अच्छे निकले। उनके अनुसार छोटे उद्योगों के लिए 3794 करोड़ खर्च करने की योजना है।

इस तरह कुल मिलाकर बजट को हम संतुलित और समय के हिंसाब से अपेक्षाओं के अनुरुप कह सकते हैं। गांवों और कृषि पर जोर देने का अर्थ है कि गांवों के लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी। कृषि से निराशा को लो आलम है उसे दूर करने में मदद मिलेगी। किसानों की लागत कम हो एवं उचित दाम मिले तथा सही समय पर उनको कर्ज मिल जाए यही तो मुख्य मांग थी। भारत में स्वास्थ्य पर खर्च से लोगों को गरीब होते देखा गया है। इससे मुक्ति मिल जाना बहुत बड़ी बात है। देश को गांव और कृषि केन्द्रित, रोजगारोन्मुखी तथा उद्योग एवं कारोबार को नजरअंदाज न करने वाला बजट चाहिए था। इस पर यह खड़ा उतरता है। इससे विकास दर को भी बढ़ावा मिलेगा जिसकी भारत को बहुत आवश्यकता है।

अवधेश कुमार, इः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूरभाषः01122483408, 9811027208

 

 

 

 

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