शुक्रवार, 26 जून 2015

उपराष्ट्रपति योग दिवस विवाद को कैसे देखें

 

अवधेश कुमार

योग दिवस के संदर्भ में उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी बनाम राम माधव को लेकर जिस तरह का बवण्डर खड़ा करने की कोशिशें हुईं, उन पर आप अपने दृष्टिकोण से कुछ भी मत व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। ट्विटर पर स्टैण्ड विद हामिद अंसारी से अभियान चलाने वाले झंडाबरदारों या फिर समाचार चैनलों पर तर्क कुतर्क से राम माधव, भाजपा, नरेन्द्र मोदी सरकार आरएसएस को कठघरे में खड़ा करने वालों ने इसे एक बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की। इसमें कुछ तो निरपेक्ष और निर्दोष लोग थे जिन्हें लगा कि उप राष्ट्रपति जैसे बड़े पद की गरिमा को बनाए रखना आवश्यक है। यानी उनकी नजर में राम माधव के ट्विट से उस पद की गरिमा को ठेस पहुंचा था। हालांकि राम माधव के ट्विट में सच्चाई नहीं थी। न तो राज्य सभा टीवी ने राजपथ योग दिवस कार्यक्रम को ब्लैक आउट किया था और न ही उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को उसमें शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था। किंतु राम माधव ने अपना ट्विट वापस लिया, उसके लिए क्षमा याचना भी कर दी। बावजूद इसके इरादे, संस्कार, विचार, मंशा आदि पर बहस होती रही और कुछ दिनों तक यह विषय चलेगा।

वैसे हामिद अंसारी के कार्यालय से यह बयान जारी कर दिया गया है कि सरकार के पक्ष आने के बाद उनकी ओर से यह अध्याय खत्म हो गया है। दरअसल, इस कार्यक्रम के आयोजक आयुष मंत्री श्रीपद नाईक ने अपने बयान में साफ किया कि इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी थे। चूंकि प्रोटोकॉल में राष्ट्रपति एवं उप राष्ट्रपति दोनों उनसे उपर हैं, इसलिए उन्हें निमंत्रण नहीं दिया गया। इससे उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का यह वक्तव्य सच साबित हुआ कि उन्हें निमंत्रण नहीं दिया गया था। श्रीपद नाईक ने कहा कि राम माधव को सही जानकारी नहीं रही होगी, अगर उप राष्ट्रपति जी को कोई कष्ट हुआ है तो उसके लिए मैं क्षमा मांग लूंगा। यह एक विनम्र और शालीन व्यवहार है। इस तरह के व्यवहार से ही राजनीति में आचरण की मर्यादा कायम रहती है, लोकतंत्र कायम रह सकता है, जीवन और सत्ता में लोकतंत्र के जीवित रहने की संभावना बनी रहती है।

यहां तक तो ठीक है। किंतु क्या इतने से यह मान लिया जाए कि उप राष्ट्रपति जी का पक्ष सबल था, ठीक था? सतही तौर पर इसका उत्तर हां ही आएगा। आखिर जब उन्हें निमंत्रण ही नहीं मिला तो फिर वे क्या कर सकते थे? वे बिना निमंत्रण योग दिवस समारोह में कैसे भाग ले सकते थे। इसलिए भाग न लेने के पीछे उनका कोई दोष नहीं था। लेकिन इसे जरा दूसरे पहलू से देखिए। कई बार सतह पर जो सुनाई देता है, दिखाई पड़ता है, सच उसके परे भी होता है। क्या राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को निमंत्रण गया था? नहीं। तो उनने कुछ किया या पूरे आयोजन से स्वयं को दूर रखा? राष्ट्रपति ने बाजाब्ता राष्ट्रपति भवन में योग दिवस का आयोजन किया, हाथ में माइक लेकर उन्होंने अपना संक्षिप्त उद्बोधन दिया। इसे सभी चैनलों ने प्रसारित भी किया। प्रश्न है कि जब राष्ट्रपति बिना निमंत्रण के ऐसा कर सकते थे तो फिर उप राष्ट्रपति क्यों नहीं?

यह ऐसा प्रश्न है जिसका उत्तर उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी या अनावश्यक रुप मेें उनके पक्ष में झंडा उठाकर इसे बहुत बड़ा मुद्दा बनाने में लगे लोगांें के पास भी नहीं होगा। जब राष्ट्रपति को ऐसा करने में कोई प्रोटोकॉल बाधा नहीं आया, संविधान का कोई प्रावधान आड़े नहीं आया, जब कोई कन्वेंशन रास्ते खड़ा नहीं हुआ तो उप राष्ट्रपति के लिए कैसे हो सकता था? भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रस्ताव पर यानी भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ के सदस्य देशों ने योग दिवस मनाना निश्चय किया तो भारत के हर व्यक्ति का दायित्व था कि इसमें जितना संभव हो योगदान करे। भारत के लिए ऐतिहासिक अवसर था। 192 देशों में योग हो रहा था। करोड़ों लोग इसमें मजहब, संप्रदाय, देश, संस्कृति, पद, भाषा सबके परे उत्साहपूर्वक शामिल हो रहे थे। इसमें भारत की सत्ता से जुड़े ऐसे शीर्ष व्यक्तित्व की मौन निष्क्रियता का आखिर क्या अर्थ हो सकता है? सत्ता के शीर्ष पर बैठै लोगों को तो स्वयं अपना दायित्व समझना चाहिए था। उन्हें स्वयं यह तय करना चाहिए था कि इस ऐतिहासिक दिवस पर जब पूरा विश्व भारत की पहल पर उत्साहजनक सक्रियता दिखा रहा है, हमें क्या करना है।

उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी यही तय करने से चूक गए। उनके पक्ष में कई तर्क दिए जा रहे हैं। मसलन, कोई आवश्यक है क्या कि राष्ट्रपति जो करें वे उसका अनुसरण करें ही या उसी अनुसार आचरण करें? संविधान में तो कहीं नहीं लिखा है। कोई ऐसा कन्वेंशन भी नहीं है। निस्संदेह, संविधान में ऐसा नहीं लिखा है और न कोई कन्वेंशन ही है। लेकिन संविधान में हम ऐसा न करें, यह भी नहीं लिखा है। और कन्वेंशन कौन बनाता है? हम आप ही तो। फिर संविधान लिखने वाले या प्रोटोकॉल बनाने वाले ने उस समय कल्पना तो नहीं की थी कि 65 वर्ष बाद कोई प्रधानमंत्री होगा जो योग का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ मंें रखेगा और उसे दुनिया स्वीकार कर एक दिवस तय कर देगी। अगर इसकी कल्पना की गई होती तो निश्चय ही इसमें किस पद के लोगों का क्या दायित्व है यह भी निश्चित कर दिया गया होता। परिस्थिति और समय के अनुसार अपने विवेक से भूमिका तय करनी पड़ती है। यह भी कहा जा रहा है कि योग तो स्वेच्छा का विषय है। जिसकी इच्छा हुई किया जिसकी नहीं हुई नहीं किया। राष्ट्पति की हुई उनने किया, उप राष्ट्रपति की नहीं हई उनने नहीं किया। आप उनको मजबूर तो नहीं कर सकते।

बेशक, किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता। किंतु उप राष्ट्रपति कोई आम नागरिक नहीं है। उसकी संवैधानिक के साथ राष्ट्रीय जिम्मेवारी भी है। वे भारतीय तो हैं। भारतीय हैं तभी तो उप राष्ट्पति बने है। तो एक भारतीय के नाते ऐसे महत्वपूर्ण दिवस पर अपना दायित्व वो कैसे भूल गए। क्या वे नहीं जानते थे कि प्रोटोकॉल के मुताबिक  वहां नहीं जा सकते? अगर नहीं जा सकते तो फिर उन्हें इस दिवस पर क्या करना है यह उनने क्यों नहंीं तय किया? भारत का उप राष्ट्रपति किसी राष्ट्रीय आयोजन से पूरी तरह अपने को अलग कैसे रख सकता है? यह तो सामान्य कल्पना से परे है। उपराष्ट्रपति पद की गरिमा का पूरा ख्याल रखते हुए भी कहना होगा कि हामिद अंसारी से भूल हुई है, चूक हुई है। वह अनजाने में हुई हो या जानबूझकर लेकिन हुई है। वे अपने तरीके से अपने अनुसार आयोजन कर सकते थे। ऐसा न करके उनने हमें निराश किया है। यह तो अच्छा हुआ कि दूसरे देशों का ध्यान इस ओर नहीं गया, अन्यथा यह संदेश भी निकल सकता था कि भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान के शीर्ष तीन व्यक्तित्वों में ही योग दिवस को लेकर एकमत नहीं है।

इसलिए उपराष्ट्रपति महोदय के पक्ष में खड़ा होने वाले जरा इसे दूसरे दृष्टिकोणों से देखें, उनके पद के अनुरुप राष्ट्रीय दायित्वांे को कसौटी बनाकर देखें तो उनके सामने सही निष्कर्ष अपने आप आ जाएगा। और निष्कर्ष यह होगा कि उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी को इस पूरे आयोजन से स्वयं को कतई दूर नहीं रखना चाहिए था। यह राम माधव के गलत ट्विट से परे का विषय है। उसे अपनी जगह छोड़ दीजिए। वो ट्विट नहीं आता तब भी उप राष्ट्रपति जी की भूमिका पर प्रश्न खडा होता ही। वास्तव में उन्हें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तरह कुछ करना चाहिए था। इससे उनकी वाहवाही होती तथा एक अच्छा संदेश भी जाता। तो उप राष्ट्रपति इस अवसर से चूक गए है जिसका समर्थन कभी नहीं किया जा सकता।

अवधेश कुमार, ई.ः30, गणेश नगर, पांडव नगर कॉम्प्लेक्स, दिल्लीः110092, दूर.ः01122483408, 09811027208

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