बुधवार, 30 अप्रैल 2025

भगवान विष्णु के छटवें अवतार भगवान परशुराम ने देश-विदेश के 56 स्थानों का भ्रमण कर धर्म की स्थापना के लिए सन्देश दिये और अपनी अमिट छाप छोड़ी।

भगवान शिव के सच्चे प्रतिनिधि ब्रहमस्वरूप एवं युग प्रवर्तक भगवान श्री परशुराम का अवतरण

महेश चन्द्र मौर्य

युग दृष्टा के रूप में भगवान परशुराम के दिग्दर्शन और निर्दिष्ट दिशा के अनुरूप युग बदलेगा और जरूर बदलेगा, फिर से सतयुग आयेगा व भगवान स्वयं अवतरित हो जगत का कल्याण करेंगे। उनकी प्रेरणा हमें बदलेगी और हम उन्हीं के अनुरूप युग को बदलेंगे। 

भारतीय दर्शन निरंतर चलने वाली समय परिवर्तन की घड़ी के चलते इस हजारों वर्षों के समय काल को चार कालों/युगों में विभक्त किया गया, जिन्हें क्रमशः सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग के नाम दिये गये। इन युगों के प्रारम्भ से ही परिवर्तन की प्रकिया सतत् चलायमान रही और हम मानवों को हमेंशा सीख और ज्ञान देती रही।

सतयुग ईश्वरीय युग था, जहाँ ईश्वर और ईश्वर तुल्य देवी, देवता, शुद्धि और सत्य के रास्ते पर चलते रहे। "सत्यं वद्, धर्मम चर” के सिद्धान्त पर जगत का कल्याण सुनिश्चित करते गये।

उसी सतयुग में जन्में दमयग्नि पिता और माँ रेणुका के पुत्र भगवान शिव के भक्त, महाशक्तिमान भगवान परशुराम अवतरित हुये। उस युग में उनसे बढ़कर और कोई शक्तशाली महर्षि नहीं हुआ।

उसके बाद त्रेता युग आया जिसमें ईश्वर के ही अवतरण, जग को जीवन देने वाले भगवान राम देश दुनिया के आदर्श बनें और जगत को मानवता का पाठ पढ़ाते हुये मानव को मर्यादित जीवन जीने की सीख दे गये। इसलिए वे "मर्यादा पुरुषोत्तम राम” कहलायें। जिस प्रकार सतयुग में भगवान शिव के भक्त भगवान परशुराम कहलायें, वहीं त्रेता युग में भगवान राम के भक्त महाबली हनुमान अग्रणी भक्त कहलायें। इसके बाद द्वापर युग में संसार को नीति और रीति का मार्ग बताते हुये भगवान श्री कृष्ण अवतरित हुए और उन्होंने मानव को जीवन का सार और आत्मा के स्वरूप के सिद्धांत को बताया। "सत्चिदानन्द स्वरूपाय" होते हुए भगवान श्री कृष्ण ने संसार को गीता का ज्ञान दिया, उससे जगत में ज्ञान और प्रकाश के अद्धभुत संगम का श्रृजन हुआ। उस युग में भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त, पराक्रर्मी, सूरवीर और हर समय शक्ति प्रदर्शन और विध्वंशकारी विचारों से सने-लिपटे पड़े थे, वहीं अनेक कृष्ण भक्तों में कृष्ण भक्ति में सराबोर मीराबाई और नीतिगत विचारों को जानने वाले 'भीष्म पितामह' का नाम सदैव उनके साथ जुड़ा रहेगा, भले ही युद्ध के मैदान में सामने से कुछ ओर और अन्दर से कुछ ओर वाली स्थति थी उनकी, इसीलिए उन्होंने सरसैया पर लेटे भगवान श्री कृष्ण को याद कर दम तोड़ा और मुक्ति को प्राप्त हुए।

यद्यपि वर्तमान युग कलयुग है और सभी युगों का समन्वय काल है, जिसमें सतयुग के महादेव भगवान शिव, भगवान ब्रह्मा और भगवान विष्णु, त्रेता युग के भगवान राम, माँ जानकी, महाबलि हनुमान और द्वापर युग के अभीष्ठ लीलाधर भगवान श्री कृष्ण, उनकी महिंमा, लीलाएँ, नीति, रीति और अनीति का नाश करने के लिए उनके द्वारा, महाभारत जैसे युद्ध का आगाज सभी को अपने आप में समाहित किये हुए हैं। युगों के इस अनुपम और आदर्श समय में भगवान परशुराम आज भी समीचीन हैं व महाशक्ति और युग परिवर्तन के प्रतीक हैं। वे भगवान शिव के प्रिय और धर्म रक्षक, वीर, वृतधारी और महाबली हैं। यह इस बात से सिद्ध होता है कि जब शिव जी का धनुष श्री राम ने तोड़ा तो श्री परशुराम ने यह जानते हुए भी कि भगवान शिव के धनुष को कोई भगवान ही क्षति पहुँचा सकता है और यह किसी साधारण मनुष्य के बसकी बात नहीं। फिर भी उन्होंने निर्भीक होकर श्रीराम और श्री लक्ष्मण को डांटते हुए नसीहत दे डाली "रे नृप बालक कालबस बोलत तोहि न संभार, धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार"।

इसलिए भगवान परशुराम आज भी प्रासंगिक हैं और सनातन के महानायक के रूप में युग परिवर्तन को सुनिश्चित करेगें- "बात से नही तो दण्ड से और दण्ड से नही तो डण्डा से" यह कैसा संयोग हैं कि भारतीय सस्कृति और सभ्यता को सदियों से सींचती, सँवारती और संजोती गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों (त्रिवेणी) के प्रयाग राज स्थित संगम तट पर 144 वर्षों के बाद महाकुम्भ आयोजित हुआ जिसमें 67 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगायी और अपने जीवन को धन्य किया। इन श्रद्धालुओं में भारत के कौने-कौने से ही नहीं, अपितु विश्व के अनेक देशों से भी लोगों ने आकर स्नान-ध्यान किया। इस अद्धभुत महाकुम्भ में चारों शंकराचार्यों, महामण्डलेश्वरो, साध-सन्तों, महन्तों, अखाड़ो के प्रमुख, नागा, औघड़, अधौरियों ने भी आस्था की डुबकी लगायी।

यूं तो भगवान परशुराम की चर्चा तो अनेकानेक लोग करते है लेकिन मेरी दृष्टि से भगवान परशुराम के सबसे बड़े भक्त पंडित सुनील भराला जी साबित हुए क्योंकि श्री परशुराम के व्यक्तित्व व कृतित्व से मन की गहराईयों से प्रभावित श्री भराला जी ने अपना विशाल हृद्य दिखलाते हुए प्रयागराज में सदी के सबसे बड़े महाकुम्भ में अपने तन-मन और धन को सच्ची श्रद्धा से अर्पित किया।

युग-युगों से चली आ रही हमारी सनातन परम्परा को धर्मप्रज्ञ, ओजस्वी, झुजारू और राजनेता पण्डित सुनील भराला, जिन्होंने राष्ट्रीय परशुराम परिषद का श्रजन किया और उसका कुशल नेतृत्व कर अपना विशाल हृद्य दिखलाते हुए इस प्रयागराज में 2 लाख वर्ग फुट भूमि पर भगवान परशुराम की 51 फीट उँची आकर्षक एवं सौम्यरूप दर्शाती अद्धितीय प्रतिमा स्थापित करायी और विशाल व भव्य सप्तऋषि पंडाल व शिविर आयोजित किया।

पंडित भराला जी के नेतृत्व में पूरे 45 दिन लगातार महायज्ञ आयोजित किया गया, जिसमें लगभग 1 करोड़ 8 हजार आहुतियाँ दी गई, सनातन परम्परा के महत्व को कथा वाचकों, धर्माचार्यों, पीठाधीश्वरों ने अपने ज्ञान से लाखों लोगों को लाभान्वित कराया, साथ ही साथ भगवान परशुराम कथा, शिवपुराण, श्रीमद् भागवत् कथा, राम कथा का सुन्दर वाचन किया गया और भगवान परशुराम की आरती के साथ-साथ "परशुराम चालीसा" का प्रकाशन और वितरण भी किया गया। भगवान परशुराम की 1 लाख छोटी और आकृषक मूर्तियों को भक्तों को अपने घर के मन्दिर और गाड़ियों में स्थित करने के लिए वितरित किया गया। सम्मेलन में संगोष्ठियों और अन्तर्राष्ट्रीय गोष्ठियों का भी आयोजन किया गया और आगंतुका को भगवान परशुराम कें विराट व्यक्तित्व के विषय में बताया गया।

इस प्रकार हमारे यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की "वसुधैव कुटुम्बकम” की परिकल्पना को साकार करने में भगवान परशुराम शीर्ष संवाहक बने क्योंकि उनके चरण हमारी सांस्कृतिक धरोहरो, पर्वत मालाओं, नदी, सागर, सरोवर, भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगो के तीर्थ स्थानों, शक्तिपीठो की पावन भूमि और अनेक चमत्कारिक व धार्मिक महत्व के स्थानों, जिनमें अनेक देशों के भी पवित्र धार्मिक स्थान शामिल है पर पडे।

एक शोध के अनुसार जहाँ भगवान श्री परशुराम जी के चरण पड़े वे क्रमशः 21 स्थान इस प्रकार जाने जाते हैं:- १. कश्मीर, २. दरद, ३. कुन्तिभोज, ४. क्षुद्रक, ५. मालव, ६. शक, ७. चेदि, ८. काशिकरूष, ९. ऋषिक, १०. क्रथ, ११. कैशिक, १२. अङ्ग, १३. बङ्ग, १४. कलिङ्ग, १५. मागध, १६. काशी, १७. कोसल, १८. रात्रायण, १९. वीतिहोत्र, २०. किरात, व २१. मार्तिकावत।

उपर्युक्त प्राचीन नाम वर्तमान में 56 स्थानों में विभक्त है। भगवान परशुराम ने विभिन्न युद्धों में विजय प्राप्त कर महर्षि कश्यप को दान दिया और महान दानवी कहलायें। इन स्थानों को क्रमशः निम्नलिखित नामों से पहचाना जाता हैः

1. अङ्ग - वर्तमान बिहार और झारखंड का भाग 2. वङ्ग -वर्तमान बंगाल क्षेत्र (पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश) 3. कलिङ्ग -वर्तमान ओडिशा 4. कालिङ्ग- ओडिशा के समान क्षेत्र 5. केरल - वर्तमान केरल राज्य 6. सिद्धकेरल - केरल से संबंधित क्षेत्र 7. हंसकेरल - केरल का ऐतिहासिक संदर्भ 8. काश्मीर - वर्तमान जम्मू और कश्मीर 9. कामरूप - वर्तमान असम 10. महाराष्ट्र -वर्तमान महाराष्ट्र 11. आन्ध्र- वर्तमान आंध्र प्रदेश 12. सौराष्ट्र -वर्तमान गुजरात का काठियावाड़ क्षेत्र 13. तैलङ्ग – तेलंगाना 14. मलयाल - केरल क्षेत्र 15. कर्णाटक- वर्तमान कर्नाटक 16. अवन्ती - वर्तमान मध्य प्रदेश (उज्जैन क्षेत्र) 17. विदर्भ - महाराष्ट्र का विदर्भ क्षेत्र 18. मरुदेश - राजस्थान 19. आभीर - महाराष्ट्र और गुजरात का हिस्सा 20. मालव - राजस्थान और मध्य प्रदेश 21. चोल - तमिलनाडु का चोल साम्राज्य 22. पाञ्चाल - उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड क्षेत्र 23. काम्बोज- अफगानिस्तान और पंजाब का क्षेत्र 24. वैराट - राजस्थान का विराट नगर 25. पाण्ड्य -तमिलनाडु का पांड्य क्षेत्र 26. विदेह- बिहार और नेपाल का तराई क्षेत्र 27. बाह्वीक - पंजाब का हिस्सा 28. किरात - नेपाल और उत्तर-पूर्व भारत 29. बक्तान- अफगानिस्तान 30. खुरासन - ईरान का पूर्वी क्षेत्र 31. ऐराक - ईरान (इराक) 32. भोटान्त - तिब्बत का क्षेत्र 33. चीन - वर्तमान चीन 34. महाचीन- चीन और उससे आगे का क्षेत्र 35. नेपाल - वर्तमान नेपाल 36. शिलहट्ट - वर्तमान सिलहट (बांग्लादेश) 37. गौड- पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश 38. महाकोशल - छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश 39. मगध- बिहार 40. कीकट - बिहार 41. उत्कल- ओडिशा 42. श्रीकुन्तल - कर्नाटक का भाग 43. हूण - मध्य एशिया (हूण साम्राज्य) 44. कोङ्कण -महाराष्ट्र और गोवा का कोंकण क्षेत्र 45. कैकय- पंजाब और पाकिस्तान का क्षेत्र 46. शौरसेन- मथुरा और आसपास का क्षेत्र 47. कुरु - हरियाणा और दिल्ली का क्षेत्र 48. सिंहल – श्रीलंका 49. पुलिन्द - मध्य भारत (आदिवासी क्षेत्र) 50. कच्छ - गुजरात का कच्छ क्षेत्र 51. मत्स्य- राजस्थान का अलवर क्षेत्र 52. मद्र- पंजाब और हिमाचल प्रदेश 53. सौवीर- सिंध और पंजाब 54. लाट – गुजरात 55. बर्बर - अफ्रीका का बर्बर क्षेत्र 56. सैन्धव - सिंध (पाकिस्तान)

ये सभी धार्मिक स्थल अध्यात्मिक होते हुए हमारी "अखण्ड और एकीकृत" भारत की कल्पना को साकार करने के साथ-साथ समूचे विश्व को "वसुधैव कुटुम्बकम” के सूत्र में पिरोने का कार्य करेगें।

इस आलेख के माध्यम से मेरा सुझाव है कि इन सभी प्राचीन तौर पर जाने जाने वाले 21 प्राचीन स्थानों जिनको वर्तमान में 56 स्थानों में विभक्त किया गया है, में इन सभी स्थानों पर भगवान परशुराम की स्मृति को अक्षुण्य बनाने के लिए और नई पीढ़ी को उनके शौर्य और पराक्रम को दर्शाने के लिए संग्रहालय विकसित किये जाये क्योंकि वे हमारी महान विरासत के प्रमुख श्रोत्र होगें और साथ ही साथ नोजवानों में देश भक्ति का भाव पैदा करेगें।

मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि युग पुरुष भगवान परशुराम के आदर्श देश, समाज और धर्म को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान कर एकीकृत, समृद्ध और आध्यात्मिक भारत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाऐगें।

ऐसे भगवान परशुराम को समस्त हिन्दू व सनातन प्रेमियों का सत्-सत् नमन।

सोमवार, 28 अप्रैल 2025

शास्त्री पार्क थाने की पुलिस ने लूटे गए मोबाइल फ़ोन कुछ ही घंटों में किया बरामद, तीन गिरफ्तार


असलम अल्वी

उत्तर पूर्वी दिल्ली। उत्तर पूर्वी दिल्ली के शास्त्री पार्क थाने की पुलिस ने त्वरित कार्यवाही करते हुए लूट के एक आरोपी को पीछा कर दबोचा और उसकी निशानदेही पर उसके  दो अन्य साथियों की गिरफ्तारी के साथ ही लूटा गया मोबाइल फ़ोन भी कुछ ही घंटों में बरामद कर लिया |

दिनांक 28.04.2025 को शाम करीब  06:00 PM  में  इंस्पेक्टर मंजीत तोमर, थानाध्यक्ष शास्त्री पार्क के नेतृत्व में एक टीम जिसमे एसआई रॉकी, हैड कांस्टेबल सुभाष, शिवराज , रोहित व कांस्टेबल ज्ञान शामिल थे शास्त्री पार्क इलाके में गश्त करते हुए मछली मार्किट पहुंचे तो एक व्यक्ति को बदहवास हालत में देखा, पूछने पर उसने बताया  की तीन लड़के मार पीट करने के बाद मेरा मोबाइल फ़ोन लूट कर ले गए हैं। टीम के सदस्यों ने त्वरित कार्यवाही करते हुए व्यक्ति के बताये  हुए रस्ते पर आगे बढे तो एक कुछ दूर एक लड़का जाता हुआ दिखा, जिसको पीछा करके  टीम ने काबू किया तब तक पीड़ित व्यक्ति भी उनके पास पहुंच गया और शिनाख्त करते हुए बताया की इसी लड़के ने अपने 2 साथियों के साथ मिलकर लूट की है। पकडे गए लड़के की पहचान मोहम्मद इरशाद पुत्र मोहम्मद रफ़ीक निवासी बुलंद मस्जिद  शास्त्री  पार्क उम्र 22 वर्ष के तौर पर की गई। 

तदनुसार, पीड़ित सुनील कनोजिया निवासी ट्रोनिका सिटी उम्र 35 वर्ष के बयान पर थाना शास्त्री पार्क में भारतीय न्याय संहिता की धारा 309(4)/317(2)/3(5) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की जाती है |

जांच के दौरान यह टीम श्री हरेश्वर वी. स्वामी, आईपीएस, डीसीपी/उत्तर-पूर्वी जिले के मार्गदर्शन में विभिन्न स्रोतों से साक्ष्य एकत्र करके आरोपी इरशाद की निशानदेही पर उसके दोनों साथियों उज्जवल पुत्र हितनारायण निवासी गली नंबर 4, शास्त्री पार्क उम्र 22 वर्ष व सोनू पुत्र मोहम्मद हारून निवासी बुलंद मस्जिद  शास्त्री  पार्क उम्र 22 वर्ष को भी गिरफ्तार कर लेती है। आगे की जांच में आरोपियों ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए अन्य मामलों में भी अपनी संलिप्तता के बारे में बताया। टीम ने आरोपी सोनू के पास से लूटा हुआ मोबाइल फ़ोन बरामद किया। गहन जांच के दौरान पकड़े गए आरोपी इरशाद व सोनू पहले भी हत्या के प्रयास के मामले में शामिल पाए गए। मामले में आगे की जांच जारी है।




रविवार, 27 अप्रैल 2025

थाना वेलकम की टीम ने आटो यात्री के साथ लूट का मामला सुलझाया, तीन आरोपियों काे किया गिरफ़्तार, शिकायतकर्ता का लूटा हुआ बैग व मोबाइल फोन बरामद

  • लोगों को ठगने में काम आने वाली असली नोटों जैसी दिखने वाली रद्दी कागज की 02 गड्डियां व वारदात में इस्तेमाल ऑटो DL-1RAB-4282 भी बरामद
  • तीनों आरोपी पहले भी अपराधिक मामलों में शामिल पाए गए

असलम अल्वी

उत्तर पूर्वी दिल्ली। दिनांक 27.04.2025 को थाना वेलकम में एक यात्री से लूट की सूचना प्राप्त हुई जिसमे शिकायतकर्ता शिवम पुत्र मंगलू सिंह निवासी बुलंदशहर, उम्र 17 वर्ष ने बतलाया की शाम करीब 03:45 पर वह  कश्मीरी गेट बस अड्डे से आनंद विहार बस अड्डे जाने की लिए ऑटो में बैठा था, उस ऑटो में ड्राईवर व 02 सवारी पहले से ही बैठी थी। जैसे ही ऑटो वेलकम मेट्रो स्टेशन पार करके झील पार्क पहुंचा तो उतरने के बहाने से ऑटो में पहले से यात्री सीट पर बैठे दोनों व्यक्तियों ने ऑटो को रुकवा लिया और उतरते वक्त उसका बैग जिसमें उसका मोबाइल फ़ोन, कागजात , कपड़े व 2000 रु. थे उसके हाथ से छीन कर भाग गए।

तद्नुसार, शिवम की शिकायत पर थाना वेलकम में भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 304(2)/3 (5) के तहत मुकद्दमा दर्ज कर जांच शुरू की जाती है|

जांच के दौरान इंस्पेक्टर रुपेश कुमार खत्री, थानाध्यक्ष- वेलकम के नेतृत्व में एक टीम जिसमे इंस्पेक्टर ज्ञानेंद्र सिंह, एसआई योगेश कुमार, एएसआई रामबीर, संजय तेवतिया, हैड कांस्टेबल हरेंद्र, ललित, अरुण, कुलदीप और कांस्टेबल विनोद और हरवीर धामा शामिल थे का गठन किया गया। टीम ने एसीपी/भजनपुरा की देखरेख व श्री हरेश्वर वी. स्वामी, आईपीएस, डीसीपी/उत्तर-पूर्वी जिला के मार्गदर्शन में कार्य करते हुए विभिन्न स्रोतों से मामले में जानकारी इकठ्ठा कर वारदात में शामिल निम्न 03 व्यक्तियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से पीड़ित शिवम का लूटा हुआ बैग, कपडे, कागजात व मोबाइल फ़ोन बरामद कर लिया। इसके अलावा लुटेरों के कब्जे से असली नोटों जैसी दिखने वाली रद्दी कागज की 02 गड्डियां व वारदात में इस्तेमाल ऑटो भी बरामद किया गया। पकडे गए व्यक्तियों की पहचान निम्न के तौर पर की गई :

  1. सलीम पुत्र रहीस निवासी ई-1281, जेजे कॉलोनी, बवाना, दिल्ली उम्र- 48 वर्ष 
  2. रुस्तम पुत्र कय्यूम निवासी ई-1176, जेजे कॉलोनी, बवाना, दिल्ली उम्र- 23 वर्ष 
  3. आकाश पुत्र वीरेंद्र निवासी ई-1512, जेजे कॉलोनी, बवाना, दिल्ली उम्र- 42 वर्ष 

मामले में आगे की गहन पूछताछ में तीनों व्यक्तियों ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए बतलाया वो ज्यादातर बस अड्डे व भीड़भाड़ वाले स्थानों  के पास अपना ऑटो लेकर खड़े हो जाते हैं और यात्रिओं  को उनके गंतव्य स्थान पर पहुँचाने के लिए ऑटो में बैठा लेते हैं तथा रास्ते मे झांसा देकर असली नोटों जैसी दिखने वाली रद्दी कागज की  गड्डियां देकर यात्रियों से उनका सामान ले लेते हैं। यदि कोई व्यक्ति उनके झांसे में नहीं आता तो वे जबरदस्ती उसका सामान छीनकर उसे किसी सुनसान स्थान पर उतारकर भाग जाते हैं। इस मामले में भी उन्होंने पीड़ित शिवम को पहले उसके सामान, मोबाइल फोन व पैसों के बदले कागज के नोटो की गड्डियां देने की बात की मगर जब वो नहीं माना तो उन्होंने ऑटो से उतरने का बहना बनाकर पहले उसे ऑटो से नीचे उतार दिया तथा उसका बैग जिसमें शिवम के कपड़ व मोबाइल फोन थे लूटकर भाग गए। तत्पश्चात, वर्तमान मामले की धाराओं को 309(6)/3(5) बीएनएस के रूप में परिवर्तित किया गया। पकडे गए तीनों आरोपी पहले भी लूट व अन्य मामलों में शामिल पाए गए हैं। मामले में आगे जांच जारी है।



शनिवार, 26 अप्रैल 2025

पहलगाम के प्रतिशोध हेतु अपनाना होगा इजरायल माडल

भविष्य की आहट

डा. रवीन्द्र अरजरिया

आतंकवाद का दावानल समूची मानव जाति को निगलने के लिए आतुर हो रहा है। पहलगाम में धर्म पूछकर मुस्लिम आतंकियों ने हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया। हथियारों के सौदागरों के व्दारा मुहैया कराये जा रहे आधुनिक शस्त्र, पाकिस्तान में चलाये जा रहे आतंक प्रशिक्षण शिविरों और इस्लाम के नाम पर बनाये जा रहे संगठनों में मुसलमानों को बरगलाकर फिदाइनी बनने का सिलसिला निरंतर तेज होता जा रहा है। गैर मुसलमानों के खिलाफ जेहाद चलाने का फैशन चल निकला है। पहलगाम की घटना से पूरे देश में आक्रोश है। चारों ओर बदले की आवाजें गूंज रहीं हैं। ऐसे में राष्ट्रद्रोहियों का एक गिरोह अपने सीमापर बैठे आकाओं के इशारों पर आतंकियों के सरपरस्तों, संदेहास्पद सहयोगियों और कलुषित मानसिकता वाले लोगों को बचाने के लिए सोशल मीडिया के सहारे नागरिकों को बरगलाने में जुटा है। इस गिरोह के सदस्यों की फौज कश्मीर पहुंच गई है जहां से निरंतर मुसलमानों की सहृदयता, उनका भाईचारा और राष्ट्रभक्ति की भावना का प्रायोजित प्रचार कर रही है। 

सीमापार के आतंकी अड्डों, उनके आकाओं के ठिकानों और कट्टरपंथियों के मुख्यालयों सहित अन्य संदिग्ध स्थानों को नस्तनाबूद करने के साथ-साथ देश के मीर कासिमों की नस्लों को भी समाप्त करना होगा अन्यथा राष्ट्रद्रोहियों को संरक्षण देने वाली जमात पुनः मुसलमानों को बरगलाकर फिदायिनी बनाने से बाज नहीं आयेंगे। समूची दुनिया में इस्लाम के नाम पर आतंक का डंका बजाने वाले संगठनों को अनेक राष्ट्र से आर्थिक सहायता, अग्नेय शस्त्र और संरक्षण सहित प्रशिक्षण मिल रहा है। 

अब वक्त आ गया है जब धर्म के नाम पर कत्लेआम करने वाले आतंकी संगठनों से निपटने के लिए अपनाना होगा इजरायल माडल। गाजा में हमास के खिलाफ छेडी गई जंग एक उदाहरण बन गई है जहां पर इजरायली नागरिकों का अपहरण करके दबाव की राजनीति करने वालों के ठिकानों को ही नस्तनाबूत नहीं किया जा रहा है बल्कि उनके मददगारों तक को धूल में मिलाया जा रहा है। आश्चर्य है कि गाजा के आम नागरिकों के सामने उनके मासूम बच्चों, पत्नियों और परिवारजनों की लाशें बिछ रहीं है, दाने-दाने को तरस रहे हैं, आशियाने खण्डहर में तब्दील हो रहे हैं परन्तु वे हमास के विरुध्द एक भी शब्द जुबान पर नहीं ला रहे हैं। 

इस्लाम के नाम पर अंध विश्वास, जन्नत में 72 हूरों का सपना और काफिरों की मौत से मिलने वाले शबाब की कल्पना के तले जीती जागती जिंदगियों को तबाह करने में जुटे कट्टरपंथियों का एक बडा तबका आईएसआईएस, अबू सय्यफ ग्रुप, अलकायदा, अल शबाब, अंसार अल्लाह, बोको हरम, हमास,हयात तहरीर अल शाम, हिजबुल्लाह, हुर्रास अल दीन, इस्लामिक स्टेट, आईएस, जैस ए मोहम्मद, हूती, हरकत अल मुकाबामा अल इस्लामिया, आईएसएल, अब्दुल्ला अज्जाम ब्रिगेड्स, अबू निदाल, अल अक्सा शहीद ब्रिगेड, अल अश्तर ब्रिगेड, अल गमआ अल इस्लामिया, अंसार अल इस्लाम, अन्सार दीन, अंसारल्लाह, हक्कानी नेटवर्क, हरकत अल सबिरीन, इंडियन मुजाहिद्दीन, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर, जैश अल मुहाजिरिन वाल अंसार, लश्कर ए तैयबा,   फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद जैसे हजारों संगठनों को पाल पोसकर निरंतर बडा कर रहा है। 

गाजा में हमास ने जिस तरह से भूमिगत सुरंगों का जाल फैला रखा है। अस्पतालों, स्कूलों, मस्जिदों, मदरसों, यतीमखानों के नीचे अड्डे बना रखे हैं। मानवीयता से जुडी संस्थाओं के भवनों में दफ्तर खोल रखे हैं। यह सब चिन्ता का विषय है जिसे इजरायल व्दारा बहादुरी के साथ बरबाद किया जा रहा है। ऐसी ही कार्यवाही की आवश्यकता देश में भी है। पहलगाम का बदला लेने के लिए सीमापार पाकिस्तान में बनाये गये लांचिंग पैड, ट्रेनिंग कैम्प्स और फंडिंग सेन्टर्स को नस्तनाबूद करने के साथ-साथ आतंकियों के आकाओं, मददगारों और सरपरस्तों को भी तबाह करना होगा। वर्तमान में समूची दुनिया भारत के साथ खडी है। ऐसे में प्रधानमंत्री पद पर नरेन्द्र मोदी जैसा विश्व प्रसिद्ध व्यक्तित्व का होना सोने में सुगन्ध का काम कर रहा है। समूचा देश उस क्षण का बेसब्री से इंतजार कर रहा है जब पहलगाम में हुए धर्म के नाम पर कत्लेआम का बदला लेने की पहल शुरू होगी। स्वाधीनता के बाद का पल एक बार फिर लौट आया है जब वर्चस्व की जंग मुंह खोले खडी थी। धर्म के नाम पर देश का विभाजन करने वालों की पीढियां आज फिर से मानवता का ढोंग रच रहीं हैं। देश के बाहर और देश के अंदर बैठे राष्ट्रघाती लोगों को चिन्हित करना होगा। 

देश के विभिन्न दलों, विभिन्न पदों और विभिन्न मजहबों के स्वयंभू ठेकेदारों में भी एक बडा तबका है जो राष्ट्रद्रोही ताकतों को अपने प्रभाव से निरंतर सहायता पहुंचा रहा है। ऐसे लोगों को सीमापार से निरंतर आर्थिक सहयोग मिल रहा है। धनलोलुपों की यह फौज अब चांदी के टुकडों पर अपनी मां का भी सौदा करने को आमादा हैं। ऐसे में पहलगाम की धरती पर यदि लम्बी चली आतंकी वारदात का वहां मौजूद दुकानदारों, घोडावानों, खोमचेवालों, होटलवालों, टैक्सीवालों सहित उपस्थित स्थानीय नागरिकों ने वीडियो नहीं बनाया, फोटो नहीं खींचे, लोगों की पहचान नहीं बताई तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। गाजा में क्या वहां का आम मुसलमान कभी हमास के सदस्य की पहचान बताता है? हिजबुल्लाह के बारे में ईरान का आम नागरिक बताता है क्या? केवल कश्मीर में ही आतंकियों के हजारों की संख्या में मददगार मौजूद हैं। 

वहां के सरकारी तबके से लेकर सार्वजनिक प्रतिष्ठानों तक में कट्टरपंथियों की जमात ने घुस पैठ बना ली है। देश के राजनैतिक हलकों में वोटबैंक की खातिर भितरघातियों की संख्या में निरंतर इजाफा हो रहा है। सरकार को देश के बाहर और अंदर दौनों जगहों पर एक साथ मोर्चा खोलना पडेगा तभी सफलता का प्रतिशत बढ सकेगा अन्यथा देश में मौजूद मीर कासिमों की फौज फिर से कार्यवाही का सबूत, सेना के शौर्य की प्रमाण पत्र और मनगढन्त आरोपों पर सफाई मांगने से बाज नहीं आयेगी। देश के कोने-कोने में बैठे टुकडे-टुकडे गैंग के मैम्बर्स और स्वयंभू बुद्धिजीवियों के खोल में बैठी बामपंथियों की टुकडियां सफलता पर भी असफलता की कालिख पोतने हेतु बेशर्मी के साथ पुनः सामने आयेंगी। इस बार बस इतनी ही। अगले सप्ताह एक नई आहट के साथ फिर मुलाकात होगी।

Dr. Ravindra Arjariya, Accredited Journalist, for cont. - dr.ravindra.arjariya@gmail.com, ravindra.arjariya@gmail.com, ravindra.arjariya@yahoo.com, +91 9425146253, +91 7017361649

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025

पहलगाम हमले से सन्न देश

अवधेश कुमार

निस्संदेह , पहलगाम के बायसरन घाटी हमले पर पूरा देश क्षुब्ध हैं। चुन-चुनकर 26 निहत्थे हिन्दू पर्यटकों की हत्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के अंदर जम्मू कश्मीर के स्पष्ट दिख रहे परिवर्तित हालात की दृष्टि से असामान्य और सन्न करने वाली घटना है। सन 2000 के बाद पहलगाम क्षेत्र का यह सबसे बड़ा हमला है जिसमें 30 लोग मारे गए थे। पहलगाम जम्मू कश्मीर का प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है और वहां से लगभग 10 किलोमीटर दूर बायसरन घाटी में पर्यटक पिकनिक मनाने आनंद लेने जाते हैं। हरियाली और पूरा वातावरण गर्मी में जम्मू कश्मीर जाने वाले पर्यटकों को खींचता है। कहने वाले इसे स्विट्जरलैंड का प्रतिरूप भी बताते हैं। लोग घुड़सवारियों से लेकर अलग-अलग किस्म का आनंद लेते हैं।  ट्रैकिंग का एक कैंप साइड है जो तोलिया झील तक पर्यटकों को ले जाता है। पहलगाम से टट्टुओं के जरिए इस क्षेत्र तक पहुंचा जा सकता है और रास्ते में पहलगाम शहर और लीडर घाटी का मनोरम दृश्य है। वायसरन नमक घास का मैदान चारों ओर घने देवदार के जंगलों और पर्वतों से घिरा है। चूंकि जम्मू कश्मीर की स्थिति पिछले 5-6 वर्षों में काफी हद तक सामान्य हो गई है इसलिए भारी संख्या में लोग अपने परिवार के साथ निर्भय होकर चारों ओर घूमते हैं। स्थानीय लोगों की दुकानें और अन्य कारोबार चल निकले हैं। यह घटना भी एक सामान्य चाय नाश्ते की दुकान पर हुई। इस तरह की दुकानें कश्मीर घाटी से नदारत हो गए थे। आतंकवादियों के लिए ऐसी जगह अंधाधुंध गोलीबारी कठिन नहीं है। घटना का विवरण और इसकी पृष्ठभूमि हमें कई बातों पर विचार करने के लिए बाध्य करता है। आखिर यह कौन सी सोच है जिसमें आतंकवादियों ने मजहब प्रमाणित करके लोगों को मारा?

प्रधानमंत्री मोदी ने घटना को इतनी गंभीरता से लिया कि सऊदी अरब की यात्रा बीच में रोक वापस लौटे, विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ बैठक की तथा गृहमंत्री अमित शाह सीधे कश्मीर पहुंचे। इसके साथ गृह मंत्री शाह का घटनास्थल तक जाना आतंकवाद के विरुद्ध ही नहीं जम्मू कश्मीर को हर दृष्टि से सामान्य, शांत और समृद्ध बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को प्रमाणित करता है। ऐसी भूमिका से लोगों को सुरक्षा का आश्वासन मिलता है तथा आतंकवादियों एवं उनको प्रायोजित करने वाली शक्तियों को सख्त संदेश। चूंकि यह घटना अमरनाथ यात्री निवास नुनवान बेस कैंप से महज 15 किमी. दूर हुआ और 3 जुलाई से अमरनाथ यात्रा शुरू हो रही है तो यह मानने में भी समस्या नहीं है कि पर्यटकों के साथ तीर्थयात्रियों के अंदर भय पैदा करने के लिए हमला हुआ। इसके साथ अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की यात्रा तथा प्रधानमंत्री की सऊदी अरब जैसे प्रमुख मुस्लिम देश के दौरे से भी इसका संबंध जोड़ा जा सकता है।

आतंकवादी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है। इसके बारे में जानकारी यही है कि जब पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंधित करने और नियंत्रित करने का दबाव बढ़ा तो लश्कर ए तैयबा और अन्य संगठनों ने टीआरएफ नाम कर लिया। इसका प्रमुख शेख सज्जाद गुल पाकिस्तान में है। प्रधानमंत्री सऊदी अरब से लौटते समय पाकिस्तानी वायु मार्ग का इस्तेमाल नहीं करते तथा साढ़े पांच घंटे लगाकर भारत आते हैं तो इसके निहितार्थ भी स्पष्ट हैं। सरकार को पाकिस्तान की भूमिका की सटीक सूचना नहीं होती तो ऐसा नहीं होता। जो जानकारी है उसके अनुसार आतंकवादी पाकिस्तान से निर्देश ले रहे थे। आंतरिक संकटों से ग्रस्त पाकिस्तान और छवि सुधारने के लिए संघर्षरत सेना-आईएसआई के पास एकमात्र रास्ता जम्मू कश्मीर ही बचता है। जिस तरह सेना का उपहास उड़ाया जा रहा है, लोग सेना के विरुद्ध सड़कों पर उतरे हैं, उसके भ्रष्टाचार और विफलता के विवरण मीडिया, सोशल मीडिया में सामने आए हैं उनसे सेना की चिंताएं बढ़ीं हुईं हैं। सेना प्रमुख जनरल आसिफ मुनीर का घृणाजनक और मुस्लिमों को भड़काने वाला भाषण इसी कड़ी का अंग था। 

वस्तुत: जनरल मुनीर ने नए सिरे से इस्लामी जेहाद की बात की। उन्होंने कहा कि हिंदू और मुसलमान साथ नहीं रह सकते क्योंकि हम दो अलग कौम हैं। हमने पाकिस्तान के निर्माण के लिए लंबा संघर्ष किया है इसे मत भूलना। हालांकि सच यह है कि मुस्लिम लीग को पाकिस्तान निर्माण के लिए कोई आंदोलन नहीं करना पड़ा। उन्होंने जम्मू कश्मीर की चर्चा की। यह संकेत था कि सेना ने जम्मू कश्मीर में हिंसा करने की कुछ दीर्घकालीन तैयारियां की है। पाकिस्तान की आम जनता के विद्रोह से बचने के लिए यही एकमात्र रास्ता उनके पास बचा था। देश में जब भी आतंकवाद के संदर्भ में पाकिस्तान का नाम लिया जाता है कुछ लोग इसके विरुद्ध खड़े होते हैं और कहते हैं कि आर्थिक दृष्टि से विपन्न देश भारत के विरुद्ध हिंसा कैसे कर देगा। भूल जाते हैं कि हिंसा करने के लिए शक्तिशाली होना आवश्यक नहीं है। जम्मू कश्मीर में इस्लाम के नाम पर भड़काना और पहले से व्याप्त आतंकवादियों के इंफ्रास्ट्रक्चर को केवल सक्रिय करना है। जनरल मुनीर ने यही किया है। सोशल मीडिया पर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में कुछ दिनों पहले रिकॉर्ड किया गया एक वीडियो भी शेयर हो रहा है, जिसमें एक आतंकवादी जनसभा में खुलेआम भारत को लहूलुहान करने की धमकी दे रहा है। 

इनकी सोच और रणनीति देखिये। घायल पुणे की आसाबरी जगदाले बता रहीं हैं कि आतंकवादी आए तो उनका परिवार डर से टेंट के अंदर छिपा था। उन्होंने उनके 54 वर्षीय पिता संतोष जगदाले से कहा कि वे बाहर आकर कलमा पढ़ें और जब वे ऐसा नहीं कर पाए, तो उन्हें तीन बार गोली मारी। उनके चाचा को भी गोली मारी। एक महिला बता रही है कि मैं और मेरे पति भेल खा रहे थे तभी आतंकी आये और बोले कि ये मुस्लिम नहीं लग रहे, इन्हें मार दो और मेरे पति को गोली मार दी। वे मुस्लिम हैं या हिंदू यह जानने के लिए लोगों को नंगा किया गया। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद एवं अलगाववाद के पीछे सोच इसे इस्लामी राज्य में बदलना रहा है। इस्लाम के नाम पर ही आतंकवादी वहां अपनी जान देकर हमले करते रहे हैं। जनरल आसिफ मुनीर ने केवल इसे सार्वजनिक रूप से अभिव्यक्त कर दिया। सेना प्रमुख के बयान का अर्थ है कि लंबे समय से इस पर काम किया जा रहा था। आतंकवादियों की योजना यही है कि वह कश्मीर के स्थानीय मुस्लिम निवासियों को संदेश दें कि हम मुसलमान होकर आपके हैं और गैर मुसलमान हमारे साझा दुश्मन हैं।

 हालांकि आतंकवादी संगठन, अलगाववादी तथा पाकिस्तान भूल रहा है कि भारत, जम्मू कश्मीर और वैश्विक अंतर्राष्ट्रीय स्थितियां भी बदली हुई है। जम्मू कश्मीर के स्थानीय लोगों को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद बदली स्थिति का लाभ मिला है। वे खुलकर हवा में सांस लेने लगे हैं, बच्चे पढ़ने लगे हैं, खेलकूद व सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग ले रहे हैं और सबसे बढ़कर विकास उनके घर तक पहुंच रहा है। पहले की तरह वहां आतंकवादियों से मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के विरुद्ध प्रदर्शन, पत्थरबाजी और नारा नहीं लगता। यह तो नहीं कह सकते कि आतंकवादियों का स्थानीय समर्थन बिल्कुल खत्म हो गया है क्योंकि ऐसा होने के बाद उनका वहां रहना मुश्किल हो जाता। सारे अनुभव, लोगों की प्रतिक्रियायें एवं खुफिया जानकारियां बतातीं हैं कि स्थिति पहले की तरह तो नहीं है। पुराने मंदिर एवं अन्य गैर मुस्लिम धर्मस्थल धीरे-धीरे खुले हैं। कभी पाकिस्तान को अमेरिका या कुछ यूरोपीय देशों की अंतरराष्ट्रीय नीति के कारण शह मिल जाता था किंतु अब वह अकेला है। अफगानिस्तान तक उसके विरुद्ध खड़ा है तथा अंदर बलूचिस्तान , सिंध,  वजीरिस्तान आदि में विद्रोह का झंडा बुलंद है। ज्यादातर प्रमुख मुस्लिम देश भी पाकिस्तान का साथ देने को तैयार नहीं। भारत की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछले 10 वर्षों में काफी बदली है और दो बार सीमा पार कार्रवाई करके प्रदर्शित भी किया गया है कि हम प्रायोजित आतंकवाद का मुंह तोड़ जवाब देने वाले देश बन चुके हैं। अमेरिका, रूस और यूरोपीय देश ही नहीं कई मुस्लिम देशों ने इस घटना में भारत के साथ होने का बयान दिया है। इसलिए प्रधानमंत्री मोदी अगर दोषियों को बख्शे नहीं जाने की बात कर रहे हैं और अमित शाह मोर्चा संभाले हैं तो आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों के लिए अब तक का सबसे बुरा समय होगा। देश के अंदर भी मोदी सरकार को बार-बार इस्लाम विरोधी और मुसलमान विरोधी बताने वाले समझें कि वे क्या कर रहे हैं। आतंकवादियों ने पुरुषों को मारकर महिलाओं को छोड़ते हुए कहा कि जाओ मोदी को बता दो क्योंकि वह हमारे मजहब का दुश्मन है।

अवधेश कुमार, ई-30, गणेश नगर, पांडव नगर कंपलेक्स,  दिल्ली -110092, मोबाइल -981027208


गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

क्या सर्वोच्च न्यायालय द्वारा देश के राष्ट्रपति को आदेश देना उचित है?

बसंत कुमार

अभी हाल ही में अपने एक निर्णय में इस अध्यादेशों को मंजूरी देने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति को समय-सीमा के अंदर करने और संविधान के अनुच्छेद 142 के इस्तेमाल करने पर विवाद गहरा गया है। भारत के एक सांसद निशिकांत दुबे ने अपने बयान से इस विवाद को और अधीक गहरा दिया है उन्होंने कहा कि यदि कानून बनाना सर्वोच्च न्यायालय का काम है तो संसद को बंद कर दिया जाना चाहिए। दर असल देश के उपराष्ट्रपति जो जाने माने वकीलों भी रहे हैं श्री जगदीप धनखड़ ने सर्वोच्च न्यायालय के अधिकारों पर सवाल उठाए, जिसके बाद भाजपा के दो सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की तीखे प्रतिक्रिया आई। इसके बाद इन बयाने पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के प्रेसिडेंट कपिल सिब्बल, पूर्व प्रेसिडेंट दुष्यन्त दवे और पूर्व जस्टिस जे चेलमेश्वर की प्रतिक्रिया से इस मामले में तल्खी और बढ़ गई है आखिर इस विवाद की शुरुआत कैसे हुई।

सर्वोच्च अधिकारी ने 8 अप्रैल 2025 को एक ऐहितासिक फैसले से राज्यपाल के राज्यविधान मण्डल द्वारा पारित विधायकों पर कार्यवाही करने के लिए समय-सीमा निर्धारित कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति के लिए भी उन विधेयकों पर समय-सीमा निर्धारित कर दी जिन्हें राजयपाल ने राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए निर्धारित किया हो। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन पर सुनवाई के दौरान सरकार से सीधे सवाल किए। इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट को लेकर अप राष्ट्रपति और अन्य नेताओं ने भी विवादित टिप्पणी की जिससे इस मामले में विवाद काफी गहरा हो गया। राज्यसभा इंटर्नस को संबोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने न्याय पालिका द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समय-सीमा तय किए जाने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा की सुप्रीम कोर्ट लोकतांत्रिक ताकतों पर परमाणु मिसाइल नहीं दाग सकता। उनका कहना था कि संविधान के तहत के कोर्ट के पास एक मात्र अधिकार है कि अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करने का। सरकार जनता द्वारा चुनी जाती है और संसद के प्रति जवाबदेह होती हैं और सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति के कोई आदेश नहीं दे सकता।

हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र है और यह राजनीतिक विचारक मोंटस्क्यू के शक्ति पृथक्करण के सिद्धांत पर काम करता है और संसदीय लोकतंत्र में कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका तीनों का अपना अपना रोल होता है। तीनों एक दूसरे के कार्य क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करते, हां न्यायपालिका कार्यपालिका के कार्यों की समीक्षा कर सकती है। अगर कोई कानून संविधान के दायरे में नहीं है और किसी के मौलिक अधिकारों का हनन करना है तो न्यायपालिका उसे निरस्त कर देता है। केशवानंद भारतीय केस में सुप्रीम कोर्ट की 13 जजों की बेंच ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया था कि संसद संविधान में संशोधन कर सकती है लेकिन वह संविधान के बेसिक स्ट्रक्चर से छेड़छाड़ नहीं कर सकते।

प्रश्न यह है कि सर्वोच्च न्यायालय संसद द्वारा बनाए गए नियमों की समीक्षा तो कर सकता तो है पर क्या वह देश के संवैधानिक हेड यानि राष्ट्रपति को अपनी शक्ति के उपयोगी के लिए समय-सीमा का निर्देश दे सकता है। राष्ट्रपति को अपनी शक्तियों की गाइडलाइंस संविधान के अंदर ही निहित है उसे किसी व्यक्ति या संस्था द्वारा निर्देश नहीं दिया जा सकता। संसद द्वारा पारित विधेयक जब राष्ट्रपति की मंजूरी ले लेता है तो वह कानून बन जाता है परंतु यह भी प्राविधान है कि यदि राष्ट्रपति चाहे तो संसद द्वारा पारित विधेयक को संसद को पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है पर यदि यह बिल संसद में पुनर्विचार के पश्चात फिर राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया जाता है तो तो महामहिम को इस बिल पर हस्ताक्षर ही करने होते हैं। कहने का मतलब यह है कि राष्ट्रपति देश का संवैधानिक प्रमुख होता है और उसके द्वारा उपयोग की जाने वाली शक्तियों के उपयोग भी संविधान के अंदर ही होता है और अन्य संस्था द्वारा निर्देश दिए जाएंगे तो देश में संसदीय लोकतंत्र का ढांचा ही बिगड़ जाएगा।

जहां तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति के लिए संसद द्वारा पारित विधेयक को अपनी मंजूरी देने की समय-सीमा का निर्देश देने का प्रश्न है तो सर्वोच्च न्यायालय को अपने आधीन न्यायालयों का केसों का निपटाने का निर्देश दे। देश की अदालतों में करोड़ों केस दशकों से लम्बित पड़े हैं और यदि कोई व्यक्ति ट्रायल कोर्ट द्वारा किसी आपराधिक मामले में दोषी करार दिया जाता है तो उसकी अपील का निस्तारण हाई कोर्ट द्वारा बीस साल तक नहीं हो पाया और अपील कर्ता कनविक्ट का ठप्पा लगाए इस दुनिया से बिदा हो जाता है देश के अधिकांश अपील आम अपील कर्ता के लिए बेमानी होती है क्योंकि वह महंगे वकील की फीस दे नहीं सकता जो मेंशन करके उसको अपील लगवा सके। यदि संसद कानून बनाकर इन अपीलों का निस्तारण करने की समय-सीमा तय कर दे तो क्या न्याय पालिका इसे अपने अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं मानेगी। जब संसद ने न्यायपालिका में जज की नियुक्ति में पारदर्शिता लाने के लिए एन जे ए सी बनाने के लिए कानून बनाया तो सुप्रीम कोर्ट ने इसे अपने अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप माना और इसे स्टे कर दिया, इसलिए देश में संसदीय लोक तंत्र सुचारू रूप से चले यह सुनिश्चित करने के लिए कार्यपालिका विधायिका और न्यायपालिका को अपने अपने अधिकार क्षेत्र में रहकर चलना होगा।

कुछ वर्ष पूर्व एक हाईकोर्ट के जज जस्टिस कर्णन ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिख कर बीस जजों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात की इसे सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की अवमानना माना और उन्हें 6 माह को जेल कर दी। वहीं एक हाईकोर्ट के जज जस्टिस वर्मा के घर से करोड़ों रुपए का काला धन मिला पर इस मामले में एक एफआईआर तक भी हुई और जस्टिस वर्मा को सिर्फ ट्रांसफर कर दिया गया। देश की न्यायपालिका पर लोग अटूट आस्था रखते है और यह बरकरार रहनी चाहिए।

यह सही है कि कार्यपालिका, न्यायपालिका एवं संसद (विधायिका) तीनों ही अपने अपने क्षेत्रों में सुप्रीम है पर भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति को आदेश देकर सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अधिकार क्षेत्रों को लांघने का काम किया है। सर्वोच्च न्यायालय को इस बात का आत्मावलोकन करना होगा कि देश के विभिन्न न्यायलयों में करोड़ों केस कई दशकों से पेंडिंग पड़े हैं और न्याय की आस लगाए लोगों कि पीढ़ियां गुजर जाती है इस कारण हमारे लोक तंत्र के सभी स्तंभों को अपनी अपनी सीमा में रहकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करना होगा।

(लेखक एक पहल एनजीओ के राष्ट्रीय महासचिव और भारत सरकार के पूर्व उपसचिव है।)

बुधवार, 23 अप्रैल 2025

धर्म के नाम पर हिंसा नहीं सहेंगे: सैयद जैनुल आबेदीन, अजमेर शरीफ प्रमुख

अजमेर, (एजेंसी)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस हमले को लेकर अजमेर शरीफ दरगाह के प्रमुख सैयद जैनुल आबेदीन की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए बयान में उन्होंने भी इस आतंकी हमले की तीखी आलोचना की है. उन्होंने कहा, “इस कायराना हरकत की इस्लाम में कोई जगह नहीं है. हमारे मजहब की जो तालीम है, शिक्षा है, उसके अनुसार अगर एक भी मासूम का कत्ल किया जाता है, तो वह इंसानियत का अपमान है. इस तरह की घटनाओं से धर्म और इस्लाम बदनाम होते हैं, जबकि इस्लाम ऐसी हिंसा सिखाता ही नहीं है.”

उन्होंने आगे कहा, “हमारे पूर्वजों ने कभी ये नहीं सिखाया. बेगुनाहों का जो खून बहा दे, वो मेरी नजर में मुसलमान कहलाने लायक नहीं है. कौन सा मजहब सिखाता है कि धर्म पूछ कर उसके ऊपर गोलियां चलाओगे? कम से कम ऊपरवाले के कहर से डरो. मासूमों की जान लेना पाप है. जो भी इस तरह की कायराना हरकत करता है, वो मुसलमान कहलाने लायक नहीं है."

मजहब के नाम पर बेगुनाहों का कत्ल करना एक ऐसा जुर्म है जो माफ करने लायक नहीं : सैयद अहमद बुखारी , शाही इमाम दिल्ली जामा मस्जिद

नई दिल्ली, (एजेंसी)। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. इस हमले को लेकर दिल्ली जामा मस्जिद के का बयान सामने आया है. उन्होंने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि 'पहलगाम में बेगुनाह लोगों की हत्या ने हमारी अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है. पूरा देश इस जघन्य वारदात की एक स्वर में निंदा करता है।'
शाही इमाम ने कहा, "मजहब के नाम पर बेगुनाहों का कत्ल करना एक ऐसा जुर्म है जो माफ करने लायक नहीं है। उन्होंने इसे ‘नाकाबिल-ए-माफी जुर्म’ करार देते हुए कहा कि ऐसे दरिंदों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। इमाम बुखारी ने हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना जताई और कहा, “मैं उनके गम में उनके साथ खड़ा हूं।"
अहमद बुखारी ने ये भी कहा कि आगे आने वाले जुमे को इस हवाले से जामा मस्जिद से ऐलान भी करूंगा। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मजहब के नाम पर की गई ऐसी हिंसा न केवल धर्म का अपमान है, बल्कि इंसानियत के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है।

मजदूर का बेटा शकील बना आईपीएस, यूपीएससी में हासिल की 506वीं रैंक, परिवार में जश्न का माहौल

असलम अल्वी 

शाहजहांपुर। हौसले बुलंद हो तो सपने भी सच हो जाते हैं। ऐसी ही कहानी शाहजहांपुर के तिलहर कस्बा के इमली मोहल्ले निवासी शकील अहमद की है, जिनके पिता कभी अपने बच्चों को पालने के लिए मजदूरी करते थे। आज बेटे ने आईपीएस बनकर बुलंदी के शिखर को छुआ है। शकील ने यूपीएससी में 506 रैंक हासिल की है। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने मंगलवार को सिविल सेवा परीक्षा 2024 का अंतिम परिणाम घोषित किया तो शकील के परिवार में जश्न का माहौल हो गया। 

तिलहर के मोहल्ला इमली निवासी हाजी तसव्वुर हुसैन मंसूरी के बेटे शकील मंसूरी का यूपीएससी में चयन होने पर घर में खुशी का माहौल है। शकील की इस उपलब्धि ने परिवार और नगर को गौरवान्वित किया है। हाजी तसव्वुर हुसैन ने बताया कि उनके छह बेटों में शकील सबसे छोटे हैं। 

शकील की मेहनत रंग लाई है। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन का रिजल्ट आने पर जैसे ही परिवार में खबर आई कि उनके बेटे ने 506 रैंक हासिल की है। घर ही नहीं इमली मोहल्ले और मंसूरी समाज में खुशी की लहर दौड़ गई। तमाम लोगों ने उनके घर जाकर बेटे शकील मंसूरी की इस उपलब्धि पर खुशी का इजहार किया। वहीं हाजी तसव्वुर हुसैन व उनके बेटे कदीर मंसूरी, सगीर मंसूरी आदि ने आने वालों का मुंह मीठा कराया।

हाजी तसब्बर हुसैन के छह बेटे और तीन बेटियां हैं। बड़ा परिवार होने के चलते तसब्बर कभी पोटरगंज मंडी में पल्लेदारी किया करते थे। धीरे-धीरे बेटे बड़े हुए और परिवार की जिम्मेदारी अपने ऊपर ले ली। परिवार बैटरी का कारोबार करता है। 

शकील के भाई सगीर ने बताया कि पूरे परिवार का सपना था कि उन लोगों में से कोई एक पढ़-लिखकर बड़ा मुकाम हासिल करे। सभी भाई-बहन ने पढ़ाई तो की लेकिन सबसे होशियार शकील ही था। इसी वजह से उसकी पढ़ाई कराने में सभी ने ताकत लगा दी। 

कक्षा आठ तक की पढ़ाई शकील ने तिलहर के कैंब्रिज स्कूल से की। इसके बाद नौंवी और दसवीं की पढ़ाई शाहजहांपुर के तक्षशिला पब्लिक स्कूल से की। अलीगढ़ में रहकर 12वीं की परीक्षा पास की। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से बीटेक की पढ़ाई करने के बाद शकील दिल्ली चले गए। 

शकील ने जामिया कैंपस में रहकर यूपीएससी की तैयारी करने लगे। शकील को चौथे प्रयास में सफलता मिली है। दो बार मेंस और एक बार इंटरव्यू में फेल होने के बावजूद शकील ने हार नहीं मानी। चौथे प्रयास में उन्हें आईपीएस बनने में सफलता मिली है। 

शकील ने दिल्ली से जब फोन पर परिवार को बताया कि वह आईपीएस बन गए हैं तो परिजनों की आंखों में आंसू छलक आए। जैसे ही जानकारी लोगों को हुई तो परिवार को बधाई देने वालों को तांता लग गया। सगीर ने बताया कि शकील हमेशा से देश की सेवा करना चाहता था। आज उसका सपना सच हुआ है।

शकील अहमद, जो उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से हैं, ने इस साल 506वीं रैंक प्राप्त की वहीं  है. वह 2021 से जामिया के आरसीए में तैयारी कर रहे थे. शकील ने इस सफलता को साझा करते हुए कहा कि यह मेरी कड़ी मेहनत और जामिया की उत्कृष्ट कोचिंग का नतीजा है. मैं इस सफलता को अपने परिवार और संस्थान को समर्पित करता हूं।

जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रो. मजहर आसिफ और कुलसचिव प्रो. मोहम्मद महताब आलम रिजवी ने आरसीए के सभी चयनित छात्रों को बधाई दी। प्रो. आसिफ ने कहा कि यह सफलता हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है कि हम समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों को सशक्त बनाते हैं. विशेष रूप से हमारी महिला उम्मीदवारों ने असाधारण प्रदर्शन किया है।

दिल्ली के इमाम व उलेमा ने पहलगाम कश्मीर आतंकवादी हमलों की कड़ी निंदा की

  • मदरसा बाबुल उलूम जफराबाद नार्थ ईस्ट दिल्ली में देश में अमन व शांति और आपसी सौहार्द बरकरार रखने के लिए एक बैठक का आयोजन किया गया 

असलम अल्वी

नई दिल्ली। मदरसा बाबुल उलूम जफराबाद में दिल्ली के इमाम व उलेमा और मुस्लिम समाज के लोग जमा हुए और सभी ने अपने हाथ उठाकर इस आतंकवादी व हैवानी हमलों की कड़ी निंदा की और सभी ने देश मे अमन व शांति बरकरार रखने के लिए दुआएं की. मौलाना दाऊद अमीनी सदर दीनी तालीमी बोर्ड जमीअत उलमा ए हिन्द दिल्ली स्टेट व मौलाना जावेद सिद्दीकी क़ासमी  सदभावना मंच जमीअत उलमा ए हिन्द व इमाम उलमाओं ने कहा कि हम पहलगाम कश्मीर की दुखद घटना में जान गँवाने वालों व घायल होने वालों के परिजनों के दुख मे बराबर के शरीक हैं. उन्होंने आगे कहा कि हिन्दू-मुस्लिम के बीच किसी भी तरह की दूरी और कोई बाधा ना पनपने पाएं. भारत देश की एकता व आपसी सौहार्द में कोई फ़र्क़ ना पड़ने पाए।

मुस्लिम समाज के कई अहम ज़िम्मेदारों ने इस मौके पर कहा की हम सभी हिन्दू-मुस्लिम साथ हैं और आगे भी साथ रहेंगे, हमारी न कोई धार्मिक लड़ाई है और न ही समाजी लड़ाई है. जो लोग हिन्दू-मुस्लिम करके दूरियां बढ़ाने के काम कर रहे हैं व देश के लिए कभी भी सही नहीं हो सकते हैं. इस लिए किसी भी तरह की अफवाह या कोई गलत फहमी फैलाने की कौशिश न करें. आतंकवाद को आतंकवाद हि समझना चाहिए किसी भी धर्म या जाती से नहीं जोड़ना चाहीए. समाज के ताने बाने को ख़राब करने वाले लोग अच्छे नहीं हो सकते हैं यह बात सभी को समझने की ज़रूरत है. इस बैठक में पहलगाम आतंकी हमले में जान गँवाने वालों की आत्मा की शांति और जो घायल हैं उन के जल्द स्वस्थ होने के लिए दुआएं की गईं. इस मौके पर सभी लौगों ने देश के सभी वर्गों से अमन व शांति बनाए रखने की अपील की।




थाना सोनिया विहार की टीम ने कुछ ही घंटों में झपटमारी की घटना को सुलझाया, तीन झपटमारों को किया गिरफ्तार

◆शिकायतकर्ता का छीना गया मोबाइल और वारदात में इस्तेमाल की गई मोटरसाइकिल बरामद की गई

असलम अल्वी

नई दिल्ली। दिनांक 22.04.2025 को थाना सोनिया विहार में एक झपटमारी की घटना की सूचना प्राप्त हुई, जिसमें शिकायतकर्ता सुखराम पुत्र बरोनी, निवासी सभा पुर, सोनिया विहार, दिल्ली, उम्र - 33 वर्ष, ने बताया कि वह सभा पुर में एक गोदाम में काम करता है। दिनांक 21.04.25 को रात लगभग 10:00 बजे जब वह ड्यूटी पर जा रहा था, तभी 'टोल टैक्स बैरियर' की ओर से तीन लोग मोटरसाइकिल पर आए, शिकायतकर्ता को रास्ते में रोककर उसका मोबाइल फोन छीन लिया और मौके से फरार हो गए।
इस संबंध में थाना सोनिया विहार में धारा 304(2)/3(5) भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत प्राथमिकी दर्ज कर जांच प्रारंभ की गई।
जांच के दौरान निरीक्षक संजय प्रकाश भट्ट, थानाध्यक्ष सोनिया विहार  के नेतृत्व में HCs आदेश, कमल, Ct. मिलन और Ct.  विकास की एक पुलिस टीम का गठन किया गया। श्री विजयपाल सिंह तोमर, ACP/खजूरी खास के मार्गदर्शन में टीम ने सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय स्रोतों से सुराग इकट्ठा किए और एकत्रित सुरागों के आधार पर तीन संदिग्ध व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया। इनकी पहचान निम्नलिखित रूप में हुई:
  1. बॉबी पुत्र भीषम निवासी सूर्य विहार, वेस्ट करावल नगर, दिल्ली, उम्र - 27 वर्ष,
  2. दुर्गेश पुत्र निरंजन निवासी ब्रिज पुरी, गोकुल पुरी, दिल्ली, उम्र - 20 वर्ष,
  3. शुभम गुप्ता पुत्र विपिन गुप्ता निवासी सूर्य विहार, वेस्ट करावल नगर, दिल्ली, उम्र - 20 वर्ष।
जांच के दौरान उन्होंने अपराध में अपनी संलिप्तता स्वीकार की। शिकायतकर्ता का छीना गया मोबाइल फोन और अपराध में प्रयुक्त मोटरसाइकिल नंबर DL-5SDJ-2175 इनके कब्जे से बरामद की गई है। अन्य मामलों में भी इनकी संलिप्तता की जांच की जा रही है। प्रकरण में आगे की जांच जारी है।



मंगलवार, 22 अप्रैल 2025

कार्गो के रूप में लदा हुआ इंसानी जिस्म

लेखक: नदीम अब्बास क़ुरैशी, ज़िला लेया

आज आप फर्स्ट क्लास में उड़ान भरते हैं, और कल एक सामान की तरह जहाज़ में लाद दिए जाते हैं।
इसलिए हमेशा विनम्र रहिए।
हमेशा अल्लाह का शुक्र अदा कीजिए।
लोगों से हमेशा मुहब्बत और अच्छे अख़्लाक से पेश आइए।

कभी-कभी मय्यत को कई दिनों तक फ्रीज़र में रखा जाता है।
ज़रा सोचिए! माइनस डिग्री वाले ठंडे कोल्ड स्टोरेज में एक लाश कितनी तकलीफ़ और बेबसी में पड़ी रहती होगी?
और यह तकलीफ़ कोई और नहीं, बल्के उनके अपने ही उन्हें देते हैं।

एक और तकलीफ़देह और शर्मनाक मामला यह होता है जब यूरोप या किसी दूसरे मुल्क से मय्यत को पाकिस्तान लाया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि ऐसी मय्यत का पहले “एम्बाल्मिंग (Embalming)” किया जाता है?
यानी मय्यत के जिस्म से खून और बाकी तरल पदार्थ निकालकर उसमें ऐसे केमिकल डाले जाते हैं जो इन्फेक्शन वग़ैरह को रोक सकें।

इस प्रक्रिया के दौरान:

मय्यत को पूरी तरह बेपर्दा किया जाता है।

गर्दन के पास एक नस को बाहर निकालकर उसमें चीरा लगाया जाता है और उसमें कैनूला डाला जाता है।

फिर मशीन के ज़रिए केमिकल्स पूरे जिस्म में पहुंचाए जाते हैं।

खून निकालने के लिए टांग के पास एक और नस को काटा जाता है।

पेट और सीने में चीरे लगाकर अंदर के नाज़ुक अंगों को पंचर किया जाता है और फिर उन्हें केमिकल से भरकर सील कर दिया जाता है।

मुँह बंद करने के लिए या तो कोई चिपकाने वाला पदार्थ लगाया जाता है या फिर उसे सिल दिया जाता है।

मैंने यह सब विस्तार से इसलिए लिखा है ताकि हम सब अपनी भावनाओं को एक पल के लिए अलग रखकर सोचें —
क्या यह सब वाक़ई एक मय्यत के साथ ज़रूरी है?
क्या आख़िरी दीदार के लिए यह अज़ीयत देना जायज़ है?

क्या यह बहुत महँगा सौदा नहीं है?
हम अपने मरहूम अज़ीज़ को इस कदर कष्ट क्यों देते हैं?
सिर्फ़ इसलिए कि कोई दूर का रिश्तेदार आखिरी बार चेहरा देख सके?
या इसलिए कि लोग कहें, “बहुत बड़ा जनाज़ा था”?
या इसलिए कि अगर कम लोग आए तो समाज में हमारी “बेज़ती” न हो?

हक़ीक़त तो यह है कि जब किसी का इंतिक़ाल हो जाए,
तो जनाज़े में उतना ही वक़्त लगना चाहिए जितना कि क़ब्र खोदने और तजहीज़ व तक़्फ़ीन के लिए ज़रूरी हो।
अगर कोई अज़ीज़ दूर है तो वह सब्र करे, मय्यत के लिए दुआ और सदक़ा करे।
सिर्फ़ चेहरा देखने के लिए किसी मय्यत को अज़ीयत न दें।

जिसकी मौत जहाँ लिखी है, वहीं आनी है।
अगर किसी को परदेस में मौत आए तो वहीं दफ़न कर देना बेहतर है।
अगर किसी को भीड़ जुटाने का शौक है तो याद रखे —
अल्लाह के यहाँ तौलने का पैमाना दुनिया से बिल्कुल अलग है।

अल्लाह तआला हम सबका अंजाम ख़ैर से करे
और हमें मौत के बाद की बे-हुरमती और अज़ीयत से महफ़ूज़ रखे…
आमीन।

रविवार, 20 अप्रैल 2025

उत्तर-पूर्वी जिला पुलिस ने किया कुणाल हत्याकांड का खुलासा, 02 महिलाओं सहित 09 को किया गिरफ्तार

असलम अल्वी
 

उत्तर पूर्वी दिल्ली। सीलमपुर में गुरुवार की शाम 17 वर्षीय एक युवक कुणाल की नकाबपोश बदमाशों ने चाकू से गोदकर हत्या कर दी। युवक की हत्या करने के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए थे। पुलिस ने कुणाल हत्याकांड में लेडी डॉन जिकरा को गुरुवार की रात ही गिरफ्तार कर लिया था। जिकरा के अलावा तीन और लोगों को पुलिस की हिरासत में रखा गया था। जिकरा से पूछताछ की जा रही थी। उसकी इन्वॉल्वमेंट का खुलासा होने के बाद उसे गिरफ्तार किया गया था।
आपको बता दें 17 अप्रैल 2025 को शाम लगभग 07:38 बजे, जे-ब्लॉक, झुग्गी सीलमपुर में एक व्यक्ति की चाकू घोंपकर हत्या के बारे में सीलमपुर पुलिस स्टेशन में सूचना प्राप्त हुई। मौके पर पहुंचने पर, पुलिस टीम ने पाया कि पीड़ित को उसके परिवार के सदस्यों द्वारा पहले ही जग प्रवेश हॉस्पिटल, शास्त्री पार्क ले जाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। पीड़ित की पहचान 17 वर्षीय कुणाल पुत्र राजवीर, निवासी जे-225, न्यू सीलमपुर के रूप में हुई।
तदनुसार, धारा 103(1)/3(5) के तहत पुलिस स्टेशन सीलमपुर में मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई।
घटना की गंभीरता को देखते हुए, पुलिस स्टेशन सीलमपुर की टीम के साथ-साथ ऑपरेशन विंग/एनई को भी जांच के लिए लगाया गया।  आरोपियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए कई टीमें गठित की गई।
जांच के दौरान, विभिन्न स्रोतों से एकत्र किए गए साक्ष्यों के आधार पर, घटना में शामिल संदिग्ध आरोपियों की पहचान की गई। 18.04.25 की शाम को एक 19 वर्षीय महिला, जिसका नाम ज़िकरा पुत्री समीर, निवासी 130/30, सीपीजे ब्लॉक, न्यू सीलमपुर को गिरफ्तार किया गया। उत्तर-पूर्वी जिले की पुलिस टीमों ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, मेरठ, मुरादाबाद और अमरोहा सहित दिल्ली एनसीआर में छापेमारी की।  सुरागों, तकनीकी निगरानी और मैनुअल इनपुट के विस्तृत विश्लेषण के आधार पर मामले में शामिल निम्नलिखित व्यक्तियों को 20.04.25 को गिरफ्तार/पकड़ लिया गया:
  1. साहिल पुत्र स्वर्गीय लईक अहमद, निवासी सीपीजे-86, जे ब्लॉक, न्यू सीलमपुर, उम्र 18 वर्ष
  2. सोहेब पुत्र मोहम्मद इसराइल, निवासी टी-373, गली नंबर 10, गौतम पुरी, उम्र 35 वर्ष
  3. नफीश पुत्र सलीम, निवासी मकान नंबर 234, लखीपुरा, मेरठ, यूपी, उम्र 32 वर्ष
  4. अनीश पुत्र सलीम, निवासी मकान नंबर 234, लखीपुरा, मेरठ, यूपी, उम्र 19 वर्ष
  5. जाहिदा पत्नी स्वर्गीय लईक अहमद, निवासी सीपीजे-1/34, नीम वाली मस्जिद, जे ब्लॉक, सीलमपुर, उम्र 42 वर्ष
  6. विकास पुत्र  अशोक, निवासी एफ-34, न्यू सीलमपुर, दिल्ली, उम्र 29 वर्ष
  7. सीसीएल, एबीसी, निवासी झुग्गी, जे-ब्लॉक, उम्र 17 वर्ष
  8. सीसीएल, एक्सवाईजेड, निवासी झुग्गी, जे-ब्लॉक, उम्र 15 वर्ष

जांच के दौरान, आरोपी व्यक्तियों, अर्थात् ज़िकरा, साहिल, और दो सीसीएल के खिलाफ सबूत एकत्र किए गए, जिन्होंने कुणाल पर हमला करने की साजिश रची थी। इसके अलावा, क्रमांक 2, 3, 4, 5 और 6 में सूचीबद्ध आरोपियों की भूमिका मुख्य आरोपी को भागने और छिपने में मदद करने से संबंधित पाई गई। आरोपियों को शरण देने में उनकी संलिप्तता भी स्थापित की गई है।
जांच के दौरान, प्रासंगिक साक्ष्य एकत्र किए गए, जिससे इस जघन्य अपराध में आरोपियों की संलिप्तता की पुष्टि हुई।  पता चला है कि साहिल की कुणाल से पुरानी दुश्मनी थी और 17.04.25 को इस गिरोह ने कुणाल को पकड़ लिया और उस पर कई बार चाकू से वार किया। अपराध में इस्तेमाल किए गए हथियारों को बरामद करने के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं। मामले में आगे की जांच जारी है।




शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

टूर एंड ट्रैवल्स के जरिए जाने वाले 42 हजार हाजियों की हज यात्रा संकट में, वेस्ट निज़ामुद्दीन में हुई प्रेस कांफ्रेंस


नई दिल्ली: हज 2025 के सिलसिले में एक गंभीर और चिंताजनक स्थिति सामने आई है। यह जानकारी तब उजागर हुई जब यह पता चला कि देश भर से टूर एंड ट्रैवल्स एजेंसियों के माध्यम से जाने वाले करीब 42 हजार हाजियों की सऊदी अरब रवाना होने की संभावना खतरे में पड़ गई है। इस नाजुक मसले पर विस्तार से चर्चा करने के लिए राजधानी के वेस्ट निज़ामुद्दीन इलाके में एक महत्वपूर्ण प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया।

इस प्रेस मीट में हज यात्रियों की सेवा में वर्षों से सक्रिय प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और केंद्रीय हज समिति में सीईए के रूप में उत्कृष्ट सेवाएं देने वाले श्री शबीह अहमद, समेत कई हज संबंधित विशेषज्ञ और प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रेस मीट के दौरान वरिष्ठ समाजसेवी हाजी मोहम्मद ज़हूर अहमद (अटेची वालों) ने बताया कि इस वर्ष हज कमेटी ऑफ इंडिया के अलावा जो हाजी प्राइवेट टूर ऑपरेटर्स के माध्यम से हज यात्रा करने जा रहे थे, उनकी सूची को सऊदी अरब से अनुमोदन नहीं मिल पाने और कोटा में कटौती के कारण हजारों हाजियों की यात्रा अधर में लटक गई है। उन्होंने बताया कि इनमें से अधिकांश यात्रियों ने पहले ही पूरा भुगतान कर दिया है। कुछ ने तो वर्षों से संजोए अपने सपनों को साकार करने के लिए अपनी जमा-पूंजी तक खर्च कर दी है, जिससे वे अब गहरे मानसिक तनाव और निराशा के शिकार हैं।

हाजी ज़हूर अहमद ने कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि मुसलमानों के धार्मिक और भावनात्मक जज़्बातों से जुड़ा हुआ मसला है, जिसे गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि वह तुरंत हस्तक्षेप करते हुए इस समस्या का हल निकाले।

शबीह अहमद ने पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट किया कि, “हम किसी भी टूर एंड ट्रैवल एजेंसी के पक्ष में नहीं खड़े हैं, बल्कि हमें सिर्फ हाजियों की चिंता है। हर मुसलमान की दिली ख्वाहिश होती है कि वह एक बार बैतुल्लाह शरीफ़ और रोज़ा-ए-मुबारक की ज़ियारत करे। जब एक व्यक्ति वर्षों की मेहनत और सपनों के बाद सभी तैयारियाँ पूरी कर चुका हो और अचानक यह सुनने को मिले कि आपकी यात्रा रद्द कर दी गई है, तो यह किसी सदमे से कम नहीं होता।”
हाजी मोहम्मद इदरीस और हाजी मोहम्मद असअद मियां ने भारत सरकार और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से तत्काल हस्तक्षेप की अपील करते हुए कहा कि यह हाजियों के साथ घोर अन्याय है। जब यात्री पूरे वर्ष तैयारी करते हैं, दस्तावेज़ पूरे होते हैं, भुगतान किया जाता है, फिर भी अगर उन्हें जाने से रोक दिया जाए, तो यह आत्मा को झकझोर देने वाली स्थिति होती है। प्रेस मीट के अंत में यह ज़ोरदार मांग की गई कि भारत सरकार जल्द से जल्द सऊदी अधिकारियों से संपर्क कर इस मसले का समाधान निकाले और इन सभी प्रभावित हाजियों के लिए वैकल्पिक इंतजाम सुनिश्चित करे, ताकि उनकी हज यात्रा बाधित न हो और वे अपने धार्मिक कर्तव्य को पूरा कर सकें।

गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

निगम के अतिरिक्त आयुक्त अमित कुमार शर्मा हुआ का सम्मान


नगर निगम के अपर आयुक्त ने निगम में किए 5 वर्ष पूरे

असलम अल्वी

 नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम के अपर आयुक्त अमित कुमार शर्मा का शाहदरा उत्तरी क्षेत्र में मंडोली मार्किट, महाराजा अग्रसेन मार्किट ट्रेड एसोसिएशन द्वारा आयोजित अमित शर्मा को पदोन्नत कर नेशनल फर्टिलाइजर लिमटेड में नियुक्त करने पर हार्दिक शुभकामनाएं व एमसीडी में उनके द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्यों के लिए "सम्मान समारोह" होती लाल धर्मशाला वाली गली, गली नंबर 3, वेस्ट नत्थू कॉलोनी, मंडोली रोड, शाहदरा, दिल्ली-110093 में आयोजित हुए। सम्मान समारोह पर उनके साथ सत्येंद्र शर्मा, सुखबीर जी, सुशील जी, मनोज गुप्ता जी, श्री प्रवेश गर्ग, श्री गौतम गुप्ता, श्री जितेन्द्र महाजन (विधायक), चन्द्र प्रकाश (निगम पार्षद), श्री प्रदीप अरोड़ा, डैम्स विभाग के कर्मचारी और अन्य लोग भी उपस्थित थे। इस समारोह का आयोजन सराहनीय था।




रेल यात्रा वृतांत पुरस्कार योजना वर्ष 2025 के लिए नामांकन 31 जुलाई तक

संवाददाता

नई दिल्ली। रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) सभी भारतीयों के लिए हिन्दी में रेल यात्रा वृतांत प्रतियोगिता आयोजित कर रहा है, जिसमें निम्नानुसार राशि एवं प्रशस्ति पत्र दिये जाने का प्रावधान है:- प्रथम पुरस्कार (एक) : 10,000 रुपए, द्वितीय पुरस्कार (दो): 8,000 रुपए, तृतीय पुरस्कार (तीन): 6,000 रुपए, प्रेरणा पुरस्कार (चार): 10,000 रुपए

रेल यात्रा वृत्तांत हिंदी भाषा में होना चाहिए और मौलिक होना चाहिए तथा न्यूनतम 3000 शर्दा एवं अधिकतम 3500 शब्दों तक होना चाहिए। यह डबल स्पेस में टाइप किया हुआ, चारों तरफ कम-से-कम एक इंच का हाशिया छोड़ा हुआ हो और पृष्ठ संख्या अंकित हो। शब्दों की कुल संख्या लिखी होनी चाहिए वृतांत के प्रारंभ में एक अलग कागज में बड़े अक्षरों में नाम, पदनाम, आयु, कार्यालय निवास का पता, मातृभाषा, मोबाइल नंबर ई-मेल वृतांत के शब्दों की संख्या आदि का उल्लेख किया जाना चाहिए ।

इस योजना में भाग लेने के इच्छुक केंद्रीय अथवा राज्य सरकार की सेवा में कार्यरत अधिकारियों/कर्मचारियों को इस आशय का घोषणा पत्र देना होगा कि उनके विरु‌द्ध किसी भी प्रकार का सतर्कता/अनुशासन एवं अपील नियम से संबंधित मामला लंबित या विचाराधीन नहीं है जो आवेदक सरकारी सेवा में नहीं है उन्हें इस आशय का घोषणा पत्र देना होगा कि उनके खिलाफ न तो किसी प्रकार का आपराधिक मामला चल रहा है और न ही वे किसी प्रकार की सजा भुगत रहे हैं। इसके अतिरिक्त सभी प्रतिभागियों को घोषणा पत्र में यह भी उल्लेख करना होगा कि "संबंधित रेल यात्रा वृतांत मेरी मौलिक रचना है इसे किसी अन्य पुरस्कार योजना के अतर्गत पुरस्कृत नहीं किया गया है"।

पतिभागी अपनी प्रविष्टि दो प्रतियों में 31.07.2025 तक सहायक निदेशक, हिंदी (प्रशिक्षण) कमरा नंबर-316. कॉफमो रेल कार्यालय परिसर, तिलक ब्रिज, आईटीओ, नई दिल्ली-110002 को निरापवाद रूप से भिजवा दे। वृतांत की एकल पति प्राप्त होने पर पविष्टि रद्द कर दी जाएगी। अंतिम तिथि के बाद प्राप्त प्रविष्टिया पर मंत्रालय दवारा विचार नहीं किया जाएगा।

डोनाल्ड ट्रम्प का टैरिफ कार्ड व उसका असर

बसंत कुमार

आज के वैश्विक युग में जहां अपनी स्थानीय बाजार में विदेशी माल व अपने स्थानीय उत्पादों की कीमत के टकराव से परेशान दिखते हैं, आप स्वयं सोच सकते हैं कि जब हमारे देश में कोई विदेशी माल बहुत सस्ता मिल रहा है और उसी समान को स्थनीय कम्पनी विदेशी उत्पाद के मुकाबले अधिक कीमत पर बेचने को बाध्य है और घरेलू कम्पनी को विदेशी कम्पनी के उत्पाद से मुकाबला करना मुश्किल हो जाता है तो सरकार टैरिफ नाम के एक आर्थिक हथियार का इस्तेमाल करती है जो एक आयत शुल्क होता है, यानि जब कोई विदेशी वस्तु आपके देश में आती है तो उस पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जता है जिससे वह वस्तु बाजार में मंहगी हो जाती है और घरेलू उत्पादों को विदेशी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिल जाता है। पिछले कुछ समय से अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ कार्ड ने पूरे विश्व को हैरत में डाल दिया है अब हमें यह देखना है भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका क्या असर पड़ता है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 अप्रैल 2025 से कई देशों से आने वाले माल पर टैरिफ लगाने की घोषणा की। अपने इस फैसले से अमेरिका ने उन देशों को निशाना बनाया जो अमेरिकी उत्पादों पर उच्च दर का टैरिफ लगाते हैं और भारत, चीन ब्राजील, यूरोपीय यूनियम जैसे देश इस फैसले के दायरे में आ गए है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 26% टैरिफ लगाने कि घोषणा की है। ट्रंप के इस टैरिफ घोषणा का वैश्विक बाजार में भारी प्रभाव पड़ने की आशंका है। वास्तव में किसी देश द्वारा विदेश से आने वाले उत्पाद पर टैरिफ लगाते का मुख्य उद्देश्य घरेली उद्योगों को संरक्षण देना होता है। यह नीति उन देशों के लिए महत्वपूर्ण होती है जो अपने व्यापार घाटे को कम करना चाहते है। प्रायः यह देखा गया है कि कई देश अपने घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने के लि आयातित समानों पर ऊंचा टैक्स लगाते हैं और बदले में अपने सामान को कम टैरिफ पर निर्यात करना चाहते हैं। लेकिन जो जवाबी टैरिफ डोनाल्ड ट्रंप ने लगाया है उसका मुख्य उद्देश्य व्यापार में निष्पक्षता लाना माना जा रहा है। पर यह वैश्विक बाजार में तनाव बढ़ा जा सकता है। जहां तक भारत की प्रश्न है यहां अमेरिकी उत्पादों पर 52% लगाया जता है वहीं भारत के उत्पाद पर अमेरिका ने 26% टैक्स लगा दिया है। अमेरिका द्वारा ज़ारी सूची में यूनाइटेड किंगडम, ब्राजील, सिंगापुर, तुर्की आदि कुछ गिने चुने देश है जहां अमेरिका में जाने वाले उत्पाद और अमेरिका से आने वाले उत्पाद पर टैरिफ 10% है जबकि अन्य देशों के साथ यह टैरिफ दर बहुत ही असंतुलित है।

टैरिफ की बढ़ोत्तरी का पहला असर विदेशी उत्पादों की बिक्री पर पड़ता है, जैसे भारतीय सामान अब अमेरिका में पहले के मुकाबले ज्यादा मंहगे हो जाएंगे और उनकी मांग कम हो जाएगी। इससे अमेरिकी कम्पनियों को राहत मिलेगी और उनका व्यापर बढ़ेगा। लेकिन इसका एक दूसरा पहलू यह है कि अगर अन्य देश पलटवार करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगा दें तो अमेरिका की निर्यातक कम्पनियां भी घाटे में आ सकती हैं। यद्यपि भारत की मोदी सरकार ऐसा करने के बजाय द्विपक्षीय व्यापार समझौता (BTS) करने पर जोर दे रही है। अगर अमेरिकी के इस फैसले का समाधान नहीं निकाला गया तो भारत के कई उद्योग प्रभावित होंगे। इनमें इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स, रत्न आभूषण, आटो पार्ट्स, एल्युमिनियम जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली कम्पनियों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सोच समझ कर सीमित समय के लिए टैरिफ लगाया जाए तो तय घाटे में चल रही या बीमार चल रही घरेलू कम्पनियों को पुनर्जीवित कर पटरी पर लाने का अच्छा माध्यम बन सकते हैं। जैसा 1989-90 के दौर में भारत में घाटे में चल रही बीमार कम्पनियों को पटरी पर लाने के लिए बाइफर (बोर्ड फॉर इंडस्ट्रियल एंड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन) की स्थापना करके कुछ बीमार कम्पनियों को या तो बंद कर दिया गया या फिर बेच दिया गया ऐसे में टैरिफ एक अच्छा विकल्प हो सकता था।

जहां अमेरिका ने अपने घरेलू कम्पनियों को राहत देने के लिए भारत सहित अन्य देशों पर टैरिफ लगाया है। वहीं भारत दशकों से इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल्स, खिलौने, मोबाइल आदि के क्षेत्रों में चीन की डंपिंग पॉलिसी से परेशान रहा है। देश में दीपावली होली आदि त्योहारों पर देशी कम्पनियों और देशी कारीगरों को दो चार माह का रोज़गार मिल जाता था और दीपावली होली एकादशी छठ आदि त्योहारों की कमाई से उनका कर्ज उतर जाता था पर विगत कुछ वर्षों से चीन से आने वाली लड़ियों, पटाकों ने भारत में बने सामानों की बिक्री ठप कर दी है, सस्ते के चाकर में लोग चाइना मेड प्रोडक्ट ही पसंद करते हैं। पर कुछ दिन पूर्व भारत सरकार ने भारतीय बाजार में चीन की डंपिंग से परेशान होक चीन से आने वाले उत्पादों पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाए हैं। सरकार ने यह कदम घरेलू कम्पनियों को सस्ते आयत के कुप्रभाव से बचने के लिए उठाया है।

भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की इकाई डीजीटीआर की सिफारिश के बाद चीन के विरुद्ध एंटी डंपिंग ड्युटी लगाई गई है इससे भारतीय कंपनियों को चाइना माल की डंपिंग से राहत मिलेगी, उन्हें अपने उत्पादों के सही दाम मिल सकेंगे। इधर अमेरिका ने चीन के उत्पादों पर लाने 245% टैरिफ बढ़ाकर चीनी उत्पादों को अमेरिकी बाजार से लगभग बाहर कर दिया है इस फैसले पर चीन ने कहा है कि हम अमेरिका के साथ ट्रेड वार से नहीं डरते, क्या इस प्रकार प्रकार के गतिरोध विकासशील देशों और आर्थिक रूप से कमजोर देशों के उद्यमियों को समाप्त करने के लिए चलाया जा रहा है। ट्रंप के टैरिफ हमले के जवाब में चीन ने खनिज धातु के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है। गौरतलब है कि 92% खनिजों की प्रोसेसिंग यानी रिफाइनिंग में पर चीन की पकड़ है। अब यह लड़ाई सिर्फ टैक्स की नहीं बल्कि टेक्नोलॉजी सप्लाई चेन और ग्लोबल दबदबे की लड़ाई हो चली है, पर जिस प्रकार से चीनी माल के भारत में डंपिंग की वजह से भारत के लोकल प्रॉडक्ट की बाजार तबाह हो रही है भारत को ऐसे ही कदम उठाने की जरूरत है।

जब से अमेरिका ने चीन से आने वाले माल पर टैरिफ बढ़ाकर 245% कर दी है चीन से भारत आने वाले सामान में बाढ़ सी आ गई है। पिछले वित्त वर्ष में भारत और चीन के बीच व्यापार का अंतर 99.2 बिलियन डॉलर पहुंच गया था और चीन के साथ व्यापार घाटा 177% तक पहुंच गया था जो इस वित्तिय वर्ष में और अधिक हो जाने की आशंका है।

यह सही है कि डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ कार्ड से वहां विदेशी चीजे महंगी हो जाएंगी और देश के निर्यात पर असर पड़ेगा तथा कई आद्योगिक क्षेत्र प्रभावित होंगे। इससे इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट्स, रत्न आभूषण, ऑटो पार्ट्स, एल्युमिनियम जैसे क्षेत्रों में क्षेत्रों में कारोबार करने वली कम्पनियों को नुकसान झेलना पड़ सकता है पर यह समझने की जरूरत है कि टैरिफ लगाना हर समय नुकसान दायक नहीं होता यदि टैरिफ सोच समझ कर सीमित समय के लिए लगाए जाएं तो यह घरेलू उद्योगों को पुनर्जीवित करने का जरिया बन सकता है। खास तौर पर यदी कोई देश बेहद सस्ते दामों पर अपना सामान भेजकर आपके बाजार को बिगाड़ रहा है जैसे चीनी प्रोडक्ट्स के कारण भारत के अपने ही देशों के बने सामान की पूंछ नहीं हो रही है इसीलिए भारत को भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ कार्ड से सबक लेने की आवश्यकता है।

(लेखक एक पहल एनजीओ के राष्ट्रीय महासचिव और भारत सरकार के पूर्व उपसचिव है।)

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